वो भी बहुत जोश में थी. वो बोली, डाल दो ना. क्यों तडपा रहे हो. मेरे लंड पर और उनकी चूत पर ढेर सारा साबुन लगा हुआ था. मैने उनकी चूत में अपना लंड धीरे धीरे दबाना शुरू किया तो साबुन लगा होने की वजह से मेरा लंड स्लिप करते हुए उनकी चूत में घुसने लगा. जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत के अंदर 3" तक ही घुसा तो वो तड़पने लगी और बोली, अब रुक जाओ. बहुत दर्द हो रहा है. मैं रुक गया तो थोड़ी ही देर बाद वो बोली, थोड़ा सा और अंदर डाल दो और धीरे धीरे धक्के लगाओ.मैने अपना लंड भाभी की चूत के अंदर और दबाने लगा या जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत के अंदर 4" तक घुसा तो वो बोली, अब रहने दो और धक्के लगाओ. वो बहुत जोश में थी. मैने धक्के लगाने शुरू कर दिए तो वो ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भरने लगी. थोड़ी देर बाद ही भाभी को खूब मज़ा आने लगा तो बोली थोड़ा और तेज धक्के लगाओ. मैने और तेज धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई शुरू कर दी. 5 मीं में ही वो झाड़ गयी और बोली, राजू खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर चोदो मुझे. मैने कहा, अगर मैं और तेज धक्के लगा कर तुम्हे चोदुन्गा तो मेरा पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुस जाएगा. वो बोली, मुझे इसकी परवाह नहीं है. मुझे तो बस केवल मज़ा चाहिए. मैने कहा, ठीक है. मैने बहुत ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए भाभी की चुदाई शुरू कर दी. हर धक्के के साथ मेरा लंड उनकी चूत के अंदर और ज़्यादा घुसने लगा. वो केवल आअहह ऊओ करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर लेती रही. थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी की चूत में घुस गया. पूरा लंड घुसा देने के बाद मैने बहुत ही तेज़ी के साथ ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई शुरू कर दी. वो ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ लेते हुए एक दम मस्त हो कर चुद्वा रही थी और मैं भी उन्हें पूरे जोश के साथ चोद रहा था. मैने भाभी को लगभग 25-30 मीं तक चोदा और फिर झाड़ गया. भाभी भी इस चुदाई के दौरान 3 बार झाड़ चुकी थी.
उसके बाद हम दोनो ने नाहया. भाभी ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी. मैं उन्हें सहारा दे कर बेडरूम में ले आया. वो बोली, तुमने मेरी बहुत ही अच्छि तरह से चुदाई की है. मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है और अब मैं खाना बनाने के काबिल नहीं हूँ. तुम होटेल से खाना ले आओ. मैं होटेल से खाना लेने चला गया. मैं खाना
ले कर होटेल से आया तो हम दोनो ने खाना खाया. उसके बाद 1 घंटे तक आराम किया. शाम के 4 बजने वाले थे. भाभी ने कहा, अब एक बार और मेरी चुदाई कर दो. मैने कहा, पहले मेरा लंड तो चूस कर खड़ा करो. वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उनकी चूत को चाटने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड एक दम टाइट हो गया तो मैने भाभी को डॉगी स्टाइल में कर दिया. उसके बाद मैने भाभी की चूत की लिप्स को फैला कर अपने लंड का सूपड़ा बीच में रख दिया. फिर मैने भाभी की कमर को पकड़ कर पूरी ताक़त के साथ एक जोरदार धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही जैसे बेडरूम में भूचाल आ गया हो. भाभी बहुत ज़ोर से चिल्लाई. उनकी टाँगें थर थर काँपने लगी और उनकी चूत से थोड़ा खून भी निकल आया. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ उनकी चूत में 5" तक घुस गया. वो बोली, बहुत दर्द हो रहा है. जब तक मैं ना कहूँ तुम अपना लंड और ज़्यादा अंदर मत घुसाना. मैने कहा, ठीक है, मेरी रानी. उसके बाद मैने बिना रुके ही भाभी की चुदाई शुरू कर दी. थोड़ी देर तक चुद्वाने के बाद वो धीरे धीरे शांत हो गयी. वो बोली, मेरी चूत में बहुत जलन हो रही है. तुम खूब ज़ोर ज़ोर से चोदो. मैने बहुत तेज़ी के साथ भाभी की चुदाई शुरू कर दी. 5 मीं चुद्वाने के बाद वो झाड़ गयी. झाड़ जाने के बाद भाभी को और ज़्यादा मज़ा आने लगा. वो अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए चुद्वाने लगी. मैं भी जोश से पागल सा हुआ जा रहा था. भाभी ने कहा, थोड़ा और तेज चोदो. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी के साथ चोद्ने लगा.
5 मीं तक चुद्वाने के बाद वो बोली, अभी कितना लंड अंदर घुसना बाकी है. मैने कहा, अभी 2" और बाकी है. वो बोली, अब तुम पूरी ताक़त के साथ खूब ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई करो. उन्होने अभी तक भैया से बड़ी मुश्किल 10-15 बार ही चुद्वाया होगा. उनकी चुत मेरे लंबे और मोटे लंड के लिए किसी कुँवारी चूत से कम नहीं थी. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था.थोड़ी देर तक चुद्वाने के बाद वो बोली, तुमने बहुत ही अच्छि तरह से मेरी चुदाई करके मेरी चूत में आग सी भर दी है. अब तुम मुझे खूब ज़ोर ज़ोर से चोदो और मेरी चूत की आग को अपने लंड के जूस से ठंडा कर दो. अगर तुमने मेरी चुदाई करने में ज़रा भी ढील की तो मैं तुमसे फिर कभी नहीं चुद्वाउन्गि. मैने कहा, ठीक है. मैने भाभी की कमर को ज़ोर से पकड़ लिया और बहुत ही जोरदार धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई शुरू कर दी. बेडरूम में फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी. मैं बहुत तेज़ी के साथ भाभी की चुदाई कर रहा था.
भाभी खड़ी हो गयी तो मैने उनके पेटिकोट के नाडे को ढीला कर दिया तो उनका पेटिकोट नीचे गिर पड़ा. उनका संगमरमर सा गोरा बदन अब मेरे सामने था. मैं भाभी के एक दम गोरे बदन को देखता ही रह गया. उन्होने अपने एक हाथ से अपनी चूत को ढक लिया और जोश के मारे अपनी आँखें बंद कर ली. थोड़ी देर बाद मैने कहा, मैं तुम्हारे बूब्स को हाथ लगा कर देख लूँ. वो बोली, तुम जो भी चाहो और जैसे भी चाहो देख लो. मैने भाभी के दोनो निपल्स को अपनी उंगलियों से पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो जोश में आ कर सिसकारियाँ भरने लगी. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. भाभी ने जोश में आ कर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी. मैने कहा, तुम अपने दूसरे हाथ से क्या छुपा रही हो. वो बोली, बहुत ही कीमती चीज़ है. सब कुच्छ अभी देख लोगे. मैने कहा, तो क्या हुआ. तुमने भी तो मेरा सब कुच्छ देख लिया है. वो कुच्छ नहीं बोली तो मैने उनका हाथ उनकी चूत पर से हटा दिया. उनकी चूत भी एक दम गोरी और चिकनी थी. मैने अपना हाथ उनकी चूत पर लगा दिया तो उन्होने एक ज़ोर की सिसकारी ली. मैने
कहा, अब क्या हुआ. वो बोली, गुदगुदी हो रही है. मैने एक हाथ से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उनकी निपल को मसलता रहा. वो सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड को सहलाती रही. मैं उनकी चूत को सहलाता रहा तो वो बहुत ज़्यादा जोश में आ गयी और थोड़ी ही देर बाद वो झाड़ गयी. उन्होने थोड़ा शरमाते हुए कहा, मैने तुम्हारे लंड के जूस को ज़रा सा भी बर्बाद नहीं होने दिया और सारा का सारा जूस निगल लिया.
एक तुम हो कि मेरी चूत का बेशक़ीमती जूस ऐसे ही बर्बाद हो जाने दे रहे हो. मैने कहा, सॉरी, ग़लती हो गयी. मैं भी तुम्हारी चूत का जूस चाट लेता हूँ. मैने भाभी को सोफे पर लिटा दिया और उनकी चूत के जूस को चाटने लगा. वो बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी. उनकी चूत का सारा जूस चाट लेने के बाद जैसे ही मैने हटने की कोशिश की भाभी ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खीच लिया और बोली, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. थोड़ी देर तक और चाटो मेरी चूत को. मैं भाभी की चूत को फिर से चाटने लगा. भाभी बहुत ज़्यादा जोश में आ चुकी थी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी. 5 मीं में ही वो फिर से झाड़ गयी. इस बार उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला और मैने वो सारा का सारा जूस चाट लिया. उसके बाद मैं हट गया. भाभी एक दम मस्त हो चुकी थी और बोली, मैं तुम्हारा लंड एक बार फिर से चूसना चाहती हूँ, चूस लूँ. मैने कहा, मैने कब मना किया है. उन्होने मेरे लंड को अपने मूह में ले लिया और चूसने लगी. मैं एक हाथ से उनके निपल्स को मसल्ने लगा और दूसरे हाथ की उंगली उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. वो बड़े प्यार से मेरा लंड चूस्ति रही और ज़ोर ज़ोर की सिसकारियाँ भी भरती रही. भाभी बहुत ज़्यादा जोश में थी और मेरे लंड को बहुत तेज़ी के साथ चूस रही थी.
10-15 मीं में ही मेरे लंड का जूस फिर से निकलने लगा. भाभी ने इस बार बड़े प्यार से मेरे लंड का सारा का सारा जूस निगल लिया और उसके बाद मेरे लंड को चाट चाट कर सॉफ करने लगी. मेरे लंड को सॉफ कर देने के थोड़ी ही देर बाद वो भी झाड़ गयी. मैने उन्हें सोफे पर लिटा दिया और उनकी चूत को चाटने लगा. उनकी चूत को चाटने के बाद मैं उनके उपर ही लेट गया. वो मेरी पीठ को सहलाती रही और मैं उनकी पीठ को सहलाता हुआ उनके होठों को चूमता रहा.लगभग 1 घंटे बाद वो बोली, 1 बज रहे हैं. अब मैं खाना बनाने जा रही हूँ. मैं उनके उपर से हट गया. भाभी पेटिकोट पहन ने जा रही थी तो मैने कहा, पेटिकोट मत पहनो. तुम नंगी ही ज़्यादा खूबसूरत दिखती हो. वो बोली, जैसा हुकुम मेरे राजा जी. लेकिन एक शर्त है. मैने पूछा, कौन सी शर्त. वो बोली, तुम भी एक दम नंगे ही रहोगे. मैने कहा, जो हुकुम, मेरी रानी. भाभी बाथरूम जाने लगी तो मैं भी उनके साथ ही साथ बाथरूम चला गया. भाभी ने अपनी चूत को सॉफ करने के लिए जैसे ही साबुन उठाया तो मैने उनके हाथ से साबुन ले लिया और कहा, लाओ मैं तुम्हारी चूत पर साबुन लगा दूं. भाभी ने कहा, तो लगा दो ना. मैं भाभी की चूत पर साबुन लगाने लगा तो वो फिर से सिसकारियाँ भरने लगी. मैने कहा, अब क्या हुआ. वो बोली, जब तुम मेरी चूत पर हाथ लगाते हो तो मेरे सारे बदन में आग सी लग जाती है और बहुत ज़ोर की गुदगुदी होती है. मैने कहा, और जब भैया हाथ लगते हैं तब. वो बोली, उनके हाथ लगाने से ज़्यादा गुदगुदी नहीं होती, हां सारे बदन में आग ज़रूर लग जाती है. मैने भाभी की चूत पर साबुन लगाता रहा तो वो फिर से जोश में आ गयी और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी. उन्होने मेरे हाथ से साबुन ले लिया और बोली, अब मैं तुम्हारे लंड पर साबुन लगा देती हूँ. उन्होने मेरे लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया.
मैं फ्रेश होने चला गया और वो किचन में नाश्ता बनाने चलो गयी. फ्रेश होने के बाद मैं नहा रहा था तो भाभी ने आवाज़ दी, कितनी देर तक नहाते रहोगे. जल्दी से नहा कर आ जाओ और नाश्ता कर लो. मुझे भी नहाना है. मैने कहा, मेरा लंड गरम हो गया था. उसे ठंडा कर रहा हूँ. तुम भी आ कर मेरे साथ ही नहा लो. वो बोली, मैं एक दम नंगी ही नहाती हूँ और मुझे तुम्हारे सामने एक दम नंगी होने में शरम आएगी. मैने कहा, मेरे लंड को पकड़ने में शरम नहीं आई, अब नहाने में शरम आ रही है. वो बोली, मैं तुम्हारे सामने अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूँ. हां मैं तुम्हे एक दम नंगा ज़रूर कर सकती हूँ. मैने कहा, तो मैं नहा कर नंगा ही बाहर आ जाता हूँ. वो बोली, तो आ जाओ ना. तुम नंगे रहोगे तो शरम भी तुम्हे ही आएगी, मुझे नहीं. मैने कहा, ठीक है, मैं नंगा ही बाहर आ जाता हूँ.नहाने के बाद मैने अपनी भीगी हुई चड्धि बाथरूम में ही उतार दी और एक दम नंगा ही भाभी के सामने चला आया. उन्होने मुझे एक दम नंगा देखा तो अपनी आँखें बंद कर ली. मैने कहा, अब काहे शरमा रही हो. वो बोली, अभी थोड़ा शरम आ रही है, बाद में नहीं आएगी. मैं चुप चाप खड़ा रहा. थोड़ी देर बाद भाभी ने अपनी आँखें खोल दी और बोली, लो अब मेरी शरम ख़तम हो गयी. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो गया तो मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, सुबह तुमने इसे ठीक से नहीं देखा था, अब अच्छि तरह से देख लो. भाभी सोफे पर बैठी थी. इतना कह कर मैं भाभी के नज़दीक गया और अपना लंड उनके मूह के सामने कर दिया.
Читать полностью…कर गरम पानी में शॉवर के नीचे नहा लो।”
मैं फिर भी वहां चुप-चाप खड़ी रही तो राजन ने मेरी और देखा तब मैंने कुछ क्षोभित हो कर राजन से पूछा, “मैं कैसे अपने कपड़े आपके सामने निकाल सकती हूं?”
राजन ने थोड़ा सा शरारत भरी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए कहा, “रोमा, अभी ऐसे ही तुम करीब-करीब नंगी ही हो। मैंने तुम्हें पूल में ऊपर से नीचे तक पूरी नंगी तो देख ही लिया है। अब यह एक छोटी सी ब्रा और यह लंगोटी सी पैंटी निकालने में क्या शर्माना? देखो यार, अभी हम अकेले भी हैं। अब मुझसे क्यों साफ़-साफ़ बुलवाती हो कि तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो और मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं?
हम दोनों जानते हैं की मैं तुम्हें चोदे बगैर जाने नहीं दूंगा और तुम चुदवाये बगैर जाओगी नहीं। तो अब यह सब औपचारिकता का नाटक छोड़ो। सुखाने के लिए तुम्हें ये निकालने तो पड़ेंगे ही। हां अगर तुम फिर भी जिद्द ही करती हो तो लो मैं दूसरी तरफ घूम जाता हूं। अब तुम यह ब्रा और पैंटी निकाल कर मुझे देदो तो मैं चला जाऊंगा, ओके?” यह कह कर राजन दूसरी तरफ घूम गए।
राजन की खरी-खरी मुझे शूल की तरफ चुभ गयी। उनकी बात सौ फीसदी सही थी। मैं मारे गुस्से के आग बबूला हो गयी। एक तरफ मेरी चूत मुझे परेशान कर रही थी। दूसरी तरफ राजन मुझे परेशान कर रहे थे। गुस्से और क्षोभ में नारी का एक मात्र हथियार होता है आँसू। मेरी आंखों में आंसू भर आये।
मैं लगभग रोने ही लग पड़ी। मैंने राजन की आंखों में आंखें डाल कर कुछ गुस्से से और कुछ कुंठा से पूछा, “क्यों? मैं क्यों निकालूंगी अपने कपड़े? आपके हाथों में मेहंदी लगी है क्या? आपने जब मुझे पूल में नंगी किया था, तब क्या मैंने अपने कपड़े खुद निकाले थे? आप तो स्त्रियों का मन अच्छे से जानते हो। इतना सारा लेक्चर झाड़ने के बदले और यह सब जो आप जानते हो उसे कहने कि बजाए, कुछ उस ज्ञान का कुछ अमल ही किया होता? इन हालात में क्या कोई भी स्त्री अपने कपडे खुद निकालती है भला?”
