अब रहमान सर को कोई भी रंगा सियार नही बोलना 😂😂🤣🤣🤣🤣
ना तो लाइव क्लास में पूरा खानदान के गाली सुनोगे 😂
मेरी नागिन से कहना पिछले दफा की तरह आज रात ना डसे
कल मेरा जन्मदिन है कुछ तो मेरी खुशियों का ख्याल करे....!
#Mohd_Husain ✍🏻
अकेले बेंच पे बैठ घंटों तुझे सोचता रहा
इस सर्द रात में तेरा इंतज़ार करता रहा
यकीनन तू नहीं आएगी मालूम था मुझे
ना जाने क्यों फिर भी तेरी राह ताकता रहा
#Mohd_Husain ✍🏻
कुछ लिखने बैठूं तो कुछ लिख नहीं पाता
तुमसे कुछ कहना चाहता हु कहे नहीं पाता
दिल लगता नहीं कही मेरा लफ्ज़ बिखरे पड़े है
मैं खो गया हु तुझमें खुद को ढूंढ नहीं पाता
#Mohd_Husain ✍🏻
झूठे रिश्ते के बोझ तले दबा के मार दे मुझे
मेरी सर की झूठी कसम खा के मार दे मुझे
में तेरा बिना नहीं रहे सकता मान या फिर
तू मुझे जुदाई का जहर खिला के मार दे मुझे
ना काबिल ए बर्दाश्त है गर मेरे साथ रहना
तो नागिन बनके डस ले जाना मार दे मुझे
सुन तेरी बेवफ़ाई पे सच ना लिख दूं कही
तू मेरी ही कोई ग़ज़ल सुना के मार दे मुझे
#Mohd_Husain ✍🏻
यह मेरी आंखें बंद क्यों नहीं हो रही
तेरे यादें इतनी एहम हो गई है किया
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ रहा यार
तू मेरा सुकून ए कल्ब हो गई है किया
#Mohd_Husain ✍🏻
में कम उम्र का लड़का था
शहर मे नही थी मेरी पहचान....
मुझे रंज-ओ-गम देके तोड़ा ज़माने ने...
चंद वक्त मे होने लगी मेरे नाम से पहचान..
जो वुजुर्ग करते थे मेरे नाम के चर्चे अपने घरों में..
उन वुजुर्गो के घरों में भी अब मेरी बदनामी से पहचान...
कुछ आवारा हवाओं के साथ रहके हो गया बदनाम
मैं तो शराफत से बना रहा था अपने नाम की पहचान...
#Mohd_Husain ✍🏻
हक जताता था ऐसे जैसे इसके बाप का माल हु
रकीब के आते ही बदला ऐसे जैसे मैं बेकार ढाल हु
तू दोस्त है तू मेरा दिल दुखा" जब तेरा दिल दुखे
तो आना पास मेरे" में तेरे साथ हर सूरत ए हाल हु
#Mohd_Husain ✍🏻
धोखेबाज़ियों की सारी हद्दे पार करते हुए देखे हैं
मैंने कुछ दोस्त आस्तीन से निकलते हुए देखें हैं
सामने से वार करने की हिम्मत नहीं दोस्तो की
वो दोस्त भी मैने पीठ पीछे वार करते हुए देखे है
#Mohd_Husain ✍🏻
तेरे हिज़्र ए ग़म में इतनी पी सिगरेट
गले के सारे के सारे तार जला लिए है
और लोग आवाज़ सुनके कहते है हुसैन
तुम्हारी आवाज़ बनी ही शायरी के लिए है
#Mohd_Husain ✍🏻
ना मंजिलों की खबर थी ना रास्तों का पता था
ना हमसफर था कोई ना काफिलों का पता था...
तन्हा ही अपनो जख्मों पे मरहम लगाते रहे
ना हमारा हकीम था कोई ना दोस्तों का पता था
#Mohd_Husain ✍🏻
उसके जाने का दुख तो बहुत था मगर कसम से...
मुझे खुशी उसके घर नए मेहमान के आने की है
खुदा सलामत रखे उस नन्ही सी जान को हमेशा
जो नन्ही सी जान मेरी जान के हाथो पलने की है
#Mohd_Husain ✍🏻
Welcome, 𝗠𝗼𝗵𝗱 𝗛𝘂𝘀𝗮𝗶𝗻.
