खोलते कमरे से बाहर जाने लगी तो मैं ने कहा के यह ढेर सारी फोटोस है बाहर बारिश के कतरे पड़ने से खराब हो जाएँगी इन्है तुम इत्मीनान से यही बैठ कर देखो तो वो कन्फ्यूज़ हो गई शाएद वो मेरे कमरे मे नही बैठना चाह रही थी.
ऋतु वापस कमरे मे आ गई और मेरे बेड के कॉर्नर पे बैठ गई और एन्वेलप को एक साइड से पकड़ के उल्टा किया तो एन्वेलप से सारी की सारी पिक्चर स्लिप हो के मेरे बेड पे गिर गई. मैं कंप्यूटर के स्क्रीन से ऋतु को देख रहा था. पहली पिक्चर को देखते ही उसके मूह का रंग उड़ गया और उसके मूह ऑटोमॅटिकली खुला का खुला रह गया और ऑटोमॅटिकली निकल गया “हे भगवान” और उसके हाथो से फोटोस निकल के बेड पे गिर गई और वो मेरी तरफ ऐसे देखने लगी जैसे उसे कुछ दिखाई नही दे रहा हो और उसकी ज़ुबान से एक शब्द भी नही निकला. मैं अपनी चेर घुमा के उसकी तरफ पलट गया और पूछा ऋतु कैसे लगी फोटोस तुम्है, अच्छी है ना, तो वो कुछ नही बोली शाएद सोच मे पड़ गई के अब क्या होगा. ऋतु अपनी जगह से उठी और सीधे मेरी चेर के पास आ गई और मेरे पैरो मे गिर गयी, उसका बदन बड़ी ज़ोर से काँपने लगा और मेरे पैर पकड़ के रोने लगी के प्लीज़ राज बाबू किसी को यह फोटोस नही दिखना नही तो मैं मर जाउन्गी. मैं ने उसको थोड़ी देर रोने दिया फिर उसको शोल्डर्स
से पकड़ के अपने पैरो से उठाया तो वो मेरे सामने घुटने फ्लोर पे टेक के नील डाउन पोज़िशन मे बैठ गयी. मैं ने कहा अरे पगली मैं किसी को भी नही बताउन्गा तू कियों फिकर करती है मैं तो यह सब बोहोत दिनो से देख रहा हू. सच राजा बाबू किसी को भी नही बताओगे ना प्लीज़ तो मैं ने कहा हा नही बताउन्गा और उसके बालो मे उंगलियाँ घुमाने लगा. उसके बदन को हाथ लगाते ही मेरा लाउडा एक दम से मस्ती मे फुल अकड़ के लोहे जैसा सख़्त हो गया और मेरे बॉक्सर्स शॉर्ट्स के अंदर से बाहर निकलने को मचलने लगा. मैं ने उसके सर को पकड़े पकड़े धीरे धीरे अपनी तरफ खेचना शुरू किया तो वो भी अपने घुटनो के बल दो कदम आगे चल के मेरे दोनो पैरो के बीच मे नील डाउन हो के बैठ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. उसकी आँखों मे एक अजीब सी बेबसी थी, एक अंजना सा सवाल था, एक खोफ़ था, एक साइलेंट रिक्वेस्ट थी. मैं ने उसका एक हाथ पकड़ केऊपेर उठाया और सीधा अपने लूस बॉक्सर्स शॉर्ट के खुले भाग से अंदर घुसा के अपने आकड़े हुए लंड पे रख दिया और इमीडीयेट्ली उसने अपना हाथ “अरे बाप र्ऱे” कहते हुए शॉर्ट के बाहर खेच लिया मैं ने उसका हाथ फिर से पकड़ा और अपने शॉर्ट के अंदर डाल के अपने फॅन फनाते लंड को उसके हाथ मे थमा दिया जिसे उसने इस टाइम थाम लिया. दोनो के मूह से कुछ भी नही निकल रहा था. ऋतु मेरे लंबे मोटे आकड़े हुए लंड के ऊपेर हाथ रखे रही तो मैं ने उसका हाथ अपने हाथ मे ले के दबाया तो वो इशारा समझ गई दोनो ने कुछ नही कहा जैसे साइलेंट अग्रीमेंट हो गया हो और ऋतु मेरे लंड को पकड़ के दबाने लगी अभी भी उसके मूह से बोहोत धीमी आवाज़ मे निकला “अरे बाप रे यह तो बहुत ही बड़ा है” मैं कुछ बोला नही बॅस मुस्कुरा दिया.
मैं अपने चेर पे थोड़ा सा और पैर खोल के चेर के सामने एड्ज पे आ गया. अब ऋतु मेरे लंड को दोनो हाथो से पकड़ के दबा रही थी. मुझे बड़ी खुशी हो रही थी के यह लड़की जिसे मैं कब से चोदना चाहता था आज वो खुद ही मेरे पैरो मे गिरी पड़ी है और मेरे लौदे को हाथ मे पकड़ के मज़े से दबा रही है. मैं ने ऋतु के सर को पकड़ के अपनी ओर खेचा तो वो एक कदम और आगे आ गई अब पोज़िशन ऐसी थी के मेरा फुल्ली एरेक्टेड आंड थ्रॉबिंग लंड उसके मूह के सामने था. मैं चाहता था के ऋतु ही मेरे बॉक्सर्स की ज़िप खोले पर वो अभी तक नही खोल रही थी तो मैं ने उसका हाथ पकड़ के अपनी बॉक्सर्स शॉर्ट्स की ज़िप के ऊपेर रख दिया तो वो शरमाते शरमाते मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखते देखते ज़िप खोलने लगी.
मैं अनु के बदन पे झुक गया और अपने पैर पीछे कर के बेड के किनारे से टीका दिया और अपना लंड बाहर निकाल के चोदना शुरू कर दिया. फिर से उसकी बगल से हाथ डाल के उसके शोल्डर्स को टाइट पकड़ लिया और दबा फुल स्पीड से ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. मेरे एक एक झटके से उसके मूह से हप्प्प्प्प्प हप्प्प्प हप्प्प्प और फफफफफफफूऊऊऊऊ फफफफफफूऊओ ऊऊऊऊओह जैसी आवाज़ें निकल रही थी और फिर से उसकी आँखें ऊपेर चढ़ गई थी और मेरे बदन को फिर से टाइट पकड़ लिया था. मेरे चोदने की स्पीड बढ़ गई थी. फुल स्पीड से चोद रहा था ज़ोर ज़ोर से अपनी गंद उठा उठा के लंड को पूरा सूपदे तक बाहर निकाल निकाल के घचा घच चोद रहा था. मेरे झटको से अनु की चुचियाँ आगे पीछे हिलने लगी थी. अब मुझे भी महसूस हो रहा था के अब मेरी मलाई भी निकलने को रेडी है. मैं दीवानो की तरह तूफ़ानी रफ़्तार से अनु को चोद रहा था उसकी टाइट चूत को चोदने मे बोहोत ही मज़ा आ रहा था उसकी चूत बोहोत ही गीली हो चुकी थी और वो भी अब एक बार फिर से झड़ने के करीब आ
गयी थी इसी लिए मेरे बदन को टाइट पकड़ के लिपट गई थी और उसी समय मैं ने एक इतनी ज़ोर से झटका मारा के उसके मूह से एक चीख निकल गई आआआआआआआआआऐईईईईईईईईईई म्म्म्ममममममाआआआआआआआआआआ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स और उसका बदन किसी सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा और उसकी चूत मे मेरे लंड से निकली गरम गरम मलाई की बरसात होने लगी और मेरे लंड से पहली पिचकारी गिरते ही उसकी चूत भी बर्दाश्त नही कर सकी और झड़ने लगी दोनो का ऑर्गॅज़म साथ साथ चलता रहा मेरे धक्के अब स्लो होने लगे पर हर धक्के के साथ मलाई की पिचकारी निकल निकल के उसकी चूत को भरने लगी और थोड़ी देर मे ही उसकी चूत मे से दोनो का मिला जुला रस्स निकल के उसकी गंद मे से नीचे बेड पे गिरने लगा. जितनी देर ऑर्गॅज़म चलता रहा उसने मुझे टाइट पकड़े रखा और गहरी गहरी साँसे लेती रही उसकी आँखें मस्ती मे बंद हो चुकी थिया फिर जैसे जैसे ऑर्गॅज़म ख़तम होने लगा तो उसकी ग्रिप भी मेरे बदन पे लूज़ हो गई और मैं भी उसके बदन पे लेट गया जिस से उसकी चुचियाँ दब गयी. लंड अनु की चूत के अंदर ही फूल रहा था और धीरे धीरे वो चूत के अंदर ही अंदर नरम होने लगा और एक प्लॉप की आवाज़ के साथी ही बाहर निकल गया जिस से उसकी चूत मे जो हम दोनो का मिला जुला रस बचा हुआ था वो भी बाहर निकल के बेड पे गिरने लगा. अनु फॉरन ही गहरी गहरी साँसें लेने लगी और उसे नींद आ गई और वो खर्राटे मारते हुए सो गयी शाएद यह फिज़िकल और मेंटल सॅटिस्फॅक्षन की नींद थी. मैं उसके बदन पे शॉल डाल के अपने कमरे मे आके सो गया. सुबह जब ऋतु ऊपेर आई तो अनु शॉल ओढ़े सीधी लेटी पैर फैलाए सोई पड़ी थी. ऋतु अनु के कमरे मे आ गई और बोली दीदी उठो बोहोत देर हो गई है मेम साब और साहेब नाश्ते पे इंतेज़ार कर रहे है तो अनु टॅस से मस्स नही हुई. ऋतु करीब आ गई और हाथ लगा के अनु को जगाने की कोशिश करने लगी पर अनु नही उठी तो ऋतु ने अनु के बदन से चदडार खेच ली उउफफफफ्फ़ दीदी तुम तो अभी तक नंगी सोई पड़ी हो और यह क्या तुम्हारी तो माहवारी ( मेनास ) चालू हो गई है उठो दीदी सारी बेडशीट खराब हो गयी है और इस पे खून लगा हुआ है तो अनु हददबाड़ा के उठ बैठी और देखा के बेडशीट पे तो सच मे खून पड़ा हुआ है तो उसको एक ही मिनिट के अंदर रात की चुदाई की सारी दास्तान याद आ गयी और उसके मूह पे एक अनोखी सी मुस्कान आ गयी और वो धीरे से मुस्कुराने लगी. उसने एक सेकेंड के अंदर फ़ैसला कर लिया के ऋतु को कुछ नही बताना है इसी लिए उसने कहा अरे हा मुझे तो पता भी नही चला के आज मेरा दिन है ( मतलब के अनु की मेनास का दिन है ) और बोली के ऋतु यह बेडशीट उठा ले और लपेट के रख दे बाद मे धो देना. ठीक
है दीदी कहते हुए ऋतु ने बेडशीट को फोल्ड किया और वॉशिंग रूम मे ले गई. अनु जल्दी से उठ गई और बाथरूम मे घुस गई.
अनु नहा धो के फ्रेश हो के नीचे आ गई और सब के साथ नाश्ता किया और बता दिया के वो नेक्स्ट वीक अपने डॅडी के पास जाएगी और कॉलेज स्टार्ट होने के टाइम पे वापस आ जाएगी. अगले 7 दिन तक मैं अनु की जम्म के चुदाई करता रहा. अनु ने ऋतु से कह दिया था के उसके मेनास चल रहे है और वो उसके साथ कुछ नही कर सकेगी और रात को जब ऋतु उस से बातें करके और चूमा चॅटी और कभी तो ऋतु की चूत को चाट चाट कर खुद भी मज़ा लेती और ऋतु तो दीवानी हो जाती और चूत का पानी अनु को पिला के ही वापस नीचे चली जाती तो अनु स्टेरकेस का डोर अंदर से बंद कर देती ताके ऋतु अचानक फिर से ऊपेर ना आजाए और फिर हम अलग अलग पोज़िशन मे खूब चुदाई करते रहे और अनु खूब मज़े ले ले के चुदवाती रही. अनु जिसे मेल्स से नफ़रत थी अब मेरी और मेरे मूसल लंड की दीवानी हो चुकी थी और अपने पेरेंट्स के पास जाने के बाद भी तकरीबन डेली लेट नाइट मेरे मोबाइल पे कॉल किया करती और हम फोन सेक्स किया करते.
अब दोस्तो चलते है दूसरी हसीना की तरफ
हम दोनो एक दूससरे की जीभ चूस्ते हुए टंग सकिंग किस करने लगे और मैं अपने हाथो से उसके मस्त कड़क चुचिओ को मसल रहा था दबा रहा था तो वो भी फुल मस्ती मे आ गई. मैं पीठ के बल सीधा लेट गया और अनु को अपने बदन के ऊपेर खेच लिया. अभी भी अनु की चूत पे और मेरे लंड पे पहले की चुदाई के टाइम पे लगाई हुई की जेल्ली लगी हुई थी इसी लिए मैं ने उसकी चूत को चाटना या अपने लंड को उसके मूह मे देना ठीक नही समझा. अब अनु मेरे बदन के ऊपेर चढ़ के बैठ गयी. मेरे पैर अभी सीधे ही थे. मेरे लंड मेरे नवल पे पड़ा हुआ था. अनु को अपने ऊपेर ऐसे बिठा लिया के उसकी चूत की पंखाड़ियाँ खुल के मेरे लंड के डंडे के बॅकसाइड पे रखे थे. अनु को अपने ऊपेर झुका के उसकी चुचिओ को चूसने लगा तो वो फिर से मूड मे आ गयी और मेरे लंड के डंडे पे आगे पीछे फिसलने लगी. अनु बोली के देखो राज मुझे अभी तक दरद हो रहा है अब तुम कुछ भी नही करना मेरा सारा बदन दुख रहा है. अभी तक अनु ने एक टाइम भी लंड या चूत का शब्द नही बोला था. मैं ने कहा के तुम फिकर ना करो अब तुम्है कभी दरद नही होगा और तुम्है अब मज़ा ही मज़ा आएगा तुम देख लेना तुम्हारे दरद का टाइम ख़तम हो गया है यह फर्स्ट टाइम चुदाई का दरद ही दरद होता है फिर मज़ा ही मज़ा तो वो कुछ बोली नही बस थोडा सा मुस्कुरा दी.
अनु आगे पीछे हिल हिल के मेरे लंड पे फिसल रही थी. उसकी चूत बोहोत ही गीली हो चुकी थी और मेरे लंड मे से भी कंटिन्यू प्री कम निकलना शुरू हो गया था. कभी मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी छोटी सी चूत के सुराख मे अटक जाता तो वो अपनी जगह से उछल पड़ती और लंड को बाहर निकाल देती पर फिर से डंडे पे बैठ के आगे पीछे फिसलना शुरू कर देती तो मैं समझ गया के अब उसको भी मज़ा आने लगा है. पता नही क्यों मुझे लड़कियों की चूत के अंदर एक ही ज़ोरदार झटके से लंड घुसेड़ने मे बड़ा मज़ा आता है इसी लिए जब मैं ने महसूस किया के अनु की चूत बोहोत ही गीली हो चुकी है और चुदवाने को तय्यार है तो मैं अनु को थोड़ा झुका के उसकी बगल से हाथ निकाल के उसके शोल्डर्स को पकड़ लिया और किस
करने लगा जिस से उसकी चूत मेरे लंड से थोड़ा ऊपेर उठ गई और मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत के सुराख मे जा के अटक गया. मैने अपनी गंद उठा के उसकी चूत मे सूपदे को अंदर धकेल दिया तो वो चोंक गई पर मैं ने उसको छोड़ा नही ऐसे ही टाइट ग्रिप से पकड़े रखा और फिर ऐसे ही सूपदे को तीन चार टाइम अंदर बाहर करते करते जब उसकी चूत बोहोत ज़ियादा गीली हो गयी उसकी चूत के मसल्स रिलॅक्स हो गये और उसको मज़ा आने लगा और मुझे महसूस हुआ के सूपड़ा उसकी चूत मे आसानी से अंदर बाहर हो रहा है तो अपनी गंद को उठा के एक पवरफुल झटका मारा और साथ मे ही उसके शोल्डर्स को टाइट पकड़ के ज़ोर से नीचे खेच लिया जिस से मेरा आधा लंड उसकी टाइट चूत मे घुस्स गया और वो फिर से छटपटाने लगे चिल्लाई आआआआआआआआईईईईईईईईईईई राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज ऊऊऊऊऊहह न्न्नन्निईीईईिककककककककककाआाालल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ब्बबाअद्ड्द्डमम्माआआसस्स्स्स्स्स्स्शह. अनु मेरे सीने पे हाथ मारने लगी सीने के बाल नोचने लगी और मेरी ग्रिप से निकलने को तड़पने लगी पर मैं ने उसको बोहोत टाइट पकड़ा हुआ था और अपने लंड पे दबा रहा था जिस से वो मेरे लंड के ऊपेर से उठ नही पा रही थी. मेरी टाँगें घुटनो से मूडी हुई थी और वो मेरे लंड पे किसी जॉकी की तरह सवार थी जिसकी वजह से उसको मेरे लंड से ऊपेर उठने का कोई चान्स नही था. अनु को फिर से झुका के उसके चुचिओ को चूसने लगा तो उसकी चूत के मसल्स कुछ रिलॅक्स हो गये और फिर ऐसे ही आधा लंड उसकी गीली टाइट चूत मे अंदर बाहर अंदर बाहर करते करते एक और पूरी ताक़त से धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा जड़ तक उसकी छोटी सी टाइट चूत मे घुस्स गया और उसके मूह से ऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई और फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ निकला और वो मेरे बदन से चिपेट गई उसकी आँखें ऊपेर की तरफ च्चढ़ गई उसकी आँख से आँसू निकलने लगे और वो मेरे बदन पे गिर गई..
मेरा लंड मूसल की तरह नीचे से कुछ ज़ियादा ही मोटा है इसी लिए एक ही झटके मे पूरा अंदर तक नही घुस्स पाया था और एक ही झटके मे लंड उसकी चूत को फाड़ चुका था और तकरीबन आधे अंदर घुस चुका था. मैं अनु के ऊपेर झुक गया और उसके कान मे धीरे से बोला के मैं सब कुछ देख चुका हू के वो और ऋतु एक दूसरे के साथ क्या क्या करते है. मेरा इतना बोलते ही वो चोंक गई और अंधेरे मे भी मुझे लगा के उसके चेहरे का रंग उड़ गया हो और फटी फटी आँखो से मुझे देखने लगी. वो एक सेकेंड के लिए खामोश हुई और उसी टाइम पे मैने भी अपना लंड उसकी चूत से खेच के हेड बाहर तक निकाल लिया और इश्स से पहले के वो यह सोचे के मैं अब कुछ नही करूगा और वापस अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल रहा हू मैं ने एक और बोहोत ही ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड तो उसकी चूत को पूरी तरह से फड़ता हुआ उसकी टाइट वर्जिन चूत की गहराइयों मे घुस्स गया और उसके मूह से ऑटोमॅटिकली एक और खोफ़नक चीख निकल गई
ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईए म्म्म्ममममममममममममाआआआआआआआआआआआआआअ हाईईईईईईईईईई
माआआआअरर्र्र्र्र्र्र्ररर गाआआआआआययययययययययययईईईईई मीईईईईईईई
ण्न्न्न्न्न्नीईईईईक्क्क्क्क्क्क्काआआआआअल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ब्बबाअहीईएरर्र्र्र्र्र्ररर
zzzzzzzआआआआआअल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीईईईईईईइम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म
ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊहह फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
ण्न्न्न्न्न्न्न्न्न्नाआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईइ म्म्म्मममममममाआआआआआआआआआ आआआआआआआऐईईईईईईईईई सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
और उसके हाथ पैर मेरे बदन से निकल के नीचे बेड पे गिर गये और वो थोड़ी देर के लिए बेहोश हो गई. मैं अपने लंड को उसकी चूत मे ही घुसेडे उसके ऊपेर बिना धक्के मारे के लेटा रहा. अनु की चूत बोहोत ही टाइट थी और मुझे लग रहा था के उसकी चूत के सुराख के मसल्स मेरे लंड के बेस को टाइट पकड़े हुए हैं और निचोड़ रहे हैं.
