मेरी स्पीड अपने आप स्लो हो गयी, मेरी नस्से[ नर्व्स] इतनी तन चुकी थी की हर मूव्मेंट मैं इतनी सारी फीलिंग आती थी की मैं चाह कर भी जल्दी झाड़ नही कर पा रहा था.मैने रिंकी की चूत मैं से लंड पीछे किया और फिर जितना आगे जा सकता था ले गया. पर मन यही कर रहा था क़ी मैं ना रुकू. अब मुझसे और सहन नही हुआ और मैं उसकी चूत की अंदर ही छूट गया. यह वो फीलिंग थी जो बयान नही की जा सकती , इस से पहले मुझे इस तरह का कोई एहसास नही हुआ था, कोई भी मूठ जो आज तक मैने मारी थी या ,रिंकी ने अपने हाथो से मारी थी इस एहसास के पास भी नई आ सकती. अपनी स्पीड बढ़ा दी, अब रिंकी की चूत से मैने अपना लंड निकाला और
मैं उसके बराबर मे आ कर लेट गया. रिंकी मेरे उपर आ गयी और मेरे होंठो को चूसने लगी. कोई 2 घंटे तक यह राम लीला चली. इस बार दीवाली पर मैने भी पटाखे चलाए पर वो कुछ अलग तरह के थे. इसमे आग तो थी पर आवाज़ नही. मज़ा तो बोहत था पर रोशनी नही…
कहने को तो यह हम दोनो का पहला तजुर्बा था, और इस लिए भी ख़ास और याद गर कहा जा सकता है. पर इसने मुझे जिंदगी का एक एहम सबक सिखाया. वो यह कि किसी भी लड़की के पास हम पर कुर्बान करने के लिए सेक्स के अलावा भी बोहत कुछ होता है --- उसका दिल.उसका मन , उसका प्यार..
@aapkaraj शाम को मैं मार्किट गया और कॉंडम खरीद लाया. मैं जानता था की इस बार मुझे वो मिलजाएगी जिस का हर लड़के को इंतज़ार रहता है. पर प्राब्लम यह थी की मैं अब उसके साथ जो खेल खेल रहा था अब जसका क्लाइमॅक्स आ गया था, पर मुझे काफ़ी टाइम की ज़रूरत थी, जो की दिन मैं नही मिल सकता था और रात को उसकी छत पर जाने मैं ख़तरा था. फिर कल दीवाली थी और सब लोग रात मैं देर तक जागते है, मैने फ़ैसला किया की अगर हम रात को जल्दी सो जाए तो सुबह जल्दी उठ सकते हैं, जबकि बाकी लोग देर से सोएगे तो सुबह भी लेट ही उठ पाएगे.
बस मैने तय कर लिया की दीपावली की रात मैं रिंकी को चोद कर ही छोड़ुगा.
मैने उसे मेसेज कर दिया की तुम रात को अपने कमरे [रूम] का गेट खुला रखना ,उसने कहा की मम्मी डॅडी के रहते यह मुश्किल है. तो मैने कहा की वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो.मुझे पता था की अंकल कभी कभी ड्रिंक भी कर लेते हैं. मेरे घर मैं भी पापा ड्रिंक कर लेते हैं , दीवाली की रात को हम अक्सर जुआ [ कार्ड्स गेम] खेलते हैं. मैं रिंकी के पापा के पास गया और उनसे कहा की अंकल पापा कह रहे थे की इस बार आप को भी अपने साथ खिलाएँगे. अंकल ने कहा ठीक है. इस तरह दोनो और से मैने बात पक्की कर दी. इस बार पापा से कहा की रिंकी के पापा भी इस बार खेलने की लिए आना चाहते हैं.तो पापा ने कहा की क्यो नही मुझे कंपनी भी मिलजाएगी. फिर मैं रिंकी के घर आसानी से जा सकता था
अगले दिन रात को जब सब लोग पूजा वगेरा से फ्री होगये तो अंकल- आंटी [ रिंकी के पेरेंट्स] भी आ गये , वो मेरे पेरेंट्स के साथ बाते करने लगे तो मैने कहा की मैं जा के रिंकी को स्वीट्स दे आता हूँ . मैं जब उसके घर गया तो वो कहने लगी की तुम खाली हाथ ही आए हो कि मेरे लिए कोई गिफ्ट भी लाए हो. तो मैने कहा की मैं तुमहरे लिए एक बड़ी ही आन्माओल चीज़ लाया हूँ. तुम उसे सारी ज़िंदगी याद रखोगी. वो बोली तो फिर दो, मैने कहा ऐसे नही मिलगी पहले तुम मुझे प्रॉमिस करो के ना नही करोगी.
उसने प्रॉमिस किया. तो मैने अपनी पॅंट खोल कर पाना लंड उसके सामने कर्दिया, जिस पर मैने एक लाल रंग का रिब्बिओं लगा रखा था. वो देख कर हस्ने लगी और कहा की हाँ इसे तो मना नही किया जा सकता. पर अब यह मेरा हो चुका है.फिर हम एक दूसरे को किस करने लगे. मैने उसे बताया की अंकल अब पापा के साथ ही बात कर दो पेग लगाएँगे. तुम जल्दी सो जाना और रात को अपनी छत का गेट और अपने कमरे का गेट खुला ही छोड़ देना.
उसने कहा की इसमे ख़तरा हो सकता है. तो मैने कहा की सब आज रात को देर मैं सोएगे इसलिए सुबह सब गहरी नींद मैं होंगे , और तुम्हारे पापा तो वैसे भी नशे मैं होंगे.
फिर उसके यहाँ कुछ गेस्ट आ गये ,तो मैने कहा की मैं जा के तुम्हारी मम्मी को भेज देता हू. इधेर पापा ने अपना रंग जमा रखा था.दोनो दो दो पेग ले चुके थे और गेम मे मस्त थे, मैं कुछ देर छत पर लोगो को पटाखे [ फिरे क्राकेर्स] चलाते देखता रहा.फिर मैं अपने कमरे मैं आ कर सो गया , मैने सुबह 3 बजे का अलार्म लगा कर अपने पास रख लिया.पर मेरी आखो मैं नींद नही सपने थे.
मैं रात को अपने कमरे से बाहर सड़क पर आया और देखा की सब लोग सो चुके थे कही कोई आवाज नही आ रही थी. गली मैं रोशनी थी.मैं रिंकी के पड़ोसी के गेट से होता हुआ उनकी छत पर पहुचा और फिर वहाँ से रिंकी की छत पर. वहाँ जा कर मैने कुछ देर इंतज़ार किया की कोई उठा तो नही हुआ है. जब कोई आवाज़ नही सुनाई दी तो मैं रिंकी की छत से अंदर गया. मैने रिंकी की कमरे को थोड़ापुश किया तो वो खुल गया . रिंकी आराम से सो रही थी , रूम मैं नाइट लॅंप जला हुआ था, मैने गेट बंद किया, और उसके पास आकर बैठ गया, एक मिनट तक मैने उसे देखा और सोचा की अब बस मेरिमेहनत का फल मिलने ही वाला है, मैने उसके मूह को अपने हाथ से प्रेस किया ताकि उसकी आखे भी खुल जाए और वो डर के मारे आवाज़ भी ना करे. जब उसने देखा की मैं हूँ तो वो रिलॅक्स हो गयी, उसने पूछा की तुम यहाँ तक कैसे आए. कोई जाग तो नही रहा. तो मैने कहा की मैं छत के रास्ते आया हूँ.और सब सो रहे हैं. फिर भी एक बार तुम अपनी मम्मी का रूम चेक कर लो. @aapkaraj रिंकी धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर गयी, उसने अंकल आंटी का डोर पुश किया तो वो अंदर से बंद था. मैं तब तक अपने कपड़े उतार चुका था और सिर्फ़ अंडरपॅंट्स मैं उसका इंतज़ार कर रहा था. जैसे ही रिंकी अंदर आई मैने उसे अपने बाँहो मैं भर लिया और उसके कान मैं कहा – रिंकी तुम आज से सिर्फ़ मेरी हो, आज मैं तुम्हे प्यार करूँगा और तुम्हारी रामप्यारी तो चोद कर उसे चूत बना दुगा. रिंकी ने कुछ कहने की लिए अपने होंठ खोले तो मैने उसके होंठ चूमते हुए उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए.पहले मैने उसका लोवर नीचे खींच दिया और उसकी नर्म मुलायम जाँघो पर हाथ फेरने लगा.
जैसे जैसे मैं उसकी चूत मैं उंगली कर रहा था वो और गरम होती जा रही थी, मैने अपना हाथ अब उसके लोवर के अंदर डाल दिया , मैने महसूस किया की वहाँ परजीतने बाल थे वो रेशम की तरह मुलायम हैं, और दो फांको की बीच एक छोटी सेजगह है जिसे आप उंगली से महसूस तो कर सकते हैं पर उसमे उंगली नही जाती. फिर मैने उसका दाना ढूँढ लिया वो ठीक दोनो फाकॉ के नीचे की तरफ था, और करीब एक चने के दाने के बराबर होगा, जैसे ही मेरी उंगलिओ ने उसे छूआ तो वो मुझ से चिपक गयी , उसके मूह से एक हल्की से सिसकी निकल गयी. [मैं यहाँ पाठकों को एक बात और बताता चलू कि यह चूत का दाना ही असल मैं ऑर्गॅज़म पैदा करता है, कुछ लड़कियो मैं यह उपर की तरफ़ होता है या बोहत छोटा होता है तो वो ऑर्गॅज़म नही फील कर पाती.]मैं समझ गया की यह उसका सेन्सिटिव पॉइंट है , फिर क्या था मैने उसेके होंठों को अपने होंठों से मिला कर उसका दाना / क्लाइटॉरिस रगड़ना शुरू कर दिया , जैसे जैसे मैं उसे दबाता वो मुझसे और ज़ोर से चिपक जाती . कोई दस मिनिट ऐसे करने के बाद रिंकी ने कहा की मैं कुछ महसूस कर रही हूँ , मुझे एक अजीब सा नशा छा रहा है, प्लीज़ करते रहो , मैं नही चाहती की तुम अब रूको , लगातार इसे दबाते रहो , फिर उसने अपना हाथ भी अपने लोवर के अंदर कर किया और मेरा हाथ पकड़ कर जल्दी जल्दी अपना क्लिट रगड़ने लगी.उसकी सासे तेज हो गयी थी. कोई दो मिनिट करने के बाद उसने मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ लिया और रुक गयी. उसने अपने लेग्स मोड़ लिए थे , उसकी चूत मैं मैने बोहत सा गीलापन महसूस किया मेरा हाथ उसने पकड़ रखा था इसलिया मैं चाह कर भी नही देख पाया की उसकी चूत ने कितना पानी छोड़ा है,
एक मिनिट तक इसी तरह रुकने के बाद रिंकी ने मेरे कान मैं कहा – थॅंक यू , आज तक मैने ऐसा कभी नही महसूस किया था, यह पहली बार था कि वो झड़ी थी, झदाने की सेन्सेशन का एक गुदगुदीसी अभी भी उसे घेरे थी. मैने अपना हाथ निकाल लिया , रात बोहत हो चुकी थी , ज़्यादा देर तक छत पर नही रहा जा सकता था, इसलिए मैने उसे गुड नाइट कहा और किस किया, उसने भी ऐसे ही जवाब दिया. अब वो बिल्कुल नही शर्मा रही थी. उसके चेहरे पर मुस्कान थी.
रात के एक घंटे के एक्सपीरियेन्स ने हम दोनो मैं एक आग जगा दी थी. अब हम दोनो बस सेक्स की नज़रो से ही एक दूजे को देख रहे थे. अगले दिन भी मैं उसके घर गया और मौका देख कर उसे उंगली करने लगा. उसने भी मेरे लॅंड को कस कर दबाया.पर हम दोनो ही फारिग ना हो सके, पर अगली रात को मैं उसकी छत कर नही जा सका. क्योकि वो सीढ़ी वहाँ से हट चुकी थी और रोज ही एक ट्रिक अपनाने का मतलब होता पकड़े जाना.
हम एक दूसरे को मेसेज करने लगे ,पर इस बार मेसेज सेक्सी थे सब मैं सेक्स की भूक दिखती थी.इंतज़ार था तो बस अब एक मौके का. पर क्योंकि दीवाली को अब दो तीन दिन ही रह गये थे इसलिए वो भी घर के काम मैं बिज़ी रहती थी और मैं भी.
फिर छोटी दीवाली के दिन उसकी मम्मी ने मुझे आवाज़ दी. और कहा की हमारे घर अभी तक लाइटिंग नही लगी है , बिजली वाले को कहा भी था , क्या तुम लगा दोगे. मैने फॉरन हां कर दी, जब मैं उनके घर गया तो देखा अंकल आंटी कहीं जाने के लिए तय्यार खड़े थे थे , मैने पूछा की आज आपलोग कही जा रहे हैं तो उन्होने बताया की हम दोनो एक पूजा मैं जा रहे हैं थोड़ी देर मैं आ जायगे. मैं लाइटिंग वाले को कहता जाउन्गा तुम ठीक से लगवा देना. मैने कहा ठीक है.
जैसे ही वो लोग गये , मैं और रिंकी तो मानो उछल ही पड़े , गेट बंद करते ही मैने उसे बाँहो मैं भर लिया और किस करने लगा , हम दोनो एक दूसरे को चूस रहे थे, मैं उसे गोद [ लॅप] मैं उठा कर उसके कमरे मैं ले गया. उसे मैने अपने उपर खींच लिया , रिंकी बोली- आज क्या इरादा है .
मैने कहा – बस थोड़ा सा प्यार करना चाहता हूँ
रिंकी- बस थोड़ा सा?
मैने कहा – यह तो बस बहाना है , असल मैं तो मैं तुम्हे पूरी तरह देखना चाहता हूँ.
रिंकी –तो देर किस बात की है , मैं अब तुम्हारी हूँ, फिर मैने उसके होंठो को पीना शुरू किया और साथ ही उसकी चूत को सहलाने लगा. मैने उसकी टी-शर्ट उतार दी आज पहली बार मैं उसे पूरी तरेह देख सकता था. उसने वाइट कलर की एक ब्रा पहेन रखी थी . और उसमे से दो बड़े से आम झाँक रहे थे. मैने उन्हे ऊपर से सहलाया और फिर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. अब वो मेरे उपर से उतर कर नीचे आ गयी. मैने उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहला रहा था तो दूसरे से उसके बदन को छू रहा था.
जल्द ही वो गरम हो गयी, मैने उसको लोवर नीचे करने को कहा तो उसने कहा की क्या मैं अकेली ही कपड़े निकालुगी. तुम भी तो अपने कपड़े निकालो.
जब भी उसकी मम्मी बिज़ी होती जैसे नहा रही होती या पूजा मैं बैठी होती तो हम दोनो दूसरे कमरे मैं जा कर किस करते और किस क्या करते बस एक दूसरे पर टूट पड़ते. पहले पहले तो वो किस ओर स्मूद करना नही जानती थी. पर दो तीन बार करने से वो एकदम एक्सपर्ट हो गयी. जब हम डॉन वन पहला बार किस किया तो ऐसा लगा के बस अब कोई ना रोके , इसी पल मैं दुनिया थम जाए. जब हमारी जीभ एक दूसरे से रेसलिंग करती तो एक अजब ही स्वाद आता. अब भी वो पल याद करके वो उसके सासो की गर्मी महसूस करके मेरे लॅंड पठार की तरह सख़्त हो जाता है.
जल्द ही हम दोनो एक दूसरे के सरीरो से खेलने लगे .जब वो अपनी मम्मी से बात कर रही होती ओर आंटी का ध्यान कही और होता तो मैं उसके चूतड़ पर हाथ फेरने लगता. उसे भी जब मोक़्का मिलता तो वो मुँझे किस करके भाग जाती.