यह कहते ही क्षोभ और कुंठित मैं फफक-फफक कर रोने लगी। मुझे इस तरह रोते देख कुछ पलों के लिए राजन स्तब्ध मुझे देखते ही रहे। फिर पलक झपकते ही राजन ने मुझे एक फूल की हलकी सी माला जैसे अपनी बाहों में ऊपर उठा लिया। मेरे होंठों पर सख्ती से कस कर अपने होंठ दबा कर राजन ने मुझे जिस जोश और उन्माद से चुंबन उस समय किया, वह मैं जिंदगी भर तक नहीं भूलूंगी।
राजन तो मुझ से भी कहीं ज्यादा पागल हो रहे थे। मेरे होंठ, मेरी नाक, मेरी दाढ़ी राजन कभी अपनी जीभ से चाटते तो कभी इतनी कशिश और जोश खरोश से मुझे चूमते, कि मैं तो उनके चूमने से पागल सी बाँवरी ही हो रही थी। मुझे उठाते हुए मेरी गांड के नीचे उनके हाथ थे। अपनी हथेली से इतनी सख्ती से मेरी गांड के गालों को वह दबाने और मसलने लगे कि मुझे लगा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं तो राजन की बांहों में ही झड़ जाउंगी।
मुझे चूमते और मेरे बदन के ऊपर के हिस्से को पूरे जूनून से चाटते हुए राजन बोल रहे थे, “रोमा, पता नहीं तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है? जब से मैं तुमसे टकराया था तब से मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूं। पूरी कांफ्रेंस में मेरा ध्यान ही नहीं लग रहा था। जब मैंने तुम्हें पूल में मुझसे मिलने आते हुए देखा तब मैंने तय कर लिया था कि मैं तुम्हें आज चोदे बगैर नहीं जाने दूंगा।
अगर किसी भी कारण मैं तुम्हें नहीं चोद पाया, तो मैं पागल हो जाऊंगा। पर तक़दीर ने मेरी तमन्ना पूरी कर दी जब तुम अनजाने में ही लड़खड़ा कर पूल में गिर पड़ी। पूल में मैं जान गया कि आग दोनों तरफ से लगी हुई है। तुम्हारी दीदी ने मेरी बात की पुष्टि कर दी।”
राजन ने कुछ देर पागल की तरह चूमने के बाद बाथरूम में ले जा कर मुझे शॉवर के नीचे खड़ा किया और खुद भी मेरी बगल में खड़े हो गए। उस समय राजन की आंखों में मैंने वह नशीला पागल सा जूनून देखा तो मुझे कोई भी शक नहीं रहा कि तब मैं हां कहती या ना कहती, वह मुझे चोदने से बख्शने वाले नहीं थे। शॉवर के तापमान को एडजस्ट कर उन्होंने अपना तौलिया निकाल दिया, और खुद निक्कर में खड़े हो गए।
मुझे अपने करीब खिंच कर उन्होंने बड़े प्यार से मुझे घुमा कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। फिर मेरे कन्धों से ब्रा की पट्टियां खिसका कर ब्रा को निकाल कर अलग से रख दी। मेरी पैंटी को भी अपने अंगूठे से नीचे खिसका दिया तब मैंने अपने पांव सरका कर मेरी पैंटी भी निकाल दी।
मैं राजन के सामने नंगी हो गयी। स्विमिंग पूल में अफरातफरी के कारण राजन मेरे नंगे बदन को ठीक से शायद देख नहीं पाए थे। पर अब उन्हें पूरा मौक़ा था जब वह मुझे आराम से ऊपर से नीचे तक, आगे से पीछे से बड़े आराम से निहार सकते थे।
राजन ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम इस हाल में मेरे कमरे में जाओगी नहीं तो कहां जाओगी? तुम शादीशुदा हो। अगर मेरे कमरे में इस हाल में आओगी और मान लो कि अगर कुछ हुआ भी तो ऐसा कौन सा गजब हो जाएगा जो कभी तुम्हारे साथ पहले नहीं हुआ?
देखो तुम भी जानती हो और मैं भी जानता हूँ कि हम दोनों क्या चाहते हैं। जो होने वाला है वह हो कर ही रहेगा। अब जो होना है उसे होने दो। उससे मत भागो। हम एक-दूसरे से खुल कर प्यार ही करेंगे ना? यार प्यार करना कोई पाप है क्या? जब कोई यहां तुम्हें जानता ही नहीं तो कौन तुम्हारे बारे में क्या सोचेगा? वैसे भी इस वक्त यहां कोई ज्यादा लोग तो है नहीं।”
फिर राजन ने दीदी की और इशारा करते हुए कहा, “हाँ तुम दीदी के बारे में सोच लो। क्या दीदी को हम कमरे में ले चलें? मैं तो तुम्हारे साथ जाना चाहता हूँ। पर अगर तुम कहोगी तो उन्हें भी ले चलेंगे। तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मैंने दे दिए। अब चलें?”
मैंने राजन से कहा, “दीदी को ले चलने में चिंता की कोई बात नहीं।”
पुष्पा दीदी उस समय पूल के दूर वाले छोर पर थी। मैंने दीदी को हाथ हिला कर इशारा कर बुलाया। जब दीदी आ गयी तो राजन ने दीदी से कहा कि हम राजन के कमरे में चलेंगे और अपने कपड़े वहीं सुखा कर प्रेस कर पहनेंगे और उसके बाद ही घर जाने के लिए निकलेंगे। पुष्पा दीदी को तो जैसे पता ही था कि क्या प्रोग्राम बनने वाला था। दीदी ने राजन से कहा, “यही तो मैं भी सोच रही थी। अगर आप ने नहीं बताया होता तो मैं जबरदस्ती आपको कहती कि हमें आपके रूम में कुछ देर के लिए आराम करना पड़ेगा।”
मैं राजन के कमरे में जाने के लिए बेताब तो थी ही। उस के अलावा हमारे पास कोई और चारा भी तो नहीं था। फिर राजन की बात भी तो सच्ची थी। वह ऐसा क्या कर लेगा जो मैं नहीं चाहती थी? उस समय मेरा हाल यह था कि मेरी चूत स्विमिंग पूल के पानी से कम और मेरे चूत में से रिस रहे प्रेम रस से ज्यादा भीगी हुई थी।
जिस तरह से मेरा हाल हो रहा था मुझे कोई शक नहीं रहा कि चाहे राजन कुछ करे या ना करे, मुझे राजन के उस तगड़े लंड से चुदना ही था। मुझे लग रहा था कि अगर उस दिन राजन ने मुझे चोदने के लिए कुछ सक्रियता नहीं दिखाई, तो पता नहीं उस पागलपन में मैं ही राजन को पकड़ कर उसे मुझे चोदने के लिए कहीं मजबूर ना कर दूँ।
फिर पुष्पा दीदी ने मेरी और घूम कर मेरी और इशारा करते हुए राजन को कहा, “जहां तक मेरी इस सहेली का सवाल है तो वह तो बेचारी आपके कमरे में जाने के लिए कब से बेचैन लग रही है। पता नहीं क्यों? जरूर कुछ ना कुछ वजह तो है। मुझे तो डर लग रहा था कि अगर आपने इन्वाइट ना किया होता तो यह तो कहीं आप से लड़ ही बैठती की इतना सब कुछ होने पर भी आपने हमें अपने कमरे में क्यों नहीं बुलाया?”
पुष्पा दीदी मेरी इज्जत का फालूदा करने पर आमादा लग रही थी। उनकी बात सुन कर खिसियानी बिल्ली की तरह मेरी शक्ल हो गयी। मुझे अपना बचाव करना ही था। मैंने झूठ-मूठ कहा, “दीदी, यह बात नहीं है। बताइये, क्या हमारे पास और कोई दूसरा चारा है क्या?”
दीदी ने मेरी बात का जवाब देते हुए कहा, “चलो भाई, हकीकत जो भी हो, एक गाना गाते हुए चलूंगी मैं। गाना है ‘लाख छिपाओ छिप ना सकेगा राज इतना गहरा, दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा’। तुम कितना ही छिपाओ और कुछ भी बोलो, सच्चाई यह है कि तुम्हारे दिल की बात तुम्हारे चेहरे पर लिखी हुई है।”
मैं क्या कहती? मैंने दीदी के जवाब में चुप रहना ही बेहतर समझा।
तब राजन ने कहा, “पर देवीयों, एक समस्या है। यहां मेरे पास एक ही कॉटन का फर वाला गाउन है, और एक ही छोटा सा तौलिया है। मैं नहीं चाहता कि कोई भी महिला सिर्फ छोटा सा तौलिया पहने हुए यहां से मेरे कमरे तक सब मर्दों की गलत नज़रों का शिकार बनते हुए गुजरे। इसलिए मैं खुद तौलिया पहन कर आपके निकाले हुए गीले कपड़ों को लेकर चलूँगा। साथ में आप में से कोई एक महिला पहले मेरे साथ यह गाउन पहन कर मेरे कमरे तक जा सकती है।
दूसरी महिला यहां ब्रा और पैंटी में तैरती रहेगी और मेरे वापस आने का इंतजार करेगी। उसके बाद मैं उस पहली महिला को मेरे कमरे में अकेली मेरे बाथरूम में बिना कपड़े पहने नहाते हुए छोड़ कर मैं उसके सारे कपड़े ब्रा और पैंटी समेत ले कर अपने कपड़े पहन कर वापस आऊंगा और यह गाउन पहन कर दूसरी महिला अपने सारे गीले कपड़े ब्रा और पैंटी सहित मुझे दे देगी। मैं वापस आते हुए आप दोनों के सारे कपडे लांड्री में दे दूंगा, और मैं दूसरी महिला के साथ वापस कमरे आ जाऊँगा। उसके बाद हम देखेंगे कि आगे क्या करना है और कैसे इस समस्या को सुलझाना है।”
दीदी ने कहा, “यार इसका मतलब तो यह हुआ कि हम दो महिलाओं में से किसी एक को तुम्हारे कमरे में या तो नंगी या तो तौलिये में एक घंटे या उससे ज्यादा देर तक रहना पड़ेगा जब तक हमारे कपड़े नहीं आ जाते।”
राजन ने वैसे भी मुझे मेरी ब्रा में देख ही लिया था, और दीदी भी मुझे बार-बार उकसा कर कह रही थी। तो मैं नीचे झुक कर मेरे फ्रॉक को निकालने की कोशिश करने लगी। राजन ने जब यह देखा तो फ़ौरन नीचे डुबकी लगा कर मेरी कमर के इर्द-गिर्द पानी में फैले हुई मेरी फ्रॉक को मेरे पाँव के नीचे तक ले आये। जब राजन पानी में नीचे मेरे पाँव के पास मेरी फ्रॉक निकालने के लिए बैठ गए, तब मैंने भी हिम्मत कर अपने एक के बाद एक पाँव ऊपर उठा कर राजन को मेरी फ्रॉक को निकालने दिया।
मेरे पाँव में से फ्रॉक निकालते हुए राजन कई बार मेरी करारी जाँघों को बड़े प्यार से अपने हाथ ऊपर-निचे फिराते हुए सहलाते रहते थे। एक बार तो जाने-अनजाने पानी में डूबे हुए राजन ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत के उभार पर भी हाथ फिरा कर उसे सहला दिया, जिससे मेरा पूरा बदन मचल उठा। उस वक्त मेरी चूत का क्या हाल हो रहा था, मैं क्या बताऊँ?
आखिर में मेरी फ्रॉक को हाथ में लेकर पानी की सतह से ऊपर उठ कर राजन ने गीले फ्रॉक को फैला कर किनारे रख दिया। मैं वहां ब्रा और पैंटी में खड़ी राजन के सामने थी। राजन की आँखें मेरे स्तनों बल्कि पूरे बदन को ऊपर से नीचे तक ऐसे घूर रही थी, जैसे वह मुझे उसी समय नंगी कर मुझ पर वहीं टूट पड़ेंगे।
मैं ऐसी अजीब स्थिति में थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या बोलूं। मैंने अपनी नजरें उनकी नज़रों से हटा दी, और लाज के मारे नीचे नजरें झुका कर बोली, “मुझे तैरना तो आता नहीं। तो मैं पानी में क्या करूँ? मैं बाहर निकल जाऊं?”
मैं यह बात समझ रही थी कि मेरी आवाज में पूल से बाहर निकलने की इच्छा कम और वहां रुकने की इच्छा कुछ ज्यादा ही दिख रही होगी। राजन ने पानी में ही मेरे करीब आ कर दीदी को दूसरे छौर पर पानी में सर डूबा कर तैरते हुए देखा। तब मुझे खींच कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। अपने हाथ मेरे पीछे मेरी पीठ और गांड के गालों को सहलाते हुए मेरे पूरे बदन पर फिराते हुए बड़े प्यार से धीमी आवाज में बोले, “रोमा, देखो। अब तुम पानी में आ ही गयी हो, और तुम और मैं सब जानते हैं हम अपने मन से क्या चाहते हैं। तो यह सब शर्म और हया का ड्रामा छोड़ दो। ना मुझे, ना तुम्हें यह पता था और ना ही हमारा कोई इरादा था कि आज हम ऐसे मिलेंगे और यह सब होगा। यह सब होनी ने किया। इसका मतलब जानती हो?”
मैं अवाक सी खड़ी उनकी आँखों में प्रश्नात्मक दृष्टि से देखती हुई चुप रही। राजन ने कहा, “होनी ने हमें इस हालात में इसलिए मिलाया क्यूंकि होनी चाहती है कि जो हमारे मन में है वह हो जाए, और हम अंजाम तक पहुंचे। हमारी बात सिर्फ एक दूसरे से टकरा कर खत्म ना हो। यह आगे बढ़े। जब दो दिल और दो बदन एक-दूसरे से मिलन की उत्कट चाह रखते हों तो तकदीर भी रास्ता दिखाती है। तुम प्लीज जब इस मंजर तक पहुँच ही चुकी हो, तो अब पीछे मत हटो और जो होनी चाहती है वह होने दो। बोलो, मेरी बात ठीक है की नहीं?”
मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। राजन का कसरती लगभग नंगा बदन और उनकी छोटी सी निक्कर में उनका वह सख्त लम्बा और मोटे कद के लंड के आकार को देख कर ही मेरे होश उड़े हुए थे। मेरे पाँव ढीले पड़ रहे थे। मैं पानी में बड़ी ही मुश्किल से खड़ी रह पा रही थी। तक़दीर से मैं पानी में थी वरना जिस तरह मेरी चूत में से झर झर रस रिस रहा था, राजन आसानी से देख लेते कि मैं उस समय कितनी चुदासी हो रही थी।
जब मैं राजन के सवाल का जवाब दिए बिना राजन से थोड़ा सा खिसक कर एक मूक बुत की तरह चुप-चाप खड़ी रही, तब राजन ने मुझे ताकत से अपनी और खींचा और मुझे एक झटके में उठा कर पूल के किनारे पारी में ऐसे बिठा दिया, जिससे मेरे पाँव पानी में लटक रहे थे। राजन खुद मेरी जाँघों के बीच आ कर खड़े हो गए, और अपना सर मेरे स्तनों के बीच में रख कर बोले, “रोमा, अब जब तुम पानी में आ ही गयी हो, तो प्लीज रुक जाओ। मैंने सोचा भी नहीं था कि यहां इस वीरान इलाके में मेरी तुम्हारे जैसी सुन्दर अप्सरा से इन हालात में मुलाक़ात होगी, पर अब जब तुम मिल ही गयी हो तो प्लीज जल्दबाजी मत करो।
इतने कम समय में मैं तुम्हें तैरना तो नहीं सीखा पाउँगा। पर मैं तुम्हें पानी में कैसे डूबा नहीं जाए यह सिखाता हूँ। बाद में हम मेरे कमरे में चलेंगे जहां तुम नहा धो कर, थोड़ा आराम कर, चाय नाश्ता करना, हम कुछ गप-शप मारेंगे और फिर बाद में तुम तैयार होकर फिर निकल जाना।” हालांकि राजन ने यह नहीं बताया कि कमरे में ले जा कर वह मेरी चुदाई करना चाहते थे, पर उन्होंने बिना कहे सब कह दिया और मैं बिना सुने सब समझ गयी।
मैंने राजन की आँखों में भी वही कामुक प्यास देखी जो मेरे जहन में तूफ़ान पैदा कर रही थी। ना मैं राजन से दूर जाना चाह रही थी, ना वह मुझे छोड़ना चाह रहे थे। मैंने हलकी सी मुस्कान देते हुए मेरी मुंडी हिला कर हाँ का इशारा किया और धीरे से बोला, “राजन, मुझे पानी से बहुत डर लगता है। मैं एक बार पहले पानी में डूबने से बच गयी थी। तब से पानी से मैं हमेशा
यह कहते हुए अचानक ही दीदी शायद लड़खड़ा गयी और पूल के किनारे खड़ी मुझ पर लुढ़क पड़ी। उनके धक्के से मैं भी लड़खड़ा गयी और पानी में गिरने लगी। पर दीदी का हाथ मेरे हाथ में था, तो मैंने गिरने से बचने के लिए दीदी का हाथ ताकत से पकड़ा। पुष्पा दीदी भी लड़खड़ाती हुई मेरे साथ ही पूल में गिर पड़ी। उस जगह पानी गहरा था। मैं पहले पानी में नीचे चली गयी।
मेरी सांस रुंकने लगी। राजन ने मुझे बाहों से पकड़ कर ऊपर की और उठा लिया। मुझे पानी की सतह पर खींच कर राजन ने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया। या यूँ कहना बेहतर होगा कि राजन ने मुझे गहरे पानी में से डूबने से बचाने के लिए ऊपर उठाते ही मैं बिना कुछ सोचे समझे राजन से कस कर लिपट गयी।
मुझे उस समय कुछ भी होश नहीं था। मैं वैसे ही पानी से बच कर रहती थी। मुझे पानी से डर लगता था। मेरी दोनों बाहें राजन की गर्दन के इर्द-गिर्द और मेरे दोनों पाँव राजन की पतली कमर को कस कर जकड़े हुए आँखें बंद कर राजन से चिपक कर मैं बस सांस लेती रही।
कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोलीं तो देखा की पुष्पा दीदी पानी में जा कर फिर आराम से ऊपर आ गयी थी। उन्होंने मुझे राजन की बाँहों में देखा। अपना अंगूठा ऊपर कर ओके का इशारा कर एक के बाद एक उन्होंने अपने कपड़े पूल के बाहर किनारे पर निकाल फेंके और खुद ब्रा और पैंटी में आ गयी और पूल में तैरने लग गयी।
राजन ने मेरे और दीदी के बीच इशारे की अदला-बदली देखी तो बोले, “तुम्हारी दीदी के साथ अच्छी पटती लगता है।”
मैंने कहा, “वैसे तो वह मेरी कोई रिश्तेदार नहीं है, पर हम दोनों सहेलियां कम और सगी बहनों से भी कहीं करीब और ज्यादा हैं। हमारी कोई भी बात चाहे कितनी ही निजी और सीक्रेट क्यों ना हो, एक-दूसरे छिपी नहीं है। यह समझ लीजिये कि हम एक दूसरे की बैडरूम तक की दोस्त हैं।”
राजन मेरी आँखों में आँखें डाले हुए मुझे एकटक निहार रहे थे। मेरी बात सुन कर वह कुछ शरारत भरी मुस्कान देते हुए बोले, “अच्छा? दीदी तुम्हारी बैडरूम तक की करीबी दोस्त है? पर मैं तो नया-नया ही हूँ। आज ही मिला हूँ तुम्हें। तो क्या मुझे भी तुम अपने बैडरूम तक का करीबी दोस्त बनाओगी?”
मैंने भी राजन की आँखों से आँखें मिलाते हुए उन्हें शरारत भरी नज़रों से देखा, और कुछ मुस्कुराती हुई बोल पड़ी, “अब देखो इस स्विमिंग पूल में इस तरह के कपड़ों में कूद कर मैं तुम्हारी बाँहों में आ कर तुम्हारी एक-दम करीबी दोस्त तो बन ही चुकी हूँ। बाकी जहां तक बैडरूम का सवाल है तो देखते हैं। आगे-आगे देखिये होगा क्या।”
मेरी आँखें उनकी आँखों के बिल्कुल सामने मेरी नाक उनकी नाक से छू रही थी और मेरे होंठ उनके होंठों से छूने वाले ही थे। मुझे उस समय किसी तरह का होश नहीं था। मेरी चूत पानी में तो गीली थी ही, पर उसमें से मेरा काम रस भी रिस रहा था। बिना कुछ सोचे समझे बरबस ही मेरा मुंह अपने आप ही खुल गया और अनजाने में ही मेरी जीभ बाहर निकल गयी।
मेरी नशीली नजरें शायद राजन को मेरे मन की बात बता गयी। राजन ने मौक़ा पाते ही अपना मुंह आगे किया, और मेरे होंठों को उनके होंठों से मिला दिया। उन्होंने मेरी जीभ अपने मुंह में ले कर उसे चूसना शुरू कर दिया। बस और क्या था? जो आग हम दोनों के ज़हन में चिंगारी के रूप में थी, वह अचानक ही भड़क उठी।
राजन ने अपनी बाहों में मुझे और कस कर जकड़ लिया और मेरे मुंह और होंठों को बेतहाशा चूमने लगे। मैंने कभी इतना नशीला चुम्बन किसी पुरुष से नहीं किया। राजन इतनी कामुकता और शिद्द्त से मेरे होंठ, मेरा मुंह और मेरी जीभ चूसते और चूमते थे कि उसे महसूस करते हुए ही मैं राजन की बांहों में ही एक बार झड़ गयी। ऊपर से मेरी चूत को राजन का तगड़ा लंड उसके जांघिये में से कुरेद रहा था।
क्यूंकि मेरी जाँघें राजन की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लिपटी हुई थी, तो मेरा फ्रॉक भी मेरी कमर से ऊपर तक चढ़ा हुआ था, और राजन का लंड सीधा ही मेरी पैंटी में छिपी मेरी चूत को कोंच रहा था। उस लंड के दबाव से मुझे राजन के लंड की लम्बाई और मोटाई का काफी कुछ अंदाज हो रहा था।
मैं जब राजन को चूम रही थी, तभी दीदी वहां पहुँच गयी। एक-दम मेरी पीठ पर पुष्पा दीदी ने अपना हाथ फेरते हुए कहा, “रोमा, यह तो पहली नजर में ही प्यार हो गया यार। मैंने आज तक सुना ही था। कभी देखा नहीं था। आज देखने का मौक़ा भी मिल गया।”
दीदी की आवाज सुन कर मैं रोमांटिक बादलों में खोयी हुई तंद्रा में एक झटके के साथ से वास्तविकता की धरती पर लौट आयी। मैं राजन की कमर को छोड़ कर पानी में खड़ी होने की कोशिश करने लगी कि नीचे सरक कर राजन के पाँव के पास पहुँच गयी।
जैसा मैंने पहले बताया वहां पानी गहरा था। मैं खड़ी नहीं हो सकती थी। मेरा बदन पानी में डूबा हुआ था। पर राजन ने मुझे नहीं छोड़ा था। राजन ने झुक कर मुझे अपनी बाँहों में फिर से उठा लिया और तैरते हुए मुझे कम गहरे पानी में ले आये जहां मैं खड़ी हो सकूँ।
उस समय स्विमिंग पूल सुनसान था। आस-पास में कोई भी और नहीं था। मैं और दीदी स्विंमिंग पूल के बिल्कुल किनारे पर ही एक चारों तरफ से खुला ऊपर से छत वाला शेड बना था, वहाँ लम्बी कुर्सियां रखी थीं, उन पर जा कर बैठे और हमने अपने लेडीज पर्स वहाँ बाजू में रखे। मैंने राजन से इशारा करते हाथ हिलाते हुए ऊँची आवाज़ में कहा, “मुझे तैरना नहीं आता, और मेरे पास कोई कॉस्च्यूम भी नहीं। मैं पूल में नहीं आ सकती। आप बाहर आ जाओ।”
Читать полностью…मैं रोमा एक शिक्षित गृहिणी हूँ। मेरे पति एक अच्छी कंपनी में क्षेत्र व्यवस्थापक रीजनल मैनेजर हैं और अच्छा खासा कमाते हैं। हमारा अपना घर है और हम सुख शांति से रहते हैं। मैं देखने में काफी सेक्सी हूँ। सामान्य भारतीय नारी जितनी ही लम्बाई पर आकर्षक चेहरा, भरे हुए स्तन, आकर्षक कूल्हे, घने लम्बे बाल, कामुक आँखें, लम्बी गर्दन, पतली कमर और मटकती चाल किसी भी मर्द को दुबारा देखने पर मजबूर कर देती है।
मैं 28 साल आयु की हूँ और मैं यह नहीं छिपाऊंगी कि मैंने कॉलेज में और शादी से पहले और शादी के बाद भी पर पुरुष सम्भोग किया है। मेरी एक ख़ास सहेली पुष्पा दीदी हैं जो मुझसे उम्र में और तजुर्बे में सीनियर हैं। पुष्पा दीदी देखने में साधारण हैं पर सेक्स के मामले में काफी अग्रसर हैं।
इस क्षेत्र में उनका अनुभव और उनकी जान-पहचान मुझसे कहीं ज्यादा है। मैंने भी पुष्पा दीदी के साथ उनके पति के साथ एक बार और उनके पति और देवर के साथ एक बार सेक्स किया था। हम दोनों एक-दूसरे से कुछ भी छिपाती नहीं।
मेरे पति को मेरे कार्यकलाप के बारे में कुछ कुछ अंदेशा तो था ही, पर उनकी भी अपनी कमजोरियां थीं, जो उनको पता था कि मुझे पता थी। इसलिए हम दोनों तेरी भी चुप मेरी भी चुप का नियम अमल करते थे। मेरे पति बिस्तर में मुझे काफी अच्छी तरह से पेलते हैं और मेरी दुनियादारी की हर जरूरियात वह पूरी करते हैं।
मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है। वह मुझे बहुत अच्छे से चोदते हैं। उनकी कुछ कमजोरियां मैं अच्छे से जान चुकी हूँ और जरूरत पड़ने पर उसका अच्छे से इस्तेमाल करके मैं अपना काम भी निकलवा लेती हूँ।
शादी की सुहागरात को मैं हमारे बैडरूम में मेरे पति का इंतजार कर रही थी। शादी का लाल चटक चमकती साड़ी वाला जोड़ा पहन कर, गहनों से लदी हुई, माथे पर टीका, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, बड़े घेराव वाला घाघरा और हाथों में नई नवेली दुल्हन का चूड़ा पहने हुए।
जब मेरे पति ने मुझे उस वेशभूषा में देखा, तो आप नहीं मानोगे, मेरे पति का लंड ऐसे खड़ा हो गया कि वह मेरी साड़ी, घाघरा, ब्लाउज, ब्रा निकाल फेंकने का इंतजार भी नहीं कर सके। मेरा घाघरा उठा कर मेरी पैंटी निकाल कर और अपने पाजामे और निक्कर को नीचा कर अपना लंड निकाल कर वह मेरे ऊपर चढ़ गए, और बिना कुछ बात-चीत किये तपाक से मेरी चूत में घुसेड़ दिए, और मुझे पागल की तरह चोदने लगे।
उस बार उन्होंने मुझे इतना चोदा और ऐसा चोदा कि उस चुदाई को मैं आज तक नहीं भुला पायी हूँ। आज भी जब मेरी कहीं तगड़ी चुदाई होती है तो मुझे मेरी सुहागरात की ठुकाई याद आती है। उस रात मेरे पति ने मुझे तीन बार इतना तगड़ा चोदा था, कि दूसरे दिन मुझे चलने में भी दिक्क्त हो रही थी। मैं समझ गयी कि मेरे पति को नई नवेली सजी दुल्हन जैसी वेशभूषा में मुझे देख कर बड़ा जोश आ जाता है और वह अपने आप को रोक नहीं पाते।
तब से जब भी मुझे मेरे पति से कोई काम निकलवाना हो, या उनसे तगड़ी चुदाई करवानी हो, तो मैं वही कपड़े पहन कर उसी तरह सज-धज कर मेरे बैडरूम में मेरे पति का इंतजार करती हूँ। और मेरे पति मुझे उस वेशभूषा में देख कर मेरी जबरदस्त ठुकाई करते हैं, और उस ठुकाई के बाद मेरी हर इच्छा पूरी करते हैं।
मैं भी हमारी चुदाई के समय मेरे पति की हर तरह से सेवा कर देती हूँ। तो उन्हें भी मुझसे कोई शिकायत नहीं है। हम हमारी इस ब्याहेतर अतिरिक्त प्रवृति को एक-दूसरे से छिपा कर यह दिखाने की कोशिश करते हैं जैसे हम दोनों ही एक-दूसरे से पूरी तरह समर्पित और पवित्र हैं। कुछ देखने या सुनने पर भी ना मैं उनके बारे में कोई पूछ-ताछ करती हूँ ना वह मेरे बारे में। वैसे हम दोनों हमारी इस गुप्त अंडरस्टैंडिंग से खुश हैं।
जहां तक घरगृहस्थी सम्हालने की बात है तो मैं हमारा घर, पति और सास-ससुर की अच्छी तरह देखभाल करती हूँ। अपना दायित्व मैं अच्छी तरह से निर्वाह करती हूँ, जिसके कारण मेरे सास ससुर जो हमारे साथ रहते हैं, मुझसे खुश हैं। मेरे पति भी एक पति का सांसारिक दायित्व अच्छे से निभाते रहते हैं। इस तरह हम दोनों एक-दूसरे से बड़े ही खुश हैं।
यह किस्सा तब का है जब हमारी महिलाओं की किटी-पार्टी शहर से थोड़ी दूर एक फार्म हाउस में बने एक रिसोर्ट में दोपहर के समय थी। दोपहर में महिलायें फ्री रहती हैं, और रिसोर्ट में भी हमें “हैप्पी अवर” का डिस्काउंट मिलता था। मैं और मेरी एक सहेली, जिन्हें मैं पुष्पा दीदी कह कर बुलाती थी, के साथ मेरी स्कूटी पर बैठ कर समय से पहले ही रिसोर्ट में पहुँच गए।
मैंने स्कूटी पार्किंग में लगाई, और हम दोनों रिसोर्ट के शीशे के दरवाजे में दाखिल हो रहे थे कि एक बहुत ही हैंडसम और स्मार्ट सूट-बूट टाई पहना काफी संभ्रांत दिखता हुआ एक युवक मोबाइल फ़ोन पर किसी से बात करता हुआ बाहर निकल रहा था, मुझ से टकरा गया।
उसने मुझे डीप किस किया। फिर ध्रुव रूम के अंदर से एक चेयर लेकर आया, और मुझे उसपे बैठने को बोला। मैं घोड़ी बन के बैठ गई। मैंने देखा ध्रुव मेरे दूसरी छेद को चाटने लगा। मैं बिलकुल डर गई, और सीधी होकर बैठ गई।
मैंने बोला: नहीं, यह नहीं कर सकती मैं।