लंड अनु की चूत की गहराइयों मे घुस्स चुका था. एक ही मिनिट के अंदर मुझे महसूस हुआ के अनु के बदन मे हरकत हो रही है तो मैं अपने लंड को आधा बाहर निकाल निकाल के चोदने लगा. अनु दरद से छटपटा रही थी और अपने सर को इधर उधर पटक रही थी और अपने हाथ पैर बिस्तर पे पटक रही थी और मुझे अपने बदन से पीछे को धकेल रही थी और साथ मे मेरे सीने पे मार रही थी और मेरे सीने के बालो को नोच रही थी जिस से पता चलता था के उसको कितना दरद हो रहा है. जब मैं ने उसको बोला के मुझे पता है के वो और ऋतु रातों मे क्या क्या करते है तब से वो ऐसे खामोश हो गई जैसु उसे साँप सूघ गया हो लगता था के कुछ सोच रही थी या वो समझ रही थी के अब मुझे धकेलने से या चिल्लाने से कोई फायेदा नही. वो खामोशी से बेड पे पड़ी टाँगें फैलाए चुदवा रही थी. मैने अपने हाथो को उसकी बगल से निकाल के शोल्डर्स को पकड़ लिया था और उसको किस करने लगा. पहले तो अनु ने मूह नही खोला पर थोड़ी देर के बाद खोल दिया और मुझे अछी तरह से किस करने दिया. अब मैं फुल स्पीड से घचा घच चोद रहा था. मेरा लंड बड़ी तेज़ी से उसकी टाइट चूत के अंदर बाहर हो रहा था और थोड़ी देर के बाद मुझे लगा के अब अनु भी चुदाई को एंजाय कर रही है और उसने हाथ मेरी गर्दन मे डाल के मुझे पकड़ लिया और अपनी टाँगो को मेरे बॅक पे लपेट के मुझे अपने से चिपटा लिया उसकी आँखें बंद थी और गहरी गहरी साँसे ले रही थी और मेरी गंद पे अपने पैर रख के अपनी ओर खेचने लगी अब वो भी चुदाई का मज़ा ले रही थी शाएद उसको इंग्लीश का वो फ्रेज़ याद आगा के “व्हेन रेप ईज़ इनेविटबल, रिलॅक्स आंड एंजाय” मतलब के जब कोई बलात्कार करे और उस से बचने का कोई रास्ता या उम्मीद ना हो तो आराम से चुदवाये और चुदाई के मज़े ले.
मेरी चुदाई से अनु की चुचियाँ हिलते हुए डॅन्स कर रही थी और बड़ी अच्छी लग रही थी तो मैं उसकी चुचिओ को एक के बाद एक कर के मूह मे ले के चूस्ते हुए चोदने लगा. अनु ने मुझे टाइट पकड़ लिया और एक ज़ोर से आआआआआआआआअहह राआआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्
ज्ज्ज्ज्ज्ज ऊऊऊऊऊऊऊऊऊन्न्नननननणणनह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स की आवाज़ के साथ ही उसका बदन पहले तो बड़ी ज़ोर से अकड़ गया फिर ज़ोर ज़ोर्से काँपने लगा और वो झड़ने लगी. अनु की चूत उसके जूस से भर गयी थी और लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था मैं लंड को सूपदे तक बाहर निकाल निकाल के बड़ी ज़ोरो से चोद रहा था.
शाएद बोहोत ही ज़ियादा थक्क चुकी थी इसी लिए फॉरन ही नींद आ गयी. अब ऋतु क्या कर सकती थी वी अनु के पास ही लेट गई और अनु की चुचिओ
को चूसने लगी पर अनु की आँख नही खुली तो ऋतु बेचारी खुद ही अपनी चूत का मसाज करने लगी. उसकी टाँगें घुटने से मूडी हुई थी और उसकी गंद भी बिस्तर से उठी हुई थी और गंद हिला हिला के अपने ही हाथो अपनी चूत के मसाज का मज़ा ले रही थी और देखते ही देखते सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ऊऊऊऊऊऊऊऊहह और आआआआहह की आवाज़ें निकालते हुए झड़ने लगी और शांत पड़ गई.
अनु की गहरी गहरी सांसो की आवाज़ें आ रही थी और वो बोहोत ही गहरी नींद सो रही थी. ऋतु थोड़ी देर तक वही नंगी लेटी रही जब उसे यकीन हो गया के आज अनु उठने वाली नही है तो उठ के अपने कपड़े पहेन के आहिस्ता से कमरे से बाहर निकल गई. मुझे इतना तो सॉफ दिखाई दे रहा था के अनु की नाइटी अभी भी उसकी चूत तक उठी हुई थी शाएद जाने से पहले ऋतु उसको ठीक करना और शॉल उधाना भूल गई थी.
अनु की चुदाई
जब मुझे यकीन हो गया के ऋतु नीचे अपने कमरे मे चली गई है तो मैं थोड़ा और टाइम दे के धीरे से नीचे उतर गया और अछी तरह से चेक कर लिया के ऋतु सो चुकी है उसके बाद मे फिर से ऊपेर आ गया. मेरी प्लॅनिंग कंप्लीट हो चुकी थी. मैं बॉक्सर्स शॉर्ट्स पहेन के हाथ मे की जेल्ली की बॉटल उठा के अनु के कमरे मे घुस गया और डोर को अंदर से लॉक कर दिया और अपना शॉर्ट्स निकाल के नंगा हो गया और शॉर्ट्स को करीब पड़ी हुई चेर पे डाल दिया. मेरे लंड मे एक पवरफुल एरेक्षन आ चुका था, लंड का सूपड़ा मेरे पेट तक आ गया था और स्प्रिंग की तरह से ऊपेर नीचे हो रहा था और. अनु अंधेरे मे अपने बिस्तर पे टाँगें स्प्रेड किए सोई पड़ी थी उसका सीना गहरी गहरी सांसो से ऊपेर नीचे हो रहा था और उसके सिडोल थाइस और नंगी चूत देख के तो मेरा लंड सल्यूट करने लगा और जोश मे कुछ ज़ियादा ही हिलने लगा. लंड के सुराख मे से कंटिन्यू प्री कम निकल रहा था. मैने जेल्ली के डिब्बे का ढक्कन खोल के अनु के बेड पे अपने करीब ही रख लिया. यह जेल्ली स्परमिसाइडाल ( बच्चा पैदा करने वाले किटानो को मारने वाली ) थी. यह जेल्ली मार्केट मे नयी नई इंट्रोड्यूस हुई थी जिसके लगाने से मोटे मोटे लंड भी छोटी से छोटी टाइट चूत के अंदर भी आसानी से घुस्स जाते थे और इसको लगा के
चोदने से लड़की प्रेग्नेंट भी नही होती थी और सेफ चुदाई हो जाती थी. यह जेल्ली ट्यूब और डिब्बे मे उपलब्ध थी. मैं अनु के करीब वैसे ही बैठ गया और उसकी चूत पे वैसे ही हाथ फिरने लगा जैसे ऋतु थोड़ी देर पहले कर रही थी. आअह क्या मस्त चिकनी मक्खन जैसी चूत थी अनु की और उस्मै से थोड़ी देर पहले निकले हुए जूस की मधुर सुगंध आ रही थी जिसे सूंघ के मेरा लंड अनु की चूत मे घुसने को उतावला हो रहा था. मेरा हाथ चूत पे लगते ही अनु की टाँगें ऑटोमॅटिकली और ज़ियादा खुल गई और मुझे उस्मै लेटने की स्पेस बन गई.
मैं अनु की टाँगो के बीच मे अपने पैर पीछे कर के लेट गया और उसकी चूत पे किस किया और अनु की चूत पे मेरी ज़ुबान लगते ही उसकी मस्ती भरी आवाज़ आई आआआआहह ऋतु तू आगाई आआहह. मैं कुछ नही बोला पर उसकी चूत को चाटने लगा. अनु ने अपनी टाँगें घुटने से मोड़ ली और मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत मे घुसाने लगी और अपनी गंद उठा उठा के मेरे दांतो पे अपनी चूत को रगड़ने लगी. उसकी आँखें अभी भी बंद थी. मैने उसकी चूत को चाट ते चाट ते अपनी ज़ुबान को गोल बना दिया और उसकी चूत मे अंदर बाहर करने लगा जैसे जीभ से चोद रहा हू तो वो मस्ती मे पागल हो गई और बोली आआआआआहह ऱीइत्त्तुउउउउउउउउउउउउ आआआआआहह आईईएसस्स्स्स्सीईईई हहिईीईईईईई कार्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर आआआआहह मैईईईईई मररर्र्र्र्ररर जौगी आआआहह ईएहह किआआआआआअ कार्रर्र्र्र्र्र्र्ररर राआआआह्ह्ह्ह्ह्हीईईइ हहाआआऐईईई तुउउउउउउउउउउउउउ आआआआआअहह और मैं उसकी चूत के छोटे से सुराख को अपनी गोल ज़ुबान से चोदने लगा अब उसकी गंद बिस्तर से बोहोत ऊपेर तक उठ रही थी ऐसे जैसे मेरी ज़ुबान को चूत के अंदर तक घुसा लेना चाह रही हो. मुझे अब यकीन हो गया के वो फुल मस्ती मे आ गई है और कभी भी झड़ने वाली है तो मैने एक हाथ से की जेल्ली की डिब्बे को अपने लंड के सामने रख के लंड को उसी जेल्ली के गोल मूह वाले डिब्बे मे घुसा दिया और अपने उंगलिओ मे भी थोड़ी सी जेल्ली ले ली. अब मेरा लंड की जेल्ली से फुल था. बहुत ही तेज़ी से उसकी चूत से अपना मूह हटाया और उंगलिओ से जेल्ली उसकी चूत पे लगा के एक उंगली से चूत के सुराख मे गोल गोल घुमाया तो वो और पागल हो गई और मेरे सर को अपनी जाँघो मे ज़ोर से दबाने लगी पर उसकी चूत मे मेरी ज़ुबान नही उंगली थी. अब और देर करना मुझे ठीक नही लगा और मैं एक ही झटके से अपनी जगह से उठा और अनु की मूडी हुई टाँगो के बीच मे थोड़ा सा उठ गया और एक ही मोशन मे अपने हाथ से अपने लंड के सूपदे को उसकी चूत के सुराख मे टीका दिया और अपने दोनो
थोड़ी देर के बाद दोनो फिर से एक दूसरे के साथ लेट गये और चूमने लगे. शालु तो कुछ ज़ियादा ही सेक्सी हो गई थी 2 – 3 मिनिट के अंदर ही उस्मै जोश भर गया और वो अनु की चुचिओ को चूसने लगी और अनु की चूत को अपनी हथेली से मसाज करने लगी और अनु भी शालु की चूत का मसाज करने लगी. अब शालु अनु के ऊपेर चढ़ के पलट गई और फिर से वो दोनो 69 की पोज़िशन मे आ गये. शालु ऊपेर थी और अनु नीचे दोनो के घुटने मुड़े हुए थे और एक दूसरे की चूतो को चाटने लगी और एक दूसरे की चुचिओ को मसल्ने लगी. शालु अपनी गंद उठे उठा के अनु के मूह पे अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से पटक रही थी वो तो जोश मे दीवानी हो गई थी अनु के दाँत शालु के क्लाइटॉरिस से लगते तो वो मज़े से सिसकारिया निकालती. अभी यह दोनो मस्ती मे आ के ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे की चूतो को चाट रही थी और शाएद झड़ने के कगार पे थी उसी टाइम पे दरवाज़ा धीरे से खुला और ऋतु कमरे मे अंदर आ गई. एक मिनिट के लिए तो शालु आंड अनु दोनो चोंक गये पर ऋतु को देख कर मुस्कुराने लगे. कमरे का दरवाज़ा शाएद ऋतु के लिए ही खुला छोड़ा था. ऋतु ने अंदर आ के कमरा अंदर से लॉक कर दिया और जल्दी से अपने कपड़े उतार ने लगी इतनी देर मे वो दोनो एक दूसरे से लिपटे काँपने लगे और झड़ने लगे. कुछ ही देर मे दोनो के बदन ढीले पड़ गये और शालु ऊपेर से स्लिप हो के नीचे लेट गई.
ऋतु शाएद मोम के पैर दबा के उनके सोने का वेट कर रही थी और जब पक्का यकीन हो गया के दोनो सो गये है तो वो ऊपेर आ गई. इतनी देर से ऋतु को शुवर पता होगा के ऊपेर क्या हो रहा है और शाएद उसका सारा ध्यान शालु और अनु के नंगे बदन पे था इसी लिए दोनो के सोते ही वो दबे पाँव ऊपेर आ गई और कमरे मे घुस गई और आते ही अंदर से बंद कर दिया और अपने सारे कपड़े उतार के नंगी हो गई.
ऋतु फुल मस्ती मे आ गई थी और अपने कपड़े निकाल के नंगी हो चुकी थी और अपनी चूत को अपने हाथ से रगड़ते हुए दोनो को ऐसे देख रही थी जैसे कोई भूकि शेरनी अपने शिकार को देखती है. देखते ही देखते ऋतु बेड के ऊपेर आ के शालु और अनु के
बीचे मे घुटने मोड़ के बैठ गई और अपने दोनो हाथो से दोनो की चुचिओ को मसल्ने लगी अनु और शालु ने भी अपने अपने एक एक हाथ बढ़ा के ऋतु की दोनो चोचिओ को पकड़ लिया और दबाने लगी और उसके निपल्स को काटने लगी. ऋतु पूछने लगी के कितने राउंड हो गये है दीदी ? तो शालु हस्ते हुए बोली के अभी तो सिर्फ़ 2 राउंड ही हुए है और अभी तो सारी रात पड़ी है और अब तू भी आ गई है तो सारी रात राउंड ही चलते रहेंगे और तीनो मिल के हस्ने लगी. अनु अपनी जगह से उठ गई और ऋतु को वाहा लिटा दिया और बोली के मुझे ऋतु की रसीली चूत बोहोत पसंद है और यह कहते हुए वो ऋतु की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे पेट के बल लेट गई और उसकी चूत को किस करने लगी. अनु का मूह उसकी चूत पे लगते ही ऋतु मस्ती मे पागल हो गई और अपने पैर घुटने से मोड़ के अनु का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया और अपनी गंद उठा के अनु के मूह से रगड़ने लगी. ऋतु इतनी गरम हो गई थी के वो अनु का मूह अपनी चूत मे फील करते ही झड़ने लगी. इतने मे शालु अपनी जगह से उठ के ऋतु के सर के दोनो तरफ अपने घुटने मोड़ के उसके मूह पे अपनी चूत रख के बैठ गई और ऋतु शालु की चूत को ऐसे चूसने और काटने लगी जैसे चूत की भूकी हो. अब शालु घुटनो के बल हाफ उठ गई और अपने दोनो हाथ आगे को कर के ऑलमोस्ट लेट गई और अपनी गंद उठा उठा के चूत को ऋतु के मूह पे ऐसे मारने लगी जैसे चोद रही हो. अब पोज़िशन ऐसी थी के ऋतु पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनो खुली हुई टाँगो के बीच मे अनु लेट के ऋतु की मक्खन जैसी चिकनी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी और शालु ऋतु के मूह पे उल्टा लेटी अपनी गंद उठा उठा के ऋतु के मूह को चोद रही थी. ऋतु अपनी उंगली शालु की चूत मे डाल के वाहा से उसका रस्स निकाल के शालु की गंद मे लगा दिया और अपनी उंगली शालु की गंद मे घुसेड़ने लगी जिस से शालु का जोश और बढ़ गया. इतने मे ऋतु के मूह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी और बोल रही थी आआआआआअहह डीईएद्द्दीईईईईईईई खाआअ जाऊओ आआहह काआआत्त्त्त डाआआआआलो मेर्र्रिईईईईईई कक्चूऊऊऊथततटतत्त ककककूऊऊऊओ आऐईईसस्स्स्स्सीईईई ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईईईईई आआआआअग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्
ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और अपनी गंद उठा के ज़ोर ज़ोर से अनु के मूह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी और अपने दोनो हाथो से शालु की कमर को पकड़ा हुआ था और ऋतु का बदन काँपने लगा और वो फिर से झड़ने लगी. अनु उसकी चूत का सारा रस्स पी गई और बॅस उतने मे ही शालु चिल्लाने लगी काआआआआत्त्त्त्त्त्त दाआल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल ऱीइत्त्त्त्त्त्त्त्तुउउउउउउउउउउउउउउउउ क्क्हाआआआआअ ज्ज्ज्ज्ज्ज्जाआाआअ मेररीईईईईईईईईईईई कककककककचूऊऊऊऊऊऊऊऊथततटटटटटटटटटटतत्त ऊऊऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई म्माआआआआआआआआअ
थोड़ी देर तक दोनो बातें करते रहे और फिर मैं ने गौर से सुना तो अनु के खर्रातो की आवाज़ आ रही थी वो नंगी ही सो गई थी और ऋतु अपने कपड़े पहेन के अनु के नंगे बदन पे शॉल डाल के कमरे का डोर खोल के दबे क़दमो से नीचे उतर गई और मैं भी अपने बेड पे चला गया पर सोने से पहले दोनो के नाम की मूठ मारना नही भुला. इसी तरह से दोनो के खेल चलते रहे. डेली रात को ऋतु ऊपेर आती और अनु के साथ मिलके चूत चटाई और चुचिओ की चुसाइ का खेल खेलते रहते. मैं रोज़ रात को उन दोनो के पिक्चर्स और वीडियोस बनाता रहा.
एक दिन ऐसा हुआ के लेट ईव्निंग मे शालु हमारे घर आई और शालु और अनु दोनो ख़ुसर पुसर करने लगे तो मैं समझ गया के आज दाल मे कुछ काला ज़रूर होने वाला है और अनु का इरादा शालु के साथ मज़े करने का है. डिन्नर टेबल पे ही अनु ने बता दिया था के शालु आज रात यही रहने के लिए आई है तो मैं समझ गया के आज का प्रोग्राम पक्का है. मैने आस यूषुयल डिन्नर के टाइम पे इह बोल दिया के मैं आज बोहोत थक्क गया हू और सोने के लिए जा रहा हू और अपने कमरे मे आ गया. लाइट बंद कर के दरवाज़े को थोड़ा सा खुला रख के लेट गया और ऐसे पोज़ करने लगा जैसे मैं गहरी नींद मे हू. डिन्नर के थोड़ी देर तक सब
लोग नीचे ही बैठे बातें करते रहे जब मम्मी और डॅडी सोने के लिए चले गये तो अनु और शालु ऊपेर की तरफ आ गये और टीवी के रूम मे ही बैठ गये और टीवी देखने लगे शाएद सेक्स चॅनेल देख के कुछ गरम होना चाहते होंगे. मैं इंतेज़ार करने लगा और अपना डिजिटल कॅम और मोबाइल रेडी कर के रख लिया.