एक दिन जब उसकी मम्मी नहाने गयी तो मैं घर के अंदर आ गया. मैने उसे पीछे से पकड़ लिया.उसने कुछ नही कहा और इशारे से बताया की मम्मी नहा रही है. हम दोनो वही खड़े खड़े किस करने लगे. यह पल बोहत ही रोमांचक था क्योकि हम बाथरूम के ठीक सामने खफे थे. जैसा की हमेशा होता था किस करते ही मेरा लॅंड खड़ा हहोने लगा . मैंने ईक हाथ उसकी कमर पर रख रखा था ओर दूसरे हाथ से उसके चूतड़ दबा रहा था. फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने लॅंड पर रख दिया. पहले तो उसने हाथ एकदम से हटा लिया पर जब मैने दोबारा रखा तो उनसे उपर से ही उसे टच कर के महसूष किया . मेरा दिल तो बस खुशी के मारे झूम उठा , यह पहली बार था जब किसी लड़की ने मेरे लंड पर एहसान किया था. मैने धीरे से उससे कहा क्या तुम इसे देखना चाहती हो , उस ने कहा नही मुझे शरम आती है, फिर मम्मी भी बाहर आ सकती है. मैने किस करते हुए उससे कहा की तुम आज रात तो अपनी छत पर आ जाना. फिर मैं सोचने लगा की आधी रात को मैं कैसे उसकी छत पर पोहचू. जब मैं उनके बराबर वाले घर को देख रहा था तो मैने पाया की उनके गेट के उपर से चढ़ कर मैं छत तक पोहच सकता हूँ, और फिर वहाँ से रिंकी की छत तक जाने मैं कोई दिक्कत नही थी क्योंकि दोनो छतों की बीच बस एक 3-4 फुट की दीवार थी.जिसे मैं आसानी से पार कर सकता था. पर इसमे ख़तरा था. क्योकि , गेट से चड़ते समय आवाज़ हो सकती थी जिससे कोई जाग सकता था. तभी एक और ट्रिक मेरे दिमाग़ मैं आई. मैने देखा की पैंट वालो के पास बड़ी से सीढ़ी है जो वो हाइट पर पैंट करने के लिए लाए हैं, मैने देखा के वो उसे घर के अंदर रखे हुए हैं , मैं जा के उनके पास से वो सीधी माँग लाया- बल्ब चेंज करने के नाम पर. और फिर वापस नही की. क्योकि उन्हे भी अभी ज़रूर्रत नही थी तो यो भी वापस माँगेने नही आए. मैने प्लान की मुताबिक इस सीढ़ी का ईस्तमाल करके रिंकी की छत पर जाना था और किसी को पता भी ना लगता, बस मैं रात को कोई 10 बजे सीधे वापस करने के नाम पर उसे उनके गेट के बाहर रख आया,आंटी को बता दिया की सुबह पैंट वाले अपने आप इसे रख लेंगे.
सब कुछ सेट हो चुक्का था , मैं खुश था इस उम्मीद मैं कि हो सकता है की मुझे आज ही जॅक पॉट मिल जाए , नही तो कम से कम मैं उसके बूब्स को तो खा कर ही आउन्गा . रात एक बजे तक मैं यही सोच कर जागता रहा, नींद आई ही नही. फिर मैं चुपके से अपने कमरे से निक्कल कर बाहर गली मैं आया, गली मैं बिल्कुल अंधेरा था.मैने एक मिनिट रुक कर सब कुछ ध्यान से देखा फिर जा के सीढ़ी को चेक किया. अब मुझे घबराहट होने लगी थी ,डर लग रहा था कि कही कोई गड़बड़ ना हो गये , पर दिमाग़ मैं रिंकी का जादू कुछ इस तरह से छा चुका था कि अब वापस जाने का सवाल ही नही था,मैं राम का नाम ले कर सीढ़ीपर चढ़ गया. छत पर पोहच कर मैने एक मिनिट तक चेक किया कि कोई देख तो नही रहा. फिर मैने अपने सेल से उसे मेसेज किया की मैं छत पर आ गया हूँ रिंकी थोड़ी देर बाद छत पर आई उसने टी-शर्ट और लोवर पहन रखी थी मैने उसे एक तरफ कोने मैं आने का इशारा किया तो उसने कहा की मुझे डर लग रहा है, कोई हमे देख ना ले, मैने उसे होसला दिया और कहा जब तुम मेरे साथ हो तो देखा जाएगा. उसने कहा क्या दिन ,मैं मन नही भरता तुम्हारा जो रात को यहाँ बुलाया. मैने कहा रिंकी यह प्यास तो और बढ़ती ही जाती है, मैं अब तुम्हे पाए बिना नही रह सकता. फिर हमने एक दूसरे तो किस करना शुरू कर दिया, इस अंधेरी रात मैं छत पर दो जवान प्रेमी एक दूसरे के साथ लिपटे हुए – एक अलग ही दुनिया का हिस्सा लगते थे पर ये सच था. फिर मैने उसे किस करते करते अपना हाथ उसकी टी-शर्ट मैं डाल दिया. कुछ रेज़िस्टेन्स के बाद उसने कुछ नही कहा. मैं उसकी सासे बढ़ती हुई महसूस कर सकता था. जो इस बात का सबूत थी की वो गरम हो रही थी. उसने भी अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. और उपर से ही उसे महसूस करने लगी. मैने चुपके से उसके कान मैं कहा यह सब तुम्हारा ही है , शरमाओ मत – फिर उसका हाथ अपने लोवर मैं डाल दिया.
संजीदा ने झबरू से चुदवाने से मना कर दिया लेकिन झबरू माना नहीं। करीब तीस मिनट के बाद झबरू ने फिर से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। इस बार उसने संजीदा को एक दम पागलों की तरह बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार पूरी चुदाई के दौरान संजीदा जोर-जोर से चींखती ही रही। करीब तीस मिनट चोदने के बाद झबरू ने संजीदा को ज़मीन पर खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े ही उसकी चुदाई की। थोड़ी देर खड़े हो कर चोदने के बाद झबरू ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू ने संजीदा को कईं स्टाईल में बुरी तरह चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया।
संजीदा बहुत तड़पी लेकिन झबरू ने उसकी एक ना सुनी। झड़ जाने के बाद जब झबरू ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल तो संजीदा की चूत कईं जगह से कट-फट गयी थी और बुरी तरह से सूज भी चुकी थी।
झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मैंने आपकी चूत को एक दम चौड़ा कर दिया है। अब आप मुझे चल कर दिखाओ!”
संजीदा ने चलने की कोशिश की लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। झबरू ने कहा, “अभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा। उसके बाद आप चलने फिरने लगोगी।”
संजीदा बोली, “अब मैं तुमसे नहीं चुदवाऊँगी। तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है।”
लेकिन झबरू माना नहीं। एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो मना करती रही लेकिन झबरू माना नहीं। उसने इस बार भी संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से करीब डेढ़ घंटे तक चोदा।
उसके बाद झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मुझे फिर से चल कर दिखाओ”, तो संजीदा डर के मारे ठीक से चलने को कोशिश करने लगी।
झबरू ने कहा, “शाबाश! देखा तीन बार चुदवाने के बाद आप थोड़ा ठीक से चलने लगी हो!”
वो बोली, “साले हरामी! वो तो मैं ही जानती हूँ कि मैं कैसे चल रही हूँ!”
झबरू बोला, “अभी मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा!”
एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से संजीदा की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई की। झबरू से चुदवाने के बाद मैं भी बिना सहारे के नहीं चल पा रही थी। मैंने कहा, “मैं भी तो ठीक से नहीं चल पा रही हूँ।”
वो बोला, “पहले मुझे इनकी चाल ठीक कर लेने दो। उसके बाद मैं आपकी भी बहुत बुरी तरह से चुदाई कर दुँगा उसके बाद आप भी ठीक से चलने लगोगी!”
उस दिन के बाद से तो संजीदा और रशीद प्रैक्टीकली मेरे घर पर ही रहने लगे। सारा काम रशीद ही संभालने लगा क्योंकि मैं साईट पर भी अब हफ्ते में दो-तीन दिन ही जाती थी। संजीदा भी मेरी तरह ही चुदक्कड़ निकली और हम दोनों मिलकर नशे में मस्त होकर दिन-रात मोनू और झबरू से चुदवाती रहती। रात को रशीद अकेला दूसरे बेडरूम में सोता रहता जबकि संजीदा मेरे साथ मेरे बेडरूम में मोनू और झबरू के साथ ऐश करती।
@aapkaraj !!! समाप्त !!!
झबरू ने अपना निक्कर उतार दिया। उसका लंड देख कर मैं घबरा गयी। उसका लंड वाकय में माशा अल्लाह काफ़ी लंबा और मोटा था। मैंने कहा, “अभी तुम्हारा लंड ढीला है। पहले इसे खड़ा करो। उसके बाद ही तुम्हारे लंड के सही साईज़ का पता चलेगा।”
उसने कहा, “इसे आप दोनों को ही खड़ा करना पड़ेगा!”
झबरू के लंड को देख कर संजीदा बहुत जोश में थी और वो उसके लंड को लालच भरी निगाहों से देख रही थी। मैंने संजीदा को इशारा किया तो उसने झबरू का लंड सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में झबरू का लंड खड़ा होने लगा। उसका लंड खड़ा होने के बाद किसी मूसल की तरह नज़र आ रहा था। झबरू का लंड करीब नौ इंच लंबा और तीन इंच चौड़ा था।
मैंने थोड़ा सोचते हुए कहा, “हम दोनों तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिये तैयार हैं!”
संजीदा ने तुरंत ही कहा, “आपा, मैं झबरू से नहीं चुदवाऊँगी। बस तुम ही चुदवा लो!”
मैंने पूछा, “क्यों, क्या हुआ?”
वो बोली, “मैं इसका लंड अपनी चूत के अंदर नहीं ले पाऊँगी। मेरी चूत का पहले से ही बहुत बुरा हाल है। मेरी चूत एक दम फट जायेगी।”
मैंने कहा, “मज़ा नहीं लेना है?”
वो बोली, “मज़ा तो मैं भी लेना चाहती हूँ। लेकिन मुझे झबरू के लंड को देख कर बहुत डर लग रहा है!”
मैंने कहा, “जब मैं चुदवा लुँगी तब तो तुम्हारा डर खतम हो जायेगा!”
वो बोली, “पहले तुम चुदवा लो। मैं बाद में सोचुँगी।”
मैंने झबरू से कहा, “पहले तुम मुझे चोद दो। संजीदा बाद में चुदवायेगी!”
झबरू भी लंड खड़ा होने के बाद जोश में आ चुका था। उसने मुझसे कहा, “आप सोच लो। मुझसे चुदवाने में अगर आपकी चूत फट गयी तो बाद में मुझे दोष मत देना।”
मैंने कहा, “मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कहुँगी।” फिर मैंने रशीद से कहा, “रशीद मुझे एक ग्लास में व्हिस्की भर के दे दो... नशे में मैं इसका लंड मज़े से झेल लुँगी!”
रशीद ने जल्दी से एक ग्लास में तीन पैग जितनी व्हिस्की डाल कर मुझे दे दी और मैंने जल्दी-जल्दी गटकने लगी। मुझे गले और पेट में जलन तो हुई पर मैं जल्दी से नशे में मदहोश होना चाहती थी।
झबरू बोला, “आपकी मर्ज़ी है लेकिन पहले मुझे कोई क्रीम या तेल दे दो। मैं अपने लंड पर लगा लूँ। उसके बाद मैं आपकी चुदाई करूँगा।”
मुझ पर व्हिस्की का नशा छाने लगा था और मैं मस्ती में आ गयी थी। मैंने रशीद को इशारा किया तो उसने एक क्रीम झबरू को दे दी। झबरू ने ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगा ली। उसके बाद मैंने भी आननफ़ानन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल मादरजात नंगी हो गयी।। जब मैं एक दम नंगी हो गयी तो उसने मेरे चूत्तड़ बेड के किनारे पर रख कर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच ज़मीन पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने दो तकिये मेरे चूत्तड़ों के नीचे रख दिये। मेरी चूत अब उसके लंड की सीध में हो गयी। उसने मुझे कहा, “एक बार फिर से सोच लो!”
मैंने कहा, “अब सोचना क्या है। अब तुम मेरी इस तरह से चुदाई करो कि मुझे ज्यादा तकलीफ़ ना हो।”
उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के बीच रखा और अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाने लगा। अभी उसका लंड दो इंच भी अंदर नहीं घुस पाया था कि मुझे दर्द होने लगा। मैंने अपने होठों को जोर से जकड़ लिया। वो बहुत धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर घुसाता रहा। मुझे लग रहा था कि मेरी चूत फट जायेगी। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में चार इंच तक घुस गया तो मेरी हिम्मत जवाब दे गयी। मेरे मुँह से जारेदर चींख निकली।
उसने कहा, “घबराओ मत। थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो। अभी चार-पाँच मिनट में मैं धीरे-धीरे अपना पूरा का पूरा लंड आपकी चूत में घुसा दुँगा और आपको ज्यादा तकलीफ़ भी नहीं होगी!”
मैं चुप हो गयी। उसने और ज्यादा लंड घुसाने की कोशिश नहीं की और धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा। थोड़ी देर तक मैं चींखती रही लेकिन बाद में जब मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो मैं चुप हो गयी। वो मुझे धीरे-धीरे चोदता रहा।
पाँच मिनट बाद मैं झड़ गयी तो उसने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। अब वो हर आठ-दस धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा सा तेज लगा कर मेरी चुदाई करने लगा। जब वो थोड़ा तेज धक्का लगा देता तो दर्द के मारे मुँह से हल्की सी चींख निकल जाती लेकिन मैं इतने ज्यादा जोश और नशे में थी कि मुझे उस दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। इसी तरह वो मेरी चुदाई करता रहा। करीब दस मिनट और चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी। मैंने झबरू से पूछा, “अब तक तुम्हारा लंड मेरी चूत में कितना घुस चुका है?”
वो बोला, “करीब सात इंच घुस चुका है और अभी तीन इंच बाकी है। आप घबराओ मत... मैं धीरे धीरे अपना बाकी का लंड भी आपकी चूत में घुसा दुँगा।”
वो बोली, “हाँ आपा, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है!”
मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?”
वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन काफ़ी कम।”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से संजीदा की चुदाई शुरू कर दो।”
मोनू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। अब वो संजीदा को एक दम आँधी की तरह चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही संजीदा ने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। सारे कमरे में धप-धप और फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही साथ संजीदा की जोश भरी किलकारियाँ भी गूँज रही थी। वो “और तेज... और तेज... खूब जोर-जोर से चोदो मेरे जानू... फाड़ दो आज मेरी प्यासी चूत को...” कहते हुए चुदवा रही थी। रशीद आँखें फाड़े हुए संजीदा को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था। संजीदा अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू से चुदवा रही थी। मोनू को अब तक संजीदा की चुदाई करते हुए करीब पैंतालीस मिनट हो चुके थे। उसने संजीदा को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। दस मिनट तक चुदवाने के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी।
@aapkaraj
मोनू ने संजीदा की दोनों जाँघों को एक दूसरे से अलग किया। संजीदा की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत एक दम गोरी और चिकनी थी। मोनू ने अपनी जीभ संजीदा की चूत के दोनों फाँकों पर फिरानी शुरू कर दी तो संजीदा जैसे पागल सी होने लगी। उसने मोनू के सिर को जोर से पकड़ लिया लेकिन मोनू रुका नहीं। वो अपनी जीभ को संजीदा की चूत की फाँकों पर तेजी से फिराने लगा। दो मिनट में ही संजीदा झड़ गयी और उसकी चूत एक दम गीली हो गयी। मोनू ने संजीदा की चूत का सारा रस चाट लिया और फिर अपनी जीभ संजीदा की क्लिट पर गोल-गोल घुमाने लगा। संजीदा ने जोश के मारे जोर की सिसकी ली। मैंने संजीदा से पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोली, “आपा, मेरे तमाम जिस्म में आग सी लग गयी है। तुम मोनू से कह दो अब देर ना करे नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!”
मैंने मोनू से कहा तो वो बोला, “मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है। अगर मैंने इन्हें अभी चोद दिया तो इन्हें बहुत दर्द होगा। अभी इन्हें एक बार और झड़ जाने दो। तब ये जोश से एक दम पागल हो चुकी होंगी और मेरा पूरा का पूरा लंड आरम से अपनी चूत के अंदर ले लेंगी।”
मैंने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, करो!”
मोनू संजीदा के ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेट गया और उसकी चूत को तेजी से चाटने लगा। संजीदा अब तक बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी। उसने बिना कुछ कहे ही मोनू का लंड अपने मुँह में ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। संजीदा का दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। वो जोर-जोर की सिसकारियाँ भरते हुए मोनू का लंड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद संजीदा ने मुझसे कहा, “आपा, मोनू से कह दो अब देर न करे। मैं एक दम पागल सी हुई जा रही हूँ!”
मैंने कहा, “मैं क्यों कहूँ, तुम ही मोनू से कहो कि वो तुम्हारी चुदाई करे!”
संजीदा इतनी ज्यादा जोश में आ चुकी थी कि वो रोने लगी। लेकिन उसने मोनू से कुछ भी नहीं कहा। पाँच मिनट में ही संजीदा फिर से झड़ गयी तो उसने मोनू का सिर जोर से पकड़ लिया और बोली, “अब तो मैं फिर से झड़ गयी हूँ। अब तो देर ना करो। जल्दी से चोद दो मुझे!”