वह मुझे मनाने की कोशिश करने लगा। मैंने दोबारा ना किया। फिर वह मेरी बात को मान गया।
दोबारा मैं कुर्सी पे घोड़ी बन के बैठ गई। ध्रुव ने अपना लंड डाला और चोदना शुरू कर दिया। अंकल अभी भी अपने लंड के साथ खेल रहे थे। थोड़ी देर चोदने के बाद ध्रुव भी चेयर के ऊपर आ गया। उसने मुझे घोड़े की तरह राइड करना शुरू कर दिया। उसके दोनों पैर कुर्सी पे थे। वह ठीक मेरी गांड के ऊपर था।
ध्रुव मेरे बालों को अपने मुट्ठी में ज़ोर से पकड़ के खींचने लगा। एक हाथ से मेरे बाल खींचता, और दूसरे से मेरी गांड पे थप्पड़ मारता। पूरे बालकनी में थप-थप की आवाज़ हो रही थी। ध्रुव की रफ़्तार अब बहुत तेज़ हो गई थी। क़रीब दो-तीन मिनिट के बाद ध्रुव ने मुझे फिर से पूरा भर दिया।
ध्रुव कुर्सी से उतर के अंकल की तरफ़ देख रहा था। मैंने अपनी चूत में उंगली डाली और देखा पूरा भर चुका था। फिर ध्रुव ने मुझे इशारा किया, और मैं उसके लंड को मुंह में लेकर साफ़ करने लगी। जैसे ही मैं ऊपर उठी, ध्रुव ने मुझे फ़्रेंच किस किया। मैं चौंक गई क्यूंकि उसका माल मेरे मुंह में था। यह मुझे बहुत ही हॉट लगा। हम दोनों ने अंकल को बाई का इशारा किया, और अंदर रूम में आ गये।
मैंने ध्रुव को बोला: अब सोते हैं, काफ़ी रात हो गई है। रात के 2:20 हो गये थे।
ध्रुव मुझे और भी राउंड के लिए मनाने लगा। मैं मान गई। फिर हम दोनों नार्मल बातें करने लगे। वह मुझसे मेरी सेक्स लाइफ मेरे बॉयफ्रेंड के साथ कैसी है पूछने लगा। मेरा बॉयफ्रेंड दो राउंड ही कर पाता था। उसका लंड भी नार्मल था। मेरे और ध्रुव की सेक्स कंपेटिबलिटी काफ़ी मैच कर रही थी।
वह बेड पी लेटा हुआ था। मैं उसके नीचे थी। मैं उसके लंड से खेलने लगी बातें करते हुए। उसने मुझसे और भी बातें पूछी जैसे मेरे और भी सेक्स संबंध के बारे में। मैंने उससे अपने एक सेक्स पार्टनर के बारे में बताया, जिसके साथ मैंने दो साल तक चुदाई की थी। वह आदमी मेरे पापा के दोस्त का छोटा भाई था। मैं उनके इंस्टिट्यूट में टीचर थी। टाइम टू टाइम वह मुझे जम के चोदता। कभी इंस्टिट्यूट के बहाने से दूसरे सिटी में लेजा कर चोदता।
मैं उसके लंड को ऊपर नीचे कर रही थी।थोड़ी देर के बाद उसका लंड दोबारा खड़ा होने लगा। मैंने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। वह दोबारा से आह आह की सिसकियां लेने लगा। क़रीब दो मिनट के बाद वो 69 में मेरी चूत और गांड दोनों चाटने लगा, और मैं उसके लौड़े को चूसे जा रही थी। मैं झड़ने की कगार पे थी। ध्रुव रुक गया। मैं उसके ऊपर से उतर गई। वह बेड पे ही लेटा था।
वो मुझे ख़ुद से ऊपर आने को कहने लगा। यह पोजीशन मेरी फ़ेवरिट है। मैं उसके ऊपर काउगर्ल की तरह मज़े से उछलने लगी। मेरे दोनों बूब्स इधर-उधर उछल रहे थे। ध्रुव ने मेरे दोनों बूब्स पे दो-तीन चांटे भी मारे।
मैं अब आंखें बंद करके उसके ऊपर उछल रही थी। ध्रुव मेरे दोनों निप्पलों को खींचने लगा। मैं उसके ऊपर लेट गई और किस करने लगी। ध्रुव ने अब अपने घुटनों को थोड़ा बेंड किया, और मेरे कंधों को अपने सीने से जकड़ के मुझे ज़ोरो से चोदने लगा।
पूरे रूम में थप थप थप थप की आवाज़ और मेरे ज़ोर से चीखने की आवाज़ गूंज रही थी। क़रीब 10 मिनट के बाद वह रुक गया। उसने मुझे नीचे लिटाया और मुझे एक साइड करके मेरे पीछे आके मेरी एक टांग को थोड़ा उठाया। फिर लंड डाल के चोदने लगा। मेरे बूब्स को अपने हथेली में ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। यह सब देख के मुझे पता चला क्यों मेरी सहेली इससे सेक्स नहीं करती। पर मुझे ध्रुव की चुदाई की आदत लग रही थी।
अब ध्रुव ने मुझे मेरे सीने के बल लेटने को बोला। उसने मेरी चूत के नीचे एक पिल्लो रखा। मैं समझ गई कि यह कौन सी पोजीशन थी। थोड़ी सी मैंने अपनी टांगे फैलायी। ध्रुव ने मुझे प्रोन-बोन पोजीशन में चोदना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत के अंदर के ऊपरी हिस्सा को रगड़े जा रहा था। आज तक मुझे ऐसा फील और ऐसी चुदाई किसी ने नहीं करी थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बेडशीट को पकड़ रखी थी, और चीख रही थी।। ध्रुव फिरसे मेरे बालों को हाथों में भर के खींचने लगा। मैं और चीखने लगी।
अचानक से ध्रुव ने अपना लंड निकाल लिया। मैं चौंक के उसे देखने लगी। तभी उसने मुझे दूसरी जगह पे बुलाया, और घोड़ी बनने को कहा। मैं घोड़ी बनी थी। मैंने देखा ठीक मेरे सामने बड़ा आईना था। मैं समझ गई कि वो मुझे चोदते हुए देखना चाहता था। मैंने आईने में देखा ध्रुव मेरे पीछे था। वह मेरे ऊपर बैठ गया, और मेरी चूत में लंड डाल के चोदने लगा।
8-9 मिनट के बाद वो आह आह करके मेरे अंदर झड़ गया। उसने पूरा माल मेरे अंदर उतार दिया, और लंड निकल के वो मेरी चूत देखने लगा। 2 मिनट के बाद मेरी चूत से उसका स्पर्म टपकने लगा। उंगली डाल के उसने मेरी चूत से कुछ माल निकाला, और मुझे चाटने को बोला। मैं उसका पूरा माल चाट गई। तभी उसने बोला, “मेरा लंड साफ करो”। और मैं उसके लंड को चूस-चूस कर साफ करने लगी।
थोड़े देर बाद हम दोनों बिस्तर पर पड़े थे, और अपना-अपना फोन चेक कर रहे थे। फिर मैंने अपने बॉयफ्रेंड को कॉल लगाया, और बात करने लगी ताकि उसे शक ना हो। लगभग 40 मिनट बाद कॉल रखने के बाद मैं सोने गई तो देखा उसका लंड पूरा खड़ा था।
#दोस्त_के_बॉयफ्रेंड_से_चुदी
दिन मैं अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ कैफे गई। उस दिन मेरी ऑफिस की दोस्त से फोन पर बात हो रही थी। दोस्त की उसके बॉयफ्रेंड से लड़ाई चल रही थी, तो दोनों में बातें नहीं हो रही थी। वो मुझे लड़ाई सॉल्व करने को बोल रही थी। मैंने उसे बोला कि तुम मुझे अपने बॉयफ्रेंड का नंबर दे दो, मैं उससे बात करती हूं।
मुझे नंबर मिल गया। मैंने उसे कॉल लगाया। उसने मुझसे मिलने को बोला ठीक 30 मिनट के बाद। टाइम बीत गया, मैंने अपने दोस्तों को बाय बोला, और उससे मिलने चली गई।
मैं आपको अपने बारे में बताना भूल गयी। मेरी उम्र 23 साल है और मैं गोरी-चिट्टी हूँ, मेरे स्तन काफ़ी बड़े और टाइट हैं। उस
दिन मैंने पीले रंग की क्रॉप टॉप पहनी थी, और जींस भी। टॉप मेरे बड़े स्तनों को काफी उभार के बाहर दिखा रहा था।
ख़ैर कहानी पर आते हैं।
वो अपनी कार से आया था, उसका रंग सांवला और ऊंचाई 6 फीट और बॉडी बनी हुई थी। उसने मुझे नमस्ते कहा, कार चल रही थी और मैंने उससे पूछा कि वह क्यों बात नहीं कर रहा था। जब मैंने उससे बहुत पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसे सेक्स करने की आदत थी और दीक्षा जल्दी सेक्स के लिए तैयार नहीं होती थी।
ये सुन के मैं चुप हो गई तो उसने मुझे ऊपर से नीचे घूरते हुए पूछा, “आपका भी बॉयफ्रेंड होगा, और आप वीक में 4-5 दिन सेक्स तो करते ही होंगे”। मैंने उसे बताया कि, “मेरा बॉयफ्रेंड दूसरे शहर में रहता है”। उन्होंने मेरे सुन्न कानों में कहा कि, “तुम्हारी परेशानी भी मेरी तरह ही है”। मैंने कुछ नहीं कहा, और उसे समझाने की कोशिश की कि, “तुम दोनों को खुद को समझने की जरूरत है”। ये सुन कर वो बोलने लगा वो सेक्स के बिना नी रह सकता था।
तभी मेरे बॉयफ्रेंड का कॉल आने लगा। मैं बात करने लगी। फिर चलती कार में अचानक से उसने मेरी जाँघो पे हाथ फेरा। मैंने इग्नोर किया लेकिन वो मेरी जाँघो पे हाथ फेरता रहा और मुझे घूर रहा था। मैं उसकी तरफ मुड़ी और उसके हाथ को हटा दिया। उसने कुछ मिनटों के बाद फिर से हाथ फेरा।
कॉल ख़तम होते ही उसने मुझे बोला कि, “क्यों ना हम दोनों एक दूसरे की ज़रूरतें पूरी करें?” मैंने बोला, “ये क्या बकवास कर रहे हो तुम?” वो चुप हो गया। मैंने बोला, “मुझे आगे रास्ते पे छोड़ दो, मैं घर चली जाउंगी”। वो ड्राइव कर रहा था। अचानक से मेरी मम्मी का कॉल आया। मम्मी पूछ रही थी, “कब तक घर आओगी?”
मैंने झूठ बोला कि, “मेरी दोस्त की तबीयत खराब हो गई है, तो मैं उसे उसके घर पे ड्रॉप करने जा रही हूं”। मैंने बोला, “मैं आपको थोड़ी देर में कॉल करती हूं”। कॉल कट करते जैसे ही मैं उसकी तरफ़ मुड़ी, उसने मुझे किस कर लिया।
मैं खुद को रोक नहीं पाई और उसका साथ देने लगी। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे को फ्रेंच किस करते रहे। मुझे पता ही नी चला कब उसने मेरे स्तन दबाना शुरू कर दिया। वो मुझे बोलने लगा कि, “होटल चलते हैं”। मैं मान गई पर मम्मी को क्या बहाना बनाती। तभी मैंने अपने कैफे वाली फ्रेंड को कॉल लगाया, और उसे समझाया कि, “क्या तू बस कॉल पे बात कर सकती है मेरी मम्मी से, कि तेरी तबीयत खराब है?”
वो मान गई। फिर मैंने कॉन्फ्रेंस कॉल पे बात करवायी। मैंने मम्मी को बोल दिया कि, “मैं कल आउंगी”। मम्मी मान गई। फिर उसने कार होटल की तरफ बढ़ाई।
गाड़ी काफ़ी महंगे होटल के पास रुकी। उसने 16वीं मंजिल पर कमरा बुक किया था। हम लिफ्ट से रूम पहुंचे। उसने कार्ड की से रूम ओपन किया, और मुझे आगे जाने को बोला।
मैंने देखा पूरा रूम ग्लास का था। अचानक से वो पीछे से मुझ पर टूट पड़ा। वो मेरे बूबस दोनों बड़े हाथो से दबाने लगा, और गर्दन पर किस करने लगा। मैं भी अपनी गांड उसके लंड पे घिसने लगी। उसने मेरी टॉप उतार दी, मुझे अपनी तरफ किया, और किस करने लगा। मैंने किस करते हुए उसकी शर्ट खोल दी। उसकी छाती बनी हुई थी, और पेट पर एब्स निकले हुए थे, और छाती पे एक भी बाल नहीं था।
मैं उसकी छाती को चूमने लगी। तभी उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को निकाल फेंका। मैं अब आधी नंगी थी। मेरे बड़े-बड़े बोबे आजाद हो गए थे। स्तन को घूरने के बाद वो मेरे दाहिने स्तन को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और बीच-बीच में चबाने लगा।
मैं बहुत गर्म हो गई थी, मैं उसकी जींस को खोलने लगी। एक-एक बूब्स 10 मिनट तक उसने मेरे स्तनों को चूसा, चबाया, काटा। मेरे स्तनों पर दांत के निशान आ गए थे। फिर उसने मुझे नीचे घुटने पे बिठा दिया, और अपनी जींस उतार दी। वो बोला, “मेरी अंडरवियर उतारो”। जैसे ही मैंने उसका अंडरवियर उतारा, मेरे होश उड़ गए। उसका लंड अचानक से मेरे चेहरे पर आ गया।
वो बोली, जीयो मेरे राजा, और तेज़ी के साथ चोदो अपनी भाभी को. अगर तुम इसी तरह धीरे धीरे मुझे चोदोगे तो मेरी चूत की आग कैसे बुझेगी. और तेज़ी के साथ चोदो मुझे, खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ. मैने अपनी पूरी ताक़त लगाते हुए बहुत की बहुत तेज़ी के साथ चुदाई शुरू कर दी.
10 मीं तक चुद्वाने के बाद भाभी दूसरी बार झाड़ गयी और बोली, अभी मेरी चूत की आग केवल थोड़ी सी ही बुझ पाई है. खूब ज़ोर ज़ोर से चोदो. फाड़ दो आज मेरी चूत को. मैं पूरे जोश और ताक़त के साथ भाभी को चोद्ता रहा. वो भी जोश से पागल सी हुई जा रही थी. भाभी अपने चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी. मेरा बाकी का लंड भी धीरे धीरे भाभी की चूत में घुस गया लेकिन वो इतनी ज़्यादा जोश में थी कि उन्हें पता ही नहीं चला. 10 मीं तक और चुद्वाने के बाद वो तीसरी बार झाड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं. मैं भाभी को बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा था और वो एक दम मस्त हो कर चुद्वा रही थी. 5 मीं तक और चोद्ने मैं भी झाड़ गया. लंड का सारा जूस भाभी की चूत में निकाल देने के बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला और हट गया. भाभी ने कहा, आज तुमने मेरी बहुत ही अच्छि तरह से चुदाई की है और मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया है. अब मैं तुमसे खूब चुद्वाउन्गि. अगर तुम आज मुझे ठीक से नहीं चोद पाते तो मैं तुमसे फिर कभी नहीं चुद्वाती. अगली बार जब मैं तुम्हारा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लूँगी तब मुझे और ज़्यादा मज़ा आएगा. मैने कहा, जब तुमने और तेज और तेज कहा तो मैने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी थी. उस स्पीड से चुद्वाने में ही धीरे धीरे मेरा पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुस गया था. तुम बहुत ज़्यादा जोश में थी इस लिए तुम्हे पता ही नहीं चला. तुम तो मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर ले चुकी हो. वो बहुत खुश हो गयी. भाभी की चूत एक दम सूज चुकी थी.रात के 7 बजे मैने भाभी को फिर से चोदा. 30-35 तक चोद्ने के बाद मैं झाड़ गया
मेरा लंड एक दम टाइट हो गया तो मैने कहा, मैं तुम्हारी चूत पर थोड़ी देर तक अपने लंड को रगड़ना चाहता हूँ. वो बोली, तो रगड़ लो. मैने उन्हें डॉगी स्टाइल में कर दिया और अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा. मैं बहुत ज़्यादा जोश में आ गया तो मैने कहा, अगर तुम कहो तो मैं अपना लंड थोड़ा सा तुम्हारी चूत के अंदर डाल दूं.