शाएद आधा घंटे के बाद मुझे हसी की आवाज़ें आने लगी और टीवी का रूम बंद करने की आवाज़ आई और मैं बेड पे लेट के खर्राटे मारने लगा. मेरे कमरे का डोर खुला अनु ने अंदर झाँका और शालु से कहा के राज तो सो गया चलो मेरे कमरे मे. शालु और अनु उसके कमरे मे आ गये और आस यूषुयल कमरे की लाइट बंद कर दी और बाथरूम के ज़ीरो बल्ब की लाइट को खुला रखा इस टाइम बाथरूम का डोर भी थोड़ा सा खुला छोड़ दिया जिस से कमरे मे धीमी रोशनी आ रही थी और इतनी लाइट थी के मैं हर चीज़ सॉफ देख सकता था. शालु आंड अनु एक दूसरे से लिपट के प्यार करने लगी. शालु बोली ओह अनु कितना याद किया री मैं ने तुझे. मुझे तो रातो मे नींद भी नही आती थी तू ने मुझे वो मज़े लेना सिखाया है के मैं तड़पति रहती हू और तुझे याद करती रहती हू तो अनु बोली के मेरे पास क्यों नही आई फिर तो शालु बोली के तुझे तो पता है ना के पापा जब घर मे होते है तो मुझे पर्मिशन नही मिलती रात मे बाहर रहने की. आज तो पप्पा टूर पे है इसी लिए मम्मी से बोल के आ गई. इतनी देर मे दोनो एक दूसरे के कपड़े उतार चुके थे. शालु को पहली बार नंगा देखा तो दंग रह गया क्या मस्त बदन था शालु की चुचियाँ भी अनु और ऋतु से थोड़ी बड़ी थी और उसका अरेवला भी पिंक कलर का था जैसे अनु का. ऋतु का अरेवला तो लाइट ब्राउन कलर का था. शालु भी बोहोत ही गोरी रंग की अच्छे ख़ासे घटेले बदन की लड़की थी. अनु से थोड़ी लंबी और थोड़ी मोटी भी थी. गोल गोल कड़क 36 साइज़ की मस्त टाइट चुचियाँ और चूत तो तीनो की मक्खन जैसी चिकनी ही थी. लगता था के शालु ने भी अभी अभी चूत की झातो का शेव किया है. शालु की चूत की पंखाड़िया थोड़ी मोटी थी अनु और ऋतु की चूत की पंखाड़िया तो अभी बोहोत ही पतली थी और एक दूसरे से मिली हुई थी देखने से एक लकीर जैसी चूत दिखती थी जबके शालु की चूत के पंखाड़िया अनु और ऋतु की चूत की पंखाड़ियों से थोड़ी मोटी और थोड़ी सी अलग थी एक दूसरे से मिली हुई नही थी.
अब मैं ने भी अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से लॉक कर लिया यह सोच के के अगर कोई अचानक ऊपेर आ जाए तो उसे पता नही चले के मैं यह सब खेल देख रहा हू और पिक्चर्स और वीडियो बना रहा हू और अपने कपड़े निकाल के नंगा हो गया मेरे लंड का तो बुरा हाल था अकड़ के लोहे जैसा सख़्त हो चुका था
और जोश मे हिल रहा था जैसे दो चूतो को सल्यूट कर रहा हो. मैने डिजिटल कॅमरा स्टार्ट कर दिया और सारा सीन वीडियो की शकल मे सेव होता रहा और अपने मोबाइल से कुछ पिक्चर्स लेने लगा.
मुझे विंडो मे से सॉफ नज़र आ रहा था दोनो नंगी खड़ी थी और किस्सिंग मे बिज़ी थी और दोनो के हाथ कभी एक दूसरे की चूतो को मसल्ने लगते तो कभी चुचिओ को दबा ने लगते. शालु कुछ ज़ियादा ही उतावली हो रही थी क्यॉंके उसने यह मज़ा बोहोत दीनो से नही उठाया था इसी लिए पहले अनु ने शालु को बेड पे लिटा दिया और खुद उसके ऊपेर चढ़ गई और उसकी रानो (थाइस) पे बैठ के शालु की चुचिओ को रगड़ने लगी और अपनी चूत को शालु की चूत से रगड़ने लगी फिर झुक के उसकी चुचिओ को चूसने लगी.
अब अनु और ऋतु फिर से टंग सकिंग किस करने लगी और दोनो के हाथ एक दूसरे के चूतदो पे थे जिन्है वो ऐसे मसल रही थी जैसा रोटी पकाने का आटा गून्ध्ते हैं और एक दूसरे से चिपकी हुई थी जिस से उनकी चुचियाँ भी एक दूसरे से रगड़ रही थी और दोनो एक दूसरे को ऐसे अपनी ओर खेच रही थी जैसे एक दूसरे को चोदना चाहती हो और उनकी चूते भी आपस मे रगड़ा खा रही थी. दोनो की चूते बिना बालो वाली सॉफ चिकनी मक्खन जैसी थी.
थोड़ी ही देर मे अनु ने ऋतु को बेड पे ऐसे लिटा दिया जिस से ऋतु का आधा बदन बेड पे था और उसकी टाँगें नीचे फ्लोर पे थी. अनु नीचे फ्लोर पे बैठ गई और ऋतु की टाँगें खेच के अपने शोल्डर पे रख ली और ऋतु की चूत पे ऐसे टूट पड़ी जैसे भूके को बोहोत दीनो बाद खाना मिला हो और ऋतु ने फॉरन ही अनु का सर पकड़ के अपने चूत मे घुसेड़ना शुरू कर दिया और अपनी गंद उठा उठा के अनु के मूह को चोदने लगी और उसके मूह से निकल रहा था आआआहह डीईययड्डिईईईईईईईईईई आईिससीईए शियीयीयीयियी आआआहह बोहोत मज़ा आआ रहाआआअ हाईईईईईई दीएददीईए उउफफफफ्फ़ खाआआअ जऊऊऊ आआआऐईईईईहह और अनु थी के जोश मे ऋतु की पूरी चूत अपने मूह मे डाल के काटने लगी जिस से उसकी क्लाइटॉरिस पे अनु के दाँत लग रहे थे और ऋतु के मस्ती भरी चीखें निकल रही थी ऊऊऊऊऊहह दीईद्द्दीईईई आऐईएसस्स्स्सीईई हीईई आआहह उसकी आँखे बंद हो गई थी और वो अपनी गंद ऊपेर उठा उठा के अपनी चूत को अनु के मूह से रगड़ रही थी और बॅस फिर ऋतु का बदन ऐसे काँपने लगा जैसे किसी ने उसका गला दबा दिया हो उसके मूह से आआआआग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्
ह्ह्ह्ह्ह्ह उउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाज़े निकलने लगी और उसने अनु के सर को पकड़ के अपनी चूत मे बड़ी ज़ोर से घुसा दिया
और वो झड़ने लगी उसका ऑर्गॅज़म चलता रहा और उसके हाथ पैर ऐसे ढीले पड़ गये जैसे उसमे से जान ही निकल गई हो और वो गहरी गहरी साँसें लेने लगी. यह सब देखते हुए मुझे पता ही नही चला के मेरा मूसल जैसा लंड तो पूरी तरह से खड़ा हो गया है और लोहे जैसा सख़्त हो गया है और जोश मे हिल रहा है और लंड के मूह से प्री कम की लकीर निकल के नीचे फ्लोर तक जा रही है.
मुझे हैरानी इस बात की हो रही थी के अनु जो अपने आपको इतना रिज़र्व, सोबर और इनोसेंट पोज़ करती थी कैसे एक नोकारानी की चूत को मज़े ले ले के चाट रही है. ऋतु का ऑर्गॅज़म ख़तम हो गया था और अब उसकी साँसें भी ठीक होने लगी थी तो उसने अनु को जो अभी तक फ्लोर पे बैठी थी उस की बगल मे हाथ डाल के बेड के ऊपेर खेच लिया और ऋतु ने अनु को किस करते करते कहा दीदी आज तो बोहोत ही मज़ा आगेया इतना मज़ा तो इस से पहले कभी नही आया था. इस सेंटेन्स पे मेरे कान खड़े हो गये मतलब था के इन्न दोनो मे यह चूत की चटाई का खेल बोहोत पहले से ही चल रहा था जिसे मैं ने इत्तेफ़ाक़ से देख लिया था. अनु ने भी कहा के हा आज तुम्हारी चूत का रस्स भी कुछ ज़ियादा ही मीठा था लगता था हनी निकल रहा हो और मैं भी आज कुछ ज़ियादा ही गरम हो गयी थी. अनु बेड पे पीठ के बल लेटी थी और ऋतु उसके ऊपेर चढ़ के आ गई और अनु के बदन के दोनो तरफ अपने दोनो पैर घुटनो से मोड़ के अनु की रानो (थाइस) पे बैठ गई और झुक के अनु की चुचिओ को अपने दोनो हाथो से मसल ने लगी ऐसी पोज़िशन मे दोनो की चूते आमने सामने थी. ऋतु जैसे जैसे आगे पीछे होती उसकी चूत अनु की चूत से टच होती और ऋतु एक बार फिर से गरम होने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही पोज़िशन मे हिलते हिलते वो मिशनरी पोज़िशन मे अपने पैर पीछे लंबे कर के अनु के बदन पे लेट गयी और अपनी चूत को अनु की चूत से रगड़ने लगी. अनु ने अपनी टाँगे ऋतु के नीचे से निकाल के उसके गंद पे फोल्ड कर ली. अब पोज़िशन ऐसी थी जैसे ऋतु का (लंड) अनु की चूत मे घुसा के चुदाई कर रही हो. ऋतु अपनी गंद उठा उठा के अपनी चूत को अनु की चूत पे ऐसे मार रही थी जैसे एक मेल फीमेल को चोद्ता है और कमरे मे ठप्प ठप्प ठप्प की आवाज़ें आ रही थी और अनु ने अपने हाथ ऋतु की गर्दन मे डाल के उसको अपने ऊपेर खेच लिया और दोनो फिर से टंग सकिंग किस करने लगे. ऋतु के स्पीड बढ़ गई थी और वो ज़ोर ज़ोर से अनु की चूत को अपनी चूत से चोद रही थी और दोनो के मूह से आआआआअहह और उउउउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
ऊऊऊऊऊऊहह जैसी आवाज़ें निकल रही थी और उनको जोश मे इतनी भी खबर नही हो रही थी के उनकी इतनी ज़ोर की आवाज़ें मेरे कमरे मे भी आ सकती हैं पर वो तो फुल जोश मे थी. कमरे मे ठप्प ठप्प ठप्प की आवाज़ें बढ़ने लगी और साथ मे उन दोनो की सिसकारिया भी. अनु ने ऋतु को टाइट पकड़ा हुआ था अपने हाथो से और पैरो से और अपनी गंद उठा उठा के उसकी चूत से अपनी चूत को टकरा रही थी दोनो के चुचियाँ बड़ी ज़ोर ज़ोर से हिल हिल के डॅन्स कर रही थी.
उसको हमारे अंकल समीर एक विलेज से ले के आए थे जहा उनका कन्स्ट्रक्षन का काम चल रहा था. ऋतु के फादर की एक आक्सिडेंट मे डेत हो गई थी और उसकी मा गाऊँ ( विलेज ) मे ही रहती थी.ऋतु हमारे घर मे फॅमिली मेंबर की तरह पर्मनेंट्ली रहती थी. आछे खाते पीते घराने की थी पर उसके डॅडी की डेत के बाद हालत ने उसे काम करने पर मजबूर कर दिया था. ऋतु अपना काम बोहोत अछी तरह से करती और बड़ी तेज़ी से भी करती थी. ऑन दा होल ऋतु एक बोहोत ही सेक्सी लड़की थी पर उसको पता नही था के वो कितनी सेक्सी है. उसकी कमीज़ मे से उसके छोटे से बूब्स के उभार बड़े मस्त दिखते बार बार मॅन करता के उन्है पकड़ के उसकी चुचिओ को मसल डालु. वैसे तो कई बार ऐसा भी हुआ है के जब मेरे मोम और दाद ऑफीस चले जाते, मासी भी लंच और डिन्नर एक साथ पका के अपने घर चली जाती तो मैं और ऋतु अकेले ही घर मे रहते पर पता नही क्यों उसे
चोदने का या उसके चुचिओ को मसल्ने और चूसने का ख़याल मेरे दिमाग़ मे कभी नही आया..
ऋतु का रूम नीचे ही था क्यों के सोने से पहले मेरी मोम की टाँगें दबाती थी और कभी किसी काम के लिए रात मे मोम पुकारती तो वो आजाती इसी लिए वो नीचे ही रहती थी और जब मेरे पेरेंट्स सो जाते तो ऋतु भी अपने रूम मे जा के सो जाती. सुबह मासी थोड़ी देर से आती थी तब तक ऋतु ही मेरे पेरेंट्स को चाइ या कॉफी बना के दे देती और मासी के आने तक किचन की सफाई भी कर देती थी कभी कभी तो वो भी टीवी वाले रूम मे आ जाती और दोनो बैठ के टीवी देखते पर वो खामोश ही रहती. टीवी पे कोई हॉट सीन आता तो मेरा लौदा 90 डिग्री पे खड़ा हो जाता और वो शरमाती और धीरे से मुस्कुराते हुए उठ के रूम से बाहर चली जाती. वॉशिंग मशीन और आइर्निंग रूम ऊपेर के पोर्षन मे ही बना हुआ था इसी लिए ऋतु को जब कपड़े धोना होते या आइर्निंग करना होता तो वो ऊपेर के पोर्षन मे आती. कई बार मेरे कमरे की सफाई के दोरान जब वो झुकती तो उसके कॉनिकल शेप की छोटी सी चुचियाँ और उसके छोटे किशमिश जैसे ब्राउन निपल्स उसके शर्ट के गले (नेक) के पास से अंदर तक सॉफ नज़र आते रहते जिन्हे देखते ही मेरा लौदा पॅंट के अंदर से बाहर निकलने को तड़पने लगता और मॅन करता के अभी उसको नीचे लिटा के उसको चोद के उसकी टाइट चूत को फाड़ डालु पर क्या करू डरता था के कही यह मेरे मोम और डॅड से बोल देती तो मेरी तो शामत ही आजाती और एक नयी मुसीबत खड़ी हो जाती बॅस यह सोच के खामोश हो जाता और बाथरूम मे जा के ऋतु के नाम की मूठ मार लेता और ख़यालो मे अपने लंड से निकली हुई मलाई को ऋतु की रसीली चूत मे गिरते महसूस करता.
अनु को हमारे साथ रहते हुए तकरीबन तीन महीने हो गये थे. दिन ऐसे ही गुज़र रहे थे. वो शाम मे कॉलेज से आती. डिन्नर के बाद कुछ देर पढ़ती रहती और रात के 11 या 12 बजे तक सो जाती. मैं कुछ दीनो से फील कर रहा था के मेरे मोम और डॅड के सो जाने के बाद ऋतु ऊपेर अनु के कमरे मे आ जाती थी और फिर अनु और ऋतु हसी मज़ाक की बाते करते रहते और हस्ते रहते. मैं ने कोई ऐसा ख़ास ध्यान नही दिया के गर्ल टॉक्स होंगे जिन्हे आपस मे बात करके हस्ती होगी.
एक दिन की बात है उस दिन बोहोत गर्मी पड़ रही थी और मैं कही बाहर से वापस आया था, आस यूषुयल मोम और डॅड तो थे नही. मैं बाहर से अंदर आया और ऊपेर अपने रूम की तरफ जाने लगा. मेरे रूम मे जाने के लिए मुझे अनु के रूम के सामने से गुज़रना पड़ता था और यह इत्तेफ़ाक था के उसके रूम की
विंडो खुली हुई थी क्यॉंके गर्मी बोहोत थी. मैं जब उसके रूम के सामने से जा रहा था तो मुझे एक अजीब किसम की आवाज़ सुनाई दी और मैने पलट के अनु की विंडो की तरफ अपना मूह घुमा के देखा तो एक शॉक जैसा लगा अनु और ऋतु एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे दोनो की आँखें बंद थी शाएद प्लेषर से बंद हो गई होगी और उन्हे पता ही नही चला के मैं उनको देख रहा हू. एक मिनिट तक देखता ही रहा के कैसे अनु और ऋतु एक दूसरे की चुचिओ को कपड़ो के ऊपेर से ही दबा रही हैं कभी कभी शर्ट के अंदर हाथ डाल के एक दूसरे की चुचिओ को मसल रही है और किस्सिंग मे खोए हुए हैं और मूह से उउउउउउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह जैसी प्लेषर की आवाज़ें निकल रही है. मैं यह देख के धीमे पैरो से बिना आवाज़ निकाले वापस चला गया और नीचे उतर गया किचन मे जा के मासी से पूछा के लंच मे क्या बना रही है तो पता चला के आज लंच और डिन्नर मे चिकन का सालन और कबाब हैं. मैने फ्रिड्ज से ठंडा पानी निकाल के पीया और ऊपेर ऐसे चढ़ने लगा जिससे के अनु को पता चल जाए के मैं ऊपेर आ रहा हू और जब मैं ऊपेर आया तो देखा के अनु के रूम का डोर खुल गया था और ऋतु रूम की सफाई कर रही थी. मैं देख के मुस्कुरा दिया और अनु को पूछा के आज कॉलेज नही गई तो उसने बोला के नही आज कल कॉलेज मे आन्यूयल गेम्स चल रहे हैं इसी लिए एक वीक की छुट्टी है. मैं अपने कमरे मे चला गया और शवर ले के थोड़ी देर के लिए सो गया.
मेरा नाम राज है जानने वाले लोग, दोस्त और फॅमिली मेंबर्ज़ मुझे प्यार से राज्ज्ज और राजा बाबू भी कहते है. मैं एक 28 साल का अछा ख़ासा हॅंडसम और घटेले बदन का लड़का हू मेरी बॉडी एक्सर्साइज़्ड है अछा ख़ासा मस्क्युलर हू. हाइट 5’8” गोरा रंग और मेरे शरीर पे आछे ख़ासे बाल हैं. हेरी चेस्ट है. अभी अभी पढ़ाई ख़त्म हुई है रिज़ल्ट का वेट कर रहा हू. मेरे डॅड का अपना कन्स्ट्रक्षन आंड मेंटेनेन्स का बिज़्नेस ऑफीस है और जिस्मै मेरी मोम अकाउंट्स देखती है और आड्मिनिस्ट्रेशन मे डॅड का साथ देती है उनके साथ मीटिंग्स अटेंड करती है. मेरे डॅड तकरीबन 52-53 यियर्ज़ के है और मोम ऑलमोस्ट 48 – 49 की हैं. दोनो काम करते रहने से अभी तक आक्टिव हैं और ऑफीस को रेग्युलर्ली जाते है. आजकल कन्स्ट्रक्षन का काम बूम पे है इसी लिए दोनो बोहोत ही बिज़ी रहते हैं और रात थक्क के वापस आते और खाना खा के सो जाते हैं. मेरे से बड़ी एक बहेन है खुश्बू जिसकी शादी अभी कुछ ही महीने पहले हुई है वो अपनी ससुराल मे ही रहती है जो मेरे टाउन से तकरीबन 200 किमी के डिस्टेन्स पे है. शादी के बाद 2 – 3 टाइम यहा आई और वापस अपनी ससुराल चली गई वो अपने पति के साथ खुश है. उसके पति का भी सेमेंट का होल साले बिज़्नेस है.
