जिन्दगी ऐसे भी गुजरती है तमन्नाओं के बिना
हर शख्श पर नसीब यहाँ मेहरबाँ नहीं होता...!!
*"रिश्ते और दोस्त ऐसे बनायें जो दिल की बात ऐसे समझ ले,
जैसे डॉक्टर की लिखाई को मेडिकल स्टोर वाला समझता है।........."*
*"पुरे विश्वास के साथ अपने सपनो की तरफ बढ़ो, वही जिंदगी जियो जिसकी कल्पना आपने की है।"*
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*"What is the *'Most Easy''* & *''Most Difficult''* thing in Life?
Ans : *''Mistakes''*.
Easy to Judge when Others do it.
Difficult to Realize When we do it."*
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तेरे दर पे आने से पहले,
मैं बड़ा कमज़ोर होता हूँ
पर तेरी दहलीज़ को छू लेते ही,
मैं कुछ और होता हूँ..
*खतरे के निशान के*
*बहुत करीब बह रहा है*
*उम्र का पानी।*
*और, वक़्त की बरसात है कि*
*थमने का नाम ही नहीं ले रही ।।*
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हम मुस्कुरा कर छिपा लेते हैं ग़म अपना...
लोग हमे देख कर..
हम जैसा बनने कि दुआ करते हैं..!!
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रहेगा गन्दगी के बीच, दामन भी बचालेगा
है शातिर, कोई न कोई नया रस्ता निकालेगा
मरेगा ये बदन, लेकिन रहेगी आत्मा ज़िन्दा
उसे लेकर ख़ुदा फिर से नये साँचे में ढालेगा
परिन्दे डर से लोगों के निकलना छोड़ दें घर से
बता मासूम बच्चों को भला फिर कौन पालेगा
दधीची अब नहीं कोई, ये कलयुग है मिरे भाई
किसी के वास्ते कोई स्वयं को क्यूं मिटालेगा
मैं सबसे मिलके रहता हूँ कि दौरे मौत में आकर
कोई आंसू बहायेगा, कोई मय्यत उठालेगा
*"बेकार ज़ाया किया वक्त किताबों में*...
*सारे सबक तो कमबख्त ठोकरों से मिले हैं । "*
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(●_●)
╚═►
भारी से भारी चीज उठाई है,
.
पर आज तक किसी का फ़ायदा नही उठाया...
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Bhari se Bhari Chiz Uthaayi hai,
.
Par aaj tak kisi ka Fayda nahi uthaya...
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Nature's law is that :-
If we do not plant seeds in the land, it automatically fills the land with unwanted grass.
Similarly if we do not fill positive notes in our mind, automatically negative thoughts will crop up."*
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"बात करो रूठे यारों से, सन्नाटे से डर जाते हैं,
इश्क़ अकेला जी सकता है, दोस्त अकेले मर जाते हैं।"
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तप्त हृदय को , सरस स्नेह से ,
जो सहला दे , मित्र वही है ।
रूखे मन को , सराबोर कर,
जो नहला दे , मित्र वही है ।
प्रिय वियोग ,संतप्त चित्त को ,
जो बहला दे , मित्र वही है ।
अश्रु बूँद की , एक झलक से ,
जो दहला दे , मित्र वही है ।
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किसी की "सलाह" से रास्ते जरूर
मिलते हैं,
पर मंजिल तो खुद की "मेहनत" से
ही मिलती है ।
"प्रशंसक" हमें बेशक पहचानते
होंगे.. मगर
" शुभचिन्तकों " की पहचान खुद
को करनी पड़ती है।
🙏
*तेरे पास जो है,*
*उस की क़द्र कर;*
*यहां आसमां के पास भी,*
*खुद की जमीं नहीं है....*
*"मुश्किलें वो चीज़े होती है, जो हमें तब दिखती है जब हमारा ध्यान लक्ष्य पर नहीं होता।"*
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*Kaizen Story: Tiger in the Toilet*
Once a stranded Tiger entered the washroom in a Corporate Office and hid in a dark corner. Since there were people outside the washroom through the day, the Tiger was afraid to come out.