मोनू ने कहा, “मेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है। आप इसे अपनी चूत के अंदर ले पाओगी? बहुत दर्द होगा!”
संजीदा बोली, “मैं कुछ नहीं जानती। बस तुम अब देर मत करो। डाल दो अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में और खूब जोर-जोर से चोदो मुझे!”
मोनू बोला, “ठीक है। मैं लेट जाता हूँ। आप खुद ही मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ज्यादा से ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!”
मोनू संजीदा के ऊपर से हट कर लेट गया तो संजीदा तुरंत ही मोनू के ऊपर चढ़ गयी। संजीदा जोश में एक दम पागल हो रही थी। उसने मोनू के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत के बीच रखा और जोर से दबा दिया। मोनू के लंड का सुपाड़ा संजीदा की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। उसे इस कदर तेज दर्द हुआ कि वो तड़पते हुए तुरंत ही मोनू के ऊपर से हट गयी और लेट गयी। संजीदा को बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि इतना दर्द होगा।
आखिर मोनू का लंड भी था तो बेहद मोटा। संजीदा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू संजीदा के होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद संजीदा आसुदा हुई तो मोनू ने कहा, “मेरे ऊपर आ जाओ और मेरा लंड अपनी चूत में और ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!”
संजीदा बोली, “मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में नहीं घुसा पाऊँगी। मुझे बेइंतेहा दर्द हो रहा है। अब तुम ही अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ।”
मोनू बोला, “बहुत दर्द होगा!”
संजीदा बोली, “तुम तो मर्द हो। तुम ही अपना लंड मेरी चूत में जबरदस्ती घुसा सकते हो।”
मोनू बोला, “ठीक है!”
@aakaraj संजीदा कुछ नहीं बोली और अपना ड्रिंक पीने लगी। मैंने मोनू का लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मोनू का लंड एक दम सख्त हो गया तो मैं मोनू से चुदवाने लगी। संजीदा चुपचाप बैठ कर देखते हुए व्हिस्की पीती रही। मोनू ने मुझे करीब आधे घंटे तक चोदा और झड़ गया। जोश और नशे के मारे संजीदा की आँखें एक दम गुलाबी हो चुकी थीं। जब मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैंने संजीदा को अपनी चूत दिखाते हुए कहा, “देखो, मेरी चूत ने मोनू का लंबा और मोटा लंड कैसे अपने अंदर ले लिया।”
संजीदा मेरी चूत को देखने लगी। मैंने कहा, “अब तुम भी एक बार मोनू से चुदवा लो। अगर तुम्हें इससे चुदवाना पसंद नहीं आयेगा तो तुम फिर मोनू से कभी मत चुदवाना।”
संजीदा ने शरमाते हुए कहा, “इसका लंड तो बहुत मोटा है। मुझे बहुत तकलीफ होगी!”
मैंने कहा, “तुम अभी कुँवारी हो... इसलिए तुम चाहे जिस भी लंड से पहली बार चुदवाओगी... तकलीफ तो तुम्हें होगी ही। उसके बाद मज़ा भी खूब आयेगा।”
वो कुछ नहीं बोली। मैंने मोनू से कहा, “तुम अपना लंड संजीदा के हाथ में दे दो जिससे ये तुम्हारा लंड ठीक से देख ले।”
मोनू संजीदा के पास आ गया। उसने संजीदा के हाथ से खाली ग्लास ले कर एक तरफ रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। संजीदा ने शरमाते हुए उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और देखने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा लग रहा हो तो चुदवा लो।” वो कुछ नहीं बोली।
मैंने कहा, “क्या हुआ? कुछ बोलती क्यों नही? अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा नहीं लग रहा है तो छोड़ दो इसका लंड!” उसके बाद मैंने मोनू से कहा, “मोनू तुम रहने दो और जा कर कपड़े पहन लो। संजीदा को तुम्हारा लंड पसंद नहीं आ रहा है!” मोनू जैसे ही अपने लंड से संजीदा का हाथ हटाने लगा तो संजीदा ने उसके लंड को जोर से पकड़ लिया। मैं समझ गयी कि संजीदा चुदवाने के लिये राज़ी है।
मैंने मोनू से कहा, “मोनू संजीदा तुमसे चुदवाने के लिये राज़ी है। तुम संजीदा के कपड़े उतार दो और इसकी अच्छी तरह से चुदाई कर के इसे एक दम खुश कर दो।”
मोनू ने संजीदा के कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो संजीदा शरमाने लगी लेकिन उसने मोनू को रोका नहीं। मोनू ने धीरे-धीरे संजीदा के सारे कपड़े उतार दिये। अब संजीदा ने सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने हुए थे और संजीदा का गोरा जिस्म संगमरमर की मूर्ती जैसा लग रहा था। उसे देख कर मोनू खुश हो गया। मोनू ने संजीदा को बेड पर लिटा दिया। मोनू ने अपने होंठ संजीदा के होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूमने लगा। थोड़ी ही देर में संजीदा को भी जोश आने लगा तो वो भी मोनू के होंठों को चूमने लगी। मोनू संजीदा के पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए उसे चूमने लगा तो संजीदा भी मोनू की पीठ पर अपना हाथ फिराने लगी।
संजीदा की आँखें धीरे-धीरे गुलाबी सी होने लगी। मोनू ने संजीदा को चूमते हुए उसके निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया। संजीदा सिसकरियाँ भरने लगी। रशीद बड़े ध्यान से देख रहा था। फिर मोनू ने संजीदा की चूचियों को, फिर पेट को और फिर उसकी नाभी को चूमना शुरू कर दिया। संजीदा धीरे-धीरे जोश में आ रही थी और सिसकरियाँ भर रही थी। थोड़ी देर तक संजीदा की नाभी और उसके आसपास चूमने के बाद मोनू ने संजीदा की चूत को चूमना शुरू कर दिया तो संजीदा जोर-जोर से आहें भरने लगी। मोनू एक हाथ से संजीदा के निप्पलों को मसल रहा था और दूसरे हाथ से संजीदा की जाँघ को सहला रहा था। संजीदा ने जोश के मारे अपनी दोनों जाँघों को एक दम सटा लिया।
@aapkaraj
मोनू ने एक टॉवल लपेट लिया और जा कर दरवाजा खोला तो रशीद ही था। मोनू रशीद के साथ मेरे पास आया। रशीद ने मोनू के सामने ही मुझसे पूछा, “कैसी रही चुदाई!” तो मोनू समझ गया था कि रशीद को सब कुछ मालूम है।
मैंने कहा, “इतनी अच्छी कि मैं बता नहीं सकती!”
रशीद बोला, “मोनू का लंड पसंद आया?”
तो मैंने कहा, “हाँ, बेहद पसंद आया!”
रशीद बोला, “कितनी दफ़ा चोदा मोनू ने?”
मैंने कहा, “मैंने तो बस पूरी मस्ती के साथ मोनू से खूब चुदवाया। मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी दफ़ा मेरी चुदाई की। तुम मोनू से पूछ लो, शायद ये बता सके!”
रशीद ने मोनू से पूछा तो उसने कहा, “बारह बार!”
रशीद ने कहा, “शाबाश मोनू, बस तुम इसी तरह अमीना की चुदाई करते रहो। अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है!” उसके बाद रशीद ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊँ?”
मैंने कहा, “मुझे कल तक खूब जम कर चुदवा लेने दो। कल शाम को तुम अपनी बीवी को ले आना!”
रशीद ने मुझसे कहा, “मैं भी तुम्हारी चुदाई देखना चाहता हूँ। एक बार तुम मोनू से मेरे सामने चुदवा लो!”
मैंने मोनू को अपने करीब बुलाया। जब वो मेरे करीब आया तो मैंने उसका टॉवल एक झटके से खींच लिया। मोनू का आठ इंच का खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। रशीद उसके लंड को देखता ही रह गया। वो बोला, “मेरी बीवी तो अभी कुँवारी है। इसका इतना मोटा लंड उसकी चूत में कैसे घुसेगा!”
मैंने कहा, “जैसे पहली-पहली मर्तबा किसी मर्द का लंड किसी औरत की कुँवारी चूत में घुसता है!”
रशीद बोला, “उसे बहुत तकलीफ होगी!”
मैंने कहा, “वो तो हर औरत को पहली-पहली मर्तबा होती है।”
रशीद बोला, “उसे बहुत ज्यादा दर्द होगा और वो खूब चिल्लायेगी।”
मैंने कहा, “चिल्लाने दो उसे, उसके बाद उसको मज़ा भी तो खूब आयेगा।”
रशीद चुप हो गया और मेरे पास बैठ गया। मोनू ने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो मैं उसका लंड चूसने लगी। दस मिनट में ही मोनू का लंड एक दम लोहे के जैसा हो गया। मैं अपने चूत्तड़ रशीद की तरफ़ कर के डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत में घुसेड़ दिया तो मेरे मुँह से जोर की आह निकली। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू मुझे चोदने लगा। रशीद बड़े ध्यान से मुझे मोनू से चुदवाते हुए देखता रहा। मोनू ने मुझे करीब पैंतालीस मिनट तक चोदा और फिर झड़ गया। मैं भी दो बार झड़ चुकी थी। मोनू ने जब अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैं मोनू के लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी उसके बाद मैंने रशीद से कहा, “आज तुम अकेले ही साईट पर चले जाओ और मुझे चुदाई का मज़ा लेने दो।”
रशीद बोला, “ठीक है!” उसके बाद वो चल गया।
मैंने दूसरे दिन सुबह तक मोनू से दिल और चूत खोल के खूब चुदवाया। दूसरे दिन सुबह आठ बजे रशीद आ गया। मैंने मोनू को कुछ पैसे दिये और कहा, “तुम बाज़ार जा कर खूब अच्छी तरह से खा लेना। आज सारी रात तुम्हें रशीद की कुँवारी बीवी की चुदाई करनी है!”
वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है।” मैं रशीद के साथ साईट पर चली गयी। शाम को वापस आते हुए मैं रशीद के घर रुकी। उसकी बीवी एक दम दुबली-पतली, छरहरे जिस्म की थी और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और गोरी थी। रशीद ने मुझसे कहा, “ये मेरी बीवी संजीदा है!”
संजीदा ने मुझे बिठाया और चाय बनाने जाने लगी तो रशीद बोला, “अमीना शाम के बाद चाय-कॉफी नहीं पीती... तू किचन से ग्लास और बर्फ ले आ... मैं पैग बना देता हूँ।”
थोड़ी देर बाद संजीदा ग्लास, बर्फ और सोडा ले आयी और रशीद ने व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो पैग बनाये। मेरे जोर देने पर संजीदा ने भी पैग ले लिया और हम इधर-उधर की बातें करते हुए पीने लगे। दिन भर की थकान के बाद व्हिस्की बहुत अच्छी लग रही थी और मैंने जल्दी ही दो पैग पी लिये और जब रशीद तेरे लिये तीसरा पैग बनाने लगा तो मैंने इंकार नहीं किया। संजीदा तो पहला पग ही अभी तक पी रही थी।
उसके बाद मैंने संजीदा से कहा, “आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। आज रात को हम सब एक ही साथ डिनर करेंगे!” संजीदा तैयार होने लगी। जब वो तैयार हो कर मेरे पास आयी तो वो मेक-अप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं उन दोनों के साथ कार से घर आ गयी। घर पहुँचने पर मैं संजीदा को अपने बेडरूम में ले गयी और उस से बैठने को कहा। वो मेरे बेड पर बैठ गयी। रशीद भी संजीदा की बगल में बैठ गया। मैंने रशीद के सामने ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो संजीदा कभी रशीद को और कभी मुझे देखने लगी। मैंने ब्रा, पैंटी और हाई हील सैंडलों को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये।
संजीदा बोली, “आपा, आप को रशीद के सामने कपड़े उतारने में शरम नहीं आती?”
धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसने लगा। दर्द के मारे मेरी टाँगें थर-थर काँपने लगीं। मेरी धड़कने बहुत तेज चलने लगी। मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया। उसका लंड फिसलता हुआ धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर करीब पाँच इंच तक घुसा चुका था। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने सोचा कि अगर मैंने मोनू को रोका नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी। मैंने मोनू से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया। उसने मेरी टाँगों को छोड़ दिया। उसने मेरी दोनों चूचियों के निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगा। मैं भी उसके होठों को चूमने लगी।
थोड़ी देर बाद वोह मेरी चूचियों को मसलते हुए अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसका लंड इतना ज्यादा मोटा था कि मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। दो मिनट में जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने जोश में आकर अपने चूत्तड़ों को उठाना शुरू कर दिया। मुझे चूत्तड़ उठाता हुआ देखकर मोनू ने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी। जोश में आ कर मैंने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। पाँच मिनट चुदवाने के बाद मैं झड़ गयी तो मोनू ने बिना मेरे कुछ कहे ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये।
हर धक्के के साथ ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुसने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं पूरे जोश में आ चुकी थी। उस जोश के आगे मुझे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे मोनू ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। पूर लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू रुक गया। उसका लंड जड़ के पास बहुत ज्यादा मोटा था। मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। थोड़ी देर बाद जब उसने धक्के लगाना शुरू किया तो वो आसानी से अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था। मुझे एक दम जन्नत का मज़ा मिल रहा था। मैं एक दम मस्त हो चुकी थी। आज मुझे बहुत ही अच्छे लंड से चुदवाने का मौका मिल रहा था। मोनू मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी।
झड़ जाने की वजह से मेरी चूत एक दम गीली हो गयी तो मोनू ने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब मेरी चूत ने मोनू के लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था। वो जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। हर धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी बच्चेदानी के मुँह का चुंबन ले रहा था। मैं जोश से एक दम पागल सी हुई जा रही थी और खूब जोर-जोर से ‘चोदो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को’, की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थी। मोनू भी पूरे जोश और ताकत के साथ मेरी चुदाई कर रहा था। उसकी रफ़्तार धीरे-धीरे और ज्यादा तेज होने लगी तो मैं पूरी तरह से मस्त हो गयी। अब तक मेरा दर्द एक दम कम हो चुका था। मैंने अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने भी मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदना शुरू कर दिया। मोनू का लंड अब मेरी चूत में आसानी के साथ अंदर-बाहर होने लगा। मोनू ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार और ज्यादा तेज कर दी। अब वो मुझे एक दम आँधी की तरह से चोदने लगा था। मैं जोर-जोर के हिचकोले खा रही थी। मेरी चूचियाँ उसके हर धक्के के साथ गोल-गोल घूम रही थी। लग रहा था कि जैसे मेरी चूचियाँ गोल-गोल घूम कर नाच रही हों और मेरी चुदाई का जश्न मना रही हो। मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी पूरी मस्ती में थी। जब मोनू धक्का लगाता तो मैं अपने चूत्तड़ ऊपर उठा देती थी जिस से उसका लंड एक दम जड़ तक मेरी चूत के अंदर दाखिल हो जाता था।
इसी तरह मोनू ने मुझे करीब तीस मिनट तक चोदा और उसके बाद मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके लंड से इतना ज्यादा रस निकला जैसे वो बहुत दिनो से झड़ा ही ना हो। मेरी चूत उ उसकी मनि से पूरी तरह भर गयी थी। मेरी चूत ने अभी भी उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था इसलिए उसकी मनि की एक बूँद भी बाहर नहीं निकल पायी। मैं भी इस चुदाई के दौरान तीन दफ़ा झड़ चुकी थी। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे चूमता रहा। मैं भी उसकी पीठ को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसे चूमने लगी। हम दोनों इसी तरह करीब दस-पंद्रह मिनट तक लेटे रहे।
मोनू का लंड अभी तक मेरी चूत के अंदर ही था। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही अपनी कमर को इधर-उधर करने लगा तो दो मिनट में उसका लंड फिर से मेरी चूत के अंदर ही सख्त होने लगा। मैं अभी तक जोश में थी। मैंने भी उसके साथ ही साथ अपने चूत्तड़ इधर-उधर करना शुरू कर दिया। पाँच मिनट में ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर ही एक दम सख्त हो कर लोहे जैसा हो गया तो मोनू ने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया।
मैंने रशीद से कहा, “ठीक है, जब मैं अपने लिये कोई अच्छा सा मर्द ढूँढ लुँगी जिसका लंड खूब लंबा और मोटा हो और जो खूब देर तक मेरी चुदाई कर सके... उसके बाद तुम एक दिन अपनी बीवी को भी यहाँ बुला लाना, मैं तुम्हारी बीवी को भी उससे चुदवा दुँगी। इस तरह तुम्हारी बीवी सुहागरात भी मना लेगी और उसे चुदवाने का पूरा मज़ा आ जायेगा। उसके बाद वो तुमसे कभी खफ़ा नहीं रहेगी। क्यों ठीक है ना?”