मेरे अंकल समीर करीब के ही एक विलेज मे काम करते है. उनकी एक ही बेटी है जिसका नाम अनुपमा देवी है प्यार से सब उसको अनु पुकारते हैं. अनु 19 - 20 साल की बोहोत ही खूबसूरत लड़की है. तकरीबन 5’ 5” की हाइट होगी. गोरा रंग, कमर तक झूलते रेशमी लाइट ब्राउन कलर के बाल, हस्ती तो दोनो गालो मे छोटे छोटे डिंपल्स पड़ते, सफेद मोती जैसे चमकते दाँत, लाइट ब्राउन बड़ी बड़ी चमकती हिरनी जैसी आँखें, सेक्सी लिप्स जिनको देख के कोई भी चूसने की कल्पना करे, अभी उसके चुचीोन को अपने हाथो से पकड़ा तो नही पर लगता है के शाएद 32 साइज़ के होंगे, एक दम से सिडोल बदन, मोस्ट्ली शलवार कमीज़ पेहेन्ति है पर कभी कभी जीन्स और ट्रंक टॉप भी पेहेन्ति और जब जीन्स और ट्रंक पहनी होती है तो उसके चुचियाँ बोहोत मस्त दिखते और जब मटक मटक के चलती तो दोनो चुचियाँ धीरे धीरे डॅन्स करते ऊपेर नीचे होते बड़े आछे लगते ऐसा लगता जैसे परदे कर रहे हो शाएद वो उस टाइम पे ब्रस्सिएर भी नही पेहेन्ति इसी लिए चुचियाँ डॅन्स करती जिन्है देख के मन करता के बॅस अभी पकड़ के दबा डालु और मोसंबी की तरह से स्क्वीज़ करू और आम ( मॅंगो ) की तरह से चूसू
डालु. रात मे अक्सर नाइटी यूज़ करती वैसे कभी सलवार कमीज़ भी पेहेन्ति पर मोस्ट्ली नाइटी मे ही रहती.
मुझे लगता के वो थोड़ी प्राउडी टाइप की लड़की है. कभी मुझ से सीधे मूह बात भी नही करती और कभी ऐसे शो करती है जैसे वो मेरे घर मे नही रहती बल्कि मैं उसके घर मे रहता हू. अरे मैं यह बताना तो भूल ही गया के अंकल समीर जहा काम करते है वाहा कोई कॉलेज वाघहैरा नही है इसी लिए अनु को पढ़ाई के लिए हमारे घर मे ही रखा हुआ है. अनु बी.कॉम के 2न्ड एअर मे थी. कॉलेज घर से थोड़ा दूर है और वो बस मे आती जाती है. मेरी और अनु की कुछ ऐसी ख़ास बनती तो नही पर कभी इतना बड़ा झगड़ा भी नही हुआ था. बॅस आपस मे नोक झोक तोचलती ही रहती. कभी खाने की टेबल पे तो कभी पढ़ाई के टाइम पे. वो हमेशा बोलती के उसको लड़के पसंद नही हैं आंड शी हेट्स मेल्स डॉन’ट नो व्हाई. मेरी समझ मे नही आता था के व्हाई शी हेट्स मेल्स क्यॉंके नॅचुरली लड़कियाँ तो लड़को को पसंद ही करती है इश्क़, प्यार और मोहब्बत भी लड़को से ही करती है पर पता नही अनु मे ऐसी क्या बात थी जिसे मेल्स पसंद नही थे.
हमारा घर एक डबल स्टोरी मीडियम साइज़ की बिल्डिंग है. नीचे मेरे डॅड और मोम रहते हैं. मोम के ( घुटनो ) नीस मे दरद रहता है ( जॉइंट पेन ) जिसकी वजह से वो बार बार ऊपेर नही चढ़ सकती इसी लिए वो दोनो नीचे ही ग्राउंड फ्लोर पे रहते है और मैं ऊपेर के रूम मे रहता हू. आक्च्युयली ऊपेर के फ्लोर पे मीडियम साइज़ के 3 रूम्स हैं. एक मे मेरी सिस्टर खुश्बू रहती थी दूसरा मेरा कमरा था और तीसरा ऐसे ही स्पेर रूम जो गेस्ट रूम जैसा था. खुश्बू की शादी के बाद उसका रूम भी खाली हो गया था इसी लिए अनु को खुश्बू वाला रूम दे दिया गया था. स्टेरकेस पे चढ़ते ही एक स्पेर वाला गेस्ट रूम जैसा था था जिसमै कभी हमारे कोई रिलेटिव्स वाघहैरा आ जाते तो वही रहते और जब वाहा कोई नही रहता तो वो कमरा टेंपोररी ड्रॉयिंग रूम जैसा यूज़ मे आता था जहा एक डबल बेड के साथ एक सोफा सेट भी पड़ा हुआ था कभी मेरा कोई फ्रेंड आ जाता तो हम वही बैठ के टाइम पास करते और कभी अनु की कोई फ्रेंड्स आ जाती तो वो उनको लेके वाहा बैठ जाती. उस रूम मे एक बड़ा सा टीवी सेट भी रखा हुआ था जिस्मै केबल और वीडियो कनेक्षन भी लगा हुआ था तो कभी कभी वो रूम टीवी रूम जैसा भी यूज़ मे आता था. ऐसे समझे के मल्टिपर्पस उसे का कमरा था. उस मल्टिपर्पस रूम को लगा हुआ अनु वाला रूम और तीसरा रूम मेरा था.
भाभी घुटने मोड़ कर मेरे ऊपर आ गयी जिससे उनकी चूत थोड़ी सी खुल गयी और मैं आराम से अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा.भाभी भी पूरे जोश के साथ एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर चूस रही थी तभी मुझे लगा कि मेरी छ्छूट होने वाली है मैं “ बोला भाभी मेरा निकलने वाला है” .
भाभी – निकाल दो मैं भी झड़ने वाली हूँ
और थोड़ी ही देर मे मैने अपना लावा छ्चोड़ दिया.भाभी ने पूरा वीर्य अपने मूह में भर लिया और उसके बाद भी सूपदे को मूह में लेकर एक एक बूँद खींचने की कॉसिश करने लगी, जैसे पेप्सी चूस्ते है.कुच्छ ही देर में भाभी ने भी पानी छ्चोड़ दिया पानी छ्चोड़ते समय भाभी ने अपनी चूत मेरे मूह पे रख दी और दोनो जांघों से मेरे चेहरे को दबा दिया,मेरे मूह में भी भाभी का पानी आ गया.फिर भाभी सीधी हो के मुझसे चिपक गयी कुच्छ डी ऐसे ही चिपके रहने के बाद मुझसे बोली.
भाभी – मैने पहली बार आपका रस पिया है
मैं – कैसा टेस्ट था
भाभी – बहुत अच्च्छा
मैं – आपका पानी भी बहुत टेस्टी है
फिर हम दोनो एक दूसरे को सहलाते हुए कब सो गये पता ही नहीं चला.शाम को 4 बजे हमारी नींद खुली हम फटा फॅट उठे और तय्यार हो गये,क्यों कि भाई के आने का टाइम हो रहा था.
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
* समाप्त *
धीरे धीरे हल्के हाथो से सहला रही थी .मैने अपनी कमर थोड़ी और आगे कर दी ताकि भाभी उसे मूह में ले सके .
भाभी ने मेरा इशारा समझ लिया और मेरे लंड पर अपने होंठ फेरने लेगी,पहले दो तीन किस की और फिर बड़े ही प्यार से मूह में लेकर चूसने लगी.मैं तो स्वर्ग की सैर कर रहा था.मैं भी भाभी की चूत को मूह में भर कर चूसने लगा मैने देखा ऐसा करने पर भाभी की चूत थोड़ी फूल गयी थी.वाह क्या सीन था मेरी भाभी मेरे सामने नंगी पड़ी मेरा लंड मूह में ली हुई थी.मैने भाभी के मूह में ही झटके देने शुरू कर दिए.यहाँ भाभी की चूत भी मेरे लंड के स्वागत के लिए तय्यार हो चुकी थी.भाभी का नमकीन रस मेरे मूह में आ रहा था.मैने पोज़िशन चेंज की और असली मज़ा लेने को तय्यार हो गया.पर भाभी मना करने लगी. @aapkaraj भाभी – प्लीज़ ये मत करो
मैं –क्यों
भाभी – नहीं ये सही नहीं है, हम दोनो का रिश्ता…
मैं – अब हमारा रिश्ता प्यार का है प्यार में सब सही होता है, और आज से इसे कुच्छ भी नाम दे दो.
भाभी – नहीं पर प्लीज़ इसे मत डालो.बाकी जो करना हो करो.
मैं – जब जीभ जा सकती है,उंगली जा सकती है तो ये क्यों नहीं.
भाभी – नहीं, कुच्छ हो गया तो
मैं - मैं कॉंडम लगा लेता हूँ.
भाभी – पूरी तय्यारी से आए हो
मैं – (हंस दिया)
भाभी – नहीं कॉंडम मत लगाओ.अच्च्छा नहीं लगता
मैं – सच मेरे को भी अच्छा नहीं लगता.जब तक स्किन से स्किन टच ना हो तो क्या मतलब.
भाभी हंस दी मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया.मैने तुरंत भाभी के पैर फैलाए और और अपना सूपड़ा भाभी की चूत के ऊपर घिसने लगा.भाभी ने अपने दो हाथ पीछे कर तकिया पकड़ लिया.मैं समझ गया भाभी तय्यार हैं.मैने धीरे से लंड भाभी की चूत सरकाना चाहा पर भाभी की चूत तो एकदम टाइट थी जैसे किसी 18 साल की लड़की की.मैने थोड़ा ज़ोर लगा के अंदर डाला भाभी के मूह से आह निकल गई.मुझे भी ऐसा लगा मानो मेरा लंड जाकड़ गया हो.भाभी अंदर से गरम भट्टी हो रही थी.मैने भाभी के उपर आते हुए पूरा लंड भाभी की चूत के अंदर कर दिया,भाभी तड़प उठी मुझे अपनी बाहों में कस कर पकड़ा और मेरे होंठों को चूसने लगी.अब तक में और भाभी दोनो पसीने से नहा चुके थे.झटके देते समय दोनो की छातियो के बीच से फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थी.दोनो जन्नत में थे.मैं भाभी के ऊपर पूरा लेट गया और पूरी ताक़त से दोनो दूधों को पकड़ कर मिला दिया और दोनो निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा.भाभी के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो मुझे कस कर नोच रही थी.मैने झटके और तेज़ कर दिए फिर थोड़ी ही देर में दोनो झाड़ गये लेकिन भाभी फिर भी मुझे चूमती रही.मैने पूछा – अच्च्छा लगा
भाभी – बहुत, ये सब करने में इतना मज़ा आता है मुझे आज पता चला
मैं – सच आपको अच्च्छा लगा
भाभी – बहुत ज़्यादा (इतने में मैं थोड़ा हिला तो भाभी बोली) अभी बाहर मत आना
मैने भी अपने लंड को अंदर ही डाले रखा और भाभी के होंठ चूसने लगा.भाभी भी मेरा साथ देने लगी,अब भाभी भी थोड़ा खुल गयी थी उन्होने मेरा सिर पकड़ा और नीचे की तरफ धकेल दिया मैं समझ गया भाभी मुझे दूध पीने को बोल रही है मैने तुरंत दोनो हाथो से दूधों को मिलाया और फिर दोनो निप्पालों को मूह में डालकर एक साथ पीने लगा,भाभी के मूह से सिसकियाँ निकलने लगी. भाभी – कहाँ से सीखा ये
मैं – अभी अभी
भाभी – मतलब
मैं – भाभी आपके दूध इतने सुन्दर है कि मैं सोचता हूँ एक को भी थोड़ी देर ना छोड़ू
भाभी – अच्च्छा ऐसा क्या स्पेशल है इनमे
मैं – मत पूच्छो भाभी, क्या नहीं है इतने सुंदर कसे हुए आपकी छ्होटी छ्होटी निपल, जी करता है दिन भर इन्हे ऐसे ही मूह में लिए पीता रहूं.
भाभी – तो पियो ना मना किसने किया है
मैं – सच
भाभी – हां आपका हाथ लगते ही ये और सुंदर हो गये है.आप इन्हे जिस तरह पीते हो मैं तो ……
मैं – मैं तो क्या ?
भाभी – मैं तो दीवानी हो गई आपकी, बहुत प्यार से पीते हो आप इन्हे.
मैं – तो क्या भाई……..
भाभी – हुउँ उन्हे तो एक चीज़ से मतलब रहता है,और सच कहूँ वो जब मुझे हाथ लगाते है तो मैं ऐक्साइट भी नहीं होती,लेकिन आज जब आपने मुझे च्छुआ तो एक अजीब सा एहसास हुआ मैं तो आपके हाथ लगाते ही गीली हो गयी थी.
मैं – गीली मतलब
भाभी – चुप हो जाओ, बड़े आए गीली मतलब
ये कहते हुए भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और चूमने लगी,मैं भी भाभी के निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा.इन बातों को करते हुए हम फिर गरम हो गये और मेरा लंड भाभी की चूत के अंदर ही अंदर फिर बड़ा हो गया.मैने धीरे धीरे फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए और भाभी मुझे कस कर पकड़ कर मेरा साथ देने लगी,अब भाभी भी नीचे से अपनी गांद गोल गोल घुमाने लगी.मैने एक हाथ नीचे कर अंगूठे से भाभी के दाने को सहलाते हुए लंड आगे पीछे करने लगा.भाभी और तेज़ी से आगे पीछे होने लगी.मैने भाभी से कहा आप मेरे ऊपर आ जाओ.भाभी ने वैसा ही किया. अब भाभी मेरे ऊपर बैठ कर अपने हिसाब से मज़े लेने लगी.
फिर हम छत पर घूमने लगे. उस दिन के बाद हम दोनो खाना खाने के बाद छत पर टहलने जाते थे. घूमते घूमते कई बार मेरा हाथ भाभी के हाथ से टच हो जाता तो भाभी थोड़ा दूर चलने लगती, लेकिन कुच्छ कहती नहीं बल्कि कुच्छ देर के लिए थोड़ा चुप हो जाती.जब हम मुंडेर पर जा कर थोड़ी देर को खड़े होते तो उनके जितने करीब खड़ा हो सकूँ हो जाता. यही सब कई दिनों तक चलता रहा.एक दिन जब रोज़ की तरह हम मुंडेर पर खड़े हो कर बातें कर रहे थे तो मैने धीरे से उनके पेट पर हाथ लगा दिया भाभी फिर भी कुच्छ नहीं बोली,बस मेरी तरफ देखा और थोड़ी दूर हो गयी.मैने सोचा नाराज़ हो गई,लेकिन जब दूसरे दिन भी उन्होने घूमने को कहा तो मैं समझ गया कि येल्लो सिग्नल मिल चुका है.फिर तो उस दिन मैं घूमते घूमते भाभी से खूब टकराया.कभी हाथ कभी पूरा शरीर ही उनसे टच करता रहा.वो रोज़ की तरह बस थोडा दूर हो जाती.दो तीन दिन यही चला अब मैने सोचा कुच्छ आगे बढ़ना चाहिए. दूसरे दिन,दिन का खाना देने के बाद भाभी बेड पर बैठ कर टी.वी. देखने लगी, मैं भी खाना खाने के बाद उसी बेड पर लेट गया लगभग भाभी के पास.और सोने का बहाना करने लगा थोड़ी देर बाद मैं खिसक कर और लगभग उनसे चिपक गया.
भाभी - क्या हुआ,नींद नहीं आ रही क्या
मैं - हूँ...तकिये मैं घुस के सोने की आदत है ना इसलिए थोड़ा आपके पास घुस गया.
भाभी - आच्छे से सो जाओ
मैं - आपकी गोदी में सिर रख लूँ.
भाभी - रख लो लेकिन सिर्फ़ सिर ही रखना.
मैं -मतलब
भाभी - कुच्छ नहीं सो जाओ चुप चाप
मैं थोड़ी देर लेटा रहा पर उनकी खुश्बू मुझे जितना सुकून दे रही थी उतना ही उत्तेजित भी कर रही. मैं धीरे से उनसे और चिपक गया अब मेरा मूह भाभी के पेट से चिपका था और भाभी के दूध मेरे इतना करीब कि मैं अगर अपना मूह थोड़ा सा भी उपर करूँ तो शायद वो मुझसे टच हो जाते.मेरे साँसें गर्म हो चुकी थी और मैं उसे जान बूझ कर भाभी के दूधों के पास 'जहाँ ब्रा ख़तम होती है' छ्चोड़ रहा था.भाभी की साँसें भी तेज हो रही थी.तभी मैने अपना आपा खो दिया और अपना एक हाथ भाभी की कमर पे कस कर और चिपक गया और ब्रा के नीचे वाले हिस्से से टच हो गया.भाभी को मानो एकदम कुर्रेंट लग गया हो.उन्होने तुरंत मुझे झिड़क दिया.
मैं - क्या हुआ
भाभी - चलो उठो
मैं -क्या हुआ
भाभी -ये क्या कर रहे हो
मैं -कुच्छ नहीं,मुझे आपकी खुश्बू बहोत अच्छि लगती है.वोही सूंघ रहा था.
भाभी - चलो अब जाओ.हमने कहा था ना सिर्फ़ सोना.
पर मुझे पता नहीं कौन सा भूत सवार था मैने उठते उठते भाभी को एक पप्पी कर दी.
भाभी सुन्न हो के मुझे बस देखती रही और कुच्छ नहीं बोली.मुझे लगा मैने ये क्या कर दिया.मैं उठा.और अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला गया.
रात को मैं जब घर लौट के आया तो बड़ा डरा हुआ था.भाभी ने मुझे खाना दिया मैं खाना खा के अपने बिस्तर पर लेट गया .भाई के सोने के थोड़ी देर में भाभी आई और मेरे पैर की साइड जो सोफा लगा था उसमे बैठ गई.मैने उनको देख कर थोडा मुस्कुरा दिया. भाभी - आज घूमने नहीं चलोगे
मैं - मैने सोचा लेट हो गये.
भाभी – लेट हो गये या कोई और बात
मैं – और क्या बात
भाभी – दिन की, अच्च्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया.
मैं – बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था
भाभी – खूशबू, ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से
मैं – पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता
भाभी – अभी भी आ रही है क्या, इधर आओ
और मैने झट से पलट कर अपना मूह भाभी की ओर कर लिया.भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.सचमुच मैने आपको अच्छि लगती हूँ.मैने मौके की नज़ाकत समझ कर भाभी की गोद में सर रख दिया.और अपने मूह को भाभी की जांघों में रगड़ने लगा.
भाभी – आच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है.
मैं – रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना.
भाभी – तो प्यार तो हम करते ही हैं.
मैं – बस फिर प्यार में जो होता है होने दो
कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए भाभी की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक भाभी ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंदी ना में हिलाने लगी.भाभी की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी.मैं समझ गया कि भाभी को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गया.मैने तुरंत अपना चेहरा भाभी के दूधों के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा भाभी ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली हो.अब मैने धीरे धीरे भाभी के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क दूध थे भाभी के) रगड़ते रगड़ते मैं भाभी की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे भाभी के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा मेरा एक
"आआआआआआह…ओओओऊऊओह…अघ… धीरे मेरे राजा, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है." भाभी को गांद में उंगली डलवाने में मज़ा आ रहा था. मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. भाभी शायद दो तीन बार झार चुकी थी क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था. 15- 20 धक्कों के बाद मैं भी झर गया और ढेर सारा वीर्य भाभी की चूत में उंड़ेल दिया.
भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गयी थी. वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा. भाभी निढाल हो कर चटाई पर लेट गयी.
"आशु आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है. एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तडप रही थी. काश मुझे पता होता कि खड़ा हो कर तो ये 8 इंच लंबा हो जाता है.""तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा. आपको तो अच्छी तरह मालूम था कि मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ. औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती है."
