ये होली के दिन लगते हैं मुझे कुछ खास नहीं,
सब ठीक है पर वो एहसास नहीं,
रंगना था जिसे अपने रंगों के मध्धम सी बयार में,
वो मोहतरमा अभी मेरे पास नहीं....!
😍❤️💐
तुझमें घुलकर रंग गुलाल हो जाऊं,
तू बन फाग में श्यामल श्याम हो जाऊं...!!
होली की हार्दिक शुभकामनाएं....🙏🙏🙏
किन लफ़्ज़ों में बयां करू मैं,
अहमियत तेरी..
की बिना तेरे नामुमकिन सी लगती है,
जिंदगी मेरी.
यूँ तो कोई सबूत नहीं है,
कि तुम मेरे हो,
पर ये दिल का रिश्ता तो
बस यकीन से ही चलता है।
किसी ने कहा बहुत बेवफ़ा, बहुत मग़रूर हूँ मैं
उन्हें कैसे बताऊँ की किसी के इश्क़ में चूर हूँ मैं..
तेरी मोहब्बत से लेकर,
तेरा अलविदा कहने तक,
मैंने सिर्फ तुझे चाहा,
तुझसे कभी कुछ नहीं चाहा !!
बस एक आखरी रस्म चल रही है हमारे दरमियाँ,
एक दूसरे को याद तो करते हैं,पर बात नहीं करते!
मैं पागल तेरे पीछे,
तू पागल किसी और के पीछे,
और वो पागल किसी और के पीछे,
मतलब सारे पागल आगे पीछे.......
बहुत संभाल कर खर्च करते है तेरी यादों की दौलत,
आखिर एक उम्र गुजारनी है इन्हीं की बदौलत.......
दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली,
आप तो कहते थे कि बुरा वक्त गुज़र जाता है.......
मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह होती है,
कितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी पड़ ही जाती है........
@alfaazz
मेरी हर बात में बनारस बस गया है यूं,
किसी की बातों का जादू दिल में घर कर गया है।
❤️❤️
सपना है आँखों में मगर नीद कहीं और है!
दिल तो है जिस्म में मगर धड़कता कहीं और है!!
कैसे बयां करें हाल-ए-दिल
जी तो रहे हैं मगर जिंदगी कहीं और है।
मुझे तुमसे बस एक अमानत चाहिए👐
तुमसे ज्यादा तुम्हारी मोहब्बत चाहिए💏
जिस्म के पीछे तो पागल है दुनिया😠
मुझे सिर्फ तुम्हारी रजामंदी चाहिए🤞
कह दो तो ज़माने से बगावत कर लूं💪
दिल में रहने की इज़ाज़त चाहिए🙏
हर पल खुद को मरते हुए देखा है😔
अब तेरे संग जीने की जमानत चाहिए😘💕
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसाँ उतारता है कोई
दिल में कुछ यूँ सँभालता हूँ ग़म
जैसे ज़ेवर सँभालता है कोई
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
पेड़ पर पक गया है फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
जिसे हमने चाहा उसे हम पा ना सके,
जिसने हमको चाहा उसे हम चाह ना सके,
समझ लो दिल टूटने का खेल है यारो,,
किसी का तोड़ा और अपना बचा ना सके।।
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में
शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में
रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में
जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में
दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में
हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले
उन को शायद उम्र लगेगी आने में....
दिखावा नहीं करता, क्युकी इससे मेरी वास्तविकता परिवर्तित नहीं होगी!
जैसा हूं वैसा हूं स्वीकार करना है करो अन्यथा रहने दो और न ही मैं स्वयं को बदलना चाहता हूं, मुझे मेरी वास्तविकता से प्रेम है..!
कहीं भी लिखा नहीं है कि इश्क़ जवानी में ही होता है,
लेकिन ये जब भी होता है...इंसान जवान ज़रूर हो जाता है..!!
ढुंढा करोगे हर किसी मे मुझे..!!
वो मंजर भी आयेगा..!!
हम याद भी आयेंगे ओर..!!
आंखों मे समंदर भी आयेगा..!!
हमसे खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेंका और जिसने हारा उसने भी फेंका............
बिकती है ना ख़ुशी कहीं,
ना कहीं गम बिकता है.
लोग गलतफहमी में हैं,
कि शायद कहीं मरहम बिकता है......
ना मिले कभी हम ना मिलने की गुंजाइश है,
फिर भी ना जाने क्यूं दिल को तेरी ही ख्वाहिश है.......
@alfaazz