रशीद बोला, “क्या तुम सही कह रही हो कि वो फिर मुझसे खफ़ा नहीं रहेगी?”
मैंने कहा, “हाँ... मैं एक दम सच कह रही हूँ लेकिन जब तुम अपनी बीवी को यहाँ लाना तो उसे कुछ भी मत बताना!”
रशीद बोला, “ठीक है!”
दूसरे दिन मैं रशीद के साथ एक साईट पर गयी। वो साईट मेरे घर से करीब करीब अस्सी किलोमीटर दूर थी। उस साईट पर करीब चालीस मज़दूर काम करते थे। उस साईट का मैनेजर उन सब को पैसे दे रहा था। सारे मज़दूर लाईन में खड़े थे। मैं मैनेजर की बगल में एक कुर्सी पर बैठ गयी। सभी ने निक्कर और बनियान पहन रखा था। मैं निक्कर के ऊपर से ही उन सबके लंड का अंदाज़ लगाने लगी।
जब मैनेजर करीब बीस-पच्चीस मज़दूरों को पैसे दे चुका तो मेरी नज़र एक मज़दूर के लंड पर पड़ी। मैंने निक्कर के बाहर से ही अंदाज़ लगा लिया कि उसका लंड कमज़कम आठ-दस इंच लंबा और खूब मोटा होगा। उसकी उम्र करीब बाईस-तेईस साल की रही होगी और जिस्म एक दम गठीला था। मैंने उस मज़दूर से पूछा, “क्या नाम है तुम्हारा!”
वो बोला, “मेरा नाम मोनू है!”
मैंने पूछा, “तुम्हारे कितने बच्चे हैं?”
वो शर्माते हुए बोला, “मालकिन, अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है!”
मैंने कहा, “मुझे अपने घर के लिये एक आदमी की ज़रूरत है। मेरे घर पर काम करोगे?”
वो बोला, “आप कहेंगी तो जरूर करूँगा!”
मैंने रशीद से कहा, “इसे घर का काम करने के लिये रख लो!”
रशीद समझ गया और बोला, “ठीक है!”
रशीद ने उस मज़दूर से कहा, “मोनू तुम घर जा कर बता दो और अपना सामान ले आओ। आज से तुम मैडम के घर पर काम करोगे।”
वो बोला, “जी साहब!”
वो अपने घर चला गया। करीब एक घंटे के बाद वो वापस आ गया। उसके बाद हम सब कार से घर वापस चल पड़े। रात के आठ बजे हम सब घर पहुँचे। मैंने मोनू को घर का सारा काम समझा दिया और उसे ड्राईंग रूम में सोने के लिये कह दिया। घर में केवल एक ही बाथरूम था इसलिए मैंने मोनू से कहा, “घर में केवल एक ही बाथरूम है। तुम इसी बाथरूम से काम चला लेना।”
वो बोला, “ठीक है मालकिन।”
मैंने कहा, “घर पर मुझे मालकिन कहलाना पसंद नहीं है। तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो।”
वो बोला, “ठीक है मालकिन!”
मैंने उसे डाँटा और कहा, “मालकिन नहीं... अमीना कह कर बुलाओ।”
वो बोला, “ठीक है अमीना जी।”
मैंने कहा, “अमीना जी नहीं, सिर्फ अमीना।”
वो शरमाते हुए बोला, “ठीक है अमीना!”
मैंने कहा, “लग रहा है कि तुमने बहुत दिनों से नहाया नहीं है। मैं तुम्हें एक साबुन दे देती हूँ, तुम बाथरूम में जा कर ठीक से नहा लो!”
मोनू बोला, “ठीक है!”
मैंने मोनू को एक खुशबूदार साबुन दे दिया तो वो नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद मोनू नहा कर बाहर आया। अब उसका सारा जिस्म एक दम खिल उठा था और महक भी रहा था। वो पैंट और शर्ट पहनने लगा तो मैंने कहा, “घर में पैंट शर्ट पहनने की कोई जरूरत नहीं है। तुम निक्कर और बनियान में ही रह सकते हो!”
रशीद बोला, “मैं घर जा रहा हूँ!”
मैंने कहा, “ठीक है। मुझे भी एक पार्टी में जाना है अभी... पर कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी। अब तुम परसों सुबह आना!”
रशीद ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है। मैं कल नहीं आऊँगा।”
उसके बाद रशीद चल गया और मैं भी तैयार हो के पार्टी में चली गयी। रात के दस बजे मैं पार्टी से वापस लौटी। मैंने पार्टी में ड्रिंक की थी इसलिए मैं कुछ नशे में थी। मैंने बेडरूम में जा कर पैंटी और ब्रा छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये और नशे की हालत में सैंडल पहने ही बेड पर पसर गयी। उसके बाद मैंने मोनू को पुकारा। वो मेरे पास आया और बोला, “क्या है?”
मैंने कहा, “मैंने पार्टी में कुछ ज्यादा ही पी ली और मेरा सारा जिस्म टूट रहा है। तुम थोड़ा सा तेल लगा कर मेरे सारे जिस्म की मालिश कर दो।”
वो बोला, “आप मुझसे मालिश करवायेंगी?”
मैंने कहा, “शहर में ये सब आम बात है। गाँव की तरह यहाँ की औरतें शरम नहीं करतीं। तुम ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आओ और मेरे जिस्म की मालिश करो!”
वो ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आया तो मैं पेट के बल लेट गयी। वो घूर-घूर कर मेरे गोरे जिस्म को देखने लगा। उसकी निगाहों में भी सैक्स की भूख साफ़ नज़र आ रही थी। मैंने कहा, “क्या देख रहे हो। चलो मालिश करो।”
@aapkaraj अलावा मैं उनके साथ बहुत खुश रहता था। मेरी ज़िंदगी के रूटीन में शामिल हो गया था कि मैं अक्सर उनमें से एक को या दोनों को डेट पर लेकर जाता था। इसके अलावा महीने में एक या दो बार रिस्क लेकर उसी तरह उनके रूम में जाता और एक साथ उन दोनों की चुदाई करता था।
इस तरह दो साल तक मैंने अपनी ज़िंदगी में चुदाई का भरपूर मज़ा लिया और ना-भूलने वाली यादें कायम कीं। मगर फिर शायद चुदाई के दिन पूरे हो गये या किस्मत की खराबी हुई कि मेरी पोस्टिंग का ऑर्डर आ गया। मुझे आज भी वो रात याद है जब मैं अपने मूव होने से एक रात पहले शाज़िया और फौज़िया के रूम में उनको चोद रहा था और बहुत उदास था क्योंकि एक दिन बाद मैंने चले जाना था। उस दिन मैंने जी भर कर दोनों को चोद और उनकी गाँड मारी मगर इंसान का जी नहीं भरता और मैं इसलिये परेशान था कि फिर पता नहीं ऐसी चूतें नसीब होती हैं कि नहीं। आखिरकार लतदाद यादें उनके पास छोड़ कर स्करदू के लिये पोस्टिंग पर रवाना हुआ। उस दिन वो दोनों मुझे कराची कैंट स्टेशन सी-ऑफ करने आयी हुई थी। मैंने उनको अपने केबिन में बहुत प्यार किया और दोनों को बहुत किस किया। फिर उनको उदास छोड़ कर मैं चला गया। यहाँ स्करदू में पहुँच कर मैं एक महिना बेस कैंप में रहा और उनसे फोन और खतों के ज़रिये कांटेक्ट रहा। जैसा मेरा अंदाज़ा था दोनों धीरे-धीरे पहले जैसे ही अपने रूटिन में मस्त हो गयी। अब वो बेखौफ होकर दिन में जहाँ कहीं भी और जिस किसी के साथ भी मौका मिलता चुदवा लेती थीं, फिर चाहे वो ज़मादार हो या वार्ड-बॉय हो या कोई और। रात भर तो दोनों नशे में चूर होकर एक दूसरे से लेस्बियन सैक्स का मज़ा लेती थीं। मैं स्करदू की बर्फ़ीली पहाड़ियों पर हूँ और काफी समय हो गया है उन दोनो से कोई कांटेक्ट नहीं है, लेकिन इतना भरोसा है कि उन दोनों की चूतें बाकायदा चुद रही होंगी।
!!! समाप्त !!!
दिसंबर में मेरी यूनिट की एक्सरसाईज़ शुरू हुई और मैं पंद्रह दिनों के लिये बादीन (सिंध) के बोर्डर पर गया, मगर पीछे से अहमद ने बहुत ज़बर्दस्त वक्त उन दोनों चुदैलों को दिया और काफी दफा दोनों को साथ में भी चोदा। मैं एक्सरसाईज़ में उन लोगों को बहुत मिस करता रहा, लेकिन वो लोग मुझे मुसलसल मोबाइल पर फोन करते थे, बल्कि अहमद तो कभी-कभी जब उनकी चूत मारता था तो चुदाई करते-करते मुझे फोन करता और कहता कि ये चुदाई तुम्हारी तरफ़ से हो रही है। अहमद ने बताया कि दोनों लड़कियों के चूत की गर्मी इस हद तक बढ़ गयी है कि कईं बार वो अकेला उनकी तसल्ली नहीं कर पाता था। मैं बेचारा बादीन के रेगिस्तान में अपने टेंट में मुठ मारता था और उन दोनो की चूतों को मिस करता था।
उसके बाद एक मुश्किल वक्त गुज़ार कर मैं ३० दिसंबर को वापस कराची अपनी यूनिट में आया। अगले दिन ३१ दिसंबर थी और हम चारों मिल कर सिनेमा गये और वहाँ पर फ़िल्म देखी। उसके बाद चारों वापस अहमद के फ़्लैट पर आये और खूब शराब पी और ग्रुप सैक्स किया। उस दिन की अहम बात ये थी कि पहली बार हमने शाज़िया और फौज़िया की चूत और गाँड में एक साथ लंड डाला। पहले शाज़िया की गाँड में अहमद ने लंड डाला और मैंने शाज़िया की चूत में लंड डाला। उस दौरान फौज़िया, शाज़िया के बूब्स को चूसती रही। उसके बाद अहमद ने फौज़िया की चूत में लंड डाला और मैं फौज़िया कि गाँड में लंड डालने की तैयारी कर रहा था। मैं तो शाज़िया की पहले भी गाँड मार चुका था इसलिये उसको इतनी मुश्किल नहीं हुई थी मगर बेचारी फौज़िया की गाँड में जब मैं लंड डाल रहा था और अहमद ने चूत में ढकेला तो उसको काफी तकलीफ़ हुई। मगर इस दौरान शाज़िया ने उसकी काफी मदद की और उसकी गाँड के सुराख को चाट कर उस पर अपना थूक लगाया और उसको हौंसला दिया। थोड़ी मुश्किल से लेकिन आखिरकर फौज़िया की गाँड और चूत में हमने अपने लंड एक साथ डाले। शराब के नशे ने भी फौज़िया को दर्द झेलने में मदद की। बाद में उसको भी काफी मज़ा आया और हमने नये साल को एक नये स्टाईल से वेलकम किया। उसके बाद हमने उन दोनों को तोहफे दिये। अहमद ने उन्हें स्कॉच व्हिस्की की चार बोतलें भी तोहफे में दीं तो दोनों बहुत खुश हुईं।
नया साल सुरू हुआ और वो साल पूरा मैंने बहुत इंजॉय किया और हम चारों ने बहुत ही ज़्यादा चुदाई कि। मैंने शाज़िया और फौज़िया को नये-नये तरीकों से चोद और हमने नये-नये स्टाईल से ग्रुप सैक्स किया। मैंने उनको कार में चोदा और काफी जगहों पर कार में सैक्स किया। मेरे पास आर्मी का कार्ड था इसलिये कभी पुलीस का खौफ़ न था। एक दिन मैं कार से बाहर था और अहमद अंदर कार में फौज़िया को चोद रहा था कि एक पुलीस मोबाइल करीब से गुज़री। मेरे साथ शाज़िया थी जोकि बहुत डरती थी मगर मैंने उसको कहा कि हौंसला रखो। जब पुलीस मोबाइल करीब आयी तो दो पुलीस वाले हमारे करीब आये और पूछने लगे हमारे बारे में। मैंने रोब से अपना आर्मी कार्ड निकाल कर दिखाया और कहा, "कैप्टेन नोमान! पाकिस्तान आर्मी स्पेशल ब्राँच।" मेरा रोब देख कर वो डर गये और ‘सर ,सर’ करने लगे। मैंने इंगलिश में उनसे पूछा, "कैन आई सी योर ड्यूटी पर्मिट? शी इज़ माय वाईफ एंड यू आर नॉट अलाऊड टू आस्क मी।" वो चूँकि सिर्फ़ पैसे लेने के चक्कर में गश्त कर रहे थे, इस पर वो ज़रा डर गये और फौरन वहाँ से गुम हो गये।
अहमद की बात सच थी कि उन दोनों को अकेले एक मर्द पुरी तसल्ली नहीं दे सकता था। जब भी मैं अकेला उन दोनों के साथ चुदाई करता तो वो मिलकर मेरा लंड और मेरी पुरी ताकत निचोड़ लेती थीं। शराब के नशे में तो दोनों शेरनियाँ बन जाती थीं और जंगलीपन से चुदवाती थीं पर मज़ा बहुत आता था। हमारी ज़िंदगी के ना-भूलने वाले दिन गुज़रते रहे लेकिन हर बात का एंड होता है। इस दौरान अहमद का यूके से विज़ा आ गया और वो यूके चला गया। हमने उसकी आखिरी शाम बहुत ही रोमांचक और आला तरीके से पार्टी की। उसका सारा खर्च शाज़िया और फौज़िया ने उठाया। उसके बाद हमने ना भूलने वाला ग्रुप सैक्स अहमद के फ़्लैट पर आखिरी बार किया, जिसको याद करके मैं बहुत तड़पता हूँ। उसके बाद हम सारे अहमद को सी-ऑफ करने कराची एयरपोर्ट आये।
मुझे बहुत दुख हो रहा था लेकिन क्या कर सकता था खैर शाज़िया और फौज़िया भी दोनों काफी उदास थीं क्योंकि हम चारों में चुदाई के साथ-साथ बहुत प्यार हो गया था। खैर हमने कईं तोहफों के साथ अहमद को सी-ऑफ किया। अहमद ने एयरपोर्ट पर बगैर खौफ के शाज़िया और फौज़िया को बहुत किस किया और अलविदा हो गया। एयरपोर्ट से वापस मैं अहमद की कार चला करके ला रहा था और काफी उदास था। फिर मैंने उन दोनों को होस्टल छोड़ा और फिर खुद अपनी यूनिट चला गया। मैं अहमद को बहुत मिस कर रहा था। उसके फ़्लैट की चाबियाँ मेरे पास थी और उसकी कार भी मेरे पास थी लेकिन मैं फिर भी उसको और वो गुज़रे हुए समय को मिस कर रहा था।
यह रिंकी को उत्तेजित करने लगा.फिर मैने पाया कि उसने अपने रेशमी बॉल [ प्यूबिक हेर] काट दिए थे, मैने उसकी तरफ़ देखा तो उसने कहा की मुझे लगा तुम्हे अच्छा लगेगा.मैने कहा हां मुझे प्संद आया. मैं रिंकी की पैरो [ लेग्स] से किस करता हुआ उपर की तरफ़ आया. फिर उसके प्यूबिक बालो पर किस किया और पेट [ अब्डोमन] पर. जब मैं उसे किस कर रहा था तो वो ऐसे तड़फ़ रही थी की जैसे कोई दर्द मैं तड़फता है बस यहाँ दर्द भी मीठा था. धीरे धीरे मैं उसके चुचो तक पहुँचा और उन्हे अपने हाथो से मसलने लगा. मैने इस बार थोड़ी सख्ती से उसके निपल दबाए और मुँह से पकड़ कर खींचे जिस से उसे एक नया ही मज़ा आया. उसके निपल भी अब खड़े हो चुके थे. मैने उसे उठा कर उसके बेड पर लिटा दिया. रिंकी की पॅंटी भी उतार दी. उसने इस बार काले रंग की पॅंटी पहनी थी जो बोहत ही पतली थी ,
उसने मुझे अब नीचे आने का इशारा किया और खुद मेरे ओपेर आ गयी. यह नज़ारा मुझे हमेशा याद रहेगा. एक कामुकता की देवी जिसके बड़े बड़े मम्मे आपके चेहरे के ऊपर हैं , आपको कभी होंठो पर तो कभी इयर्स पर किस करती है. मगर फिर जो उसने किया वो मैने कभी नही सोचा था .
रिंकी थोड़ा नीचे हुई और उसने मेरे निपल को किस किया और फिर चूसना शुरू कर दिया. मुझे एक बिजली का झटका सा लगा. मैं उसेंरोकना चाहता था पर मुझे भी एक अजीबसा स्वाद आ रहा था. मैने देखा की मेरे निपल भी खड़े हो गये थे.