"लेकिन मेरे राजा, औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो. पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है.और फिर मैं तेरी भाभी हूँ."
"ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदुन्गा."
"मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद हिदिया है. अब क्या शरमाना? इतना मोटा लंबा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी.
इसको मोटा ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी. अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बॅंड बजा दिया है."
उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गयी. जाते समय उनके चौरे भारी चूतड़ मस्ती में बल खा रहे थे. उनके मटकते हुए चूतड़ देख दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गांद में अपना लॉडा पेल दूं.
मैने भाभी से कहा" भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगि?" भाभी बोली " हाँ हाँ क्यों नहीं चल लेट जा" मैं चटाई पर पेट के बल लेट गया. भाभी ने हाथ में तैल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला,
"कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना. आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन में जीत जाउन्गा."
"ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा." मैं पीठ के बल लेट गया. भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी. जैसे जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे हरकत करने लगा. अब भाभी पेट पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगी. मेरा लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. ढीले लंड से भी अंडरवेर का कसा उभार होता था. अब तो ये उभर फूल कर दुगना हो गया. भाभी से ये छुपा नही था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.कनखियों से उभार को देखते हुए बोली-
"आशु, लगता है तेरा अंडरवेर फॅट जाएगा. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पन्छि को. आज़ाद कर दे." और यह कह कर खिलखिला कर हंस पड़ी.
"आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पन्छि को. आपको दुआएँ देगा."
"ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ" ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर नीचे खैंच दिया. अंडरवेर से आज़ाद होते ही मेरा 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड किसी काले कोब्रा की तरह फनफना कर खड़ा हो गया. भाभी के तो होश ही उड़ गये. चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गयी. उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने पूछा,
"क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो." बाप रे… ! ये लंड है या मूसल ! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया? और ये अमरूद? उस सांड़ के भी इतने बड़े नहीं थे."
"भाभी इसकी भी मालिश कर दो ना." भाभी ने ढेर सा तैल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पे लगाना शुरू कर दिया. बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगी.
"आशु तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं ज़्यादा बड़ा है. सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी.एक लंबा मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है. तेरा तो…."
"भाभी आप किस बीवी की बात कर रहीं हैं? इस लंड पे सबसे पहला अधिकार आपका है."
"सच ! देख आशु, मोटे तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है. इसको मोटा तगड़ा बनाए रखना. जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी."
"आप कितनी अच्छी हैं भाभी. वैसे भाभी इतने बड़े लंड को लॉडा कहते हैं."
"अच्छा बाबा, लॉडा. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना. तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा. इतना मोटा और लंबा लॉडा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा. "
"यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए."
"हट नालयक." भाभी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रही. जब मुझसे ना रहा गया तो बोला
"भाभी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूं."
"मैं तो नहा चुकी हूँ."
"तो क्या हुआ भाभी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी. चलिए लेट जाइए." भाभी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे. वो थोड़े नखरे कर के मान गयी और पेट के बल चटाई पर लेट गयी. भाभी ब्लाउस तो उतार दो तैल लगाने की जगह कहाँ है. अब शरमाओ मत. याद है ना मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ." भाभी ने अपना ब्लाउस उतार दिया. अब वो काले रंग के ब्रा और पेटिकोट में थी. मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तैल लगाने लगा. चुचियो के आस पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती. फिर मैने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी बड़ी चुचिओ को मसल्ने लगा. भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी. वो आँखें मूंद कर लेटी रही. खूब अच्छी तरह चुचिओ को मसल्ने के बाद मैने उनकी टाँगों पर तैल लगाना शुरू कर दिया. जैसे जैसे तैल लगाता जा रहा था, पेटिकोट को उपर की ओर खिसकाता जा रहा था.
मेरा अंडरवेर मेरी टाँगों में फसा हुआ था, मैने उसे उतार फेंका. भाभी की गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की. धीरे धीरे मैने पेटिकोट भाभी के चूतदों के उपर सरका दिया.
अब मेरे सामने भाभी के बड़े बड़े , गोरे और गोल गोल चूतड़ थे. भाभी ने छ्होटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली पॅंटी पहन रखी थी जो कुच्छ भी छुपा पाने में असमर्थ थी.
उपर से भाभी के चुतड़ों की आधी दरार पॅंटी के बाहर थी. फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे. चुतड़ों के बीच में पॅंटी के दोनो तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लंबी काली झटें दिखाई दे रही थी. भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कछि में क़ैद कर रखा था. मैने उन मोटे मोटे चुतड़ों की जी भर के मालिश की जिससे पॅंटी चूतरो से सिमट कर बीच की दरार में फँस गयी.
ऋतु की चुदाई
मैं पहले ही बता चुका हू के ऋतु उमर मे काफ़ी छोटी थी पर उसका बदन बड़ा घाटेला था और उसके मस्त टाइट चुचियाँ गोल्फ बॉल जैसी छोटी और कड़क थी. कभी कमीज़ के अंदर ब्रस्सिएर पेहेन्ति कभी नही पेहेन्ति थी और जब ब्रस्सिएर नही पेहेन्ति तो चलते समय उसके चुचियाँ एक स्टाइल से डॅन्स करती दिखाई देती और मेरा लंड पॅंट के अंदर ही अंदर खड़ा हो जाता. ऋतु को तो मैं कब से चोदना चाहता था उसकी डॅन्स करती चुचियाँ और हिलते चूतदो को देख कर तो मेरा लंड बोहोत ज़ोर ज़ोर से फडकने लगता था पर कभी ऋतु को चोदने का मोका नही मिला था और साची बात तो यह है के उसको चोदने से डरता भी था क्यों के वो अभी बोहोत छोटी थी और अगर उसकी चूत फॅट गयी और उसने किसी को बता दिया तो एक नयी मुसीबत ही ना खड़ी हो जाए इसी लिए अभी डरता था पर अक्सर सोचता के कम से कम ऋतु से अपना लंड ही चुस्वा डालु और उसको अपने लंड की मलाई खिलाउ.
जैसा के अनु ने कहा था के ऋतु को मेरे और उसके के बारे मे पता नही चलना चाहिए तो मैं ने एक तरकीब सोची. अनु तो अपने मम्मी डॅडी के पास चली गई थी. मेरे मम्मी और डॅडी तो सुबह ही अपने ऑफीस चले जाते और मेरे एग्ज़ॅम्स भी ख़तम हो चुके थे और मैं घर पर ही रहता था. बरसात के दिन शुरू हो गये थे. कभी कभी बरसात होती थी कभी नही और कभी तेज़ होती कभी तो सिर्फ़ बूँदें ही पड़ के ख़तम हो जाती पर मौसम बोहोत ही अछा हो चुका था और ऐसे मौसम मे तो मेरे लंड मे बेचैनी कुछ और बढ़ गई थी. कॉलेज को छुट्टियाँ भी थी घर मे अकेला पड़ा रहता था.
उस दिन सुबह मे बारिश हो रही थे अभी धीमी गति से पड़ रही थी ज़ियादा तेज़ नही हुई थी. मेरे मोम और दाद दोनो सुबह ही ऑफीस को चले गये थे. थोड़ी देर मे ही काम वाली मासी आने वाली थी. मैं ब्रेकफास्ट कर के ऊपेर चला गया और अपने कमरे मे कंप्यूटर पे एक सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा देखते ही देखते बारिश बोहोत ही तेज़ी से होने लगी और बिजली भी बड़ी ज़ोर ज़ोर से कडकने लगी यह शाएद सीज़न की पहली ज़बरदस्त बरसात होने वाली थी मौसम बोहोत ठंडा हो गया था मुझे कॉफी पीने का मॅन करने लगा तो मैं स्टेरकेस पे आ गया और वही से नीचे पुकारने लगा के मासी एक कप गरमा गरम कॉफी तो भेज देना ऊपेर तो ऋतु नीचे से बोली के राज बाबू अभी मासी नही आई है अब पता नही इतनी तेज़ बारिश मे आती भी है या नही तो मैं ने कहा के तुम ही बना लाओ गरमा गरम कॉफी तो उसने कहा ठीक है और मैं ने साथ मे बोल दिया के अगर अभी तक मासी नही आई है तो नीचे का मेन डोर भी लॉक करदो उसने कहा ठीक है राज बाबू बंद कर देती हू और मैं ने ऊपेर से डोर लॉक करने की आवाज़ सुनी और इत्मीनान से अपने कमरे मे आ गया और खिड़की और डोर बंद कर के बैठ गया क्यों के ठंडी हवा चलना शुरू हो गई थी.
मैं ने सोचा के शाएद आज ऋतु को चोदने का मोका मिल जाए. मैं ने वो एन्वेलप निकाला जिस्मै मैं ने अनु ऋतु और शालु की अलग अलग और एक दूसरे की चूते चाट ते हुए पिक्चर्स अपने डिजिटल कॅमरा से छुप के ली थी और कंप्यूटर पे प्रिंट की थी वो एन्वेलप निकाला और बेड पे डाल दिया और मैं कंप्यूटर पे चुदाई के और लेज़्बियन्स लड़कियों के एक दूसरे की चूतो को चाट चाट के मज़े लेते हुए फोटोस देखने लगा. एक तो बोहोत ही क्लियर फोटो थी जिस्मै दो लड़कियाँ एक दूसरे की चूते चाट रही थी और दूसरी पिक्चर मे एक मोटा लंड चिकनी चूत मे आधा घुसा हुआ दिखाई दे रहा था आक्च्युयली कंप्यूटर स्क्रीन पे दोनो पिक्चर्स हाफ हाफ स्क्रीन पे थी और मेरा कंप्यूटर टेबल
ऐसी पोज़िशन मे था के ऋतु जब कॉफी ला के मुझे देगी तो शुवर्ली देख लेगी और अगर टेबल पे रखेगी तो पलट ते समय उसको कंप्यूटर स्क्रीन सॉफ नज़र आ जाएगा और स्क्रीन की पिक्चर देख लेगी. बारिश बोहोत तेज़ हो चुकी थी और दिन का समय ऐसा लगता था जैसे रात हो गई हो. थोड़ी ही देर मे ऋतु ऊपेर कॉफी की ट्रे ले के आ गई और मेरे पीछे रखी हुई सेंटर टेबल पे ट्रे रख के जैसे ही घूमी उसको कंप्यूटर के स्क्रीन पे सेक्स पिक्चर नज़र आ गई और उसके मूह से “छी छी राजा बाबू यह क्या देख रहे हो” निकल गया तो मैं ने पूछा क्या हुआ ऐसी गंदी पिक्चर्स तो नही है इन्हे देखने से क्या होता है तो वो बोली यह सब अच्छी चीज़ नही है और तेज़ी से मेरे कमरे से बाहर निकलने लगी तो मैं ने फिर से पुकारा ऋतु सुनो तो वो डोर के पास ही रुक गई पर पलट के मेरी तरफ नही देखा तो मैं ने कहा वाहा देखो मेरे बेड पे एक एन्वेलप पड़ा है वो इधर लाओ, तो ऋतु पलट के वापस आ गई और एन्वेलप उठा के अपने मूह को दूसरी तरफ करते हुए मुझे एन्वेलप देने लगी तो मैं ने कहा तुम देखो इस्मै क्या है तो वो शरमाते हुए बोली के नही मुझे नही देखना है यह वैसी ही पिक्चर्स होगी जैसे आप कंप्यूटर पे देख रहे हो तो मैं ने कहा अरे नही ऋतु यह ऐसी वैसी पिक्चर्स नही है यह तो अनु के कॉलेज के फंक्षन्स के फोटोस है आज ही डेवेलप करवा के लाया हू तो वो खुशी से एन्वेलप खोलते
थोड़ी देर तक लंड ऐसे ही अनु की चूत मे डाले रखने के बाद वो रिलॅक्स हो गई और उसकी ब्रीदिंग नॉर्मल हुई तो उसकी लंबी बाहों एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी टाँगें भी मेरी टाँगों से लिपट रही थी जैसे ठीक से चुदाई के लिए पोज़िशन ले रही हो थोड़ी देर मे मुझे लगा के अब वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैं ने लंड को थोड़ा सा बाहर निकालते हुए एक भरपूर शॉट मारा और मेरा यह शॉट इतना पवरफुल था के वो आआआआआआहह र्र्र्र्र्र्र्ररराआआआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज ऊऊऊऊऊऊओिईईईईईईईई म्म्म्ममममममममममाआआआआआआआ कहते हुए मुझ से
लिपट गयी और मैं अपनी गंद उठा के उसको मस्ती मे चोदने लगा. थोड़ी देर मे ही अनु भी मज़े ले के चुदवा रही थी उसका सारा दरद ख़तम हो गया था. अब वो मेरे लंड पे ठीक से बैठी थी और उछल रही थी जिस से उसकी चुचियाँ भी हिल हिल के डॅन्स कर रही थी.. जैसा मैं पहले बता चुका हू के सब कुछ नॅचुरली ही इंसान सीख जाता है उसी तरह से अनु भी उछल उछल के चुदवाना सीख गई थी. उसके बाल हवा मे उड़ रहे थे, उसके मस्त बूब्स डॅन्स कर रहे थे मैं उनको अपने हाथो से पकड़ के दबाने और मसल्ने लगा. अनु ने अपने हाथ मेरे चेस्ट पे रखे हुए थे और मेरे लंड पे उछल रही थी. अनु की छोटी सी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी और मेरा लंड उसकी चूत के गहराइयों मे घुस्स चुका था और उसकी बच्चे दानी से लग रहा था. अनु के मूह से मस्ती की आआआअहह राअज्जजज्ज्ज्ज्ज ब्बूहूऊऊऊऊथततटटतत्त मज़ाआअ आआआआआआ र्र्र्र्ररराआआआहहााअ हीईईईईईईईईईई आआआअहह ऊऊऊऊओ और उसकी स्पीड बढ़ गई अब तो तेज़ी से उछल रही थी और उसके मूह से एक बड़ी सी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स और आआआाअगगगगगगगगगगगगगघह की आवाज़ निकली, उसका बदन थर थर काँपने लगा और वो मेरे बदन पे गिर पड़ी और झड़ने लगी. मैने उसको टाइट पकड़ा हुआ था और वो मेरी बाँहो मे काँप रही थी और झाड़ रही थी. उसकी चूत मे से जूस निकल निकल के मेरे लंड के डंडे से नीचे मेरे गंद के क्रॅक तक चला गया और बेडशीट पे गिरने लगा मैं ऐसे लंड उसकी चूत मे डाले लेटा रहा और वो झड़ती रही उसकी गीली चूत मेरे लंड पे खुल बंद खुल बंद होती रही और चूत के मसल्स मेरे लंड को टाइट पकड़े रहे.. जब उसका ऑर्गॅज़म ख़तम हो गया और उसका झड़ना बंद हो गया तो वो दीवानो की तरह से मेरे मूह पे किस करने लगी और बोलने लगी के राज्ज्जज मुझे तो पता ही नही था के सेक्स मे इतना मज़ा होता है और ऐसा मज़ा तो कभी भी नही मिला. यह क्या कर दिया है तुम ने मुझे. मैं मुस्कुराने लगा और बोला के यह हेट्रोसेक्स मे जो मज़ा है वो होमोसेक्श मे और लेज़्बियेनिज़्म मे नही उस्मै तुमको मज़ा ज़रूर आता होगा लैकिन चूत को ऐसा सॅटिस्फॅक्षन उसी वक़्त मिलता है जब उस्मै चुदाई के बाद लंड मे से निकला हुआ गरम गरम लावा गिरने से मिलता है. लड़की को जब किसी तगड़े लंड का मज़ा लगता है तो वो मज़े से दीवानी हो जाती है और सॅटिस्फाइ हो जाती है इसी तरह से आज तुम्हारी चूत को ऐसा ही एक लंड मिला है जिसने तुम्हारी चूत की प्यास को बुझा दिया. अनु बोली के पर राज मुझे तो ऋतु से भी मज़ा आता है और मैं उसके साथ भी कंटिन्यू करना चाहती हू तो मैं ने कहा ठीक है के कोई बात नही ऐसा होता है लड़की कभी कभी लड़की के साथ भी मज़ा लेती है और लड़के के साथ चुदवाती भी है कोई बात नही तुम ऋतु के
साथ अपने रिलेशन्स कंटिन्यू रख सकती हो तो अनु बोली के राज प्लीज़ ऋतु को नही बताना के तुम ने मेरे साथ यह सब किया है तो मैं ने कहा के कोई बात नही मैं ऋतु को कुछ नही बताउन्गा तुम फिकर ना करो.
मेरा लंड उसकी चूत मे ही फूल पिचक के साँस ले रहा था और इतनी देर मे उसकी चूत भी पूरी तरह से सॅटिस्फाइ हो के रिलॅक्स हो चुकी थी. मैं एक टाइम झाड़ चुका था और दूसरे टाइम इतनी आसानी से झड़ने वाला नही था इसी लिए अनु को अपने ऊपेर लिटाए मैं भी लेटा रहा. अनु मेरे बदन पे लेटी हुई थी और मेरे चेहरे पे किस करने लगी और ऐसे ही किस करते करते फिर से मेरे होंठो पे किस किया तो मैं ने अपना मूह खोल दिया जिस से उसने अपनी ज़ुबान मेरे मूह मे डाल दी और मैं उसकी टंग को चूसने लगा और दोनो फिर से टंग सकिंग किस करने लगे. मेरे दोनो हाथ उसके गंद पे थे और मैं उसके चिकने चूतडो को मसाज कर रहा था और दबा रहा था जिस से उसके बदन मे फिर से वासना जाग उठी और फिर से गरम हो गयी और मेरे लंड जो ऑलरेडी उसकी चूत मे रेस्ट ले रहा था उसपे पे आगे पीछे होने लगी. थोड़ी ही देर मे उसकी चूत फिर से गीली हो गई और वो फिर से मस्ती मे आ गई और मैं भी अपनी गंद उठा उठा के उसको चोदने लगा.
थोड़ी देर तक ऐसे ही धीमी गति से चोदने के बाद अब मे फिर से उसकी चूत मैं ज़ोर ज़ोर से झटके मारना चाहता था इसी लिए अनु को पलटा दिया और अब वो नीचे बेड पे पीठ के बल लेट गई और मैं उसके ऊपेर आ गया. अनु के पैर ऑटोमॅटिकली उठ गये और मेरे बॅक से लिपट गये.
मैं बड़ी स्पीड से अनु की टाइट चूत को चोद रहा था कमरे मे चुदाई की पच पच की आवाज़ें आ रही थी और मुझे भी लगा के अब मैं भी झड़ने वाला हू तो अनु को टाइट पकड़ लिया और पूरा लंड सूपदे तक उसकी चूत से बाहर निकाल के एक और पवरफुल स्ट्रोक मारा और मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत के बोहोत अंदर तक घुस्स के उसके बच्चे दानी से टकराया और मेरे लंड से गरम गरम मलाई की मोटी मोटी पिचकारियाँ निकलने लगी. मेरी मलाई निकलती ही रही और इतनी निकली के उसकी चूत भर गयी लैकिन मैं फिर भी उसे दीवानो की तरह से चोदे ही जा रहा था. मेरी मलाई अनु की चूत मे गिरते ही अनु एक बार फिर से काँपते हुए झड़ने लगी और मुझे टाइट पकड़ लिया. जब मेरी मलाई कंप्लीट निकल चुकी तो मेरे धक्के धीरे धीरे कम हो गये और मैं रुक गया और लंड को अनु की चूत के अंदर ही छोड़ के उसके ऊपेर गिर गया और हम दोनो की साँसें गहरी गहरी चल रही थी आँखें बंद थी. जब हम दोनो अची तरह से झाड़ चुके तो अनु ने मुझे अपने ऊपेर से धकेल दिया और मैं उसके बदन से लुढ़क केगेहरी गहरी साँसे लेता हुआ उसके बघल मे लेइट गया. मेरा लंड अनु की चूत के बाहर निकल चुका था पर उसकी छूट का सुराख जो काफ़ी बड़ा हो चुका था वो अपने आप ही खुल बंद हो रहा था जैसे उसकी चूत के मसल्स अभी भी मेरे लंड को निचोड़ रहे हो.