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मेरी नागिन की पूरे इक साल बाद आई मेरे जन्मदिन पे कॉल
खैरियत पूछी फिर विश किया बोली बच्चा रो रहा है रखती हु कॉल
सुनके उसकी बाते हाय मेरी आंखे भर आई खैर में खुश हु
उसको याद है आज का दिन चलो इसी बहाने उसने लगाई तो कॉल
Thanks For Calling nd Wishing
#Mohd_Husain ✍🏻
सब अपने अपने वक्त पे मारेंगे
मैं चहता हु वक्त से पहले मरना
ज़िन्दगी का बोझ उठाया नहीं जा रहा
में चाहता हु इस बोझ तले दबके मारना
तुम्हें सारे राज़ पता है तुम दे सकते हो ताने
मैं चहता हु तुम्हारे दिए ताने सुनके मरना
यह महफिलें वीरान हो जाएंगे बाद मेरे
मैं चहता हु महफिलों को वीरान करके मरना
जाओ आज से ग़ज़लें लिखना छोड़ दीया मेने
मैं चाहता हु यह आखिरी ग़ज़ल तुम्हे सुना के मरना
#Mohd_Husain ✍🏻
मेरी बेचैन रातों का सुकून था तू
मेरे तड़पते दिल का सहारा था तू
हाथ थमा था तो कहा था मेरा कोई नहीं
मेरी कसम उठा उम्र भर का वादा ना था तू
कौन सी मजबूरी थी ऐसी जो जाना पड़ा
एक दफा बता जाती मुझे जनता ना था तू
कुछ सवाल जो आज भी मेरी नींदें हराम करते है
कितना बे सब्र इंसान हु मुझे पहचानता ना था तू
#Mohd_Husain ✍🏻
एक आवाज़ आज भी मेरे कानों पे दस्तक देती हैं
हुसैन सुनो ना सो जाओ यार रात बहुत हो चुकी हैं
#Mohd_Husain ✍🏻
कल रात की तन्हाई का अलम ना पूछ
तेरे बिन गुजारी रात का अलम ना पूछ
एक एक लम्हा कैसे गुजरा किया बताऊं
उन लम्हों की तड़प का अलम ना पूछ
जो तो बीत गई रात उसका ज़िक्र किया करना
बीती रात में लिखी ग़ज़लों का अलम ना पूछ
सुबह को पूछती है किस लिए जागे रात भर ""हुसैन""
अरे नागिन किस तरह से डसती है तेरी यादों का आलम ना पूछ
#Mohd_Husain ✍🏻
केंचुली बदल बदल के आते है जैसे हम इन्हें पहचानते ही नहीं
यह कुछ इंसानी सांप हमे बेवकूफ समझते है" मगर हम है नहीं
#Mohd_Husain ✍🏻
एक आखिरी रिश्ता जिससे मेने सच्चा समझा था
वो भी रात के अंधेरे में गैर के साथ पराया हो गया
कसमें उठाता था जिसकी वफाओं की मैं हुसैन
वो दोस्त भी बेहतर के मिलने पे अनजाना हो गया
#Mohd_Husain
वो उड़ना चाहती है खुल के जीना चाहती है
वो खुदा की दी हुई अनमोल ज़िंदगी जीना चाहती है
वो चिड़ियो की तरह अगन में चहकना चाहती है
वो खुशबू की तरह चमन मे महकना चाहती है
अफसोस उस पे ज़माने भर की नज़रें हैं
उस पे उसके अपनों की बे हिसाब बंदिशें हैं
घर से निकलते ही गंदी नज़रों का बोझ है
उसके दमन पे लगने वाले दागों का डर है
अफसोस वो लड़की है साहब
अफसोस वो लड़की है साहब
#Mohd_Husain ✍🏻
मेरे पास से कोई मायूस होके नही जाता
मैं अपना समझ उनके गम बाट लेता हु
वैसे तो कुछ लोगो से बात करने का मन नहीं होता
मगर उनका फोन आए तो बात कर लेता हु...!
#Mohd_Husain ✍🏻
आज कुछ लिखने का मन नही
तुमसे कुछ कहने का मन नही
मेरी खामोशी को समझ लो ना
मेरा चीखने का का मन नही
मेरी आंखों को चूम लो जान
आसू बहाने का मन नही
अपनी उंगलियों से सहलाओ सर
मेरा बाल संवारने का मन नही
आओ सीने से लगाओ मुझे
मेरा भटकने का मन नही
तुम्हारी यादों के कीड़े खा रहे
मुझे ऐसे तड़पने का मन नही
इस सावन आ जाओ ना पास
अकेले भीगने का मन नही
बहुत दिन हो गए दूर हुए
अब मेरा अकेले रहने का मन नहीं....!
#Mohd_Husain ✍🏻
बाद उसके ज़माने भर ने मेरी आवाज को सुना
वो जो कहती थीं हुसैन तुम्हारी आवाज़ पे सिर्फ मेरा हक है
#Mohd_Husain ✍🏻
Welcome, Adiga07 Opaliii911.
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