Many people frequented the washroom, but the frightened Tiger didn’t touch anyone. However, after four days it couldn’t bear hunger anymore, so it caught a man who had come in, and ate him.
This man happened to be an Assistant General Manager 😀in the organization, but nobody noticed his disappearance.
Since nothing untoward happened, the Tiger became bolder and after two days caught another man and ate him.
This man was the General Manager 😁of the organization.
Still, nobody worried over his disappearance (Some people even happy that he was not seen in the office).
Next day, the Tiger caught the Vice President 😂who was a terror in the organization.
Again nothing happened. The Tiger was very happy and decided that this was the perfect place for him to live.
The very next day the happy Tiger caught a man who had entered the washroom while balancing a tray of teacups in one hand.
The frightened man fell unconscious. Within fifteen minutes a huge hue and cry ensued, and everyone in the office started looking for the man. The search team reached the washroom, flushed out the Tiger and saved the unconscious man. He was the tea boy 😟 in the office.
*Moral of the Story*
It is not the position, but our usefulness to others that makes us lovable and respectable.
*If your subordinates are happy in your absence that means you are not a perfect leader.*
Acknowledgement: From the book *Tiger in the Toilet*
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*"Motivation is like a spark that's needed for those who have dreams in their eyes, who want to fulfill them because they get discourage due to lack of belief and support of their own people"."*
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*☝🏻🌹चलते देखा है लोगो को अक्सर अपनी चाल से तेज़...!*
*☝🏻🌹पर वक्त और तक़दीर से आगे कभी कोई निकल नहीं पाया...!!*...🙏🏻🙏🏻
पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है..
*आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है..*
अपने घर की कलह से फुरसत मिले..तो सुने..
*आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..*
जहां, जब, जिसका, जी चाहा थूक दिया..
*आजकल हाथों में पीकदान कौन रखता है..*
खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को..
*आजकल परिंदों मे जान कौन रखता है..*
हर चीज मुहैया है इस शहर में किश्तों पर..
*आजकल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..*
बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को..
*Dosto आजकल घर में पुराना सामान कौन रखता*
'जतन हजार करो फिर भी बच निकलता है,
हरेक दर्द कहां आंसुओं में ढलता है,
बिछड़ने वाले किसी दिन ये देखने आ जा,
चराग कैसे हवा के बगैर जलता है' .
वो बड़ा बदनसीब होता है
आदमी जो गरीब होता है
चंद सांसे मिली यहा सबको
वक्त किसका हबीब होता है
मुफ़लिसी में गुज़ारता रातें
कौन उसके करीब होता है
राह में इश्क के चले जो भी
दर्द उसका नसीब होता है
जीतने में मज़ा नही आता
दोस्त ही जब रक़ीब होता है
नागवार गुज़रती है जो बातें अक़सर लोग वही करते हैं...
ज़ख्म दे कर खुद ही उसका मरहम पूछते हैं...
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*"Never mind what others do; do better than yourself, beat your own record each and everyday, and you are a success."*
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*"Friendship is not a game to play,
It is not a word to say,
It doesn't start on March and ends on May,
It is tomorrow, yesterday, today and every day..."*
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FRIENDLINESS IS ONE OF THE MOST SIGNIFICANT QUALITIES for the seeker to develop; it is really sweet. It makes your whole life full of sweet music, full of sweet harmony. In Buddha's vision IT IS HIGHER THAN SO-CALLED LOVE.
Your so-called love is tethered to your biology; FRIENDLINESS IS FREEDOM FROM BIOLOGY. The ordinary so-called love is the same in human beings as it is in animals, as it is in the trees. IT IS SEX-ORIENTED. It is only a sugarcoating around the bitter pill of sex. In fact, if love is taken away from your sex, sex will look very ridiculous. It is because of the sugarcoating that you can swallow the pill.
—OSHO—
The Dhammapada: The Way of the Buddha
Vol 9, Ch #7: How sweet it is
am in Buddha Hall