थोड़ी देर के बाद जब अनु की ब्रीदिंग नॉर्मल हुई और दरद कुछ कम हुआ तो उसने मेरी तरफ अजीब नज़रो से देखा और पूछा तुम्है कैसे पता चल मेरे और ऋतु के बारे मे तो मैं ने बोला के मैं विंडो से देख रहा था और तुम लोगो की बातें भी सुन चुका हू और दोनो को किस करते हुए और नंगे
हो के एक दूसरे की चूतो को चाट ते हुए भी देखा है तो उस ने कहा राज्ज्ज प्लीज़ यह बात किसी को भी नही बताना नही तो मैं बदनाम हो जाउन्गी वो गिड़गिदाने लगी. ऋतु से भी नही कहना प्लीज़ तो मैं ने कहा के ठीक है किसी को भी नही पता चलेगा पर जब मेरा मूड होगा मैं तुम्है चोदुगा तो उस ने कहा के नही राज्ज्ज प्लीज़ मुझे बोहोत दरद हुआ है प्लीईएसस्स नही करो ना कही मैं प्रेग्नेंट हो गई तो मुसीबत ही खड़ी हो जाएगी तो मैं ने कहा के मैं जो जेल्ली यूज़ कर रहा हू वो स्परमिसाइडाल है उस से प्रेग्नेंट नही होते और कॉंडम भी लगाने की ज़रूरत नही पड़ती तो और स्किन टू स्किन चुदाई का मज़ा ही कुछ और है ऐसा मज़ा जो कॉंडम लगा के चोदने मे नही आता और लंड की क्रीम चूत मे गिरने से प्रेग्नेंट भी नही होती बड़े कमाल की है यह जेल्ली. वो कुछ सोचने लगी पर कुछ बोली नही शाएद वो मेरी इच्छा से सहमत हो गई थी या ना-चाहते हुए भी ज़बरदस्ती राज़ी हो गई थी. जब मैं ने टेबल लॅंप जला दिया और उसको जेल्ली का डिब्बा दिखाया जिसपे स्परमिसाइडाल (स्पर्म को मारने वाली) लिखा हुआ था तो उसके चेहरे पे इत्मीनान आ गया और मैं ने जेल्ली को टेबल पे रख के टेबल लॅंप बंद कर दिया.
थोड़ी देर हम दोनो ऐसे ही लेटे रहे. मेरे लंड को अनु की चूत की भूक अभी ख़तम नही हुई थी मैं अनु को एक बार और चोदना चाहता था. उसके मस्त बूब्स को दबाने लगा और उसके पिंक कलर के किशमिश जैसे निपल्स को भी अपने मूह मे ले के चूसने लगा. अनु और मैं दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट से लेटे थे. इतनी देर मे मेरा मूसल जैसा लंड फिर से तंन के खड़ा हो गया था और अनु की चूत के सुराख के सामने मस्ती मे लहराने लगा. मैं ने अनु का हाथ पकड़ के अपने अपने लंड पे रख दिया तो अनु ने अपना हाथ हटा लिया पर मैने फिर से उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखा तो उसने लंड को फिर भी नही पकड़ा पर अपना हाथ लंड पे से हटाया भी नही. अपने एक हाथ से अनु की चूत के सहलाने लगा तो अनु ने ऑटोमॅटिकली अपनी एक टांग उठा के मेरे हिप पे रख ली जिस से उसकी चूत थोड़ी सी खुल गई और फिर अनु ने खुद ही मेरे लंड को अपने हाथ मे ले के पकड़ लिया और दबा दिया और बोली उफफफफ्फ़ राज्ज्जज्ज यह तो बोहोत ही मोटा और बड़ा है. यह मेरे इतने छोटे से सुराख मे कैसे घुस गया यह मैं ने कहा के यह एक नॅचुरल बात है. चूत के मसल्स अपने आप ही बड़े और मोटे लंड के हिसाब से अड्जस्ट हो जाते हैं तो वो बोली के मुझे ताज्जुब है के मेरे इतने छोटे से सुराख मे यह इतना बड़ा और इतना मोटा कैसे समा गया. इतनी देर मे मैं अपने हिप्स को आगे पीछे कर के उसके हाथ मे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और कभी मेरा लंड उसके हाथ से आगे निकलता हुआ उसकी चूत से टकराने लगा. ऐसी बोहोत
सी चीज़ें होती है जो इंसान ऑटोमॅटिकली खुद से ही सीख जाता है. इसी तरह से अनु ने भी मेरे लंड के डंडे को पकड़ के लंड के सूपदे को अपनी चूत के अंदर ऑटोमॅटिकली रगड़ना शुरू कर दिया. मेरे लंड मे से प्री कम कंटिन्यू निकल रहा था. जब मेरे मूसल लंड का सूपड़ा अनु की क्लाइटॉरिस से टच करता तो उसके मूह से आआआआआहह और ऊऊऊऊऊऊऊहह जैसी मस्ती भरी आवाज़ें निकल जाती.
हाथ उसके बदन के दोनो तरफ रख के एक ही ज़ोर दार झटका मारा तो मेरा लंड उसकी चूत मे आधा घुस्स के अटक गया और अनु के मूह से एक खोफ़नाक चीख निकल गई व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्वूऊऊऊऊऊऊऊऊओईईईईईईईईईईईए म्म्म्ममममममममममममाआआआआआआआआआआआआआअ उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
आआआआआआआऐईईईईईईईईई हह और उसके साथ ही उसकी मस्ती ख़तम हो गई और उसकी आँख खुल गई और मुझे अपने ऊपेर चढ़ा देख के मेरे मूह पे थप्पड़ मारा और बोली यह क्या कर रहा है तू बदतमीज़ दीवाना तो नही हो गया मैं अभी जा के आंटी से बोलती हू और साथ मे वो दरद से तड़प भी रही थी उसके आँखो से आँसू निकल के बेड पे गिर रहे थे वो बहुत ज़ोर ज़ोर से रो रही थी. मुझे अपने ऊपेर से धकेल रही थी और बोल रही थी के राज्ज हट जा प्लीज़ मुझे बोहोत दरद हो रहा है यह क्या कर रहा है तूऊ मैं आंटी से बोल दुगी आआआआआईईईईईईईईई सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उउउउउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ . दर्द से उसने अपना नीचे वाला होन्ट अपने दांतो से दबा रखा था और मुझे अपने ऊपेर से धकेल रही थी पर मैं ने उसको बोहोत ही मजबूती से पकड़ा हुआ था मेरी ग्रिप बोहोत टाइट थी.
ऊऊऊऊओिईईईई ऱीईईत्त्त्तुउउउउउउउउउउउउउउउउउ मैईईईईईईईईईई आआआ र्र्राआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईइ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हुउउउउउउउउउउउउउउउउउउ आआआआआहह और शालु का बदन भी काँपने लगा और वो भी झड़ने लगी. शालु और ऋतु दोनो झाड़ के शांत हो चुके थे.
थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे फिर तीनो बेड पे एक साथ लेट गये ऋतु को बीच मे लिटा दिया और एक तरफ अनु और दूसरी तरफ शालु थी एक दूसरे से चिपके हुए थे उनके कमरे से तीनो की चूतो से निकले हुए रस्स की मधुर सुगंध आ रही थी और मेरे लंड को दीवाना बना रही थी. मैं ने महसूस किया के मेरे लंड से बिना मूठ मारे के मलाई की गाढ़ी गाढ़ी पिचकारियाँ निकल रही है और उड़ उड़ के दीवार पे गिर रही है.
घड़ी देखी तो रात के 3 बज रहे थे. कमरे मे अनु और शालु तो नंगे ही गहरी नींद सो गये पर ऋतु को नीचे सोना था इसी लिए वो अपनी जगह से उठ गई और दोनो के नंगे बदन पे एक एक शॉल डाल के अपने कपड़े पहेन के नीचे उतर गई. मैं भी अपनी जगह से हट गया और चेक कर लिया के सारा वीडियो और पिक्चर्स बोहोत ही अछी तरह से रेकॉर्ड हुई थी. मेरे चेहरे पे एक मुस्कान आ गई और एक प्लान बना ने लगा और फिर पता नही चला के मैं कब सो गया.
सुबह को ब्रेकफास्ट की टेबल पे अनु और शालु ऐसे पोज़ कर रही थी जैसे रात उनके बीच कुछ हुआ ही नही और वो ऐसे अपनी पढ़ाई की बातें कर रही थी जैसे सारी रात पढ़ाई कर रही हो. मैं दिल ही दिल मे मुस्कुराने लगा और उनकी आक्टिंग की दाद देने लगा के दोनो बड़ी ज़बरदस्त आक्टर्स है. इसी तरह से दिन बीत ते गये, कभी अनु और ऋतु तो कभी अनु, शालु और ऋतु अपने अपने चूत चटाई के खेल मे लगे रहे. और मेरे पास वीडियोस और पिक्चर्स का अछा ख़ासा स्टॉक जमा हो गया. कुछ दीनो बाद अनु के एग्ज़ॅम्स शुरू भी हो गये और ख़तम भी हो गये. मुझे पता चला के अनु एक वीक के अंदर अपने मम्मी और डॅडी के पास छुट्टियो मे चली जाएगी तो मैं सोचने लगा के मुझे उसके जाने से पहले ही कुछ करना होगा जिसका चान्स मैं ने एक दिन पा ही लिया.
हुआ ऐसे के उस रात मेरे मम्मी और डॅडी आस यूषुयल खाना खा के सो गये. ऋतु मेरे मम्मी के टाँगें दबाने के बाद मम्मी के सोने का वेट करती रही और उनके सो जाने के बाद हमेशा की तरह दबे पाँव ऊपेर आ गई और अनु के कमरे मे घुस के अंदर से डोर लॉक कर लिया. मैं तो अनु को चोदने की
प्लॅनिंग करते हुए जाग ही रहा था. इतने दीनो मे मैं ने बीच की विंडो को ऐसे अड्जस्ट कर लिया था के मुझे उनके रूम का एक एक भाग अछी तरह से सॉफ नज़र आए ऋतु जब कमरे मे आई तो उस वक़्त तक अनु थक्क के सो चुकी थी क्यॉंके एग्ज़ॅम्स की तय्यारी के लिए रातो मे जाग जाग कर भी पढ़ाई किया करती थी. कमरे की सारी लाइट्स बंद थी और अंदर पूरा अंधेरा था मुझे भी बड़ी मुश्किल से ही दिखाई दे रहा था. आज अनु कपड़े पहेन के ही सो गई थी शाएद उसे पता था के ऋतु आज नही आएगी या फिर इतनी थक्क चुकी थी के लेट ते ही सो गई. ऋतु अंदर आ गई और डाइरेक्ट अपने कपड़े उतार के सीधे बेड पे चढ़ गई और अनु की नाइटी को ऊपेर करने लगी और उसकी जाँघो तक उठा दिया. आज अनु नाइटी पहेन के सोई थी. ऋतु अनु के थाइस पे अपने हाथ ऐसे फेरने लगी के हाथ अनु की चूत पे भी टच हो रहे थे. आज मैं पिक्चर्स या वीडियो नही बना रहा था क्यॉंके मेरे दिमाग़ मे एक नया प्लान बन रहा था. ऋतु ऐसे ही अनु की जाँघो पे अपना हाथ फेरती रही और धीरे धीरे मसाज करती रही. अब ऋतु से सबर नही हो रहा था तो वो अनु की टाँगें थोडा सा खोल के उनके बीच मे लेट गई और अनु की चिकनी चूत को किस करने लगी. अनु इतने गहरी नींद मई थी के अभी उसको पता भी नही चला के ऋतु उसकी चूत पे किस्सस कर रही है और चाटना शुरू कर चुकी है. थोड़ी देर के बाद शाएद अनु की आँख खुल गई और उसने अपनी टाँगें घुटनो से मोड़ के खड़ी कर ली और ऋतु को अपनी चूत चाटने का अछा मोका दिया. थोड़ी ही देर मे अनु फुल मूड मई आ गई और उसका सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया और सिसकारिया भरती हुई बोलने लगी आआआहह ऱीइत्त्तुउउउउउउउउउउउउ आआअहह बूऊहूऊततततत्त आकककचहााआ ल्ल्लाआअग्ग्ग्ग ऊऊओह आईसीईई शियीयीयियीयियी कक्चहााअटततटटटटतत्त आआहह और अनु अपनी गंद उठा के ऋतु के सर को अपने हाथो से पकड़ लिया और अपनी चूत मे ऋतु के मूह को घुसेड़ने लगी और अपनी चूत को ऋतु के मूह मे रगड़ने लगी. अनु की गंद बेड से तकरीबन 6 इंच तक ऊपेर उठ चुकी थी और ऋतु के मूह पे रगड़ रही थी और एक ज़ोर से आआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ऊऊऊऊऊवगगगगगगघह की आवाज़ अनु के मूह से निकली और अनु का बदन अकड़ने लगा उसकी गंद बेड से ऊपेर उठ गयी और उसका बदन किसी कमान की तरह से मूड गया और वो काँपते हुए झड़ने लगी और फिर थोड़ी ही देर मे उसका बदन शांत हो गया और वो गहरी गहरी साँसें लेने लगी और फॉरन ही खर्राटे मारने लगी और गहरी नींद सो गयी.
शालु ने अनु के सर को ज़ोर से पकड़ के अपने सीने से दबा लिया और सिसकने लगी आआआअहह आनुउउउउउउउउउउउउउउउउउउ मेरिइईईईईईईईईईई जाआआआआआआन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न आईसस्स्स्सीईई हीईीईईईईई कार्रर्ररर आअहह और उसकी रानो पे ऐसे आगे पीछे होने लगी जैसे जॉकी हॉर्स रेसिंग मे घोड़े पे आगे पीछे होता है. थोड़ी देर के बाद शालु बोली अनु मुझे भी तो अपनी चूत का स्वाद दे तो अनु पलट गई और दोनो 69 की पोज़ीशन मे आ गये. अनु घुटने मोड़ के शालु के सर के दोनो तरफ अपने पैर रख के झुक गई और शालु की चूत मे मूह डाल के किस करने और उसकी चूत चाटने लगी तो शालु ने अपने टाँगें मोड़ ली और अपनी गंद उठा उठा के चूत को अनु के मूह पे मारने लगी. आनू के दोनो हाथ शालु की गंद के नीचे आ गये और उसके चूतदो को उठा के अपने मूह मे उसकी चूत लेने लगी. अनु जो शालु के ऊपेर थी अपनी गंद उठा उठा के चूत को शालु के मूह पे मारती रही जैसे उसके मूह को चोद रही हो. दोनो एक दूसरे की चूतो को चाट ते रहे और सिसकारियाँ भरते रहे आआआआआआआहह षाआअल्लुउउउउउउउउउउउउउ आज तेरी चूत तो कुछ ज़ियादा ही रसीली और स्वादिष्ट हो रही है रे आहह देख कितना रस्स छोड़ रही है तो शालु बोली हा क्या करू कितने दिनो से तड़प रही हू और अगर आज मैं तेरे पास नही आती तो शाएद मैं पागल हो जाती इतना मूड आ गया था और तेरे मूह मे अपनी चूत का सोच सोच के सुबह से ही मेरी चूत बार बार गीली हो रही थी आअहह आईसीईए हीईीईईईईई काआररररर आन्न्न्न्नुउउउउउउउउउउउ मैईईईई आआआ रहियीईईईईईईईईईईईईई हूवूऊयूवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊयूयुयूवयू... आअहह मैईईईईईईईईई आआआअ र्रर्राआआअहहिि हुउउउउउउउउउउउउउ और शालु का बदन बुरी तरह से काँपने लगा और वो झड़ने लगी. शालु की चूत से रस्स का फव्वारा फूट पड़ा. अनु शालु की चूत का
सारा रस्स पीती रही और अब उसके धक्के भी तेज़ होने लगे और एक ही मिनिट के अंदर अनु के मूह से निकला आआआअग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्स्स्श्ह्ह्हाआआल्ल्ल्ल्ल्लुउउउउउ मैईईईईईईईईईई भ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हीईईईईईइ आआआआआअ र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररराआआहहिईीईईईईईई हुउउउउउउउउउउउउउ और वो भी काँपते हुए झड़ने लगी और बे दम हो के उसके ऊपेर गिर पड़ी. दोनो गहरी गहरी साँसें लेने लगी.
दोनो के मूह से आआग्ग्ग्घ्ह्ह्ह उउउउग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह उउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज़ आई और मैं ने देखा के अनु की ग्रिप और टाइट हो गई और दोनो के बदन कापने लगे दोनो जैसे थक्क गये हो और ऋतु का बदन अनु के बदन के ऊपेर गिर पड़ा दोनो ऐसी गहरी गहरी साँसें ले रही थी जैसे लंभी रेस लगा के आई हो.
थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे लंबी लंबी साँसें लेती रही और फिर जब उनकी ब्रीदिंग नॉर्मल हुई तो ऋतु ऐसे ही अनु के बदन पे लेटे लेटे ही नीचे को सरकने लगी और अनु की चुचिओ को अपने मूह मे ले के चूसने लगी तो फॉरन ही अनु ने ऋतु का सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा लिया अनु को बोहोत मज़ा आने लगा था अपनी चुचिओ को चुसवाने का. ऋतु !अनु की चुचिओ को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे दूध पी रही हो. एक चुचि फिर दूसरी चुचि चूस्ति रही और ऐसी पोज़िशन मे ऋतु की चुचियाँ अनु के थाइस से रगड़ने लगी. थोड़ी देर ऐसे ही चुचिओ को चूसने के बाद देखा के अनु अब ऋतु के सर को नीचे की ओर धकेल रही है जैसे कोई सिग्नल दे रही हो और ऋतु ने भी उसके सिग्नल को फॉरन समझ लिया और नीचे को स्लिप हो गई और अनु की दोनो टाँगो के बीचे मे लेट गई और अनु की चिकनी चूत को किस करने लगी. ऋतु अपना मूह ऊपेर उठा के बोली दीदी तुम्हारी चूत मे से तो मस्त ख़्श्बू आ रही है और तुम्हारी चूत का शेहेद (हनी) भी तो बोहोत ही मीठा है तो अनु हसणे लगी और बिना कुछ बोले के ऋतु के सर को अपनी चूत मे धकेल दिया और अपने दोनो पैरो को ऋतु के बॅक पे फोल्ड कर दिया और अपनी गंद उठा उठा के ऋतु के मूह मे अपनी चूत घुसाने लगी. ऋतु भी फुल जोश मे आ गई और अनु की पूरी चूत को अपने मूह मे भर लिया और अपने दांतो से अनु की चूत को काटने लगी जिस से अनु मस्ती और जोश मे तड़पने लगी और अपनी गंद उठा के अपनी चूत से ऋतु के मूह को चोदने लगी. अनु की गंद बेड से तकरीबन 6 – 8 इंच ऊपेर उठी हुई थी और उसकी आँखें फिर से बंद हो गई थी और उसके मूह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी आआआआआआहह ऱीतुउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउउ आआअहह आईईसस्स्स्सीईईईई हहिईीईईईईई काअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर मेरिइईईईईईईईईई ज्ज्ज्ज्जाआआआन्न्ननननननणणन् आआआहह
खााआआआआआअ लीईईईईईई मेरिइईईईई चूऊऊऊऊऊऊऊथत को काआआआआआआत्त्त दाआआआआआआल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल साआआअलीईईए कूऊऊऊऊओ. मैं अनु के मूह से ऐसी बातें सुन के हैरान रह गया के अनु ऐसी गंदी बातें भी कर सकती है काइया. आईईईईईईई रीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईत्त्त्टटटटटटटटटतत्त उउउउउउउउउउउउउउउउउउउ ऊऊऊऊऊओिईईईईईई म्म्म्ममममममाआआआआ और फिर देखा के अनु की गंद जल्दी जल्दी ऊपेर नीचे हो रही है और वो ऋतु का सर पकड़ के अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से ऋतु के मूह मे रगड़ने लगी. ऋतु का सर अभी भी अनु ने अपने हाथो से पकड़ा हुआ था और अनु ने ऋतु के सर को अपने दोनो जाँघो के बीच मे बड़ी ज़ोर से दबा लिया और अनु का बदन काँपने लगा और एक लंबी सी आआआआआआआआअग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊओह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स के साथ ही वो झड़ने लगी उसका बदन धीरे धीरे शांत होने लगा और फिर वो शांत हो गई उसका बदन ढीला पड़ गया दोनो हाथ और पैर बेजान हो के बेड पे गिर पड़े अनु लंबी लंबी साँसें लेने लगी. ऋतु थोड़ा ऊपेर को खिसक आई और अनु के साथ ही उसके साइड मे लेट गई और अनु की चुचिओ से खेलने लगी. थोड़ी देर के बाद जब अनु को ऑर्गॅज़म का नशा ख़तम हो गया तो वो दोनो एक दूसरे की तरफ मूह कर के करवट से लेट गये और धीरे धीरे किस करने लगे. अनु बोली ऋतु आज तो तू ने कमाल ही कर दिया ऐसा मज़ा मुझे भी इस से पहले कभी नही आया तो ऋतु बोली हा दीदी मुझे भी कभी नही आया और एक दूसरे के बदन से खेलते खेलते ऋतु बोली के दीदी पता है .......