पर उसके इस आक्ट ने मुझे बोहत ही बेताब कर दिया था, अब मैं कोई इंतज़ार नही करना चाहता था. मैने अपने हाथ से उसकी चूत के दाने को दबाना शुरू कर दिया. वो भी एक दम से झटका खा गयी और उसने मुझे किस करना छोड़ दिया. मैं उसके नीचे से निकल कर बैठ गया और अपने लोवर से कॉंडम निकाला और उसे दिया. उसने उसे खोला और मेरे खड़े लंड पर चढ़ा दिया मैने रिंकी से कहा कि चूत के मूह पर मेरा लंड रखे. उसकी चूत एक दम से गीली हो चुकी थी और पानी बाहर तक आ रहा था. मैने उसकी टाँगो के बीच मैं आ कर उसके होंठो को अपने मूह मे ले लिया. उसने मुझे किस करना शुरू किया. मैने हल्का सा फोर्स लगा के अपना लंड उसकी चूत मैं डालने की कोशिश की , पर मैं सफल नही हुआ. इस बार मैने ज़ोर लगाया तो लंड फिसल गया. और ऊपर चढ़ गया.
बिना कुछ कहे ही रिंकी ने लंड अपने हाथ से पकड़ कर चूत के मूह पर रखा और सर हिला कर इशारा किया. हम दोनो मैं से कोई नही बोल रहा था, बस इशारे ही सब कुछ कह रहे थे.मैने अपना लंड आगे की तरफ प्रेस किया और इस बार मैं रुका नही ज़ोर लगाता ही रहा, रिंकी ने लंड को सही पोज़िशन मैं पकड़ रखा था, इस बार मेरे लंड का टोपा अंदर चला गया. रिंकी के चेहरे पर मैं तकलीफ़ देख सकता था, पर ना उसने कुछ कहा , ना मैने रुकने की कोशिश की, एक ज़ोर की झटके के साथ ही उसकी झिल्ली[ हाइमेन] फॅट गयी. उसने दर्द के मारे मेरे होंठो मैं दाँत गढ़ा दिए. उसके नाख़ून[ नाइल्स] मेरी कमर मे घुस गई.दर्द की बावजूद रिंकी की चेहरे पर मुस्कान थी.मेरा लंड उसके अंदर फसा हुआ था. मैं भी दर्द और मज़ा दोनो फील कर रह था. कुछ सेकेंड्स तक हम दोनो इसी हालत मैं रुके रहे , ना उसने कुछ कहा ना मैने, ना मैने कोई मूव्मेंट किया ना उसने, फिर हम दोनो के एक साथ एक दूसरे के लाबो को चूमा लिया. हम दोनो के चेहरे [ फेस] पर मुस्कान आ गयी. @aapkaraj मैने अपने कमर को आगे पीछे किया , यह बड़ा ही मुश्किल साबित हुआ, एक दर्द और स्वेतनीस की ल़हेर हम दोनो से गुज़री. फिर धीरे धीरे मैं आगे पीछे हो रहा था. मैं अपना लंड अंदर करता और फिर रुक जाता.कुछ सेकेंड्स के बाद फिर बाहर करता और रुक जाता. इस तारह कोई 2-3 मिनिट तक हम एक दूसरे को प्यार करते रहे.जब भी मैं ऐसा करता तो मेरा लंड उसके दाना को पूरी तरह दबाता हुआ जाता. जिससे रिंकी और भी ज़्यादा अपने पैरो को सिकोड़ने की कोशिस करती . हम दोनो को पसीना आ रहा था, हमारे सासे बढ़ी हुई थी. शरीर तप रहे थे. फिर मैने अपने अंदर ऑर्गॅज़म बॅंट्स हुआ महसूस किया , मैने जल्दी जल्दी आगे पीछे होना शुरू किया. रिंकी भी उतनी ही गर्म होती गयी, कोई 10 -15 मूव्मेंट्स के बाद मैने महसूस किया की अब मैं और नही कर सकता, मैने अपनी सारी ताक़त से उसे एक ज़ोर जा धक्का दिया , जिससे सारा बेड हिल गया. रिंकी ने अपनी आँखें बंद करली, उसके हाथ मेरे से चिपक गये,उसने मुझे रोक दिया और अपनी आखे बंद कर ली. रिंकी झाड़ चुकी थी.अगर मैं भी एक दो धक्के और मार पाता तो मेरी भी क्रीम निकल गयी होती पर रिंकी ने मुझे कस कर पकड़ रखा था.कोई एक मिनिट ऐसे ही रुकने के बाद वो थोड़ा रिलॅक्स हुई तो मैने फिर से कमर आगे पीछे किया. मैं भी अब झड़ना चाहता था इसलिए मैने अपनी स्पीड तेज कर दी 2-3 मिनिट के धक्को के बाद मैं फिर से नज़दीक आने लगा.
मैने कहा ठीक है और अपने टी –शर्ट निकाल दी.
मैने जो लोवर पहना था उसे भी निकाल दिया , अब मैं सिर्फ़ अंडरपॅंट्स मैं था जिसमे से मेरा खड़ा हुआ लंड दीख रहा था.मैने आगे बढ़ कर उसका लोवर भी खींच लिया.
इस पर वो थोड़ा शर्मा गयी और उसने अपनी टाँगे[ लेग्स] बंद कर के अपनी चूत को छिपाने की कोशिश की , वो एक मंदिर की मूरत लग रही थी मैं जैसे उसके अनुपम सौंदर्या खो गया उसके मुँह पर वो शरम की लाली सीने पर दो एवरेस्ट की चोटियाँ जिनसे अगर फिसल जाय तो सीधा खाई मैं जाकर ही गिरता और खाई यानी चूत जैसे एक पाव रोटी जिसे एक बार मैं ही मुँह मैं लेकर खा जाने को जी करे मैं उस सेक्स की देवी को देखता ही रह गया
मुझे ऐसे घूरते हुए देख कर उसने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो.
मैने कहा- बस अब और नही इंतज़ार होता,
यह कह कर मैं उसके उपर आ गया और उसे किस करने लगा, मैं उसे हर जगह पर चूम रहा था, फेस नेक बूब्स अब्डोमन सब जगह, उसने भी मेरा लंड बाहर निकाल लिया था और उसे मसालने लगी.मैं मारे जोश के भर उठा. ऐसा लगा की कुछ करने से पहले ही मैं छूट जाउन्गा.. मैने उसके चुचो को एक एक करके खूब चूसा . जब मैं उसे चूस चूस कर गरम कर रहा था तो मेरा लॉडा अपने आप उसकी चूत पर जा टीका. उसके मूह से एक हाई सी निकली. यह पहली बार था जब हम दोनो के शरीरो का मिलन हुआ था, मैने उपर से ही उसकी चूत पर लंड रगड़ा, उसकी चूत पानी छोड़ने लगी उसकी चूतमैं अब बोहत पानी था जो की इस बात का सबूत था की वो अब चुदाई के लिए त्ययार है. मेरी और उसकी उततेज़ना अब बढ़ती जा रही थी , मैने अपने लंड को उसकी चूत के मूह और उसके दाने पर रख कर खूब रगड़ा. जल्द ही हम दोनो इतने गरम हो चुके थे कि चाह कर भी अब हम रुक नही सकते थे. मैं चाहता तो था की उसकी चुदाई करू पर मेरे पास कॉंडम नही था इसलिए मैने यही बेहतर समझा की अभी इस तूफान को टाल दिया जाए . जब मैं उसके क्लिट पर लंड रगड़ रहा था तो वो मुझ से चिपक ने लगी , उसने कहा की मैं आज फेर झड़ने वाली हूँ , मैने और ज़ोर लगा के रब किया, जल्द ही मैं भी चरम सीमा पर पहूच गया. हम दोनो का पानी एक साथ निकल गया, मैने अपनी सारी की सारी क्रीम उसकी चूत पर डाल दी. हम दोनो हैरान थे की बिना चुदाई के ही हम दोनो कैसे एक साथ झाड़ सकते हैं.कुछ टाइम ऐसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनो ने कपड़े पहन लिए और वहीं एक दूसरे की बाँहो मैं लेट कर बाते करने लगे.
उसने कहा मैने आज तक किसी का नही देखा है, मैने कहा की यह अब सिर्फ़ तुम्हारा है, तुम जिस तरह चाहो इस से खेल सकती हो.
रिंकी ने मेरा लॅंड हाथ मे पकड़ा ऑफ उसको मसलने लगी, उसके नरम हाथो मैं गरम लॅंड और सख़्त और मोटा होता जा रहा था, मुझे अपने लॅंड पर एक अजीब तरह की फीलिंग हो रही थी, यह ऐसा था जैसे कोई आपके लॅंड पर गुदगुदी [ टिक्कीलिंग ] कर रहा हो और आप को एक खुशी का एहसास करा रहा हो. वो बड़े ध्यान से उसे देख रही थी जैसे कोई बच्चा किसी खिलोने को देखता है,
इधेर वो मेरे हतियार से खेल रही थी तो मैने उसके चुचे दबाना चालू कर दिया, कुछ ही देर मैं वो गरम होने लगी , बीच बीच मैं हम दोनो किस करते . फिर मैने उसकी टी-शर्ट उपेर कर के बाहर कर दिया , इस पेर वो थोड़ा शर्ंमाई पर इसके बाद जैसे ही मैने उसके लेफ्ट बूब को मूह मे लिया तो उसके मूह से एक आह सी निकल गयी, मेरा गरम मूह उस के निपल पर लगते ही वो सख़्त हो गये . मेरे मूह मैं एक मीठा सा स्वाद घुल गया, पर सच कहु तो शायद टेस्ट बूब्स से ज़्यादा मेरे दिमाग़ मे था, पर उस वक्त तो मैं उन्हे ऐसे चूस रहा था जैसे कोई आइस क्रीम हो, मुझे तसल्ली थी की मैने अपना सपना पूरा कर लिया था.
फिर रिंकी बोली तुम इस से किस तरह मज़े करते हो?
मैने कहा – किस तरह मतलब?
रिंकी- मेरा मतलब लड़के अपने हथियार से कैसे मज़े लेते हैं. लड़की तो अक्सर अपने छेद मैं उंगली डाल कर या तकिये [ पिलोव ] पर उसे रगड़ कर मज़ा करती हैं, बाद मैं एक अजीब सा अहसास होता है. मैने सुना है कि कुछ लड़कियो के चूत से पानी भी छूटता है.
मैने कहा- लड़के भी अपने लंड को आगे –पीछे करते हैं जिससे कुछ टाइम बाद उनका पानी निकलता है. इसे मूठ मारना या मॅस्टरयेट करना कहते हैं. जब पानी निकलता है तो लड़को को बहुत मज़ा आता है.
रिंकी – मैं देखना चाहती हूँ कि लड़को का पानी कैसे निकलता है.
मैने कहा ठीक है, तुम मेरे लॅंड को टाइट पकड़ कर इसे आगे –पीछे करो .
रिंकी ने ऐसा ही किया , जब उसके नरम हाथ मेरे लॅंड को टाइट पकड़ने की कोशिस कर रहे थे तो मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा था.
कोई 5 मिनिट बाद ही मेरा पानी निकालने को हो गया, मैने उसे बताया की अब पानी निकल ने वाला है , मैने अपने हाथ भी उसके हाथो पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. कुछ ही सेकेंड्स मैं मैं चरम पर पोहुन्च गया. और मेरा पानी निकल कर उसके लोवर और टी- शर्ट पर जा गिरा.
मैने एक ज़ोर की सास ली और उसे चूम लिया, मैने कहा रिंकी आज से पहले मुझे कभी भी इतना मज़ा नही आया था. उसने मेरे पानी को हाथ लगा कर देखा और कहा , की यह तो बोहत गाढ़ा और चिकना है फिर इसे पानी क्यो कहते हैं, इसे तो क्रीम कहना चाहिए.
मेरा पानी निकल चुका था पर उत्तेजना के मारे मेरा लंड अभी भी खड़ा था. अब मेरी बारी थी उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल देने की.
मैने कहा- मैं भी तुम्हारी चूत को देखा चाहता हूँ. उसे प्यार करना चाहता हूँ.
रिंकी- मुझे शरम आती है.
मैने कहा – पर मैने भी तो तुम्हे अपना लंड दिखाया है.
रिंकी – तुम्हारी बात अलग है तुम लड़के हो, पर तुम उपेर से ही हाथ लगा कर देख सकते हो.
मैने कहा- मैं भी देखना चाहता हूँ की लड़किया कैसे अपना पानी निकालती हैं.
रिंकी – वो तो ठीक है ,पर मेरा तो पानी नही निकलता है. हाँ मैं कभी – कभी अपनी चूत को रगड़ती हूँ , तो मुझे बड़ा मज़ा आता है. खास तोर पर जब मेरे दाने पर रगड़ लगती है तो एक अजीब सा मज़ा आता है. मैं कभी ज़यादा तो नही रगड़ती हूँ , पर जब भी मैं अपने बॉल सॉफ करती हूँ तो कभी कभी मज़ा ले लेती हूँ.
मैने कहा – ठीक है तो मैं ऊपर से ही देख लेता हूँ.
मैं एक बार झाड़ चुका था पर ऐसा महसूस होता था की अभी तो कुछ हुआ ही नही. मैने उसे किस किया. उसका नीचे वाला होंठ मेरे होंठों के बीच था और मैं उसे ऐसे चूस रहा था जैसे कोई फ्रूट हो. मैने अपना हाथ उसके लोवर के नीचे किया और उपेर से ही उसकी चूत की शेप को महसूस किया. ऐसा लगता था जैसे कोई स्पंज सी चीज़ है जिस पर कुछ उभार हैं. मैने उपेर से ही उसे रब करना शुरू किया, मैने बिल्कुल भी जल्दी नही की , मैं नही कहता था कि वो मज़ा ना ले सके , बल्कि मेरा मकसद ही उसे मज़े कराना था, उसकी चूत की फाकॉ की बीच से मेरी उंगली चल रही थी. उसकी आँखे बंद हो चुकी थी , उसने अपने पैर [ लेग्स] अंदर की तरफ दबा लिए थे , वो आनंद मैं थी, इस बार उसने मुझे किस किया और देर तक मुझे चूस्ति रही, मैने सोचा भी नही था की ऐक लड़की जो की बोहत खूबसूरत भी नही है और जिसने सेक्स भी नई किया हो , इतना अछा किस करसकती है, पर शायद हमारी हसरातों का हमारी शक्ल से कोई वास्ता नही होता,
ये कहानी बहुत पुरानी है लेकिन इस घटना को मैं आज तक नही भूल पाया हूँ इसलिए सोचा इस कहानी को आपके साथ शेअर करूँ
मेरे घर के पास एक लड़की रहती है -नाम रिंकी शर्मा, उमर – कोई 18 साल , 12 थ क्लास में पड़ती थी, वैसे देखने ,मे तो वो कोई बोहत खोबसूरत नही थी पर मैने उसे इस लिए चुना क्योकि एक तो वो मेरे लिए आसान शिकार साबित हो सकती थी दूसरे मुझे उसकी शकल खास पसंद ना होते हुए भी उस के मम्मे / चुचे बोहत पसंद थे , आप यकीन करे या ना करे पर जिस वक्त मैं उस के चुचो को देखता था बस मेरी साँस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह जाती थी. यकीन जानिए उस के बूब्स इस दिनिया की सब से मुलायम / सॉफ्ट चीज़ हैं.जीभ लगते ही ऐसा लगता है जैसे मूह मैं ही घुल जाएगे. उनकी बस एक झलक देखते ही मैं तो पागल हो उठा था दिल करता था उसे सबके सामने ही बाँहो मैं भर लू और चूसना शुरू कर दू. – और उस के बाद कभी ना रुकु- कभी भी नही.
बस इस तरह के मंसूबे ले कर मैं उस को पटाने की यानी फसाने की प्लॅनिंग करने लगा. वो अक्सर शाम को अपनी छत पर आ जाती थी , मैं भी अपनी छत पर चला जाता था , थोड़ा सा मैं भी घूरता था तो थोड़ा सा वो भी लाइन देती थी. पर समस्या एक थी की बात इस से आगे नही जा पा रही थी. वो अपने मा – बाप की अकेली संतान थी – मा घर पर ही रहती थी इस लिए उसका अपनी मा से अलग मिल पाना मुस्किल हो रहा था ,
कई बार मैने सोचा की उसे अपने घर बूलौऊ पर समस्या यह थी की मेरी कोई सिस्टर थी ही नही जिसके पास वो आ सके और मेरे पेरेंट्स वर्किंग हैं .इस लिए मेरे पास तो टाइम ओर स्पेस था पर उसके पास नही , और फिर मोहल्ले वालो का भी तो ध्यान रखना था ,
फिर अभी तक मैने कुछ कन्फर्म भी नही किया था यानी कि मैं पक्का यह नही जानता था कि वो मुझ मे किस हद तक इंट्रेस्टेड है, हो सकता है वो बस फ्लर्ट करती हो और अभी आगे के लिए तय्यार ना हो. इस कंडीशन मैं उसको पटाने मैं टाइम इनवेस्ट करना पड़ सकता था, जो की मेरे पास नही था या कहे की मुझ से सबर नही हो पा रहा था.
पर यह भी पासिबल था के वो भी बस मेरे सिग्नल का इंतज़ार कर रही हो.
फिर भगवान ने मेरी सनली , दशहरे से एक दिन पहले मैने अपनी चाल चली. जब वो घर से बाहर आ रही थी मैने ईक पर्ची जिस पर कुछ नही लिखा हुआ था उसके सामने फेक दी- यह देखने के लिए कि वो उठाती भी है के नही. पर जैसा की मैने कहा उस ने उठाई ओर अंदर चली गयी , पर उसके उठाने से एक बात तो कन्फर्म हो गयी की दोनो तरफ है आग बराबर लगी हुई.
बस मैने सोच लिया की अब वेट करने की कोई वज़ह नही, जल्दी से जल्दी उसे प्रपोज़ करना होगा, ताकि मैं उसके और करीब आ साकु.
दशहरे के दिन हमारे सहर मे राम की बारात निकलती है , यह एक बड़ा सा जल्लूस होता है जिस मैं सभी लोग सिरकत करते हैं. जब बारात हमारी गली के सामने से गुजर रही थी तो सब लोग वाहा आ कर खड़े हो गये. मैं जा कर रिकी के पास खड़ा हो गया और उस से बाते करने लगा. जैसे ही मैने देखा की सब लोगो का [ खास तोर पर उसकी मा का ध्यान कही और है मैने रिंकी को कहा की मैं उस से फ्रेंडशिप करना कहता हूँ यह सुन कर यो हल्का सा मुस्कुरई पर उस ने कोई जवाब नही दिया . इस का मतलब हां था .
वो भीड़ मैं जा कर कड़ी हो गयी मैं भी उसके पीछे गया, और फिर मैने राम का नाम ले कर उसका हाथ पहली बार पकड़ा. मेरा हाथ से अपना हाथ उसने छुड़ाने की कोशिश की पर बोहत ज़्यादा नही. [ दोस्तो यह हमेशा याद रहे की कोई भी लड़की कभी भी पहली बार मे आपको पसंद करते हुए भी आपको पूरा जवाब नही देगी, यानी हाँ नही कहेगी.] उसके जवाब हमेशा ना मे हाँ वेल होंगे.]कुछ सेकेंड्स का यह टाइम मुझे ऐसा लगा के बस मैं बयान नही कर सकता.
उस रात मैने फ़ैसला किया की अब दीपावली तक की सारी छुट्टिया मैं रिंकी पर ही इनवेस्ट करूँगा. सो अपने इधेर उधेर घूमने के सारे प्रोग्राम मैने कॅन्सल कर्दिये.
जब भी मुझे मोका मिलता मैं उसकी छत पर कोई रोमॅंटिक से लाइन लिख कर फेक देता.जल्द ही उधर से भी जवाब आने सुरू हो गये. मैं समझ चूक्का था की चिड़या जाल मैं आ चुकी है अब मुझे आगे बढ़ना चाहिए. फिर उनके घर पैंट का काम शुरू हो गया. क्योंकि उनके घर पर कोई लड़का नही था जो पैंट वालो पर नज़र रख सके तो जब भी कोई बाज़ार का काम होता या किसी कमरे [ रूम ] का समान मूव करना होता तो उसकी मम्मी रिंकी से कहती की किसी को पड़ोस से बुला ले. और वो हुई सीधी मेरे ही पास आत्ती. मैं उनका काम करता और जब भी मोका देखता रिंकी की साथ फ्लर्ट भी करता , पर अब मेरे फ्लर्ट रोमॅंटिक से सेक्षुयल हो गये थे, कभी मैं उसके गालो पर किस करता तो वो शरमा जाती और भाग जाती, कभी मैं उसकी बॅक पर चूंटि भरता [ पिंच करता] या उसकी मस्त गान्ड पर स्लॅप करता . वो भी कभी गुस्से से देखती तो कभी कहती की मान जाओ ना. कोई देख लेगा.
वो उसी स्टाईल में मेरी चुदाई करता रहा। संजीदा बैठ कर व्हिस्की के पैग की चुस्कियाँ लेती हुई आँखें फाड़े उसके लंड को मेरी चूत के अंदर घुसता हुआ देखती रही। झबरू अभी मुझे तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। उसके हर धक्के के साथ दर्द के मारे मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। मेरे मुँह से अब बहुत जोर-जोर की चींखें निकलने लगीं। मैंने झबरू से कहा, “थोड़ा धीरे-धीरे चोदो, दर्द हो रहा है!”
वो बोला, “अब मैं अपनी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ाता रहूँगा क्योंकि अब आप मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले चुकी हो!”
मैंने चौंक कर कहा, “क्या?”
वो बोला, “मैं सही कह रहा हूँ। आप इन मेमसाब से पूछ लो!”
मैंने संजीदा की तरफ़ देखा तो संजीदा ने कहा, “आपा, ये ठीक कह रहा है। इसका पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुस चुका है। झबरू ने इतनी अच्छी तरह से अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा दिया है कि मैं भी अब इससे चुदवाने के लिये तैयार हूँ!”
झबरू की रफ़्तार अब धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। मैंने धीरे-धीरे अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर झबरू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। दो मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो झबरू ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। अब वो मुझे बहुत तेजी के साथ चोद रहा था। मैं भी एक दम मस्त हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के लिये अभी भी बहुत ही ज्यादा बड़ा था। जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो मुझे लगता कि मेरी चूत उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। धीरे-धीरे झबरू की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी। अब वो मुझे एक दम पागलों की तरह से चोदने लगा था।
अब तक मुझे चुदवाते हुए करीब चालीस मिनट हो चुके थे। मेरी चूत ने झबरू के लंड को रास्ता दे दिया था और मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा था। वो मुझे चोदता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर चुदवाती रही। करीब एक घंटे की चुदाई के बाद झबरू झड़ गया और मैं भी उसके साथ ही साथ एक बार फिर से झड़ गयी। मैं इस चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी। झबरू ने अपनी तमाम मनि मेरी चूत में निकालने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे लगा कि मेरी चूत भी उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो संजीदा बोली, “आपा, तुम रहने दो! इसका लंड मैं चाट कर साफ़ करूँगी!”
संजीदा ने अपना पैग खतम किया और झबरू के लंड को चाट-चाट कर साफ़ करना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू बेड पर लेट गया और आराम करने लगा। अब वो एक दम मुतमाइन नज़र आ रहा था। तीस मिनट के बाद संजीदा ने झबरू से कहा, “मुझे भी चोद दो!”
संजीदा भी काफी ज्यादा पी चुकी थी और नशे में झूम रही थी।
झबरू बोला, “अभी थोड़ी देर मुझे और आराम कर लेने दो, उसके बाद मैं आपको भी चोद दुँगा। जब मैं आपकी चुदाई करूँगा तो आपको ज्यादा तकलीफ़ होगी।”
संजीदा ने पूछा, “क्यों?”
झबरू ने कहा, “आपने अभी तक मोनू से ज्यादा से ज्यादा बीस बार चुदवाया होगा। अभी आपकी चूत अमीना मेमसाब की चूत से बहुत ज्यादा तंग होगी।”
संजीदा बोली, “कुछ भी हो, मैं तो बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ।”
झबरू बोला, “ठीक है.. थोड़ी देर के बाद मैं आपको चोदुँगा।”
संजीदा तो नशे में मस्त थी और उसकी चूत दहक रही थी। उसने अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ अपने सैंडल पहने ही मेरे पास आ कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैं थोड़ी देर उसकी चूत सहलाती रही पर मेरी अँगुलियों से उसकी चूत को कहाँ राहत मिलती। कुछ देर बाद झबरू ने संजीदा से अपना लंड चूसने को कहा तो संजीदा झबरू का लंड चूसने लगी।
जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने संजीदा की चुदाई शुरू की। उसने मुझे जिस तरह आरम से चोदा था, ठीक उसी तरह संजीदा को भी चोद रहा था। लेकिन संजीदा की चूत अभी भी बहुत ज्यादा तंग थी। वो बहुत चिल्लायी और उसे दर्द भी बहुत हुआ लेकिन आखिर में झबरू ने अपना पूरा का पूरा लंड संजीदा की चूत में डाल ही दिया। संजीदा की चूत में झबरू को अपना लंड आरम से घुसाने में करीब बीस मिनट लगे और फिर उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी और उसे करीब सवा घंटे तक चोदा। संजीदा उससे चुदवाने में तीन बार झड़ गयी थी। झबरू से चुदवाने के बाद संजीदा की चूत में इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो बिल्कुल भी हिलडुल नहीं पा रही थी।
झबरू ने कहा, “मैं अभी एक बार आपकी चुदाई और करूँगा... उसके बाद तुम हिलडुल सकोगी और चल भी सकोगी।”
मोनू अभी भी संजीदा को बुरी तरह से चोद रहा था और संजीदा एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। दस मिनट और चोदने के बाद मोनू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। संजीदा भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी। दो मिनट बाद ही मोनू संजीदा की चूत में झड़ने लगा तो संजीदा भी उसके साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
तमाम मनि संजीदा की चूत में निकाल देने के बाद मोनू संजीदा के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। संजीदा भी उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी। मैंने संजीदा से पूछा, “मज़ा आया?”
संजीदा बोली, “हाँ आपा, बहुत मज़ा आया। मैं इसी मज़े के लिये शादी के बाद से ही तड़प रही थी!”
मैंने कहा, “अब तो तुम रशीद से खफ़ा नहीं रहोगी?”
वो बोली, “अगर रशीद मुझे मोनू से चुदवाने से मना नहीं करेगा तो मैं उससे कभी भी खफ़ा नहीं रहुँगी।”
वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे। दस मिनट बाद मोनू संजीदा के उपर से हट गया और उसकी बगल में ही लेट गया। मैंने देखा कि संजीदा की चूत का मुँह एक दम चौड़ा हो चुका था। उसकी चूत एक दम गुलाबी हो गयी थी और कई जगह से एक दम कट फट गयी थी। एक घंटे तक आराम करने के बाद संजीदा बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो उठ नहीं पा रही थी। मोनू उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले जाने लगा तो मैंने देखा कि मोनू का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। मोनू संजीदा को लेकर बाथरूम में चला गया।
जब दस-पंद्रह मिनट तक मोनू वापस नहीं आया तो मैं रशीद के साथ बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि मोनू बाथरूम में ही संजीदा की डॉगी स्टाईल में बुरी तरह से चुदाई कर रहा था। संजीदा भी एक दम मस्त हो कर उससे चुदवा रही थी। मैंने मोनू से कहा, “तुम इसे बेडरूम में ला कर इसकी चुदाई करते तो क्या मैं तुम्हें मना कर देती?”
मोनू ने कहा, “ऐसी बात नहीं है। ये जब पेशाब कर चुकी तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने इनसे कहा कि मैं फिर से चोदना चाहता हूँ तो इन्होंने कहा कि यहीं चोद दो ना और मैंने इन्हें चोदना शुरू कर दिया!”
मैंने कहा, “ठीक है!”
उसके बाद मैं रशीद के साथ बेडरूम में आ गयी। करीब आधे घंटे के बाद मोनू संजीदा को गोद में उठा कर ले आया और उसे बेड पर लिटा दिया। संजीदा की चूत एक दम सूज चुकी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “इस बार कैसा लगा?”
वो बोली, “इस बार चुदवाने में इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती। मोनू ने इतनी बुरी तरह से मेरी चुदाई की है कि मैं इसका धक्का बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। इस बार की चुदाई ने मेरे जिस्म का सारा जोड़ हिला कर रख दिया!”
मैंने कहा, “अब तो खुश हो?”
वो बोली, “हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ!”
अगले दो दिनों तक रशीद साईट पर अकेला ही गया। मैं संजीदा और मोनू के साथ घर पर रही ताकि संजीदा दिल भर्र कर मोनू से चुदवा सके। मोनू ने दो दिनो में सोलह मर्तबा संजीदा की चुदाई की। संजीदा की चूत का मुँह एक दम खुल चुका था। लेकिन उसे अब भी चलने फिरने में दिक्कत हो रही थी। उसकी चूत मोनू से चुदवा-चुदवा कर एक दम सूज गयी थी और किसी डबल-रोटी की तरह फूल चुकी थी। उन दो दिनों में मैंने मोनू से एक बार भी नहीं चुदवाया, केवल संजीदा ही चुदवाती रही। मैं भी चुदवाने का खूब मज़ा लेना चाहती थी।
मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे किसी दूसरे मर्द का इंतज़ाम कर लेना चाहिए। तभी हम दोनों चुदाई का खूब मज़ा ले पायेंगी। तीसरे दिन मैं रशीद के साथ दूसरी साईट पर गयी। वो साईट एक आदिवासी इलाके में थी। संजीदा और मोनू घर पर ही थे। मैंने उस साईट पर भी एक आदमी देखा। वो आदिवासी था और उसका रंग एक दम साँवला था लेकिन था बहुत ही हट्टा कट्टा। उसका लंड मुझे मोनू के लंड से भी मोटा और लंबा लगा। मैंने रशीद से उसे भी घर पर काम करने के लिये रखने को कहा। रशीद ने उससे बात की तो वो राज़ी हो गया। उसका नाम झबरू था। वो हमारे साथ घर आ गया।
जब उसे मालूम हुआ कि उसे मेरी और संजीदा की चुदाई करनी है तो उसने इनकार कर दिया। मैंने उस से वजह पूछी तो उसने कहा, “मेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा है। मैं एक घंटे के पहले नहीं झड़ पाता। मैं पहले भी दो लड़कियों को चोद चुका हूँ। एक बार की चुदाई में ही उनकी चूत बुरी तरह से फट गयी थी और उन्हें असपताल में भर्ती होना पड़ा। उसके बाद मैंने कसम खायी कि अब मैं किसी की चुदाई नहीं करूँगा!”
मैंने कहा, “ठीक है, तुम मोनू का लंड देख लो। हम दोनों ने बड़े आराम से इसके लंड से खूब चुदवाया है।”
मैंने मोनू से कहा, “तुम झबरू को अपना लंड दिखा दो!”
मोनू ने झबरू को अपना लंड दिखाया तो झबरू ने कहा, “इसका लंड तो मेरे लंड से बहुत पतला और छोटा है।”
मैंने झबरू से कहा, “जरा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारा लंड कैसा है?”
वो बोला, “हाँ, मैं अपना लंड जरूर दिखा सकता हूँ लेकिन मैं आप दोनों को चुदूँगा नहीं!”
मोनू संजीदा की टाँगों के बीच आ गया। उसने संजीदा की टाँगों को घुटनों से मोड़ कर उसके कंधों के पास सटा कर दबा दिया। संजीदा एक दम दोहरी हो गयी और उसकी चूत उपर की तरफ उठ गयी। मोनू ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के बीच रखा। मोनू ने जोर लगाते हुए अपना लंड संजीदा की चूत के अंदर दबाना शुरू किया। जैसे ही मोनू का लंड संजीदा की चूत में दो इंच घुसा तो संजीदा जोर-जोर से चींखने लगी। लेकिन मोनू रुका नहीं और उसने थोड़ा जोर और लगा दिया। संजीदा दर्द के मारे तड़पने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसका सारा जिस्म पसीने से नहा गया। उसकी टाँगें थरथर काँपने लगी। मोनू का लंड संजीदा की चूत में तीन इंच तक घुस चुका था। मैं संजीदा के पास बैठ गयी और मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। संजीदा ने मुझे जोर से पकड़ लिया और रोने लगी। वो बोली, “आपा! बेहद दर्द हो रहा है। मैं मोनू का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर कैसे ले पाऊँगी!”
मैंने कहा, “पहली-पहली मर्तबा दर्द तो होता ही है। तुम घबराओ मत, मोनू जब धीरे-धीरे तमाम लंड तुम्हारी चूत में घुसा कर तुम्हें चोदेगा तब तुम्हें खूब मज़ा आयेगा और तुम सारा दर्द भूल जाओगी। उसके बाद तुम्हें मोनू से चुदवाने में कभी दर्द नहीं होगा और तुम चुदाई का पूरा मज़ा ले पाओगी।”
मोनू अपना लंड संजीदा की चूत में डाले हुए रुका रहा। थोड़ी देर बाद संजीदा आसुदा हो गयी। मोनू ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। मोनू का लंड अभी भी संजीदा की चूत में चार इंच तक ही अंदर बाहर हो रहा था। थोड़ी देर बाद संजीदा को मज़ा आने लगा और वो पाँच मिनट की चुदाई के बाद झड़ गयी। मोनू ने अपनी रफ़्तार थोड़ा बढ़ा दी। मोनू हर पंद्रह-बीस धक्कों के बाद एक जोर का धक्का लगाते हुए संजीदा की चुदाई करने लगा। जब वो जोर का धक्का लगा देता तो उसका लंड संजीदा की चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुस जाता। जब मोनू जोर का धक्का लगा देता तो संजीदा दर्द के मारे तड़प उठती थी। संजीदा बहुत ज्यादा जोश में थी इसलिए उसे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। मोनू इसी तरह संजीदा की चुदाई करता रहा। वो अभी संजीदा को ज्यादा तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी तो मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?”
संजीदा बोली, “मज़ा तो आ रहा है लेकिन दर्द भी बेइंतेहा हो रहा है!”
मैंने कहा, “अभी मोनू का पूरा लंड तुम्हारी चूत में नहीं घुसा है इसलिए वो तुम्हें धीरे-धीरे चोद रहा है। जब वो अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा देगा तब वो तुम्हारी बहुत तेजी के साथ चुदाई करेगा। उसके बाद तुम्हें चुदवाने में खूब मज़ा आयेगा।”
संजीदा ने पूछा, “अभी कितना बाकी है?”
मैंने कहा, “अभी तक तो मोनू का लंड तुम्हारी चूत में करीब पाँच इंच ही घुसा है!”
संजीदा बोली, “मोनू से कह दो कि वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में जल्दी से घुसा दे। मैं जल्दी से जल्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेना चाहती हूँ!”
मैंने कहा, “दर्द बहुत होगा!”
वो बोली, “दर्द तो धीरे-धीरे घुसाने में भी हो रहा है!”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत लगा कर अपना पूरा का पूरा लंड इसकी चूत में घुसा दो!”
मोनू ने पूरी ताकत के साथ बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये। संजीदा दर्द के मारे चींखने लगी। सारा कमरा उसकी चींखों से गूँजने लगा। संजीदा ने दर्द के मारे अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये। आठ-दस जोरदार धक्कों के बाद मोनू का लंड पूरा का पूरा संजीदा की चूत में घुस गया। संजीदा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू ने पूरा लंड घुसा देने के बाद बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। संजीदा दर्द के मारे चींखती रही लेकिन मोनू रुका नहीं। वो बहुत तेजी के साथ संजीदा को चोद रहा था।
दस मिनट तक तो संजीदा बुरी तरह से चींखती रही और फिर धीरे-धीरे चुप होने लगी। अब तक संजीदा की चूत ने अपना पूरा मुँह खोल कर मोनू के लंड को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था। मोनू भी पूरे जोश के साथ संजीदा को चोद रहा था। पाँच मिनट और चुदवाने के बाद संजीदा चुप हो गयी। उसकी दर्द भरी चींखें अब जोश भरी सिसकरियों में बदल रही थी।
पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा। अब मोनू का लंड संजीदा की चूत में कुछ आसानी से अंदर बाहर होने लगा था। संजीदा भी अब अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है?”
मैंने कहा, “मेरे शौहर को गुजरे हुए छः महीने से ज्यादा हो चुके हैं। मैंने इन छः महिनों में कभी भी सैक्स का मज़ा नहीं लिया था। एक दिन मैंने रशीद से कहा तो मुझे मालूम हुआ कि इसका तो लंड ही नहीं खड़ा होता। मैं रशीद के सामने पहले भी एक दम नंगी हो चुकी हूँ। इसलिए मुझे शरम नहीं आती। मैंने अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिये एक नौकर रख लिया है। उसका नाम मोनू है। उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा है और वो बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुदाई करता है। मैं अपने कपड़े उतार कर मोनू से चुदवाने जा रही हूँ। मुझे ये भी मालूम है कि तुम अभी तक कुँवारी हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। उसके बाद अगर तुम्हारा दिल करे तो तुम भी उससे चुदवा लेना। आखिर तुम चुदवाने के लिये कब तक तड़पती रहोगी। इसी लिये आज मैं तुमको यहाँ ले आयी हूँ।”
संजीदा बोली, “मुझे शरम आयेगी।”
मैंने कहा, “काहे की शरम। जब मुझे तुम्हारे सामने चुदवाने में शरम नहीं आ रही है तो तुम क्यों शरमा रही हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। शायद तुम्हारा मन भी चुदवाने का करे। आखिर अब तुम्हें सारी ज़िंदगी रशीद के साथ ही गुजारनी है। रशीद को मैंने पहले ही समझा दिया है और उसे कोई ऐतराज़ नहीं है।”
संजीदा चुप हो गयी। मैंने एक ग्लास में व्हिस्की डाल कर एक तगड़ा सा पैग बना कर उसे दिया। “लो संजीदा... ये पीयो... तुम्हें अच्छा लगेगा और शरम भी चली जायेगी।”
मैंने मोनू से पहले ही कह रखा था की जब मैं उसे बुलाऊँगी तो वो एक दम नंगा ही मेरे पास आये। मैंने मोनू को पुकारा तो वो मेरे कमरे में आ गया। वो एक दम नंगा था। संजीदा ने जैसे ही उसका लंड देखा तो उसने अपना सिर झुका लिया।
मैंने संजीदा से कहा, “अब क्यों शरमा रही हो। अब तो मोनू तुम्हारे सामने एक दम नंगा ही आ गया है। तुम देखो तो सही कि इसका लंड कैसा है।”
संजीदा ने अपना सिर ऊपर उठा लिया। वो मोनू का लंड देखने लगी। मोनू संजीदा के पास आया और बोला, “कैसा लगा मेरा लंड?”
पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी तो मैंने मोनू से कहा, “मुझे डॉगी स्टाईल में चुदवाना ज्यादा पसंद है!”
वो इंग्लिश नहीं जानता था। वो बोला, “ये कौन सा तरीका है?”
मैंने कहा, “तुमने कुत्तिया को कुत्ते से करते हुए देखा है?”
वो बोला, “मैं समझ गया। तुम घोड़ी बन कर चुदवाना चाहती हो?”
मैंने कहा, “हाँ।”
उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया तो मैं डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू मेरे पीछे आ गया और उसने अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके से मेरी चूत में डाल दिया। मुझे थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मेरे मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू ने मेरी कमर को पकड़ लिया और मुझे बहुत ही तेजी के साथ चोदने लगा। थोड़ी देर तक तो मैं दर्द से तड़पती रही लेकिन फिर बाद में मैं भी अपने चूत्तड़ आगे पीछे करते हुई मोनू का साथ देने लगी। मुझे साथ देते हुए देख कर मोनू ने अपनी रफ़्तार काफ़ी तेज कर दी।
दस मिनट की चुदाई के बाद ही मैं फिर से झड़ गयी। मेरे झड़ जाने के बाद मोनू ने मुझे बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो इतनी जोर जोर के धक्के लगा रहा था कि मैं हर धक्के के साथ आगे की तरफ़ खिसक जा रही थी। मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे ज़मीन पर चलने को कहा। मैं ज़मीन पर आ गयी तो उसने मेरा सिर दीवार से सटा कर मुझे कुत्तिया की तरह बना दिया। उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई शुरू कर दी। मेरा सिर दीवर से सटा हुआ था। मैं अब आगे नहीं खिसक पा रही थी इसलिए अब उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था।
मैं भी पूरे जोश में आ चुकी थी और अपने चूत्तड़ आगे-पीछे करते हुए उससे चुदवा रही थी। वो भी पूरी ताकत के साथ जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। कमरे में ‘धप-धप’ और ‘चप-चप’ की आवाज़ हो रही थी। मैं जोश में आ कर जोर -जोर की सिसकारियाँ भर रही थी। सारा कमरा मेरी जोश भरी सिसकरियों से गूँज रहा था। मैं ‘और तेज... और तेज...’ करती हुई एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। आज मुझे मोनू से चुदवाने में जो मज़ा आ रहा था वो मज़ा मुझे शादी के बाद कुछ दिनों तक ही अपने शौहर से चुदवाने में मिला था। आज मैं अपनी ज़िंदगी में दूसरी बार सुहागरात का मज़ा ले रही थी क्योंकि मेरी चूत मोनू के लंड के लिये किसी कुँवारी चूत से कम नहीं थी।
मोनू ने मुझे इस बार करीब पैंतालीस मिनट तक बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार की चुदाई के दौरान मैं तीन बार झड़ चुकी थी। सारी मनि मेरी चूत में निकाल देने के बाद जब मोनू ने अपना लंड बाहर निकाला तो मैं अपने आप को रोक ना सकी और मैंने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया। वो मुझसे अपना लंड चटवा कर बहुत खुश हो रहा था। मैंने मोनू से पूरी मस्ती के साथ सारी रात खूब चुदवाया। सुबह हम दोनों नहाने के लिये एक साथ बाथरूम में गये। मोनू ने बाथरूम में भी बुरी तरह से मेरी चुदाई की। उसके बाद सारा दिन उसने मुझे कईं तरह के स्टाईल में खूब चोदा।
रात के आठ बजे मैं मोनू के साथ डीनर के लिये एक होटल में गयी। होटल से लौट कर आने के बाद मोनू ने सारी रात मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदा। उसने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था। तीसरे दिन सुबह के आठ बजे काल-बेल बजी तो मैंने मोनू से कहा, “जा कर देखो। शायद रशीद आया है!”
वो शर्माते हुए मेरी बगल में बेड पर बैठ गया। मैंने कहा, “पहले मेरी पीठ और कमर की मालिश करो।” @aapkaraj वो मेरी पीठ की मालिश करने लगा। उसका हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस जाता था। मैंने कहा, “तुम्हारा हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस रहा है। तुम इसे खोल दो और ठीक से मालिश करो।”
उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मालिश करने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने कहा, “और नीचे तक मालिश करो।”
वो और ज्यादा नीचे तक मालिश करने लगा। अभी उसका हाथ मेरे चूत्तड़ पर नहीं लग रहा था।
मैंने कहा, “थोड़ा और नीचे तक मालिश करो।”
वो शर्माते हुए और नीचे तक मालिश करने लगा। जब उसका हाथ मेरी पैंटी को छूने लगा तो मैंने कहा, “पैंटी को भी थोड़ा नीचे कर दो फिर मालिश करो।”
उसने मेरी पैंटी को भी थोड़ा सा नीचे कर दिया। अब मेरे आधे चूत्तड़ उसे नज़र आने लगे। वो बड़े प्यार से मेरे चूत्तड़ों की मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मेरे दोनों चूत्तड़ों को हल्का-हल्का सा दबाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। थोड़ी देर तक मालिश करवाने के बाद मैंने कहा, “अब तुम मेरे हाथों की मालिश करो।”
मैंने जानबूझ कर अपनी ब्रा को नहीं पकड़ा और पलट कर पीठ के बल लेट गयी। मेरी ब्रा सरक गयी और उसने मेरी दोनों चूचियों को साफ़ साफ़ देख लिया। वो मुस्कुराने लगा तो मैंने तुरंत ही अपनी ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लिया लेकिन उसका हुक बँद नहीं किया। वो मेरे हाथों की मालिश करने लगा। मेरी ब्रा बार-बार सरक जा रही थी और मैं बार-बार उसे अपनी चूचियों पर रख लेती थी। जब वो मेरे हाथ की मलिश कर चुका तो मैंने कहा, “अब तुम मेरी टाँगों की मालिश कर दो।”
वो घुटने के बल बैठ कर मेरी टाँगों की मालिश करने लगा। उसने मेरे सैंडल उतारने की कोशिश नहीं की। मैंने देखा कि मोनू का लंड एक दम खड़ा हो चुका था और उसका निक्कर तम्बू की तरह हो गया था। वो केवल घुटने तक ही मालिश कर रहा था तो मैंने कहा, “क्या कर रहे हो, मोनू। मेरी जाँघों की भी मालिश करो।”
वो मेरी जाँघों तक मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मालिश करते-करते अपनी अँगुली मेरी चूत पर छूने लगा तो मैं कुछ नहीं बोली। उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए टाँगों की मालिश करने लगा। मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था। मैं दिल ही दिल में खुश हो रही थी कि अब बस थोड़ी ही देर में मेरा काम होने वाला है। अमिना की कहानी।
थोड़ी ही देर बाद मोनू जोश से एक दम बेकाबू हो गया और उसने मेरी पैंटी नीचे सरका दी और एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी। उसने मेरी टाँगों की मालिश बँद कर दी और अपनी बीच की अँगुली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। मैं मन ही मन एक दम खुश हो गयी की अब मेरा काम बन गया। वो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसलने लगा। थोड़ी ही देर में मैं एक दम जोश में आ गयी और आहें भरने लगी। वो मेरी चूचियों को मसलते हुए अपनी अँगुली बहुत तेजी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा तो दो मिनट में ही मैं झड़ गयी और मेरी चूत एक दम गीली हो गयी।
मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींच लिया। वो मेरा इशारा समझ गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपने निक्कर का नाड़ा खोल कर अपना निक्कर नीचे सरका दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। उसका लंड तो करीब आठ इंच ही लंबा था लेकिन मेरे शौहर के लंड से बहुत ज्यादा मोटा था। मैं उसके लंड को सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया। वो मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रहा था। मैं जोश से पागल सी होने लगी तो मैंने मोनू से कहा, “मोनू, अब देर मत करो। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!” @aapkaraj मेरे इतना कहते ही उसने एक झटके से मेरी पैंटी जो की पहले से ही नीचे थी, उतार दी और मेरी ब्रा को भी खींच कर फेंक दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी, सिर्फ अपने सैंडल पहने उस के सामने पड़ी थी। उसके बाद उसने अपना निक्कर भी उतार कर फेंक दिया। उसके बाद वो मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर दूर-दूर फैला दिया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की फाँकों के बीच रख दिया। उसके बाद उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड बहुत ज्यादा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द होने लगा। मैंने दर्द के मारे अपने होठों को जोर से जकड़ लिया जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकल पाये। मेरी धड़कनें तेज होने लगी। लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो।
@aapkaraj मेरा नाम अमीना काज़ी है। मेरे शौहर शफ़ीक काज़ी ठेकेदारी का काम करते थे। उनका ठेकेदारी का काम बेहद लंबा चौड़ा था। उनका एक मैनेजर था जिसका नाम रशीद कुरैशी था। वो उनका दोस्त भी था और उनका सारा काम देखता था। वो हमारे घर सुबह के आठ बजे आ जाता था और नाश्ता करने के बाद मेरे शौहर के साथ साईट पर निकल जाता था। मैं उसे उसके नाम से ही रशीद कह कर बुलाती थी और वो भी मुझे सिर्फ अमीना कह कर बुलाता था। उस समय उसकी उम्र करीब तेईस साल की थी और वो दिखने में बहुत ही हैंडसम था। वो मुझसे कभी कभी मज़ाक भी कर लेता था। शादी के पाँच साल बाद मेरे शौहर की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गयी। अब उनका सारा काम मैं ही संभालती हूँ और रशीद मेरी मदद करता है।
मेरे शौहर बहुत ही सैक्सी थे और मैं भी। उनके गुज़र जाने के बाद करीब छः महीने तक मुझे सैक्स का बिल्कुल भी मज़ा नहीं मिला तो मैं उदास रहने लगी। एक दिन रशीद ने कहा, “क्या बात है अमीना, आज कल तुम बहुत उदास रहती हो!”
मैंने कहा, “बस ऐसे ही!”
वो बोला, “मुझे अपनी उदासी की वजह नहीं बताओगी? शायद मैं तुम्हारी उदासी दूर करने में कुछ मदद कर सकूँ।”
मैंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मेरी उदासी दूर कर सकते हो। आज पूरे दिन काफ़ी काम है। मैं शाम को तुम्हें अपनी उदासी की वजह जरूर बताऊँगी। मेरी उदासी की वजह जान लेने के बाद शायद तुम मेरी उदासी दूर कर सको। मेरी उदासी दूर करने में शायद तुम्हें काफ़ी ज्यादा वक्त लग जाये, हो सकता है पूरी रात ही गुज़र जाये... इसलिए आज तुम अपने घर बता देना कि कल तुम सुबह को आओगे। मैं शाम को तुम्हें सब कुछ बता दुँगी!”
