महत्त्वपूर्ण वृत्तपत्र
१) तत्त्वबोधिनी पत्रिका - रविंद्रनाथ टागोर
२) व्हाईस ऑफ इंडिया - दादाभाई नौरोजी
३) रास्तगोफ्तार - दादाभाई नौरोजी
४) न्यू इंडिया - बिपिनचंद्र पाल
५) न्यू इंडिया - अॅनी बेझंट
६) यंग इंडिया - महात्मा गांधी
७) इंडियन मिरर - डी. डी. सेन
८) द ईस्ट इंडियन - हेन्री डेरोझियो
९) इंडियन ओपिनियन - महात्मा गांधी
१०) नॅशनल हेरॉल्ड - पंडित नेहरू
११) इंडिपेडन्स - पं. मोतीलाल नेहरू
१२) अल-हिलाल - मौलाना आझाद
१३) अल-बलाघ - मौलाना आझाद
१४) कॉमन विल - अॅनी बेझंट
१५) भारतमाता - अजित सिंग
१६) हिंदू - सी.सुब्रण्यम अय्यर
१७) सर्चलाईट - डॉ. राजेंद्र प्रसाद
१८) सोमप्रकाश - ईश्वरचंद्र विद्यासागर
१९) पंजाबी पीपल - लाला लजपतराय
२०) गंभीर इशारा - वि. दा. सावरकर
२१) संवाद कौमुदी - राजा राममोहन राय
२२) बॉम्बे क्रॉनिकल - फिरोजशहा मेहता
२३) बंगाली - सुरेंद्रनाथ बॅनर्जी
२४) बेंगाल हेरॉल्ड - राजा राममोहन रॉय
२५) हिन्दुस्थान रिव्ह्यू - एस. पी. सिन्हा
२६) अखबार-ए-आझम - हरिकृष्ण लाल
२७) हिंदुस्थानी वकील - जी. पी. वर्मा
२८) कॉमरेड - मोहम्मद अली जव्हार
२९) हमदर्द - मोहम्मद अली जव्हार
३०) गदर - लाला हरदयाल
३१) व्हँनगार्ड - एम. एन. रॉय
३२) मिरात-उल्-अखबार - राजा राममोहन राय
३३) उदबोधन - स्वामी विवेकानंद
३४) प्रबुद्ध भारत - डॉ. आंबेडकर
३५) रिव्होल्यूशनरी - सचिन्द्रनाथ सन्याल
३६) किर्ती - संतोषसिह
३७) ब्रह्मबोधिनी - उमेशचंद्र दत्त
३८) सुलभ समाचार - केशवचंद्र सेन
३९) बांग्लाकथा - सुभाषचंद्र बोस
४०) इंडिया - सुब्रण्यम भारती
४१) दी इंडियन स्पेक्टॅटर - बेहरामजी मलबारी
४२) इंडियन फिल्ड - किशोरीचंद मित्र
४३) अबला बांधव - द्वारकानाथ गांगुली
४४) फ्री हिन्दुस्थान -तारकानाथ दास
४५) परिदर्शक - बिपिनचंद्र पाल
४६) जन्मभूमी - पट्टाभि सितारामय्या
४७) मुंबई समाचार - फरदुनजी
४८) तलवार - विरेंद्रनाथ चटोपाध्याय
४९) लीडर - पं. मदनमोहन मालवीय
५०) पख्तून - खान अब्दुल गफारखान
५१) इंडियन मजलीस - अरविद घोष (केम्ब्रिज)
५२) इंडियन सोशॅलॉजिस्ट - श्यामजी कृष्ण वर्मा (लंडन)
५३) वंदे मातरम् - अरविद घोष (कोलकता)
५४) वंदे मातरम् - लाला लजपतराय (पंजाब)
५५) वदे मातरम् - मादाम कामा (पॅरिस)
५६) नवजीवन समाचार - महात्मा गांधी (गुजराती)
५७) युगांतर - भूपेंद्र दत्त बारिंद्र घोष
५८) संध्या - ब्रह्मबांधव उपाध्याय
५९) अमृतबझार पत्रिका - शिरीषकुमार घोष आणि एम. एल. घोष
६०) वंगभाषी - बाबू जोगेन्द्रनाथ बसू
६१) क्रांती - मिरजेकर, जोगळेकर व घाटे
६२) प्रताप (दैनिक) - गणेश शंकर विद्यार्थी (कानपूर)
६३) मुकनायक - डाॅ. आंबेडकर
६४) बहिष्कृत भारत - डाॅ. आंबेडकर
६५) जनता - डाॅ. आंबेडकर
६६) केसरी - लोकमान्य टिळक
६७) मराठा - लोकमान्य टिळक
६८) हास्य संजीवनी - विरेशलिंगम पंतलु
६९)शालापत्रक - विष्णूशास्त्री चिपळूणकर
७०) प्रभाकर - भाऊ महाजन
७१) धुमकेतू - भाऊ महाजन
७२) ज्ञान दर्शन - भाऊ महाजन
७३) दिनबंधू - कृष्णराव भालेकर
७४) दिग्दर्शन - बाळशास्त्री जांभेकर
७५) प्रगती - त्र्यंबक शंकर शेजवलकर
७६) हरिजन - महात्मा गांधी
Title: History Of Indian Philosophy
Author(s): Surendranath Dasgupta
Publisher: Qontro Classic Books
Year: 2010
A History of Indian Philosophy, Volume 1 is presented here in a high-quality paperback edition. This popular classic work by Surendranath Dasgupta is in the English language. If you enjoy the works of Surendranath Dasgupta then we highly recommend this publication for your book collection.
Title: A History of Indian Philosophy, Volume I
Author(s): Surendranath Dasgupta, Surama Dasgupta
Publisher: BiblioLife
Year: 2009
This is a pre-1923 historical reproduction that was curated for quality. Quality assurance was conducted on each of these books in an attempt to remove books with imperfections introduced by the digitization process. Though we have made best efforts - the books may have occasional errors that do not impede the reading experience. We believe this work is culturally important and have elected to bring the book back into print as part of our continuing commitment to the preservation of printed works worldwide.
This book provides comprehensive information on enlargement of methodological and empirical choices in a multidisciplinary perspective by breaking down the monopoly of possessing tribal studies in the confinement of conventional disciplinary boundaries. Focusing on anyone of the core themes of history, archaeology or anthropology, the chapters are suggestive of grand theories of tribal interaction over time and space within a frame of composite understanding of human civilization. With distinct cross-disciplinary analytical frames, the chapters maximize reader insights into the emerging trend of perspective shifts in tribal studies, thus mapping multi-dimensional growth of knowledge in the field and providing a road-map of empirical and theoretical understanding of tribal issues in contemporary academics. This book will be useful for researchers and scholars of anthropology, ethnohistory ethnoarchaeology and of allied subjects like sociology, social work, geography who are interested in tribal studies.
Читать полностью…Social Sciences Winter School in Pondicherry, 2019: Heritage, Communities, Sustainability http://winterspy.hypotheses.org
Читать полностью…मूर्ति पुजा का आरंभ कब से माना जाता है?
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1) पूर्व आर्य (Pre-Aryan – 430
👍👍👍👍👍👍👍 61%
2) उत्तर वैदिककाल – 159
👍👍👍 23%
3) मौर्यकाल – 76
👍 11%
4) कुषाणकाल – 37
👍 5%
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इतिहास!
चीजें कितनी तेज़ी से जा रही हैं अतीत में!
अतीत से कथाओं में, कथाओं से मिथक में
और समय अनुपस्थित हो गया है
इन मिथकों के बीच से।
समकालीन कहाँ रह गया है कुछ भी...
सूरत और बाथे की लाशें पहुँच गई हैं मुसोलिनी के कदमों के नीचे
और मुसोलिनी पहुँच गया है मनु के आश्रम में
और यह सब पहुँच गया है पाठयक्रमों में।
हमारी स्मृतियाँ मुक्त हैं सदमों से,
सदमें मुक्त हैं संवेदना से,
संवेदना दूर है विवेक से,
विवेक दूर है कर्म से...
चीजें कितनी तेज़ी से जा रही हैं अतीत में
और हम सब कुछ समय के एक ही फ्रेम में बैठाकर निश्चिंत हो रहे हैं।
भिवंडी की अधजली आत्माएं,
सिंधुघाटी की निस्तब्धता
निस्संगता और वैराग्य के
पर्दे में दफ्न हैं।
इतिहास!
अब तुम्हें ही बनाना होगा समकालीन को 'समकालीन '।
- अंशु मालवीय
Title: A Companion to American Indian History
Author(s): Philip Deloria, Neal Salisbury
Publisher: Wiley-Blackwell
Year: 2002
A Companion to American Indian History captures the thematic breadth of Native American history. Twenty-five original essays written by leading scholars, both American Indian and non-American Indian, bring a comprehensive perspective to a history that in the past has been related exclusively by Euro-Americans.
The essays cover a wide range of Indian experiences and practices, including contacts with non-Indians, religion, family, economy, law, education, gender, and culture. They reflect new approaches to Native America drawn from environmental, comparative, and gender history in their exploration of compelling questions regarding performance, identity, cultural brokerage, race and blood, captivity, adoption, and slavery. Each chapter also encourages further reading by including a carefully selected bibliography.
Vikram Sampath - Savarkar_ Echoes from a Forgotten Past, 1883–1924-Viking (16 Aug 2019).pdf
Читать полностью…Movie Name: Chhichhore (2019)
IMDb: 8/10
Language: Hindi
A tragic incident forces Anirudh, a middle-aged man, to take a trip down memory lane and reminisce his college days along with his friends, who were labelled as losers.
17 मई का इंतज़ार ना करें
सरकार एक निश्चित समय तक ही Lockdown* रख सकती है धीरे धीरे Lockdown खत्म हो जाएगा सरकार भी इतनी सख्ती नहीं दिखाएगी।
क्योंकि :
सरकार ने आपको कोरोना बीमारी के बारे में अवगत करा दिया है, सोशल डिस्टैंसिंग, हैण्ड सेनिटाइजेशन इत्यादि सब समझा दिया है।
बीमार होने के बाद की स्थिति भी आप लोग देश और दुनिया में देख ही रहे है।
अब जो समझदार है वह आगे लंबे समय तक अपनी दिनचर्या, काम करने का तरीका समझ लें।
सरकार 24 घंटे 365 दिन आपकी चौकीदारी नहीं करेगी
आपके एवं आपके परिवार का भविष्य आपके हाथ में है।
Lockdown खुलने के बाद सोच समझ कर घर से निकलें एवं काम पर जायें... व नीयत नियमानुसार ही अपना कार्य करें l
😊क्या लगता है आपको, 17 मई के बाद एकाएक कोरोना चला जायेगा, हम पहले की तरह जीवन जीने लगेंगे ?
नहीं, कदापि नहीं।
ये वायरस अब हमारे देश और दुनिया में जड़ें जमा चुका है, हमे इसके साथ रहना सीखना पड़ेगा।
कैसे ?
हमे स्वयं इस वायरस से लड़ना पड़ेगा... अपनी जीवन शैली (Lifestyle) में बदलाव करके, अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) स्ट्रांग करके।
हमे सैकड़ों साल से चली आ रही पुरानी जीवन शैली अपनानी पड़ेगी।
शुद्ध आहार लें, शुद्ध मसाले खाएं।
आंवला, एलोवेरा, गिलोय, काली मिर्च, लौंग, दालचीनी, लविंग, अदरक, हल्दी आदि पर निर्भर होकर एन्टी बाइटिक्स के चंगुल से खुद को आज़ाद करें।
अपने भोजन में पौष्टिक आहार (Nutrition) की मात्रा बढ़ानी होगी।
फ़ास्ट फ़ूड, पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड्रिंक की भूल जाएं तो बेहतर होगा।
अपने आहार में दूध, दही, घी की मात्रा बढ़ानी होगी।
भूल जाइए जीभ का स्वाद, तला-भुना मसालेदार, होटल वाला कचरा।
कम से कम अगले 2 -3 साल तक तो ये करना ही पड़ेगा।
तभी हम सरवाइव कर पाएंगे।
जो नही बदले वो खत्म हो जाएंगे।
समझदार और व्यवहारिक बने और इस बात को मान कर इन पर अमल करना शुरू कर दें।
जिंदगी आपकी फैसला आपका।
The earliest evidence of barley is found from:
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Mehrgarh – 275
👍👍👍👍👍👍👍 71%
Harappa – 86
👍👍 22%
Chirand – 18
▫️ 5%
Banavli – 9
▫️ 2%
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