उस दोपेहेर के बाद उन दोनो ने मुझे कोई शक नही होने दिया के उन के बीच मे कुछ रोमॅन्स चल रहा है. डिन्नर से पहले ही मोम और डॅड आ गये थे. हम सब ने साथमे डिन्नर लिया. मोम और डॅड तो ऑफीस से थक्क के आते थे और खाने के थोड़ी ही देर मे सोने चले जाते. मैने डिन्नर टेबल पे बोल दिया था के मैं आज बोहोत थक्क गया हू और जल्दी ही सो जाउन्गा. डिन्नर के बाद अनु को नीचे ही छोड़ के ऊपेर आ गया और अपने रूम के डोर को हवा के लिए थोड़ा सा खुला रख के लाइट बंद करके खामोशी से अपने बेड पे लेट गया और गहरी नींद सोने की आक्टिंग करने लगा. अनु थोड़ी देर बाद ऊपेर आई और पहले तो मेरे रूम का डोर खुला देख के डोर के सामने आई और धीरे से अंदर झाँक के देखा जिसे मैं आध खुली आँखों से देख रहा था पर वो समझी के मैं सच मे गहरी नींद सो गया हू और वो टीवी रूम मे जा के टीवी देखने लगी. हमारे पास यूवरोसेट की डिश लगी हुई है जिसपे हॉटबर्ड चॅनेल्स आते है और लेट नाइट सेक्स चॅनेल्स भी ओपन हो जाते है जिसे मैं अकेले मे देखा करता था पर जब से अनु आई थी टीवी पे वो चॅनेल्स देखने का मोका नही मिलता था. टीवी की साउंड मुझे बोहोत ही धीमी आ रही थी जिस से पता चलता था के शाएद अनु सेक्स चॅनेल देख रही है
मैने शाम को ही मेरे और अनु के रूम के बीच की विंडो को इतना थोड़ा सा खोल दिया था के उसको शक्क ना हो और मैं उसके रूम मे झाँक के देख सकु. मैं ने कॉरिडर की लाइट भी बंद की हुई थी इस लिए बाहर कॉरिडर मे अंधेरा हो गया था. रात के तकरीबन 12:30 हो रहे होंगे टीवी की आवाज़ बंद हो गई और किसी के नीचे जाने की आवाज़ आने लगी शाएद अनु नीचे जा रही थी. मैं ने सोचा के शाएद पानी पीने गई होगी पर 5 मिनिट के अंदर ही मुझे अनु और ऋतु के ऊपेर आने की आवाज़ें आने लगी दोनो बोहोत धीमी आवाज़ मे बातें कर रही थी मुझे पता नही चल रहा था के क्या बातें कर रही हैं. अनु ने अपने कमरे मे जाने से पहले एक बार फिर से फिर मेरे कमरे मे झाँक के मुझे देखा के मैं सो गया या नही. मैं जान बूझ कर स्नोरिंग करने लगा मतलब खर्राटे लेने लगा तो उसे यकीन हो गया के मैं बोहोत गहरी नींद सो गया हू.
अनु के कमरे मे दोनो आ गये और अनु ने अंदर से डोर बंद करके लॉक कर दिया. हमारे रूम के बीच की विंडो थोड़ी खुली थी जिस्मै से मुझे ऋतु की आवाज़ आई वो पूछ रही थे के राज बाबू सो गये क्या तो अनु ने कहा हा कब का सो गया. जब मुझे पक्का यकीन हो गया के डोर अंदर से लॉक कर दिया है तो मैं बिना आवाज़ किए अपने बेड से नीचे उतर गया और विंडो के पास चला गया. अनु ने कमरे मे जाते ही अपने कमरे की लाइट्स बंद कर दी थी पर बाथरूम की लाइट जली रहने दी और बाथरूम का डोर भी बंद कर दिया. बाथरूम मे ऊपेर की तरफ हवा के लिए एक छोटी सी ओपनिंग थी जिस्मै से बोहोत ही धीमी लाइट कमरे के अंदर आ रही थी जिस से कमरा पूरा अंधेरा नही दिख रहा था बॅस ऐसे लग रहा था जैसे कॅंडल जली हुई हो. अनु और ऋतु के बदन मुझे सॉफ दिखाई दे रहे थे. थोड़ी ही देर मे मेरी आँखें भी अंधेरे मे देखने को अड्जस्ट हो गई थी और मुझे अब अंदर का सब कुछ ऑलमोस्ट सॉफ दिखाई दे रहा था. अनु का बेड ऐसी पोज़िशन मे था के मैं विंडो से अछी तरह से देख सकता था. मैं ने देखा के कमरे मे दोनो आते ही एक दूसरे से ऐसे लिपट गयी जैसे पुराने लवर्स हो और बोहोत दीनो के बाद मिल रहे हो. एक दूसरे को बे तहाशा डीप टंग सकिंग पॅशनेट किस कर रहे थे और अपनी चूते एक दूसरे से मिलाने के लिए अपनी अपनी गंद आगे पीछे कर रही थी जैसे खड़े खड़े एक दूसरे को चोद रही हो. ऐसे ही थोड़ी देर एक दूसरे को किस करते करते एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी. दोनो शलवार और कमीज़ पहने हुए थी. पहले दोनो के शर्ट्स उतर गये देखा तो दोनो की मस्त चुचियाँ नज़र आ रही थी. अनु की चुचियाँ गोल गोल थी और ऋतु की छोटे से लाइट कॉनिकल शेप की थी. एक के बाद एक दोनो एक दूसरे की चुचियाँ चूसने लगी और शलवार के ऊपेर से ही एक दूसरे की चूतो का मसाज करने लगी. और देखते ही
देखते दोनो ने एक दूसरे की शलवारो का नाडा खोल दिया और एक साथ ही दोनो की शलवारें नीचे फ्लोर पे गिर पड़ी और दोनो नंगी हो गयी और इधर मैं भी अपने कपड़े निकाल के नंगा हो गया मेरा लंड बोहोत ज़ोरों से अकड़ गया था और अनु और ऋतु की चूतो को स्प्रिंग की तरह से हिल हिल के प्रणाम करने लगा. दोनो ने भी ब्रस्सिएर नही पहनी हुई थी. अब मेरी आँखें कमरे की धीमी लाइट से ऐसे अड्जस्ट हो गई थी और मुझे इतना सॉफ दिखाई दे रहा था जैसे मैं दिन के टाइम मे देखता हू. मेरे दिमाग़ मे अचानक एक ख़याल आया और मैं अपना कॅमरा वाला मोबाइल और अपने डिजिटल कॅमरा जिस्मै धीमी लाइट मे भी अच्छे रिज़ल्ट की पिक्चर्स और वीडियो की फेसिलिटी थी उठा के ले आया और रेकॉर्ड करने लगा.
मेरे रूम मे एक विंडो थी जो अनु वाले रूम मे खुलती थी. पहले जब मेरी सिस्टर रहती थी तब हम पढ़ते थे तो आपस मे बातें भी कर लिया करते थे और बुक्स का एक्सचेंज भी इसी विंडो द्वारा
होता था. अनु वाले रूम और मल्टिपर्पस रूम के बीच मे भी एक विंडो लगी हुई थी जिसे खोलने की कभी ज़रूरत ही नही पड़ती थी पर अनु कभी कभी हवा के लिए खोल भी लिया करती थी वैसे तो हमारे रूम मे हवा और वेंटिलेशन के लिए कॉरिडर मे एक एक विंडो खुलती थी और जब यह विंडो खुली होती तो कॉरिडॉस मे से आते जाते कोई भी कमरे के अंदर का हाल देख सकता था. तीनो रूम्स मे अटॅच बाथ था. यूँ तो अनु के ज़ियादा फ्रेंड्स नही थे बस एक फ्रेंड थी शालिनी देवी जिसे वो शालु कह के बुलाती थी. शालु और अनु एक ही एज के थे और क्लास फेलो भी. शालु अक्सर अनु के पास आती जाती रहती थी और कभी कभी रात मे अनु के कमरे मे उसके साथ ही सो जाती थी और दूसरे दिन सुबह ब्रेकफास्ट कर के अपने घर चली जाती. कभी अनु उसके घर चली जाती और रात वही शालु के साथ ही सो जाती और सुबह वापस आ जाती यह नॉर्मल रुटीन था दोनो का. शालु हमारे पड़ोस मे ही रहती थी और अनु की क्लास फेलो थी इसी लिए दोनो की बोहोत दोस्ती थी. शालु की हाइट तकरीबन 5’ 6” होगी. वो भी बोहोत ही गोरे रंग की थी. कश्मीरी सेब जैसे गुलाबी गाल, मतकाती बड़ी बड़ी ब्राउन आँखें. उसके भी लाइट ब्राउन कलर के रेशमी बाल थे ज़ियादा बड़े तो नही कमर तक आते थे. शालु के चुचियाँ मेडियम साइज़ के एप्पल जैसे 34 साइज़ के थे बोहोत गोरे गोरे मलाई जैसे बिल्कुल उसके रंग के जैसे. वो अक्सर स्लीव्ले शर्ट पेहेन्ति थी जिस्मै से कभी कभी उसके चुचियाँ भी झाँकती रहती थी या कभी ब्रस्सिएर भी दिखाई देती थी. कभी ब्रस्सिएर पेहेन्ति कभी नही पेहेन्ति. और जब ब्रस्सिएर नही पेहेन्ति तो उसके शर्ट के ऊपेर से चुचिओ और निपल साफ दिखाई देते और जब अपने हाथ उठाती तो उसके चुचियाँ दिखाई देती जिन्हाई देख के हाथ मचल जाता और मंन करता के अभी साइड से हाथ घुसा के उसके मस्त चुचिओ को पकड़ के मसल डालु. बघल के बाल शाएद डेली शेव करती थी जिससे उसकी बघल हमेशा ही चिकनी रहती. उसकी एक ख़ास आदत थी वो हर थोड़ी देर मे अपने दोनो हाथ ऐसे ऊपेर करती जिस से उसकी बघल साफ दिखाई देती. वो शाएद अपनी बघल मे रोल ऑन पर्फ्यूम भी लगती थी इसी लिए उसके पास से एक मस्त स्मेल आती थी. वो मेरे साथ बात तो करती थी बस नॉर्मल फॉर्मल जैसी कोई ख़ास इंटिमेसी वाली बात नही करती थी. अगर कभी ऐसा होता के शालु हमारे घर आई और अनु नही मिली तो वो फॉरन ही वापस चली जाती मेरे साथ बैठ के गॅप शॅप भी नही लगती थी मेरी समझ मे नही आता था के क्या इन्न लड़कियों को मेल्स मे कोई इंटेरेस्ट नही है या फिर प्रॉबब्ली उसका कोई प्रेमी भी होगा और इसी लिए वो मेरे साथ कोई एक्सट्रा बात नही करती. उसकी नाक भी पतली थी और उसके लिप्स तो बोहोत ही सेक्सी थे गुलाबी कलर के लिप्स बड़े मस्त लगते थे ऐसा लगता था जैसे नॅचुरल लिपस्टिक लगी हुई हो. उसकी एक ख़ास आदत थी वो बार बार अपने लिप्स पे ज़ुबान फेरती
रहती जिस से उसकी पिंक नॉकीली टिप ऑफ दा टंग बोहोत सेक्सी लगती मंन करता के पकड़ के उसकी ज़ुबान को चूसना शुरू कर्दु. शालु, अनु से थोड़ी मोटी थी भरे भरे बदन वाली. शालु भी अक्सर शलवार कमीज़ ही पेहेन्ति थी और कभी जीन्स और टॉप भी पेहेन्ति. जीन्स और टॉप मे तो वो क़यामत लगती थी. उसकी चुचियाँ और चूतड़ भी अनु से थोड़े बड़े थे. ऑन दा होल शालु भी एक बोहोत ही सेक्सी और खूबसूरत लड़की थी जिसे चोदने का ख़याल हर किसी के मंन मे आ सकता था.
हमारे घर मे दो ( 2 ) हाउस्म्ड्स भी है एक खाना पकाने के लिए और दूसरी ऊपेर का काम करने के लिए जैसे रूम सॉफ करना बाथरूमस धोना और वॉशिंग मशीन मे कपड़े धोने और आइर्निंग करना वाघहैरा वाघहैरा. खाना पकाने वाली औरत अछी बड़ी उमर की थी और हमारे घर बोहोत सालो से काम करती थी बोहोत पुरानी थी इसी लिए हम सब उसको मासी कहते थे. मासी की उमर कोई 50 साल के लग भग होगी. अब तो मासी कहते कहते इतने साल हो गये थे के हमै उनका नाम भी याद नही रहा. दूसरी ऊपेर का काम करने वाली रितेश्वरी देवी जिसे शॉर्ट मे ऋतु पुकारते थे जो 14 – 15 साल की लड़की थी. रंग बोहोत गोरा भी नही और काला भी नही खुलता हुआ साफ रंग था. उसकी आँखें भी बड़ी बड़ी थी, सेक्सी लिप्स, चुचियाँ भी बोहोत ही छोटी छोटी थी शाएद अभी 28 के होंगे गोल्फ के बॉल जैसे छोटे छोटे थे, शाएद वो भी ब्रस्सिएर नही पेहेन्ति थी क्यॉंके जब वो चलती तो उसकी टाइट छोटी सी चुचियाँ उसके शर्ट के अंदर हिलती भी नही थी और निपल्स का उभार उसके शर्ट मे से सॉफ नज़र आता था. घाटेला बदन, हाइट भी ज़ियादा नही थी, होगी शाएद 4”5” या 5” की होगी. एक छोटी लड़की ही तो थी जिसे मजबूरी मे काम करना पड़ रहा था.. मोस्ट्ली शलवार कमीज़ पेहेन्ति और कभी कभी लोंग स्कर्ट और ब्लाउस भी पेहेन्ति थी.
और थोड़ी देर बाद थक कर मेरे ऊपर लेट गई मैने फिर भाभी दूधों को अपने मुँह में लिया और नीच्चे से धक्के देना शुरू कर दिया,अब भाभी दोनो पैर सीधे कर मेरे ऊपर लेट गई और हम आपस में एक दूसरे को घिसने लगे.मैने दोनो हाथ से भाभी की गांद को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.मेरा सपोर्ट पा भाभी खुश हो गयी और फिर मुझे पागलों समान चूमने लगी,मैने समझ गया कि शायद भाभी झड़ने वाली हैं,मैने धक्के और तेज कर दिए और थोड़ी ही देर में हम दोनो फिर झाड़ गये और ढेर हो गये.थोड़ी देर बाद भाभी मेरे ऊपर से हटी और ओढ़ने के लिए चादर ढूँढने लगी.
मैं – चादर मत ओढ़ो
भाभी- - क्यों अभी मंन नहीं भरा क्या
मैं – आपसे कभी मंन भर सकता है क्या, इतनी तपस्या के बाद तो आप मिली हो मुझे जी भर कर देखने दो.
उसके बाद मैने भाभी को सीधा लेटा दिया और पूरे शरीर के एक एक उभार को देखने, महसूस करने लगा. भाभी के दोनो दूध पूरे गोल और कसे हुए सीधे आसमान की तरफ देख रहे थे,मानो किसी मस्जिद के गुंबद हों जैसे.मैं बड़े ही हल्के हाथ से दोनो दूधों के चारों ओर हाथ घुमा लगा और महसूस करने लगा.फिर धीरे से निपल के ऊपर हाथ ले जाकर उसे उंगली से धीरे धीरे रगड़ने लगा.
भाभी – आपके हाथो में जादू है पूरा शरीर तय्यार हो जाता है.
मैं – ये जादू नहीं प्यार है, जो आप महसूस कर रहे हो.
भाभी – पहले क्यों नहीं मिले आप
मैं – जब मिले तब ही सही, मिले तो.
बातें करते करते में भाभी के पूरे शरीर को नाप रहा था.उनके पेट,कमर, नाभि,दूध,जांघें, हर एक भाग हर एक कटाव पर बड़े ही हल्के हल्के हाथ फिरा रहा था और उन्हे महसूस कर रहा था.
भाभी – मत करो मैं फिर तय्यार हो जाउन्गि
मैं – तो हो जाओ ना (ये कहते हुए मैने भाभी का हाथ नीच अपने लंड पर ले गया भाभी ने फिर उसे कस के पकड़ लिया और एक गहरी साँस ली)
भाभी – ये तो फिर तय्यार हो गया कितना गरम और कड़ा हो गया है
मैं – ये भी तो गरम हो रही है.(मैने भी नीचे हाथ डाल कर भाभी की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.)
भाभी – ये शैतानी करता है ना इसलिए ( भाभी मेरे लंड को हिलाते हुए बोली)
मैं – इसे इनको देखकर मस्ती चढ़ती है.हमेशा मुझे घूरते रहते है. (मैने भाभी के एक दूध को दबाते हुए कहा)
भाभी – ये आपको घूरते है कि आप.हमेशा यहीं नज़रें टिकी रहती है.
मैं – आपको कैसे पता.
भाभी – मुझे देखोगे तो मुझे पता नहीं चलेगा क्या.मैने बहुत बार आपको इन्हे घूरते हुए देखा है,और उन नज़रों का ही जादू है जो मैं आज आपके साथ ऐसे हूँ.
मैं – तो फिर इतने दिन परेशान क्यों किया.
भाभी – मैने कहाँ परेशान किया आप ही ने देर लगाई.