Читать полностью…वो बोली, तुम तो नंगे ही ज़्यादा खूबसूरत लगते हो. मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, और इसके बारे में क्या ख़याल है. भाभी मेरे लंड को देख रही थी. उनकी आँखे गुलाबी सी होने लगी थी. वो बोली, तुम्हारा लंड तो वाकाई बहुत ही अच्छा है. मैने पूछा, अच्छा है का क्या मतलब. वो बोली, अच्छा है का मतलब, तुम्हारा लंड बहुत ज़्यादा लंबा है, खूब मोटा है, एक दम गोरा और चिकना है, इसका सूपड़ा भी खूब मोटा और एक दम गुलाबी है. मैने आज तक ऐसा लंड कभी नहीं देखा. मैने पूछा, आज तक नहीं देखा है का क्या मातब. लगता है तुम इसके पहले भी केयी लंड देख चुकी हो. वो बोली, नहीं मेरे राजा, मैने आज तक अपनी ज़िंदगी में केवल 2 लंड ही देखा है. कुच्छ दिनो पहले तुम्हारे भैया का देखा था और दूसरा आज अपने प्यारे प्यारे देवर का देख रही हूँ. चलो अब नाश्ता कर लो.
मैने कहा, ठीक है, नाश्ता भी कर लूँगा लेकिन पहले एक बार और मेरे लंड को चूम लो. भाभी ने कहा, तुम बड़े शैतान हो. उसके बाद उन्होने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और अपने गरम गरम और गुलाबी होठों को मेरे लंड के सूपदे पर रख दिया. थोड़ी देर तक अपने होठों को मेरे लंड के सुपाडे पर रखने के बाद उन्होने बड़े प्यार से चूम लिया. मुझे बहुत मज़ा आया और मेरे सारे बदन में बिजली सी दौड़ गयी. मैने पूच्छा, कैसा लगा. वो बोली, सुबह तो मैने तोड़ा सहरामाते हुए तुम्हारे लंड को चूमा था लेकिन इस बार तुम्हारे लंड को चूमने में बहुत मज़ा आया. मैने कहा, तो एक बार और चूम लो. वो बोली, तुम कहते हो तो मैं एक नहीं दो बार चूम लेती हूँ. उन्होने फिर से मेरे लंड को पकड़ कर बड़े प्यार से दो बार और चूम लिया.
भाभी की आन्खे भी जोश से एक दम गुलाबी हो चुकी थी और मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था. मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और बोला, मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है. काश कोई मेरे लंड को अपने मूह में ले कर चूस लेता. वो बोली, अगर तुम कहो मैं ही चूस लेती हूँ. मैने कहा, नेकी और पूच्छ पूच्छ. वो बोली, ठीक है, पहले तुम नाश्ता कर लो और मैं नहा लूँ. उसके बाद मैं तुम्हारे लंड को चूस लूँगी. मैने कहा, ठीक है, मैं तब तक इंतजार करता हूँ. उसके बाद मैं नाश्ता करने लगा. नाश्ता ख़तम होने के बाद भाभी नहाने चली गयी. मैं अपने लंड पर हाथ फिराते हुए भाभी का इंतेज़ार करता रहा. 15 मिनट बाद भाभी नहा कर आई तो उन्होने केवल पेटिकोट ही पहन रखा था और उसे अपने बूब्स के उपर से बाँध रखा था. उनका एक दम गोरा बदन देख कर मुझे और ज़्यादा जोश आने लगा. मैं सोफे पर बैठा था. भाभी मेरे सामने ज़मीन पर बैठ गयी और बोली, लाओ, अब मैं तुम्हारे लंड को चूस लेती हूँ. उन्होने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर अपने मूह में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी. मैं धीरे धीरे जोश में आता जा रहा था. भाभी भी जोश में आने लगी थी. थोड़ी ही देर में भाभी सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड को चूसने लगी.
मेरे लंड का जूस निकलने वाला था तो मैने भाभी से कहा, अब रहने दो. वो बोली, अब क्या हुआ. क्या मैं तुम्हारे लंड को ठीक से नहीं चूस रही हूँ. मैने कहा, नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरे लंड को बहुत ही अच्छि तरह चूस रही हो लेकिन अब मेरे लंड का जूस निकलने वाला है. वो बोली, तो क्या हुआ, मेरे मूह में ही निकल जाने दो
ना. मैं तुम्हारे लंड के जूस की एक बूँद भी बर्बाद नहीं होने दूँगी. सारा का सारा जूस निगल जाउन्गि. मैने कहा, ठीक है, जैसा तुम चाहो. भाभी और ज़्यादा तेज़ी के साथ मेरे लंड को चूसने लगी. थोड़ी ही देर में मेरे लंड का जूस भाभी के मूह में निकलने लगा. मैने भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया तो मेरा लंड भाभी के मूह में और ज़्यादा गहराई तक घुस गया. भाभी ने मेरे लंड का सारा का सारा जूस निगल लिया. मेरे लंड का सारा जूस निगलने के बाद उन्होने मेरे लंड को अपने मूह से बाहर निकल दिया. मेरे लंड पर थोड़ा जूस अभी भी लगा हुआ था. मैने भाभी को दिखाते हुए कहा, थोड़ा जूस बाकी रह गया है तो उन्होने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया.मैने भाभी से कहा, तुमने मेरे लंड को देख लिया, इसे चूम लिया और इसे अपने मूह में ले कर चूस भी लिया. इसका सारा जूस भी तुमने निगल लिया लेकिन तुमने अभी तक अपने सारे बदन को ढक रखा है. मुझे अपना बदन नहीं दिखओगि. वो बहुत ज़्यादा जोश में आ चुकी थी और बोली, तुम जो देखना चाहो, देख हो. मैने कहा, मैं तो तुम्हारा पूरा बदन देखना चाहता हूँ. वो बोली, तो देख लो. मैने कहा, तुमने अपना बदन ढक रखा है. वो बोली, खुद ही खोल कर देख लो.
मेरा नाम राजू है. घर पर मेरे अलावा भैया विनोद, भाभी दीपा ही हैं. भैया की उमर 22 साल, भाभी की उमर 20 साल और मेरी 21 साल की है. भैया की शादी अभी 6 महीने पहले ही हुई है. भाभी का रंग एक दम गोरा, आँखे भूरी, बाल काले और लंबे, बॉडी एक दम स्लिम, कमर एक दम पतली और बूब्स एक दम गोल गोल और छ्होटे छ्होटे हैं. मेरे पड़ोस में विमल रहते हैं. उनकी उमर भी 22 साल की है. वो मेरे भैया के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं. उनकी भी शादी 5 महीने पहले ही हुई है. उनकी वाइफ का नाम लता है. वो भी मेरी भाभी की तरह बहुत ही खूब सूरत हैं. उनका दोनो का हमारे घर आना जाना लगा रहता है. मेरी भाभी और लता दोनो बहुत ही शरारती और दिखने में बहुत ही सेक्सी हैं. वो दोनो मुझसे बहुत ही भद्दा भद्दा मज़ाक करती हैं. मैं भी उन दोनो से किसी चीज़ में कम नहीं हूँ.
शादी के 4 दिन बाद भाभी वापस मयके चली गयी. भाभी जब 10 दिन बाद जब दोबारा आई तो उनके आने के 2 दिन बाद ही भैया को ऑफीस की तरफ से ट्रैनिंग के लिए 2 मंत्स के लिए बॅंगलॉर जाना पड़ गया. भाभी अभी तक भैया के साथ केवल 6 दिन ही सो पाई थी. वो मुझसे शादी के दूसरे दिन से ही मज़ाक और छेड़-छाड़ करती थी. मैं देर तक सोने का आदि था. भैया के जाने के बाद मैं सो रहा था. सुबह के 8 बजने वाले थे. भाभी मुझे जगाने के लिए आई. सुबह के समय मेरा 7" का लंड एक दम खड़ा था. मैं केवल चड्धि पहन कर ही सोता था. लंड के खड़ा होने की वजह से मेरी चड्धि टेंट की तरह से हो गयी थी. भाभी ने बिना कोई शरम किए मेरे लंड पर अपने हाथ से धीरे से मारा और बोली, 8 बज रहे हैं, उठना नहीं है क्या. मैने कहा, मुझे ऑफीस थोड़े ही जाना है. मुझे सोने दो. वो बोली, ठीक है सोते रहो. उसके बाद वो घर का काम करने लगी. मैं फिर से सो गया.
9 बजे वो फिर मुझे जगाने के लिए आई. मेरा लंड अभी तक खड़ा था. उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर खीचा और बोली, राजा जी, अब तो उठ जाओ. मैं उठ गया. मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा, आप को मेरे लंड पर हाथ लगाने में शरम नहीं आती. अगर कुच्छ हो गया तो. वो बोली, क्या हो जाएगा. तुम तो मेरे एकलौते और प्यारे प्यारे देवर हो और देवर से कैसी शरम. आख़िर भाभी पर देवर का आधा हक़ होता है. दूसरे तुम्हारा तो लंड ही ऐसा है कि मैं इसे पकड़ने से अपने आप को रोक नहीं पाई और मैने इसे पकड़ लिया. अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगा तो मैं अब कभी भी तुम्हारे बदन को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैने कहा, नहीं, मैं तो मज़ाक कर रहा था. मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरे इतना कहने के बाद वो मेरे बगल में बैठ गयी और उन्होने मेरे लंड को फिर से पकड़ कर खीच लिया और बोली, कैसा लगा. मैने कहा, बहुत अच्छा लेकिन अगर मुझे जोश आ गया तो तुम्हे रगड़ दूँगा. वो बोली, तो देर किस बात की है. रगड़ दो ना. मना किसने किया है. मैने कहा, मेरा लंड तो तुमने देख ही लिया है, खूब लंबा और मोटा है, तुम्हारी फॅट जाएगी. वो बोली, अभी तक मैने इसे देखा ही कहाँ है. अभी तो ये किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह घूँघट में है. मैने भी मज़ाक करते हुए कहा, तो देख लो ना. वो बोली, तुम नाराज़ तो नहीं हो जाओगे. मैने कहा, बिल्कुल नहीं.मेरे इतना कहते ही भाभी ने मेरी चड्धि नीचे कर दी. मेरा एक दम गोरा 7" लंबा और खूब मोटा लंड फंफनाता हुआ चड्धि से बाहर आ गया. भाभी मेरे लंड को देखती ही रह गयी और बोली, देवर जी, तुम्हारा लंड तो वाकाई बहुत ही शानदार है. इसे छुपा लो नहीं तो नज़र लग जाएगी. इतना कह कर भाभी ने मेरी चड्धि उपर कर दी.
चड्धि उपर करते समय उनका हाथ मेरे लंड को टच करने लगा तो मेरे सारे बदन में सुरसुरी सी दौड़ गयी. मैने कहा, मेरे लंड को आज तक किसी ने नहीं देखा था. आज पहली पहली बार तुमने मेरा लंड देखा है. मूह दिखाई नहीं दोगि. वो बोली, ज़रूर दूँगी, मेरे राजा. बोलो क्या चाहिए. मैने कहा, ज़्यादा कुच्छ नहीं, सिर्फ़ एक चुम्मा ले लो. उन्होने तुरंत ही मेरे गालो को चूम लिया. मैने शरारत भरे अंदाज़ में कहा, तुमने लंड को देखा है, चुम्मा तो उसका लेना पड़ेगा, मेरा नहीं. वो बोली, ठीक है, मैं तुम्हारे लंड का ही चुम्मा ले लेती हूँ. इतना कह कर उन्होने मेरी चड्धि फिर से नीचे कर दी. जैसे ही मेरा लंड बाहर आया तो उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर सूपदे का घूँघट नीचे कर दिया. मेरे लंड का एक दम गुलाबी सूपड़ा भाभी के सामने था. वो थोड़ी देर तक मेरे लंड के सुपाडे को देखती रही फिर बोली, बहुत ही मोटा सूपड़ा है तुम्हारे लंड का. उसके बाद उन्होने बड़े प्यार से मेरे लंड के सुपाडे को चूम लिया. मेरे सारे बदन में बिजली सी दौड़ गयी. भाभी की आँखें भी गुलाबी हो गयी थी. वो बोली, अब तो मिल गयी मूह दिखाई. मैने कहा, हां मिल गयी. वो बोली, अब चलो फ्रेश हो जाओ, मैं नाश्ता बना देती हूँ.
शॉवर के नीचे पानी की बूंदें मेरे नंगे बदन के एक-एक अंग के ऊपर से नीचे की तरफ धार बन कर बह रही थी, वह बड़ी ही बारीकी से घूरते हुए देख रहे थे। पानी की एक बूंद जो मेरे सर से मेरे बालों की एक लट से बह कर, मेरे ललाट से होती हुई गर्दन से गुजर कर, मेरे स्तनों की गोलाई के ऊपर से मेरी निप्पलों को छूती हुई, मेरे सपाट पेट पर से मेरी कमसिन नाभि में कुछ देर टिकती हुई, मेरी चूत से ऊपर वाले उभार को पार कर, मेरी जांघों के बीच में मेरी चूत में से बूँद दर बूँद रिस रहे मेरे काम रस से मिलती हुई पानी की एक धारा बन कर बाथरूम के फर्श पर गिर रहीं थी।
इसे राजन इस कदर बारीकी से निहार रहे थे जैसे वह उस बाथरूम में कोई गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत स्थापित करने वाले हों। यह बात और है कि वह बूंदों पर कम पर मेरे अंगों पर ज्यादा अपना ध्यान केंद्रित कर रहे थे।
मैंने जैसे यह सुना तो मेरी चूत से तो जैसे मेरे स्त्री रस की धार ही छूटने लगी। मेरा दिमाग घूमने लगा। अब तो मुझे पूरा यकीन हो गया कि जिस तरह परिस्थितियां बन रही थी, मुझे राजन के सामने नंगी होना ही पड़ेगा, और अगर मैं राजन जैसे सशक्त कामुक मर्द के सामने नंगी हो गयी, तो राजन जैसा लंबा चौड़ा इतने बड़े तगड़े लंड वाला मर्द मुझे थोड़े ही छोड़ेगा?
और मान लो अगर उसने कुछ नहीं भी किया, तो भी मुझे अपने आप पर ही एक ढेले भर का भी विश्वास नहीं था। कि मैं सामने चल कर राजन के सामने नंगी नहीं खड़ी हो जाऊंगी, और मुझे चोदने के लिए उससे मिन्नतें नहीं करुंगी। मैंने यही समझ लिया कि अब बेहतरी उसी में थी कि मैं मान लूं कि उस शाम हर हाल में राजन से मेरी ठुकाई तो होनी ही थी।
कोई अगर मुझे उस समय यह पूछता कि क्या मैं राजन से चुदवाने के लिए तैयार थी? तो सुन कर मुझे हंसी आ जाती। मैं तैयार थी? अरे मैं तो मर रही थी कि कब मुझे राजन कस कर पकड़े और अगर मेरे बदन पर कोई कपड़े हों तो उन्हें उतार फेंके, और खुद अपनी छोटी सी निक्कर निकाल फेंक कर, मुझे उसके कमरे में पलंग पर सुला कर, उसके इतने बड़े दिख रहे लंड को बेरहमी से मेरी चूत में घुसा कर, मुझे चोद-चोद कर मेरी चूत फाड़ दे।
कई महीनों से मेरी तगड़ी चुदाई नहीं हुई थी। चुदवाई तो मैं थी कई बार, पर ऐसा लंड नहीं मिला था चुदवाने के लिए। अब जब सामने चल कर ऐसे लंड से चुदवाने का मौक़ा मिले, तो भला कौन स्त्री उस मौके को जाने देगी? तो इसमें भला ना कहने की कोई गुंजाइश थी क्या?
