"सभी के जीवन में एक बार ऐसा समय ज़रूर आता है जब यह तय करना होता है कि पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है।"
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मैं "गुलाम " हूं, मगर क्यूं?
आखिर हम अभी भी मानसिक गुलामी से आजाद क्यों नहीं हो पाये|
1 पहला कारण अज्ञानता
2 दुसरा गलत जानकारी
3 तीसरा हम स्वयं आजाद नही होना चाहते मगर क्यों ? जब हम पैदा होते है तो आजाद पैदा होते है। फिर हम मानसिक गुलाम केसे बनते है??
मूर्ख बनने के दो तरीके हैं. एक है उस पर विश्वास करना जो सत्य नहीं है; दूसरा यह है कि जो सत्य है उस पर विश्वास करने से इंकार कर देना।
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