मैं – मुझे इतना परेशान किया अब मैं पूरा हिसाब लूँगा (ये कहते हुए मैं भाभी के ऊपर फिर से चढ़ गया और लंड अंदर डालने की क़ोस्शिश करने लगा)
भाभी – किसी काम का नहीं छोड़ोगे क्या?
मैं – थक गयी क्या
भाभी – थॅकी? आज तो पूरा शरीर लक हो गया.कब से प्यासी थी प्यार की.
मैं – मैं तो आपको जब से प्यार कर रहा हूँ आप ने मुझे कहाँ किया.
भाभी – अच्च्छा तो अभी तक क्या कर रही थी
मैं – वो तो मेरे प्यार का जवाब दे रही थी
भाभी – तो मैं अलग से कैसे प्यार करूँ
मैं – वो आप सोचो
फिर भाभी ने मुझे कस के गले लगा लिया और अपने ऊपर से उतार का बगल में लेटा दिया और चूमने लगी पहले गालों को फिर छाती पर फिर नीचे सरकते हुए मेरे लंड तक पहुँच गई अब मेरा लंड भाभी के दोनो दूधों के बीच में था और भाभी अपने दोनो हाथो से अपने दूधों को चिपका कर मेरे लंड को बीच में रख कर आगे पीछे करने लगी. फिर मेरे सूपदे के ऊपर चारों तरफ अपनी जीभ चलाने लगी बीच बीच में दाँत भी गढ़ा देती.फिर अपनी जीभ से पूरे लंड में ऊपर से नीचे फेरने लगी मेरा लंड इतना ज़्यादा टाइट हो गया था मानो उसे एक दो इंच और बढ़ना हो.भाभी अब मेरे अंडों तक पहुँच गयी थी एक एक कर मेरे दोनो अंडे मूह में ले रही थी.मेरा पूरा लंड अब भाभी के थूक से चमक रहा था.भाभी उसे हाथ से पकड़ कर मूठ मारने लगी. भाभी – ऐसे ही निकाल दूं .
मैं – ऐसे कैसे
भाभी – हिला हिला के
मैं – नहीं अब तो जो करेगा अंदर जा के ही करेगा
भाभी – फिर अंदर जाओगे
मैं –हां,नहीं जाऊं क्या?
भाभी – किसीने रोका है क्या
ये सुन के तो मैं मस्त हो गया मैं तुरंत भाभी के ऊपर आ गया और चूचियो (दूधों) के ऊपर बैठ गया और मैने अपना लंड भाभी के मूह में दे दिया भाभी बड़े ही प्यार से मेरे सूपदे पर अपनी जीभ फेरने लगी.भाभी के हाथ मेरे अंडों को सहला रहे थे.फिर भाभी ने मुझे नीचे कर दिया और खुद ऊपर आ गई अब भाभी के दोनो हाथ मेरी जांघों पर चल रहे थे और मूह मेरे लंड पर ठीक वैसे ही जैसे मैं भाभी की चूत चाट रहा था.कुच्छ देर चूसने के बाद भाभी भी अपने को रोक ना सकीं और अपनी चूत मेरी तरफ कर दी 69.मैने बिना देर किए भाभी की चूत में अपना मूह डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.
हाथ भाभी के स्तनों को सहला रहा था.
जी भर के होंठों रस पीने के बाद दूध पीने की बारी थी मैं धीरे से नीचे आया और भाभी के सलवार के गले से अंदर घुसने लगा.लेकिन भाभी के आधे दूध तक ही पहुँच पाया .फिर मैने भाभी का कुर्ता उठाया और भाभी के पेट को चूमते हुए भाभी के दूधों तक पहुँच गया पर भाभी ने ब्रा पहन रखी थी.मैने अपने दोनो अंगूठे भाभी की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे रोक दिया कहा
भाभी - अभी नहीं ये उठ जाएँगे
मैं – फिर कब
भाभी- - कल जब ये ऑफीस चले जाएँगे
और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई
सुबह मैं लेट ही उठा जब भाई के ऑफीस जाने का टाइम हो चुक्का था .जब तक मैं नहा के तय्यार हो गया.भाई के ऑफीस जाते ही मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा.
भाभी – लगता है सब्र नहीं हो रहा
मैं – कैसे होये सब्र, चलो ना
भाभी – पहले खाना खा लो
मैं – नहीं बाद में
भाभी – खा लो ताक़त आएगी
और जा कर मेरे लिए खाना ले आई.जब तक मैने खाना खाया भाभी बेड पर लेट कर टी.वी. देखने लगी.मैं खाना ख़तम कर के सीधे भाभी के बगल में लेट गया और भाभी को अपनी बाहों में भर कर किस करने लगा
भाभी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं भाभी को चूमते चूमते दूधों पर आ गया भाभी ने येल्लो कलर की सादी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही दूधों को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने भाभी के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए,एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब भाभी मेरे सामने ब्रा में थी . भाभी की ब्रा के अंदर भाभी के मस्त दूध एक दम कसे हुए थे.ब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही भाभी के दूध पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए ,हुक खुलते ही दोनो दूध आज़ाद हो गये.ब्रा को हटते ही मेरे सामने भाभी के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम कड़क ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लिया.और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा. अब तक भाभी का हाथ मेरे सिर पर फिरने लगा था.बीच बीच में भाभी मेरे सिर को अपने दूधों पर दबा रही थी जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था.मैं एक एक कर दोनो दूधों को पी रहा था कभी दोनो दूधों को मिलाता और दोनो निप्पालों को एक साथ मूह में डाल लेता (ये मेरी स्टाइल है) और दोनो निप्प्लो को एक साथ चूस्ता. भाभी के मूह से सिसकी निकल जाती.काफ़ी देर दूध पीने एक बाद मैं धीरे से भाभी के पेट पर किस करने लगा. पेट में किस करते करते एक हाथ से मैं भाभी की साड़ी उपर करता जा रहा था.थोड़ी देर में भाभी की चिकनी और कसी हुई जांघें मुझे दिखने लगी.अब मैने भाभी की जांघों को चाटना शुरू कर दिया.
चाट ते चाट ते मुझे भाभी की पॅंटी दिखाई दे रही थी भाभी ने काले कलर की पॅंटी पहन रखी थी.अब मैं और भाभी 69 के आंगल में आ गये थे.मैने पॅंटी के उपर से ही भाभी की चूत के ऊपर मूह रख दिया. चूत को टच करते ही भाभी एकदम से उचक गयी भाभी की इन अदाओं से मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था.मैने भाभी की चूत की दरार में पेंटी के ऊपर से ही एक उंगली फेरनी शुरू कर दी. भाभी का बदन अब अकड़ने लगा था. मैने मूह से ही भाभी की पेंटी को सरकाना शुरू कर दिया और दोनो हाथो से भाभी की जांघों को सहलाता जा रहा था. भाभी के हाथ भी मेरी जांघों पर चल रहे थे.पेंटी के थोड़ा नीचे सररकते ही भाभी की झांतें दिखने लगी मैं उनके साथ मूह और नाक से खेलने लगा फिर धीरे से और पेंटी सर्काई अब भाभी की चूत की दरार मुझे सॉफ दिखाई देने लगी.मैने अपनी जीभ भाभी की दरार में चलानी शुरू कर दी.
भाभी अपने टाँगों को चिपकाने की कोशिश करने लगी पर मैने दोनो हाथो से उसे फैला दिया और अपनी जीभ भाभी की चूत में अंदर बाहर करने लगा .मैं पागलों समान भाभी की चूत पर किस पे किस किए जा रहा था.अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैने भाभी की चूत को पेंटी से आज़ाद कर दिया ओूऊऊऊऊऊओ. क्या नज़ारा था भाभी की उभरी हुई चूत उसमे हल्के हल्के बाल ,एकदम कसी हुई चूत थी भाभी की मैने तुरंत अपनी जीभ से भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया.भाभी की चूत एकदम गीली हो चुकी थी शायद भाभी ने पानी छ्चोड़ दिया था.चूत पर जीभ लगते ही भाभी फिर उचकी लेकिन इस बार उनका हाथ मेरे लंड पर चला गया.मेरा लंड पहेले ही पेंट को टेंट बना चुक्का था.भाभी ने उसे पूरी ताक़त से दबा कर पकड़ लिया.मेरा जोश और बढ़ गया मैने अपनी जीभ भाभी की चूत के अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा.कभी भाभी के दाने को मूह में लेकर चूस्ता कभी उसे जीभ से हिलाता.भाभी भी अपने को रोक नहीं पा रही अब उनका हाथ मेरे लंड पर चलने लगा.मेरा पूरा ध्यान अब वही था, भाभी पहले पेंट के ऊपर से हल्के हाथो से मेरे लंड की लंबाई मोटाई माप रही थी फिर भाभी ने मेरी चैन खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया था और उसे
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ अब कहानी कैसी है ये तो आप ही मुझे बताओगे दोस्तो आज मैं आपको अपनी बिल्कुल रियल स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ.बात तब की है जब मैं कॉलेज पास कर के शहर में अपने भाई भाभी के पास नौकरी की तलाश में आया था .मेरी भाभी बहुत ही हँसमुख है.हमेशा मुस्कुराते रहती थी और मेरे भाई का उतना ही रूड नेचर था.इसलिए मेरी और भाभी की बहुत पटने लगी. हम आपस में खूब मज़ाक करते.धीरे धीरे मैं कब भाभी की ओर आकर्षित होने लगा मुझे पता भी नहीं चला.मुझे भाभी की खुश्बू बहुत अच्छि लगने लगी थी.जब कभी भी वो मेरे पास से गुजरती मैं गहरी सांस ले लेता.
एक दिन भाभी नहा के निकली और मेरा बाथरूम में जाना हुआ पूरा बाथरूम भाभी की खुश्बू से महक रहा था मेरे शरीर मे एक अजीब से सरसराहट दौड़ गई.अचानक मैने बाथरूम में पड़े भाभी के कपड़े देखे मेरा मंन मचल गया मैने बिना देर किए उन्हे उठाया और मूह में रख कर एक गहरी सांस ली आआआः मेरे पूरे शरीर मे एक लहर दौड़ गई. कपड़े लिपटे हुए थे मैने खोला तो देखा भाभी की गाउन के अंदर उनकी ब्रा और पेंटी थी.
सबसे पहले मैने ब्रा को उठाया और जी भर के देखा ये वोही ब्रा थी जो कुच्छ देर पहले भाभी के दूधों से चिपकी हुई थी .मैं ब्रा को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगा जैसे मानो वो मेरे भाभी के दूध हों काफ़ी देर तक चूसने के बाद मैने भाभी की पेंटी उठाई और अपनी भाभी की चूत समझ उसको सहलाने लगा यही पर चिपकी होगी भाभी की चूत उनके झट के बाल ये सोच सोच कर मेरा लंड तन कर मेरी चड्डी फाड़ने लगा.तभी मुझे ख़याल आया कि इसे अभी भाभी की चूत तो नहीं दिला सकता लेकिन अहसास तो दिला सकता हूँ मैने फटाफट अपनी चड्डी उतार कर भाभी की पेंटी पहन ली.ये सोच कर कि "जहाँ थोड़ी देर पहले ये भाभी से चिपकी थी अब मेरे से चिपकी है जहाँ भाभी की चूत थी वहाँ अब मेरा लंड है" यही सोचते सोचते मेरा हाथ मेरे लंड पर चलने लगा और थोड़ी ही देर में मैने मैने पिचकारी छ्चोड़ दी.भाभी की पूरी पॅंटी मेरे वीर्य से भर गई मैने जल्दी से उसे धोया और बाहर आ गया और सोचने लगा कल भाभी यही पॅंटी पहनेंगी,कितना अच्च्छा लगेगा .
अब भाभी को मैं और ध्यान से देखने लगा वाकई बहुत सुन्दर शरीर है मेरी भाभी का एकदम भरे और कसे हुए दूध,भारी सी गंद,कसा हुआ शरीर.मुझमे अब उसे पाने की ललक जाग गई.मैं दिनभर भाभी को तक्ता रहता झाड़ू लगाते,पोछा लगाते, खाना परोसते वो मुझे अपने आधे स्तनों के दर्शन करा देती .गर्मी के दिन चल रहे थे इसलिए भाभी पतले कपड़े पहनती थी,इसलिए मैं भाभी के अंदर का शरीर काफ़ी कुच्छ देख लेता था.खाना बनाते समय पीछे खिड़की से रोशनी आती थी जिसकी वजह से मैं भाभी के पूरे शरीर के एक एक उभारों को आसानी से देख सकता था.बस यही देख देख के रात मैं भाभी की कल्पना कर के रातें गीली किया करता था.
एक बार भाई काम से बाहर गया था उसी समय भाभी नहाने गई .मेरा तो नसीब खुल गया .मैं धीरे से बाथरूम के करीब गया और कोई सुराख ढूँढने काग़ा .आख़िर एक सुराग मिल ही गया .मैने जैसे ही उससे झाँका मेरे नसीब खुल गये भाभी झुक कर अपनी पेंटी उतार रही थी .बाथरूम थोड़ा छ्होटा था इसलिए मुझे भाभी के दूध काफ़ी नज़दीक से दिखाई दिए.
एकदम कसे हुए थे कड़क ,वाउ.फिर जैसे ही भाभी सीधी हुई तो मुझे भाभी के झट के बालों के दर्शन हुए पर कुच्छ ही देर के लिए हल्के हल्के बालों के बीच उभरी हुई उनकी मस्त जन्नत सी चूत, मैं तो पागल ही हो गया .भाभी बैठ गयी और नहाना शुरू कर दिया .लेकिन बाथरूम छोटा होने की वजह से मुझे अब सिर्फ़ उनकी पीठ दिखाई दे रही थी.फिर भी मैने अपनी कोशिश नहीं छ्चोड़ी सोचा कभी तो पलटेंगी,कुच्छ तो दिखेगा.और मेरा सय्याम काम आया कुच्छ कुच्छ देर मे मुझे भाभी के दूधों के दर्शन हो ही जाते.फिर नहाना ख़तम कर भाभी खड़ी हुई तो मुझे उनकी गांद के, झट के फिर दर्शन हुए उन्होने अपना पूरा शरीर पोंच्छा फिर अपनी झांतें.फिर कपड़े पहने पहले ब्रा फिर पेंटी. फिर गाउन मैं भाग कर अपनी जगह पर बैठ गया.लेकिन वो नज़ारा अब मेरी आँखों से हट नहीं रहा था. @aapkaraj फिर भगवान को मेरे पर तरस आया.एक बार भाभी खाना खाने के बाद घूमने जाने के लिए कहने लगी, भाई ने कहा मैं तो दिन भर का थका हूँ मैं नहीं जाउन्गा भाभी ने कहा भाय्या आप ही चलो.मैं तो खुश हो गया.
पर मैने कहा - छत पर टहलेंगे
भाभी ने कहा - क्यों
मैं -सड़क पर और लोग भी घूम रहे होंगे
भाभी - तो
मैं - मतलब मोहल्ले के लड़के वगिरह,वो आपको देखेंगे तो मुझे अच्च्छा नहीं लगेगा
भाभी - बड़ा ख़याल है मेरा.
मैं - क्यों नहीं होगा.
अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे. मालिश करते करते मैं उनकी चूत के आस पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुथि में भर लिया. भाभी की पॅंटी बिल्कुल गीली हो गयी थी. उनकी प्यासी बूर बहुत पानी छ्चोड़ रही थी.
"इसस्स…. आआ…. क्या कर रहा है. छ्चोड़ दे उसे, मैं मर जाउन्गि. तू पीठ पर ही मालिश कर नहीं तो मैं चली जाउन्गि."
"ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ." मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा. ऐसा करने से मेरा तना हुआ लॉडा भाभी की चूत से जा टकराया. अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छ्होटी सी पॅंटी थी. भाभी की चूत का रस जालीदार पॅंटी से निकल कर मेरे लंड के सुपरे को गीला कर रहा था. मैं भाभी की चुचिओ को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा.
लंड के दबाव के कारण पॅंटी भाभी की चूत में घुसने लगी. बड़े बड़े चूतादो से सिमट कर अब वो बेचारी पॅंटी उनके बीच की दरार में धँस गयी थी. भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
मुझसे ना रहा गया और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा भाभी की जालीदार पॅंटी को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया.
"आआआः…….ऊवू….उई माआ. ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया आशु. तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ. मुझे नहीं मालिश करवानी" लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की. मैने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया.
" अया …ऊवू तेरे लॉड ने मेरी पॅंटी तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा." मेरे मोटे लंड ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था. @aapkaraj भाभी आप तो कुँवारी नहीं हैं. आपको तो लंड की आदत है?"
"आआआः… मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं. चल निकाल उसे बाहर." लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था. उसने अपने चूतदों को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया. अब मैने भाभी की कमर पकड़ के एक और धक्का लगाया. मेरा लंड पॅंटी के च्छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया.
"आआआआआः… आहह….आहह. मर गयी ! छ्चोड़ दे आशु फॅट जाएगी. ऊवू…धीरे राजा. अभी और कितना बाकी है? निकाल ले आशु, अपनी ही भाभी को चोद रहा है." मैं भाभी की चुचिओ को मसल्ते हुए बोला
"अभी तो आधा से थोड़ा ही ज़्यादा गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो फिर निकाल लूँगा." "हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है" मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर 2 इंच और अंदर पेल दिया.
"भाभी, मेरी जान थोड़े से अपने इन मस्ताने चूतदों को और उँचे करो ना." भाभी ने अपने मस्त गोल चूतदों को और उँचा कर दिया. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतदों को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.
"आआआआआआआः………. मार डाला…….ऊवू .…अया…..अघ….उई…सी….आ… अया….. ओईइ….. माआ…… कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 8 इंच का मूसल घुसा दिया?" भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा.
भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चुतड़ों को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंदर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी कि उसमे से फ़च फ़च की मीठी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.
"तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया…..आ..एयेए.ह…..ऊवू..ओह."
अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई पॅंटी को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी.
भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी. उूुउउइई म्म्म्माआआआआ…… आ …क्या कर रहा है आशु?"
"कुच्छ नहीं भाभी आपका ये वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा. मैने सोचा इसकी भी सेवा कर दूं." ये कह कर मैने पूरी उंगली भाभी की गांद में घुसा दी.
मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी.
मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के क़िस्से थे. उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को चोदने के लिए पटाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था. मैं जान गया कि भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है.
अगले सनडे को मैने देखा कि भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय बाहर के नल पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली,
"आ आशु बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे." मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही . अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल जाँघो के बीच में से सफेद रंग की पॅंटी झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण पॅंटी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी. फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. पॅंटी चूत की फांकों में धँसी हुई थी. पॅंटी के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंदर जाने लगी.
मैने उदास हो कर पूछा " भाभी कहाँ जा रही हो ?" "
एक मिनिट में आई." थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.
मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी. तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.
पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था. चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. " क्या बात है आशु, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?" मैं बोला
"भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया."
"क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?" मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.
"भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ."
"हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?' यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं. आपकी कसम भाभी इतनी लाजबाब चूत तो मैने किसी फिल्म में भी नहीं देखी. भैया कितनी किस्मत वाले हैं. लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लंबे मोटे साँप की ज़रूरत है."
भाभी मुस्कुराते हुए बोली,
"कहाँ से लाउ उस लंबे मोटे साँप को.?"
"मेरे पास है ना एक लंबा मोटा साँप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा."
"हट नालयक." यह कहा कर भाभी कपड़े सुखाने छत पे चली गयी..
ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में नॉवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ
आ गया.
तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैने सिर्फ़ अंडरवेर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी.