Suno
कुछ हार गयी तकदीर
कुछ टूट गये सपने
कुछ गैरों ने किया बरबाद
कुछ भूल गये अपने
कुछ ने की बेवफाई
कुछ बेवफा हो गए अपने
irfan..✍️
सुनो
रुक जाए मेरी कलम तो ताज्जुब
ना करना
समझना निकल गई सांसे मेरी शोर
ना करना
Irfan...✍️
Suno
दिल तो तुम्हे दे दिया दिल तोड़ कर मत जाना
आ गई हो मेरी जिंदगी मैं अब छोड़ कर मत जाना
रूठ जाओ तुम तो कोई बात नही मेरी जान
शिकायत लेकर तुम किसी गैर के पास मत जाना
जब भी याद आए मेरी तुम्हे, मेरी और लौट आना
भूल कर भी मेरी जान तू मुझे भूल मत जाना
में हु तलबगार तेरी मोहब्बत का और मेरी जिंदगी तेरी अमानत
ले कर मेरी जान तू किसी और के साथ चले मत जाना
Irfan...✍️
Suno
एक रात ऐसी हम दोनो साथ थे
आसमान पर भी चांद तारे सजे थे
वो थे पहलू मैं मेरे शर्माए हुए से
लब भी खिल खिलाए हुए से थे
जुल्फों से टपकती ओस की बूंदे
रुखसार को चमकाए हुए थे
उसकी आंखो की ये मस्तियां
और तूफान हजार आए हुए से थे
सिमट कर मेरी बाहों में वो
जिस्म मेरा महकाए हुए से थे
Irfan...✍️
सुनो
तुमसे की मोहब्बत और तुमसे ही वास्ता रहा
बाद मेरे मोहब्बत के गम से वाबस्ता रहा
छोड़ गया मंझधार मैं वो मुझे इस तरह
लौटने का मेरे ना अब कोई रास्ता रहा
मेरी आंखों का अब सिर्फ मेरे आश्को
से वाबस्ता रहा
छुपाए सारे गम और मैं मुस्कुराता रहा
Irfan...✍️
sᴜɴᴏ
खुद को समेट कर खुद
मैं सिमट जात हु
फिर याद आती है उनकी
और मैं बिखर जाता हु
जब भी मुलाकात होती है
मैं खिल सा जाता हु
गुलाब की तरह मैं महक
सा जाता हु
उसके तसव्वुर से पूरी रात
गुजारता हु
नींद आती है मुझे और ख्वाब
मैं डूब जाता हु
दिन मैं पीछा उसकी परछाई
का करता हु
शाम मैं उसका अक्स ढूंढा
करता हु
इस कदर वो मुझ पर काबिज
हो गई है
उसके एहसासों से निकल
नही पाता हु
उसे मोहब्बत है मुझसे बेहिसाब
और बेइंतेहा
मैं भी उससे बेशुमार मोहब्बत
करता हु
irfan...✍️
Suno
इसे इत्तेफाक समझो या
मेरी दर्द भरी हकीकत,
आँख जब भी नम हुई
वजह कोई अपना ही था।
irfan...✍️
Suno
पुराने दर्द लीखे इरफान
या ताजे जख्म लिखे
या जिसने दिए उसका
जिक्र लीखे
खामोश है लब, और चुप
है कलम
अब तुम ही कहो कैसे
हाल-ए-दिल लीखे इरफान
irfan....✍️
Suno
तुमने अच्छा ही किया
इरफान से किनारा करके,
अब कभी ना देखेंगे
इरफान इश्क दुबारा करके
irfan...✍️
sᴜɴᴏ
वो लौट आए मेरे पास ये
ख्वाइश नही
मुझे उससे कोई शिकवा
और शिकायत नही
तमन्ना ये थी के उसे जाने
का मलाल हो
लेकिन मोहब्बत की आग
उसके सीने मैं जली नही
irfan...✍️
Suno
फासले ही गहराई दिखाती
है इश्क की इरफान
नज़दीकियों में वो बात
कहाँ है मेरी जॉन
irfan ❤️❤️❤️
सुकून मिलता है दो लफ़्ज कागज पर उतार कर,
चीख़ भी लेते हैं हम और आवाज़ नहीं होती ...!!
/मनीष 🖤
Suno
उनके नजरों की गिरफ्त
में हमने खुद को महफूज
पाया हैं
उनकी हर अदाओं में
हमने उन्हें हसीन ही
पाया हैं,
यू तो बंदिशें रास
नहीं आती हमें,
पर हमने उनकी बंदीशों
को भी अदब से गले
लगाया है
irfan.. ✍️
Suno
अधुरा है मेरा इश्क
तेरे इश्क के बिना
नही आती महेक फूलों की
तेरे वजूद के बिना
जैसे चांद अधूरा है
चांदनी के बिना.
में भी अधूरा हु कबसे
तेरे साथ के बिना
irfan...✍️
Suno
शिद्दत के इश्क मैं खुदगर्ज
होना भी जरूरी है
हो अगर यार मैं वफा तो
मतलबी होना भी जरूरी है
irfan...✍️
Suno
मेरे दिल की तुमसे गुजारिश है
चाहता तुमसे ही इजाजत है
करनी मुझे कुछ शरारत है
हा मुझे तुमसे बेइंतहा मोहब्बत है
ये तुम्हारी ही इनायत है
हमने की हिमाकत है
तुम्हे कहा मिलती फुर्सत है
इश्क तो जैसे इबादत है
Irfan ..✍️
Suno
हम क्या जाने यादों
की कीमत,
हम ख़ुद यादों को मिटा
दिया करते हैं
यादो का मतलब तो
उनसे पूछो
जो यादों के सहारे जिया
करते हैं।
irfan..✍️
sᴜno
गैर मौजूदगी खलती है
मुझे अक्सर उसकी
मैं इसे फिकर कहू या
कहूं मोहब्बत उसकी
irfan...✍️
sᴜɴᴏ
किसी शब मैं भटक जाऊ
खुदा करे
फिर तेरे मकान तक पहुंच
जाऊ खुदा करे
थोड़ी सी जगह तेरे आशियाने
मैं मिल जाए खुदा करे
मैं रहूं तुम रहो और तन्हाई
रहे खुदा करे
तेरे दामन मैं हो मेरा सर और
नींद आ जाए खुदा करे
ख्वाबों मैं भी हो तेरा साथ
खुदा करे
मेरी सुबह तेरे आशियाने मैं
हो खुदा करे
इसी तरह बसर हो सारी
जिंदगी खुदा करे
irfan...✍️
Suno
आंखे उसकी खंजर दिल पर वार
करती है
जब मिलाता हूं नजरे तीर जिगर के
पार करती है
Irfan...✍️
Suno
मुझे पता है उसे डर है बिछड़ जाने का
और वादा है मेरा उसका साथ निभाने का
Irfan...✍️
suno
मोहब्बत वो नही जो
हर कोई कर रहा है
मोहब्बत तो वो है इरफान
जो कोई निभा रहा है
irfan...✍️
Sᴜɴᴏ
हम रिश्तों को लफ्जो का
मोहताज नही बनाते है
हो खामोश कोई अपना तो
इरफान खुद आवाज लगाते है
irfan...✍️
Suno
पढ़ कर वो किताब किताबे बदलती है
बदलते दौर के साथ कहानियां बदलती है
देख कर मेरी तस्वीरों को मोबाइल में
वो आज कल मेरी तस्वीरे बदलती है
जो देखा करती थी मुझे गौर से हर रोज
आज उसकी अचानक नजरे बदलती है
बदल जाता है सब कुछ वक्त के साथ
चाहा था जिसने उसकी चाहत बदलती है
में कैसे पहचानता आखिर उसे
वो रोज अपना रंग रूप बदलती है
कहा था जिसने मुझे मोहब्बत है तुमसे
वो कपड़ों की तरह रोज यार बदलती है
कसूर उसका नही फितरत में शामिल उसके
आदतन वो रोज अपनी आदतें बदलती है
Irfan...✍️
Suno
तेरा हुस्न है या मेहताब है
अंधेरों मैं जलता चिराग है
क्यू फक्र न करू तुम पर
तेरी वफा पर मुझको नाज है
Spl some 1
irfan..✍️