वो बोला, “ठीक है।”
हम दोनों सारा दिन काम में लगे रहे। एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली। घर वापस आते-आते रात के आठ बज गये। घर पहुँचने के बाद मैंने रशीद से कहा, “मैं एक दम थक गयी हूँ। पहले मैं थोड़ा गरम पानी से नहा लूँ... उसके बाद बात करेंगे... तब तक तुम हम दोनों के लिये एक-एक पैग बना लो।”
वो बोला, “नहाना तो मैं भी चाहता हूँ। पहले तुम नहा लो उसके बाद मैं नहा लुँगा।”
मैं नहाने चली गयी और रशीद पैग बनाने के बाद बैठ कर टी.वी देखने लगा। पंद्रह मिनट बाद मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आयी तो मैंने केवल गाऊन पहन रखा था। गाऊन के बाहर से ही मेरे सारे जिस्म की झलक एक दम साफ़ नज़र आ रही थी। रशीद मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, “आज तो तुम बहुत सुंदर दिख रही हो।” मैं केवल मुस्कुरा कर रह गयी। उसके बाद रशीद नहाने चला गया। मैं सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखते हुए अपना पैग पीने लगी। थोड़ी देर बाद रशीद ने मुझे बाथरूम से ही पुकारा तो मैं बाथरूम के पास गयी और पूछा, “क्या बात है?” वो अंदर से ही बोला, “अमीना! मैं अपने कपड़े तो लाया नहीं था और नहाने लगा। अब मैं क्या पहनुँगा!”
मैंने कहा, “तुम टॉवल लपेट कर बाहर आ जाओ। मैं अभी तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम कर दुँगी।” रशीद एक टॉवल लपेट कर बाहर आ गया। मैंने कहा, “तुम बैठ कर टी.वी देखो, मैं एक-एक पैग और बना कर लाती हूँ। उसके बाद मैं तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम भी कर दुँगी।” वो सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखने लगा। मैंने व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाये और मैंने रशीद को एक पैग दिया। वो चुप चाप सिप करने लगा। मैं भी सोफ़े पर बैठ कर पैग पीने लगी। अमिना की कहानी।
रशीद ने मुझसे पूछा, “अब तुम अपनी उदासी की वजह बताओ। मैं तुम्हारी उदासी दूर करने की कोशिश करूँगा।”
मैं उठ कर रशीद की बगल में बैठ गयी। फिर मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और कहा, “मेरी उदासी की वजह ये है। मेरे शौहर को गुजरे हुए छः महीने हो गये हैं और तब से ही मैं एकदम प्यासी हूँ। वो रोज ही जम कर मेरी चुदाई करते थे। छः महीने से मुझे चुदाई का मज़ा बिल्कुल नहीं मिला है और ये कमी तुम पूरी कर सकते हो!”
वो कुछ नहीं बोला। मैंने रशीद के लंड पर से टॉवल हटा दिया। रशीद का लंड एक दम ढीला था लेकिन था बहुत ही लंबा और मोटा।
मैंने कहा, “तुम्हारा लंड तो उनके लंड से ज्यादा लंबा और मोटा लग रहा है। मुझे तुमसे चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा!”
वो बोला, “मैं तुम्हें नहीं चोद सकता!”
मैंने पूछा, “क्यों?”
रशीद ने अपना सिर झुका लिया और बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता!”
उसकी बात सुन कर मैं सन्न रह गयी। मैंने कहा, “तुम्हारी शादी भी तो दो महीने पहले हुई है!”
वो बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता इसलिए वो अभी तक कुँवारी ही है। मेरी बीवी मुझसे इसी वजह से बेहद खफ़ा रहती है। वो कहती है कि जब तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होता था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की!”
उसके बाद तकरीबन पंद्रह दिन मैंने कार इस्तमाल की और शाज़िया और फौज़िया को इकट्ठे लेकर जाता था और दोनों की एक साथ चुदाई करता था। अहमद भी हमारी कंपनी को मिस कर रहा था और मुसलसल मोबाइल पर फोन करता था।
पंद्रह दिनों बाद अहमद के पेरेंट्स कराची अपने फ़्लैट में शिफ़्ट हो गये और मैंने चाबियाँ और कार उनको वापिस कर दीं। अहमद के पेरेंट्स मुझे काफी अच्छी तरह जानते थे और मेरी काफी इज्जत करते थे। मैं भी उनकी काफी इज्जत करता हूँ। अहमद के चले जाने के बाद मैं उनका काफी ख्याल रखता था और वो भी मुझे अपने बेटे की तरह ट्रीट करते थे। अहमद की फैमली आ जाने के बाद सबसे ज़्यादा मुश्किल मुझे जगह की हुई कि अब चुदाई के लिये कोई जगह नहीं थी। बल्कि मैं रिस्क लेकर शाज़िया और फौज़िया के वार्ड में जाता था और उनके इनकार के बावजूद उनके विज़ीटर रूम के बाथरूम में अपनी लंड की तमन्ना पूरी करता था, मगर मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि वहाँ खतरा काफी होता था, और फिर मैं उनसे पूरी तरह से चुदाई भी नहीं कर सकता था। उन दोनों का तो रात को एक-दूसरे से काम चल ही जाता था। उनको अब मैं आर्मी कोटे से शराब सपलायी करता था जो वो रात को होस्टल में अपने कमरे में पीती थीं और मौज करती थीं। मैं ये भी मिस कर रहा था क्योंकि शराब के नशे में वो बहुत मस्त चुदवाती थीं और इसका मौका अब मुझे नहीं मिलता था।
काफी दिन हो गये थे और हमने इकट्ठे सैक्स नहीं किया। मैंने शाज़िया को कहा कि कुछ करो, या तो अपनी एक साथ एक ही वार्ड में ड्यूटी लगवाओ या कुछ और करो। वो दोनों भी ग्रुप सैक्स चाहती थीं लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल रहा था।
आखिरकार उसने एक प्लैन बनाया कि मैं उनके होस्टल में रात को दीवार कूद कर के आऊँ। ये बहुत खतरनाक काम था लेकिन अपने लंड की खुशी के लिये मैं कुछ भी कर सकता था। प्लैन के मुताबिक मैं रात के आठ बजे उनके होस्टल की दीवार के पास पहुँच कर उनको मोबाइल पर काल किया और वो दोनो दीवार के करीब आ गयीं। मैंने दीवार क्रॉस की, ये कोई बड़ी ऊँची दीवार नहीं थी। उसके बाद उन्होंने मुझे एक बड़ा दुपट्टा दिया और मैंने अपने ऊपर डाल लिया। मैं एक फ़िमेल जैसा दिख रहा था और मैं उन दोनों के दरमियान चल रहा था और दूर से कोई भी पहचान नहीं सकता था। उनके साथ चलते-चलते मैं उनके ब्लॉक में आया, और फिर सीढ़ियाँ चढ़ कर हम उनके रूम में आ गये। वहाँ पहुँचा तो मेरा साँस फुला हुआ था क्योंकि ये काफी खतरनाक काम था।
रूम में आकर मैंने सकून का साँस लिया और अभी बैठा ही था कि डोर पर नॉक हुई। मैं घबराया मगर उन्होंने जल्दी से मुझे स्टोर में छिपा दिया और डोर ओपन किया तो उनकी एक दूसरी फ्रैंड कुछ माँगने आयी थी। खैर जल्दी ही वो चली गयी और मैं फिर स्टोर से बाहर निकल आया। शाज़िया और फौज़िया ने मेरे लिये काफी खातिर किया हुआ था। व्हिस्की के साथ काजू, कबाब वगैरह का इंतज़ाम था। दोनों ने काफी बनाव-सिंगार किया हुआ था। शाज़िया ने गुलाबी रंग का शलवार-कमीज़ पहना था और उसके पैरों में बहुत ही सैक्सी सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल थे। फौज़िया ने सफ़ेद रंग का प्रिंटेड सलवार-कमीज़ पहना था जिस पर कई रंगों के फूल बने हुए थे और शाज़िया जैसे ही पर काले रंग के सैंडल पहने हुए थे।
उसके बाद हमारा प्रोग्रम स्टार्ट हुआ। पहले हमने कबाब खाये और साथ में व्हिस्की का मज़ा लिया। उन दोनों ने भी जी भर कर शराब पी और कुछ ही देर में वो दोनों झूम रही थीं। मैंने अपने ऊपर कंट्रोल रखा क्योंकि मैं ज्यादा पी कर धुत्त नहीं होना चाहता था। उन दोनों को एक साथ चोदना इतना आसान नहीं था। मैंने बारी-बारी से दोनो को चूमा। उसके बाद एक मेरा लंड चूस रही थी और मैं एक की चूत चाट रहा था। उसके बाद बारी-बारी उनकी चूत की आग भुजायी। मैं सुबह सहर के वक्त तक उनके रूम में था और उनको अलग-अलग स्टाईल से चोदता रहा। उन्होंने काफी इंजॉय किया और मैंने भी उनके रूम में पहली बार उनकी चूत और गाँड का मज़ा लिया। वो मुझसे तब तक चुदवाती रहीं जब तक मेरे लंड में बिल्कुल भी जान बाकी नहीं रही। तकरीबन सुबह पाँच बजे मैं अकेला ही दुपट्टे में छुप कर दीवार तक गया। वो दोनों आना तो साथ चाहती थीं पर नशे में वो ठीक से चलने के काबिल नहीं थीं। मैंने दीवार क्रॉस की और अपनी मोटर-बाईक जो करीब ही पार्किंग में थी, स्टार्ट की और यूनिट में आ गया।
ये भी मेरी ज़िंदगी के ना-भूलने वाले सीन थे क्योंकि खतरे में चूत मारने और उन दोनों के साथ चुदाई करने का और ही मज़ा था। खैर मेरी ज़िंदगी बहुत ही सेटिसफाईड और मज़े में उन दो चूतों और उनकी गाँडों के मारने में गुज़र रही थी। उन दोनो को भी मालूम था कि मैं कहीं और नहीं जाता बल्कि सिर्फ़ उनकी चूत और गाँड मारता हूँ। इसमें कोई शक नहीं कि मैंने वो पूरा अर्सा उनके अलावा कहीं कोई और चूत नहीं चोदी क्योंकि उन्होंने इतना सेटिसफाईड रखा था कि कभी कहीं और चुदाई करने के लिये लंड में ताकत ही नहीं रहती थी। इसके
@aapkaraj उसके बाद अहमद मुझे यूनिट छोड़ने आया और मैं अपनी ड्यूटी में मसरूफ हो गया। खैर दिन गुज़रते रहे और हम लोग उसी तरह अकेले-अकेले चुदाई में मसरूफ थे। मेरे पास अहमद की फ़्लैट की चाबियाँ थीं और मैं अक्सर शाज़िया को वहाँ लेकर जाता और हम दोनों इंजॉय करते। अहमद भी फौज़िया को लेकर जाता और वो भी चुदाई का मज़ा लेते।
मगर अभी तक फौज़िया के साथ सिवाय किसिंग के कुछ नहीं किया और उसकी अज़ीम वजह शाज़िया थी। वो मुझे शेयर करना नहीं चाहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि मैं उसको बहुत अच्छा चोदता था और उसको पूरा मज़ा देता था, मगर मैं भी एक मर्द (बेवफ़ा जात) था और हर वक्त ग्रुप सैक्स या फौज़िया की चूत मारने का सोचता था।
एक दिन मैं शाज़िया को लेकर अहमद के फ़्लैट पर गया था और उसके साथ चुदाई कर रहा था। तभी अचानक डोर खुला और अहमद फौज़िया के साथ अंदर दाखिल हुआ। दरसल मैं शाज़िया को टिवी पर मूवी दिखा कर चोद रहा था और मुझे मालूम था कि अहमद नहीं आयेगा। फौज़िया भी अपने रिश्तेदार के घर गयी हुई थी, इसलिये उसका भी अहमद के साथ आने का कोई चाँस ना था। हम लोग शराब पीकर बेफ़िक्र होकर चुदाई में मसरूफ थे और ये सब इतना अचानक हुआ कि मैं और शाज़िया बिल्कुल संभल न सके।
उस दिन पहली बार मुझे फौज़िया ने और शाज़िया को अहमद ने नंगा देखा। मैं थोड़ा सा बौखलाया मगर अहमद मेरा जिगरी दोस्त था। इसलिये हिम्मत कर के मैंने शाज़िया को चोदना ज़ारी रखा। वो दोनों रूम में चले गये। पहले शाज़िया भी कुछ हिचकिचायी मगर अब तो सब कुछ खुल चुका था और फिर वो नशे में भी थी, इसलिये वो भी बेफ़िक्र हो कर चुदवाती रही। उसके बाद मैंने देखा कि बेडरूम का डोर खुला है और फौज़िया भी अहमद के साथ चुदाई स्टार्ट कर चुकी है।
इस तरह हमारा पर्दा खतम हुआ और मैंने पहली बार फौज़िया को पूरा नंगा देखा और वो भी काफी सैक्सी थी। लेकिन उसके बूब्स शाज़िया से छोटे थे, बाकी सब कुछ बहुत आला था, खासकर उसकी गाँड बहुत ही सैक्सी थी। ऊपर से फौज़िया ने उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे उसकी गाँड और भी सैक्सी लग रही थी और मेरे लंड पर कहर ढा रही थी। उसके बाद हम चारों नंगे थे और टीवी पर मूवी देखने लगे। शाज़िया मेरे लंड के साथ और फौज़िया अहमद के लंड के साथ खेल रही थी। मैंने शाज़िया से कहा अगर वो बुरा ना माने तो मैं फौज़िया को थोड़ा प्यार करूँ। शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था मगर अभी हम इतने खुल चुके थे कि वो इनकार ना कर सकी।
उसके बाद पहली बार मैंने फौज़िया के साथ चुदाई शुरू की। वो भी चुदाई में काफी एक्सपर्ट थी। इसी दौरान अहमद ने भी पहली बार शाज़िया को चूमना शुरू किया। पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लग रहा था जब अहमद उसको किस कर रहा था, लेकिन अभी हम चारों इतने करीब आ गये थे और खुल चुके थे कि और कोई रास्ता नहीं था।
उसके बाद मैं दोबारा गरम हुआ और मैंने फौज़िया को एक ज़बरदस्त तरीके से चोदा। इसके साथ-साथ अहमद ने भी शाज़िया को आला तरीके से चोदा। अहमद का लंड मेरे से कुछ छोटा था, मगर वो भी चोदने में मास्टर था। आखिरकर हमने उस दिन ग्रुप सैक्स कर ही लिया। उस दिन हमने काईं दफा चुदाई की और फिर वापसी की तैयारी करने लगे तो मैंने सबको इकट्ठा करके एक वादा लिया कि हम में कोई बात छुपी नहीं रहेगी और ना कोई दिल में कोई बात रखेगा। जो भी बात होगी वो ओपन करनी होगी, जिसका भी जिसके साथ भी चुदाई करने का दिल चाहेगा वो खुल कर बोलेगा और बगैर किसी जलन के चुदाई करेंगे। मैं जानता था कि अगर ये वादा नहीं लेता तो हमारी दोस्ती और सैक्सी रिलेशन खराब हो सकते थे। मेरी ये बात सुन कर सबने हलफ़ दिया और सब खुश हो गये। लेखक: अंजान
उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल आये, पर फिर अहमद के साथ मैं उसके फ़्लैट आया क्योंकि मेरी मोटर बाइक वहाँ थी। फ्लैट पर आकर मैंने सारी बात साफ़-साफ़ अहमद को बतायी और वादा लिया कि हमारी दोस्ती में कोई फ़रक नहीं आयेगा, और ना हम कोई बात छिपायेंगे। हर बात खोल कर करेंगे।
उसके बाद हमारी ज़िंदगी बहुत ही ज़बरदस्त तरीके से गुज़र रही थी क्योंकि हम चारों बहुत अच्छे और जिगरी दोस्त थे। उसके बाद काफी दफा हमने साथ में ग्रुप सैक्स किया। काफी दफा मैं सिर्फ़ शाज़िया को या सिर्फ़ फौज़िया को फ़्लैट पर लेकर गया। इसी तरह अहमद भी काफी दफा सिर्फ़ शाज़िया को और काफी दफ़ा सिर्फ़ फौज़िया को लेकर फ़्लैट पर गया और हम उन दोनों की चूत की आग बुझाते रहे। अहमद ही शराब और खाने वगैरह का खर्च उठाता था और चूंकि दोनों लड़कियों को रोज़ाना शराब पीने की आदत थी, इसलिये उनकी रोज़ की बोतल भी अहमद ही सपलायी करता था। दिन में या शाम को वो दोनों हमसे चुदवाती थीं और रात में होस्टल में दोनों चुदैलें नशे में चूर होकर लेस्बियन चुदाई करती थीं।