दीदी ने कहा, “राजन जी, मैं यहां कुछ देर और तैरना चाहती हूं। मेरी सखी को आप ले जाओ। वैसे भी वह आप के कमरे में जाने के लिए बड़ी उत्सुक है। मेरा एक सुझाव है। आप वापस आने की जल्दी ना करें। मेरी सहेली को आप खुद उसके सारे गीले कपड़े निकाल कर, अच्छी तरह से नहला धुला कर, उसे इस तौलिये से अच्छी तरह पोंछ कर, आपके कमरे में उसकी ठीक से खूब अच्छे से सेवा करें। आप उसे अपने कपड़े दें, या कोई कपड़ा ना चाहें तो ना दें। वैसे इस वक्त इन हालात में मुझे नहीं लगता उसे कुछ भी पहनने की जरूरत है। बाकी आप समझदार हैं।”
मैंने दीदी को हाथ थाम कर खींच कर पूल के एक कोने में ले जा कर राजन ना सुन सके ऐसे उन्हें पूरा हिलाते हुए पूछा, “दीदी, तुम यह सब क्या और क्यों बक रही हो? राजन मेरे बारे में क्या सोचेंगे?”
दीदी ने मेरा हाथ छुड़ाते हुए कटाक्ष में पूछा, “राजन क्या सोचेंगे? अरे तुमने राजन के निक्कर में उसका लंड देखा नहीं? कैसा फनफना रहा था तुम्हारे करीब आते ही? जब तुम राजन के पास होती थी, तब मैं पहले तुम्हारे चेहरे को और फिर राजन के लंड को ही देखती रहती थी। उस वक्त तुम्हारे चेहरे पर कौए उड़ते रहते थे, और राजन का लंड ऐसे खड़ा हो जाता था, कि जैसे उसकी पतली सी निक्कर फाड़ कर बाहर ही आ जाएगा।
तुमने देखा नहीं, बेचारा राजन उसे बार-बार अपनी निक्कर में वापस डालने के लिए कितनी मशक्क्त करता रहता था? अरे तुम्हें क्या लगता है क्या वह तुम्हें आज चोदे बगैर छोड़ेगा? और वह छोड़ेगा भी तो क्या तुम उससे चुदवाये बगैर उसे छोड़ोगी? यह सब ड्रामे बाजी मुझसे मत करो। मैं अंधी नहीं हूं। मैंने सब कुछ देख लिया है। अब जाओ बिंदास उससे खूब चुदवाओ और पूरा चुदवाने के बाद ही उसे मेरे पास भेजो।”
मेरे पास दीदी की बात का कोई जवाब ही नहीं था। वैसे दीदी का बात सौ प्रतिशत सच थी। मैं खुद इतनी चुदासी हो रही थी कि मैं क्या बताऊं? मेरी चूत ऐसी मचल रही थी कि मैं कैसे उसे शांत कर पाउंगी यह मैं नहीं सोच पा रही थी। अगर राजन ने मेरे साथ कुछ किया नहीं तो क्या मुझे राजन के कमरे से बिना चुदे वापस जाना पडेगा? मेरा सर घूम रहा था।
खैर, राजन के दिए हुए फर वाले कॉटन के गाउन को मेरे लगभग नंगे बदन के ऊपर पहन लिया और राजन के साथ उसके कमरे की और निकल पड़ी। रास्ते में मैं रिसेप्शन पर बस एक लड़की अपने लैपटॉप में सर नीचा किये हुए लगी हुई थी, उसे ही हमने देखा। पर उसने हमें देखा तक नहीं। मुझे लिफ्ट के पास खड़ी छोड़ कर राजन उस लड़की के पास गए, और उससे कुछ बात की। बाद में मेरे पास आकर राजन ने मेरा हाथ थाम कर लिफ्ट में ना जाते हुए सीढ़ी चढ़ कर पहली मंजिल पर अपने कमरे में ले गए।
रास्ते में राजन ने मुझे कहा, “मैंने रिसेप्शनिस्ट से पूछा कि मुझे कुछ गीले कपड़े धुल कर वापस फौरन चाहिए। तब रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि वैसे तो धोबी निकल चुका है फिर भी हम कपड़े एक बैग में रख कर रिसेप्शनिस्ट को देदे। वह धोबी से बात करेगी और अगर वह आएगा तो वह कपड़े धुलवा कर एक घंटे के अंदर ही वापस कर देगी।”
कमरे में पहुंचते ही मुझे महसूस हुआ कि मुझे वह गाउन और मेरी पैंटी और ब्रा भी निकाल कर राजन को देना था। राजन वहां मेरे सामने मुझे देखते हुए खड़े रहे। राजन ने कहा, “तुम पूरी गीली हुई हो। बेहतर होगा कि यह पहने हुए गीले कपड़े निकाल कर मुझे देदो। मैं उन्हें लांड्री वाले को दे दूंगा। और तुम बाथरूम में जा
जैसे ही मेरी साँसों की लय सामान्य हो गयी, राजन ने मुझे घुमा कर मेरे सख्ती से खड़े हुए गोल गुब्बारे से स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और उन्हें मसलने लगे। मेरी निप्पलों को अपनी उँगलियों के बीच कुछ देर तक पिचकाने के बाद बड़े ही सम्मान से किनारे पर रखी मेरी पैंटी को हाथ लंबा कर वापस ले लिया। मेरे नीचे पानी में डुबकी लगा कर मेरी जाँघों को दोनों हाथों में पकड़ कर उन्होंने थोड़ा चौड़ा किया, और अपना सर मेरी जाँघों के बीच में ला कर मेरी चूत को पानी के अंदर कुछ देर तक चूमते रहे।
बाद में मेरी चूत के ऊपर कुछ देर तक अपनी हथेली बड़े प्यार से फिरा कर नीचे से मेरी पैंटी को पाँव के ऊपर की ओर सरका दी, और मुझे मेरी पैंटी पहना दी। फिर मेरी ब्रा जो खिसक कर मेरे एक कंधे पर लटक रही थी, उसे मेरे पीछे आ कर मुझे दुबारा पहना दी और हुक लगा दिए। मुझे राजन के इस प्रकार के कामुक और प्यार भरे रवैये से उनके प्रति बड़ा ही प्यार आने लगा।
मैं राजन से लिपट गयी। मेरी आँखों में आँसूं भर आये। मैंने राजन से लिपट कर “थैंक यू” कहा और अपनी दोनों बाहें राजन की गर्दन के इर्द-गिर्द कस कर लपेट कर राजन के होंठ मेरे होंठ से चिपका कर मेरे होंठों से राजन के होंठ खोल दिए।
राजन के मुंह में मैंने अपनी जीभ डाल दी जिसे राजन बड़ी ही शिद्द्त से चूसने में लग गए। मेरी चुदास की इंतेहा पर मैं पहुँच रही थी। राजन ने तब मेरी जीभ को धकेल कर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। मैंने भी राजन की ही तरह राजन की जीभ को चूसना शुरू किया।
राजन के चुम्बन से मैं इतनी ज्यादा उत्तेजक हो गयी थी, कि मेरी सब्र का बाँध ही टूट गया। मुझे हर हाल में राजन से चुदवाने के बगैर चैन नहीं मिलेगा यह मैं जान गयी थी। मुझे पूरा यकीन था की राजन भी मुझे चोदना चाहते थे।
तब राजन ने अपना एक हाथ नीचे कर मेरी चूत में हाथ डाल कर मेरी छोटी सी लंगोट जैसी पैंटी को खिसका दिया और अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दीं। मेरी चूत में राजन की उंगलियां महसूस करते ही मैं पागल हो गयी। राजन जिस तरह मेरी जीभ से मेरे मुंह को चोदना शुरू किये थे, और जिस तरह उन्होंने मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुसेड़ दी, और अपनी उंगलियां मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे, मुझे भी पूरा यकीन हो गया कि राजन भी मुझे बहुत ताकत से चोदना चाह रहे थे, और अगर उनको मौक़ा मिला तो मुझे चोदे बगैर नहीं छोड़ेंगे।
मैं राजन के मुंह से अपना मुंह अलग ही नहीं करना चाहती थी, और मैं चाहती थी की राजन अपनी उँगलियों से मेरी चूत को पानी में चोदते ही रहें। मेरे ज़हन में इतना जबरदस्त तूफ़ान उठ रहा था और मेरी चूत में से इस कदर मचलन शुरू हो गयी थी, कि मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गयी।
एक बड़ी गहरी सांस ले कर मैं राजन के बदन से इतना ज्यादा कस कर चिपक गयी कि राजन भी मुझे अचम्भे से देखने लगे। मैं एक-दम राजन से चिपकते हुए झड़ गयी। मैंने राजन को कानों में कहा, “राजन, मुझे अब तुम्हारे कमरे में ले चलो। अब मैं पागल हो रही हूँ, और तुम्हारे प्यार किये बगैर नहीं रह सकती।”
मेरा राजन को साफ़-साफ़ कहना था कि मैं राजन से चुदे बगैर नहीं रह सकती थी। राजन ने मुझे उसी तरह कस कर चूमते हुए मेरे कानों में कहा, “बस जल्दी ही चलते हैं। तुम थोड़ा पाँव पटक कर एक बार पानी की सतह पर कैसे टिकना है यह सीख जाओ।”
यह कह कर राजन मुझे दोनों हाथ टेढ़े कर के ऊपर-नीचे करते हुए पानी में नहीं डूबने का तरिका सिखाने में लग गए। मेरे मन में उस समय राजन से चुदने के अलावा और कोई भी बात घुस ही नहीं रही थी।
पुष्पा दीदी बिंदास पानी में तैरती हुई कभी हमारे पास आती, तो कभी दूर चली जाती। एक बार वह हमारे पास आयी, और राजन के पास आ कर बोली, “राजन, रोमा के चक्कर में कहीं तुम मुझे मत भूल जाना। मैं तुम्हें एक के साथ एक फ्री, फ्री, फ्री का ख़ास ऑफर दे रही हूँ।” कह कर हंसती हुई फिर तैर कर दूसरे छोर पर चली गयी।
कुछ देर तक यूँ ही पानी में पैर मारते हुए मैं थक गयी। मेरे थके हुए चेहरे की और देख कर राजन ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम थक रही हो। आज इतना ही काफी है। इन गीले कपड़ों में ऐसे तो तुम जा नहीं सकती। तुम्हें अब कपड़े भी सुखाने पड़ेंगे। तो क्यों ना तुम दोनों मेरे साथ मेरे कमरे में चलो। मैं तुम्हारे कपड़ों को अर्जेंट धुलवा कर प्रेस करवा कर तुम्हें दे दूंगा। करीब एक घंटा लगेगा।”
मैंने राजन की आँखों में फिर वही कामुक प्यास देखी। मेरी चूत में भी अब इतनी ज्यादा मचलन हो रही थी कि मैं चुदास से बाँवरी सी हो रही थी। हर हालत में मुझे राजन से चुदना था। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। पर बाहर से भी तो दिखावा करना था।
मैंने राजन से कहा, “इस हालात में कैसे मैं अकेली तुम्हारे कमरे में जा सकती हूँ? अगर गयी तो ना मैं अपने आप को रोक पाउंगी और ना ही आप अपने आप को रोक पाओगे। फिर तो बड़ी गड़-बड़ हो जायेगी, और लोग क्या सोचेंगे?”
दूर रहती हूँ।”
राजन ने मेरा हाथ थाम कर उसे दबाते हुए मुझे पूछा, “क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास है?”
मैंने बिना कुछ बोले अपनी मुंडी हिला कर हाँ का इशारा किया। राजन ने कहा, “तो फिर तुम बिल्कुल डूबने की चिंता मत करो। बल्कि आज के बाद मैं तुम्हें इतना तो सीखा दूंगा कि आगे कभी तुम स्विमिंग पूल में उतरने से नहीं डरोगी यह मैं वादा करता हूँ।”
राजन ने मेरा रास्ता साफ़ कर दिया तो मैंने राजन की और देख कर थोड़ा सा मुस्कुरा कर थोड़े से डर के मारे पर उससे कई गुना रोमांच के मारे कांपते हुए बदन से सर हिला कर “ठीक है, अब मेरा यह बदन आपके हवाले और मेरी जान आप के हाथ में है” कहा।
मेरा सकारात्मक संकेत मिलते ही फौरन राजन मुझे अपनी बाहों में उठा कर गहरे पानी में ले गए। गहरे पानी तक जाने का रास्ता लम्बा भी था, और पानी में मुझे उठा कर चलने में राजन को काफी मशक्क्त भी करनी पड़ती थी। पानी की गहराई देख कर मेरी हवा निकल गयी। मैं राजन से इस कदर कस कर चिपक गयी, जैसे कोई बेल पेड़ से चिपक जाती है। उस समय मुझे कुछ भी होश नहीं थे कि मेरे लगभग नंगे स्तन राजन की छाती से चिपके हुए थे, और राजन का फनफनाता हुआ सख्त, लम्बा और मोटा लंड मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से कुरेद रहा था।
मैंने महसूस किया की राजन के पानी में चलते हुए मैं राजन की कमर पर ऊपर-नीचे खिसक रही थी। जैसे ही मैं राजन के बदन पर नीचे की ओर खिसकती, राजन की निक्कर में छिपा हुआ उसका लंड मेरी चूत में घुसने की कोशिश करने का दबाव बनाता रहता था। राजन फिर मुझे ऊपर उठा लेते।
एक बार तो मैं राजन की कमर से इतनी नीचे फिसल गयी कि मेरी जाँघों ने राजन की कमर के नीचे की तरफ खिसकते हुए राजन की निक्कर को भी नीचे खिसका दिया। तब मुझे महसूस हुआ कि राजन का लंड निक्कर से बाहर निकल पड़ा था, और मेरी चूत में घुसने लगा था। अगर मेरी छोटी सी लंगोट जैसी पैंटी उस समय थोड़ी सी भी इधर-उधर खिसक जाती तो राजन के तगड़े लंड को मेरी चूत में दाखिल होने में कोई रुकावट नहीं थी।
इस बात सोच कर ही मेरी चूत बेहाल सी हो कर इतना ज्यादा रस बहाने लगी थी, कि मैं मन ही मन चाह ने लगी की काश मेरी छोटी से पैंटी इधर-उधर खिसक ही जाए और राजन का तगड़ा लंड मेरी पानी बहा रही चूत में घुस ही जाए।
राजन ने मुझे गहरे पानी में एक जगह ले जा कर पारी के स्टील के पाइप को पकड़ा कर अपने दोनों हाथ से मेरे बदन को नीचे से ऊपर उठाते हुए मुझे पानी में एक के बाद एक पाँव ऊपर उठा कर बार-बार नीचे पटक ने को कहा। मैंने उस समय देखा कि राजन ने अपना बाहर निकला हुआ लंड वापस निक्कर में घुसा दिया था। मेरा चेहरा और पेट नीचे और मेर कूल्हे और पीठ ऊपर की तरफ थे। मेरे उस समय होश उड़े हुए थे।
पर राजन के सहारे टिके रहने के कारण मुझ में हिम्मत आयी और जैसे राजन ने कहा था मैं पाँव पानी में बार-बार मारते हुए पानी की सतह पर रहने की कोशिश में लग गयी। ऐसे करते हुए मैंने महसूस किया की कई बार राजन के हाथ मेरे स्तनों को भी छूते रहे, दबाते रहे जिस के कारण मेरी चूत में से और पानी रिसने लगा। कई बार राजन के हाथ मेरी चूत को भी छू रहे थे पर राजन ने कोई गलत हरकत नहीं की। अगर की भी होती तो मैं कुछ ना बोलती।
पानी में राजन की बाहों में पैर ऊपर-नीचे मारते हुए मेरा ऐसा बुरा हाल हो रहा था जो कहना मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल था। राजन मेरे हरेक अंग को छूने का मौक़ा नहीं छोड़ते थे। कई बार जब मैं पानी की सतह से नीचे जाने लगती, तो मेरे स्तनों के नीचे हाथ दे कर ऊपर की ओर उठाने के लिए सहारा देते और ऐसा करते हुए मेरे स्तनों को मसलने का मौक़ा नहीं चूकते थे। उनके ऐसा करने पर मेरा पूरा बदन रोमांच से कांप उठता था।
एक बार ऐसा हुआ कि मेरे हाथ से पाइप छूट गयी और मैं पानी में सर के बल नीचे डूबने लगी। मेरे पाँव ऊपर और सर नीचे। तब अफरा-तफरी में राजन ने मुझे कमर से पकड़ा और ऊपर की तरफ खींचा। ऐसा करते हुए मेरी पैंटी की इलास्टिक की पट्टी राजन के हाथों में आ गयी। मेरी पैंटी मेरी जाँघों और मेरे पांव में से निकल कर उनके हाथ में आ गयी और मैं नीचे से नंगी पानी की गहरायी में चली गयी।
राजन मेरी पैंटी किनारे पर फेंक बिना देर किये डुबकी लगा कर एक पल में ही मुझे कमर से कस के पकड़ कर ऊपर ले आये। ऊपर आते ही मैं खांसती हुई जोर-जोर से सांस लेने लगी। राजन ने एक झटके में पीछे से मेरे स्तनं को सख्ती से बांधे रखती हुई ब्रा के हुक खोल दिए, ताकि मैं ठीक से सांस ले सकूं। मेरी ब्रा खिसक कर साइड में हो गयी और मेरे स्तन राजन की नजर के सामने ही पूरे नंगे हो गये।
उस समय ना तो मेरी ब्रा मेरे स्तनों को छिपा पा रही थी और ना ही मेरी पैंटी मैंने पहनी हुई थी। राजन बड़े प्यार से मेरे नंगे स्तनों को और मेरी साफ़ चूत को इत्मीनान से देखते रहे। उस समय मुझे ज़रा भी संकोच नहीं महसूस हो रहा था कि राजन मुझे पूरी नंगी देख रहे थे। मुझे डूबने से बचाने के कारण मैं ऐसा महसूस कर रही थी, जैसे मेरा
मेरे पीछे-पीछे आ कर खड़ी दीदी ने कहा, “अब जब पानी में उतर ही गयी हो और सारे कपड़े गीले हो ही गए हैं तो यह फ्रॉक निकाल दो और कुछ देर पानी में आराम से राजन के साथ तैरो और एन्जॉय करो।” यह कह कर दीदी ने पीछे से मेरे फ्रॉक की ज़िप नीचे की तरफ खींच कर पूरी खोल दी। गीली होने के कारण भारी हो चुकी मेरी फ्रॉक मेरे कंधे के दोनों और लुढ़क पड़ी।
मेरे हाथ हिलाते ही फ्रॉक मेरे नीचे सरक कर मेरी कमर तक आ गयी, और मेरी कमर के इर्द-गिर्द मेरी जाँघों को ढकते हुए पानी की सतह पर तैरने लगी। मैंने फ्रॉक पहना था, कोई ब्लाउज तो था नहीं। मैं कमर तक के पानी में पूल की फर्श के ऊपर मेरी ब्रा और पैंटी में ही खड़ी हो गयी।
अपनी ब्रा और पैंटी में दीदी पानी में तैरने लगी और गहरे पानी में चली गयी। दीदी मोटी तो बिल्कुल नहीं थी, पर दीदी का बदन मुझसे थोड़ा ज्यादा भारी था। उनकी जाँघें, थोड़ा उभरा हुआ पेट, बड़े दिग्गज स्तन मंडल और मोटे कूल्हे के बावजूद दीदी पानी में आसानी से तैर रही थी।
मेरी बात सुन कर फ़ौरन ही राजन स्विमिंग पूल से निकले, और पानी से टपकती गीली निक्कर पहने मेरे करीब आ कर खड़े हो गए। राजन की चौड़ी छाती और सुगठित पतली कमर एक सशक्त कसरती बदन की गवाही दे रही थी। उनकी छाती पर बिखरे हुए काले बाल उनकी मर्दानगी में चार चाँद लगा रहे थे। मेरी नजर उस समय उनकी जाँघों के बीच गयी। गीली निक्कर में भी उनका लंड उनकी जाँघों के बीच बड़ा सा तम्बू बना कर तन कर निक्कर में खड़ा हुआ दिख रहा था।
स्विमिंग करने की निक्कर ऐसी होती है कि गीले होने पर भी लंड नहीं दिखता। पर शायद राजन ने कॉस्च्यूम वाली नहीं पर एक साधारण सी निक्कर पहनी थी, और इसके कारण उसकी निक्कर में से भी राजन के लम्बे मोटे लंड का आकार साफ़-साफ़ दिख रहा था। शायद राजन ने चोरी से डाली हुई मेरी नजर को भाँप लिया और मुझे देख कर मुस्कुरा दिए। पकड़े जाने पर मैं कुछ खिसियानी सी लज्जित अपनी नजरें वहाँ से हटा कर इधर-उधर देखने लगी। पुष्पा दीदी से हमारी नज़रों की टक्कर छिपी नहीं रह पायी।
मैंने उस समय पतले कपड़े की हल्की नील रंग की घुटनों तक की फ्रॉक पहनी हुई थी। ऊपर गले का कट काफी नीचे तक था तो मेरे स्तनों का क्लीवेज (स्तनों से बीच की खाई) काफी उभरी हुई स्पष्ट दिख रही थी। राजन की नजर जब भी मौक़ा मिलता था तो वहीं गड़ जाती थी। पुष्पा दीदी ने मेरी और देखा और कुछ शरारत भरी नज़रों से बोली, “राजन जब इतने प्यार से बुला रहें है तो तुम क्यों नहीं स्विमिंग कर लेती?”
मैंने कुछ उधेड़-बुन में कहा, “दीदी, मैं जाना चाहूँ भी तो कैसे जाऊं? हमने थोड़े ही सोचा था कि यहां तैरने जाएंगे? मुझे तैरना नहीं आता। और मेरे पास कोई कॉस्च्यूम भी नहीं।“
राजन ने मेरे कहने से मेरे मन में चल रही उधेड़-बुन को भाँप लिया। वह समझ गए की मेरी ना में भी आधी हाँ छिपी हुई थी। राजन ने अपने गीले हाथ से मेरा एक हाथ थामा, मुझे खींच कर पूल में पानी के बिल्कुल किनारे ले गए और बोले, “यार, अब यह सब चक्कर छोड़ो। कॉस्च्यूम की क्या जरूरत है? यहां कोई देखने वाला नहीं है। ऊपर के कपड़े निकालो और पूल में कूद पड़ो। मैं हूँ ना? मेरे साथ आ जाओ, मैं तुम्हें डूबने नहीं दूंगा। मेरी बात मानो, ज्यादा सोचो मत, और आ जाओ। देखो पानी में कितना मजा आता है। तुम्हें भी बहुत मजा आएगा।”
मैं राजन की बात सुन कर हैरान रह गयी। थोड़ी ही देर की पहली या दूसरी मुलाक़ात में ही यह अनजान इंसान इतनी आसानी से मुझे, एक युवा महिला को, कह रहा था कि मैं ब्रा और पैंटी में उसके साथ पूल में कूद पडूँ और तैरने लगूं। यह मुझे अजीब तो लगा पर बहुत मनभावन भी लगा। उस बात पर तो उस युवक के प्रति कामुक भाव मेरे जहन में और भी ताकत से कूद फाँदने लगा।
अपनी बात कह कर मेरा हाथ छोड़ राजन पूल में कूद पड़े और पानी में जा कर अपना हाथ हिला कर मुझे अंदर आने के लिए बार-बार आग्रह करने लगे। मैं और पुष्पा दीदी अपनी चप्पलें निकाल कर पूल के बिल्कुल किनारे एक पानी की चैनल होती है, जिसके ऊपर जाली लगी होती है, उसके ऊपर खड़े हुए बातें कर रहे थे।
हम पूल के इतने करीब खड़े थे कि पूल में से ऊपर उभर कर निकलता हुआ पानी हमारे पाँव के नीचे से जाली में से बहता हुआ साफ़ होने के लिए मशीन रूम में लगे फ़िल्टर में जाता था।
वहाँ पूल के पानी में राजन हमारे क़दमों के पास आ आकर खड़े हो गए, और मेरी और पुष्पा दीदी की बातें सुनने लगे। पूल में वहाँ पानी कुछ ज्यादा ही गहरा था। मुझे शक था कि राजन वहाँ पानी में खड़े थे और मैं वहीं उनसे बिल्कुल ऊपर की तरफ पारी पर खड़ी हुई थी। वहाँ खड़े हुए नीचे पूल में से पारी पर खड़ी मेरी फ्रॉक के अंदर मेरी नंगी जांघें और मेरी पैंटी को वह भली भाँती देख रहे थे। राजन की इस हरकत को देख कर मैं रोमांच से तिलमिला उठी और मेरी चूत गीली होने लगी।
राजन ने मेरी और मुस्कुराते हुए देख कर कहा, “तैरने की कोई चिंता मत करो। तैरना मैं सीखा दूंगा।”
पुष्पा दीदी ने मेरी और देख कर मेरा हाथ थाम कर कहा, “यार चली जाओ ना? हमें वापस जाने की कोई जल्दी तो है नहीं। जहां तक कॉस्च्यूम का सवाल है, तो यहां कोई और देखने वाला नहीं है। तुम ऊपर के कपड़े निकाल कर मुझे दे दो और ब्रा और पैंटी में पूल में कूद पड़ो। बाद में बाहर निकल कर गीली ब्रा और पैंटी को कोई प्लास्टिक पन्नी में रख कर बिना ब्रा और पैंटी के तुम फ्रॉक पहन कर चले चलना। किसे पता लगेगा कि तुमने अंदर ब्रा और पैंटी पहनी है या नहीं?”
मैंने दीदी की बात को नकारते हुए कहा, “दीदी आप कैसी बात कर रही हो? मैं ब्रा और पैंटी में राजन के देखते हुए पूल में कैसे जा सकती हूँ?”
पुष्पा दीदी ने कहा, “यार तुम नखरे बहुत कर रही हो। मैं तो तैर सकती हूँ पर फिर भी अगर मुझे राजन ने इतने प्यार से कहा होता तो मैं तो सारे कपड़े निकाल कर नंगी ही पूल में कूद पड़ती।”
जब उसका ध्यान मेरी और गया तब मैं नीचे गिरने लगी थी। बड़ी ही चपलता से नीचे झुक कर उसने मुझे एक हाथ से कमर से उठा कर गिरने से बचा लिया। मैं टेढ़ी उसकी बाँह में नरगिस की तरह झुकी हुई खड़ी रह गयी। और वह राजकपूर की तरह मेरे पूरे बदन का वजन उठाते हुए मेरी आँखों में आँखें मिलाता हुआ मंद-मंद मुस्कुरा रहा था। मैंने भी उसकी आँखों में देखा। उसकी शरारत भरी नजर मेरे दिल को छू गयी।
मैंने फ्रॉक पहन रखी थी, जो ऊपर से एक-दम लो कट थी, और मेरे घुटनों से खासी ऊपर तक खतम होती थी। हालांकि उसे अश्लील नहीं कहा जा सकता। मिनी फ्रॉक से ज़रा सी लम्बी पर साधारण फ्रॉक से काफी ऊँची फ्रॉक थी वह। इस फ्रॉक में मेरी करारी, सुगठित, लम्बी जाँघें काफी हद तक दिखती थी।
जब मैं कहीं बैठती थी, तब मुझे काफी समभालना पड़ता था कि मेरी पैंटी कहीं दिख ना जाए। यह फ्रॉक मैं कोई ख़ास पार्टी, नए साल जैसे मौके पर ही पहनती थी। उस फ्रॉक के साथ मैच करती पतली लगभग पारदर्शी जैसी छोटी सी ब्रा मैंने पहन रखी थी। ब्रा में से उभर कर बाहर निकलने को बेताब मेरे स्तनों और उन दो पहाड़ों के बीच की गहरी खाई को उसकी नजरें बड़ी शातिर और कामुकता से एक टक निहार रही थी।
उसके हाथ की उंगलियां मेरे स्तनों के किनारों को लगभग छू ही रहीं थीं। यह सब कुछ देर तक चलता रहा। पुष्पा दीदी कुछ देर तक यह देखते ताली बजाते हुए बोल पड़ी, “वाह भाई, यह तो राजकपूर नरगिस वाला सीन हो गया।”
उस युवक से नजरें मिलाते ही जैसे मैं अपना होश खो बैठी। मेरे पाँव ढीले पड़ गए। इतना आकर्षक उस युवक का व्यक्तित्व था। लंबा कद, काले घुंघराले घने बाल, कसरती चौड़ा सीना, गठीली लम्बी बाँहें, पतली कमर, तेज कामुक नजर, सुन्दर चेहरा और नशीली आँखें। मुझे समझ ही नहीं आया कि उसकी आँखों में खोये हुए वैसे ही उसकी बाँहों में मैं कितनी देर झूलती रही।
जब पुष्पा दीदी ने हमें राजकपूर और नरगिस की जोड़ी कह कर तालियां बजायी तब मुझे होश आया कि मैं उसकी बाँहों में झूलती हुई पता नहीं कितनी देर से क्या क्या सपने देख रही थी। मैंने अपनी तंद्रा से बाहर निकलते हुए सीधा खड़े हो कर उससे एक पल के लिए नजरें मिला कर “थैंक यू” कहा और लाज से नजरें निची कर फिर से बुत की तरह वहीं की वहीं खड़ी रही। पता नहीं उस युवक का कैसा व्यक्तित्व, और उसकी मंद मंद मुस्कान कितनी आकर्षक और कामुक थी कि उसे देखते ही मेरे पूरे बदन में काम वासना की एक आग सी भड़क उठी।
तब उस युवक ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर कहा, “मुझे आपको इस तरह टकराने के लिए सॉरी कहना चाहिए। पर मैं थैंक यू कहूंगा, क्योंकि आप निहायत ही खूबसूरत हैं। आप से मिल कर मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरा नाम राजन है। मैं मुंबई से आया हूँ। यहां ऊपर कांफ्रेंस हॉल में हमारी एक सेमीनार चल रही है और मैं यहाँ कमरा नंबर 102 में रुका हुआ हूँ। हमारी सेमीनार 3 बजे तक चलेगी।”
मैं उस युवक की बात सुन कर हैरान रह गयी। मैंने तो उसके बारे में कुछ नहीं पूछा था। पर उसने तो अपनी पूरी जन्मपत्री ही मुझे कह डाली। वैसे तो मैं बड़ी शर्मीली हूँ, पर जब मूड में होती हूँ तो मुझे मेरे जानने वाले मुझे नाक चढ़ी कहते हैं। मतलब जब मैं मस्ती में होती हूँ तब जो बोलना है बोल देती हूँ।
पता नहीं क्यों मुझे उस अनजान युवक (34 से 36) वर्ष के बीच की आयु का होगा वह) से कुछ ऐसा निकट पन महसूस हुआ कि मैंने उनका हाथ थाम कर शेक हैंड करते हुए कहा, “मुझे गिरते हुए बचाने के लिए धन्यवाद। मैं रोमा हूँ और यह मेरी सहेली पुष्पा दीदी हैं। यहीं इस रिसोर्ट में हमारी किटी-पार्टी है तो आयी हूँ और मैं यहीं शहर मैं रहती हूँ।”
राजन ने मेरा हाथ थामे रखा और उसे हिलाते हुए कहा, “रोमा, हमारी सेमिनार और तुम्हारी किटी-पार्टी ख़तम हो जाए तब अगर आप मेरे साथ चाय पिएंगी, तो मुझे बड़ी ख़ुशी होगी। मैं तैराक हूँ, और सेमीनार के बाद मैं स्विमिंग पूल में तैरने जाऊंगा, और वहीं मिलूंगा।”
यह कहते हुए वह युवक बाहर जाने के लिए चल पड़ा। हमने रिसोर्ट में प्रवेश कर और सारी सहेलियों से मिल कर जम कर किटी-पार्टी को एन्जॉय किया। हमें फ्री होते हुए करीब साढ़े तीन बज गए। जब सारी सहेलियां चली गयी, तब मैं और पुष्पा दीदी राजन से मिलने निकले।
राजन ने हमें स्विमिंग पूल पर मिलने के लिए बोला था। जब हम वहाँ पहुंचे तो राजन छोटी सी स्विमिंग की निक्कर पहने हुए फुर्ती से एक छोर से दूसरे छोर तैर रहे थे।
उनको तैरते हुए देख कर मुझे कोई शक नहीं रहा कि वह एक प्रशिक्षित तैराक थे। हमें देखते ही उन्होंने हाथ हिलाया और हमें भी स्विमिंग पूल में आने के लिए इशारा करने लगे। राजन को देखते ही मेरा बहुत मन किया मैं उसी समय पूल में कूद पडूँ, और राजन के साथ पानी में कुछ जल क्रीड़ा कर पाऊं। जैसे राजन से टकराते समय मेरे पाँव ढीले पड़ गए थे, ना सिर्फ वैसे ही उस समय भी हुआ; बल्कि मेरी चूत भी गीली हो गयी। हमारे पास कोई तैरने का कॉस्च्यूम तो था नहीं। लिहाजा हम कैसे तैरने जाते?
उसके शरीर का आधा वेट मेरे ऊपर था। जिससे उसका लंड एक-दम अंदर तक जा रहा था। एक बार फिर उसने मेरे बालों को एक मुट्ठी में पकड़ लिया जैसे घोड़े की कमान पकड़ते है, और वक़्त-वक़्त पे मेरी गांड पे चांटे मारने लगा, जैसे कोई घोड़ी चढ़ता हो। मैं यह सब सामने आईने में देख रही थी, कैसे मैं ध्रुव का साथ देकर चुदने लगी हूं।
मेरे चेहरे पी चुदाई की थकान, मेरे उलझे बाल ध्रुव के हाथों में, आंखों में चुदाई का नशा, और मेरे बड़े-बड़े बोबे जो दबाए चूसे काटे खींचे जा चुके थे, आगे-पीछे दायें-बायें उछल रहे थे। यह सब देख कर मैं सेक्स से पागल हो चुकी थी। ध्रुव भी मुझे पागलों की तरह चोद रहा था। मैं थकान से वैसे ही गिर गई। ध्रुव बिना लंड निकाले मेरे ऊपर अब प्रोन-बोन पोजीशन में था।
क़रीब दो मिनट तक वो मुझे मशीन की तरह चोदता रहा। मैं ख़ुद को आईने में देखते रही। अब वह मेरे ऊपर ही लेट गया। वो मेरे गर्दन के बीच से अपने बाजुओं को ले गया। उसने अपने बाज़ुओं को टाइट किया, जिससे मेरा चेहरा डायरेक्ट आईने को देख रहा था। ध्रुव अपने दांतों को रगड़ते हुए अपनी पूरी शक्ति से मुझे चोद रहा था। मैं आह आह ओह ओह चीख रही थी। मेरी बॉडी पूरी बेड पे दबी हुई थी। मेरी चूत का भोसड़ा बन चुका था।
करीब तीन मिनट तक उसने मेरी नॉन स्टॉप तेज़ रफ़्तार में ठुकाई करी, और मेरे अंदर ही झड़ गया। एक मिनट तक हम दोनों वैसे ही पड़े रहे और आईने में देखते रहे। फिर हम दोनों ने एक प्यार भरा किस किया। मेरी चूत से उसका वीर्य बाहर आने लगा था। मैंने पहली बार ख़ुद को संतुष्ट पाया था। हम दोनों वैसे ही सो गये। हम फिर दस बजे उठे। हमारा चेकआउट टाइम 11 बजे था। चेकआउट से पहले मैंने ध्रुव को एक ब्लोजोड दिया और उसके पूरे माल को वेस्ट नहीं की।
हमने चेकआउट किया। ध्रुव ने मुझे घर से थोड़ी दूर ही ड्राप किया। पूरे रास्ते मुझे अपनी चूत में अभी भी वैसी ही ठुकाई फील
हो रही थी। घर ज़ाके मैं फ्रेश हुई, और अपने बॉयफ्रेंड से बात करी। पर मुझे सिर्फ़ ध्रुव की याद आ रही थी।
मैंने जैसे ही अपने बॉयफ्रेंड से बात करके कॉल ख़त्म की, मैंने देखा ध्रुव का लंड एक-दम दोबारा से खड़ा था। वो बेड पे लेटे हुए अपना लंड हिला रहा था, और मुझे देख रहा था। मैं सोने के लिये जा रही थी। तभी वह बेड से उठा, और मुझे मेरे हाथ को पकड़ के खींचने लगा और बोला-
ध्रुव: तुम्हें तो आज सोने नहीं दूंगा।
वह मुझे खींचे हुए बाथरूम में ले गया, और शावर ने नीचे खड़े हो कर मुझे किस करने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा। फिर से उसने मेरे बूब्स पे चबाना काटना शुरू कर दिया। दांतों के बीच में मेरे निप्पल को लेकर ज़ोर से काफ़ी दूर तक खींच दिया, जिससे मैं दर्द से आह ओह करने लगी पर मुझे काफ़ी मज़ा आया, जिससे मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी।
मुझे वो घुटनों पे बिठा के लंड चुसवाने लगा। उसका सुपाड़ा बहुत बड़ा था। मैंने पूरा सुपाड़ा मुंह में लेकर मज़े से चूसने लगी। ध्रुव की आंखें बंद थी, वह सिसकियां ले रहा था। फिर वो मेरे सर को दोनों तरफ़ से दोनों हाथों से पकड़ के मेरे मुंह को काफ़ी ज़ोर से चोदने लगा। लगभग एक मिनट तक उसने काफ़ी तेज़ और ज़ोर से मेरे मुंह को चोदा, जिससे मैं काफ़ी खांसने लगी। उसका लंड मेरे गले तक पहुंच चुका था।
फिर वो एक तरफ़ की दीवार पे मुझे ढकेल के, मेरी एक टांग उठा के, पहली मेरी चूत में उंगली करने लगा, फिर अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगा। मैं झटपटा रही थी। मेरी पैरों की उंगलियां सिकुड़ने ऐंठने लगी थी। तभी ध्रुव रुक गया और उसी वक्त उसने अपना मोटा बड़ा लंड मेरी चूत में पेल दिया। वो एक टांग को अपने हाथ में पकड़ के मुझे चोदने लगा।
क़रीब दो मिनट तक चोदने के बाद वो मुझे बाथरूम की ग्लास शील्ड पे धकेल के पीछे से चूत मारने लगा। ध्रुव ने मेरी गर्दन को अपने बाजुओं में बीच में लपेट रखा था, और ग्लास शील्ड पर धकेल के बहुत तेज़ी से मेरी चुदाई कर रहा था। मेरे बूब्स एक दम से पूरे शील्ड पे चिपके हुए मसले हुए थे। उसने मुझे अपने बाजुओं से निकाला, और पागलों की तरह मेरे बूब्स पे टूट पड़ा। दोनों बूब्स को पागलों की तरह चूसने काटने लगा, और मेरे बूब्स पे तेज़ थप्पड़ मारने लगा।
मैं पागल हुए जा रही थी। वो मुझे गोद में उठा के मेरी चूत मारने लगा, जिससे उसका लंड एक-दम अंदर कोने-कोने तक जा रहा था। ऐसी चुदाई कभी मेरे बॉयफ्रेंड ने नहीं करी थी। मैंने महसूस किया उसका लंड मेरी चूत में और भी बड़ा होने लगा, और कुछ ही मिनट्स में उसने पूरा माल मेरी चूत में छोड़ दिया। उसने मुझे गोद से उतारा और शॉवर के नीचे बिठा कर अपने लौड़े को मेरे बूब्स के बीच में रखने का इशारा किया।
मैं समझ गई और अपने बड़े-बड़े बोबों के बीच में उसका लंड दबा कर बूबजॉब देने लगी। मैंने उसके लंड को मुंह में लेकर साफ़ किया। फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को जैल लगा कर अच्छे से साफ़ किया और नहाया।
बाथरूम से निकलने के बाद हमने कुछ खाने को ऑर्डर किया। तब रात के 12:30 हो रहे थे। खाते-खाते एक बज गये। मैं टॉवल को लपेट के बालकनी में चली गई मैं चारों तरफ़ देख रही थी।
सामने एक होटल थी जिसकी ऊंचाई भी समान थी। ध्रुव मेरे पीछे आ कर मेरी बॉडी पे हाथ फेरने लगा। टॉवल के ऊपर से वो मेरी गांड और बूब्स दबाने लगा। मेरे बाल अभी भी गीले थे। वो मेरी गर्दन पे किस करने लगा। ध्रुव का लंड खड़ा होने लगा था। मैं हाथ पीछे करके उसके लंड को सहलाने लगी। ध्रुव ने मेरी टॉवल निकल दी। अब मैं पूरी नंगी थी। मेरे बड़े बूब्स आज़ाद थे। ठंडी हवाए चल रही थी। ध्रुव ने मुझे फिर से किस किया। हम दोनों एक दूसरे का साथ देने लगे।
ध्रुव ने मुझे ब्लोजॉब देने को बोला। वो बालकनी की रेलिंग को पकड़ के खड़ा था, और मैं उसके नीचे उसके लंड को चूस रही थी। मुझे उसका लंड का सुपाड़ा बहुत पसंद आने लगा था। मैं मज़े से चूस रही थी। वह आखें बंद करके आह आह कर रहा था। तभी ध्रुव ने बोला कि सामने होटल के बालकनी में एक अंकल उसे देख रहे थे। यह सुन के मुझे अजीब सी शॉक लगी। हमारे बालकनी में लाइट डिम थी, पर अंकल ध्रुव को देखे जा रहे थे।
तभी ध्रुव ने मेरे मुंह से अपना लंड निकाला और मुझे रेलिंग की तरफ खड़ी करके मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से घुमा कर मसलने लगा। सामने अंकल देखे जा रहे थे। ध्रुव ने मुझे झुकाया। मैं रेलिंग पकड़ के झुकी।
फिर ध्रुव ने थोड़ी थूक अपने सुपाड़े पे लगा के एक ही झटके में पूरा लंड अंदर घुसेड़ दिया। मैंने बहुत हाॅर्नी थी कि अंकल भी देख रहे थे। और अब तक मेरी चूत ने ध्रुव ने लंड के अनुसार एडजस्ट कर लिया था।
ध्रुव मुझे चोदने की मशीन की तरह बहुत तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया। मेरे दोनों चूचे उछल रहे थे, मानों जैसे अभी निकल जाये। देखत-देखते अंकल ने अपना लौड़ा निकाल के हिलाना शुरू कर दिया था। ध्रुव ने लंड निकाला, और मेरे दोनों बूब्स को एक साथ मुंह में लेने की कोशिश करने लगा। पर मेरे बूब्स इतने भी बड़े नहीं थे कि उसके मुंह में आ जाये एक साथ।
उसका लंड एक-दम काला, मोटा, और काफी लंबा था, लगभग 8 इंच का। मैंने इससे बड़ा लंड नहीं देखा था। मेरे बॉयफ्रेंड का 5 इंच का था, और काफी पतला। उसका लंड खड़ा होता और पूरी तरह खड़े हो गए पे और वी लंबा और वेनी दिख रहा था। उसने मेरे सर पे हाथ रख के चूसने को बोला। मैंने उसके लंड को मुंह में लिया, और थोड़ा अंदर तक चूसने लगी। वो आह ओह की आवाज निकालने लगा।
अचानक से उसने मेरे सर के पीछे हाथ रखा, और जबरदस्त लंड को मेरे मुँह में घुसाने लगा, और मेरे मुँह को चोदने लगा। मैं अक-बक हो गयी। थोड़े देर मशक्कत करने के बाद उसने लंड बाहर निकाला और मुझे बिस्तर पर जाने को बोला। मैं जींस में थी। बेड पे जाते ही उसने मेरी जींस और चड्ढी उतार फेंकी। अब मैं पूरी नंगी थी। मेरी गोल-गोल गांड या बिना बालों वाली चूत उसके सामने थी।
वो मेरी चूत चाटने लगा। मैं सिसकियां लेने लगी। थोड़े देर के बाद उसने मेरी जांघों को अपने कंधे पी रखा और मेरी चूत मारने को तैयार हो गया। वो अपना बड़ा सा लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने बोला, “प्लीज मुझे चोदो, प्लीज”।
तब तक वो अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा। उसका लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए आगे बढ़ने लगा। तभी मेरे आंसू निकल गए। वो रुक गया। 2-3 मिनट के बाद उसने एक और धक्का मारा, और आधा लंड मेरी चूत में था। फिर थोड़ी देर बाद एक ज़ोर का धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी चूत के समा गया। मैं रोने लगी कि, “प्लीज मुझे जाने दो, मैं मर जाऊंगी”।
वो मुझे चुप कराने लगा, और मुझे किस करना लगा, और मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। थोड़ी देर में मुझे काफी मजा आने लगा। अब वो मेरे स्तनों को चूसते हुए मेरी चूत मार रहा था, तभी मुझे दीक्षा की कॉल आई।
मैं कॉल पे बात करने लगी तो वो रुक गया और पानी-पीने चला गया। मैंने उसे बोला, “कल से सब ठीक हो जाएगा। तुम अब सो जाओ”। फिर वो चली गई।
कॉल रखते ही उसने मुझे घोड़ी बनने को बोला। मैं घोड़ी बन गई और पीछे से वो मुझे चोदने लगा। मैं काफ़ी मजे से आह आह आह चोदो मुझे करके चुदने लगी। तभी मेरे बॉयफ्रेंड का कॉल आया। मैंने हिम्मत कर ली। मैंने रुकने को बोला, और वो धीरे हो गया।
मैंने कॉल रिसीव किया। वो बोलने लगा, “बेब कहां हो? आज कॉल नहीं की?” मैंने उसे सब बताया कि अभी मैं अपनी दोस्त के घर उसकी देखभाल कर रही थी। पीछे से वो मेरी गांड पी थप्पड़ मार के चोदने लगा। मेरी आवाज सिसकियों भरी निकलने लगी।
बॉयफ्रेंड ने बोला, “क्या हुआ, तुम ठीक हो ना?” मैंने बोला, “हां”। पीछे से उसने मुझे तेजी से चोदना शुरू कर दिया, जिससे थप-थप की आवाज गूंजने लगी। ये सुन के मेरे बॉयफ्रेंड ने बोला, “ये कैसी आवाज है? क्या हो रहा है वहां?” मैंने बोला, “अरे दीक्षा बुला रही है, वो आवाज लगा रही है”। बॉयफ्रेंड ने बोला, “फिर ठीक है, ख्याल रखो”। और उसने लव यू बोले के कॉल कट किया। कॉल कट करते ही वो मेरे बालों को खींचते हुए मुझे काफी तेजी से चोदने लगा। थप-थप की आवाज रूम में गूंजने लगी। पूरे रूम में हमारी सेक्स की महक भर गई थी। वो मेरे बाल खींचते हुए किस करने लगा।
लंड बाहर निकलते ही उसने मेरे बालों को अपने हाथों में भर कर मुझे शीशे की दीवार में धकेल दिया, और पीछे से मेरे लंड को चाटने लगा। मेरे स्तन दीवार से टकरा रहे थे, और मैं चुद रही थी, आह आह बहुत दिनों के बाद। वह मुझे एक बड़े दर्पण के सामने ले गया, और मुझे दर्पण में दिखा कर चोदने लगा, और मेरे स्तनों को बुरी तरह से लाल करने लगा। मैं खुद को उसमें चुदते हुए देख कर पागल हो रही थी।
फिर उसने मुझे अपनी तरफ घुमाया, और एक लंबा फ्रेंच किस करने लगा, और मेरी जांघ को अपने हाथ में ले लिया, और दूसरे हाथ से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं उसकी गोद में थी। वह आगे आ रहा था। उसका पूरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था। उसने मुझे शीशे के सामने खड़े होकर चोदना शुरू कर दिया।
मैं खुद को चुदते हुए देख रही थी। मेरे स्तन उसकी छाती पर रगड़ रहे थे, और उसका लंड मेरी चूत में था। वह अंदर जा रहा था, और बहुत तेजी से। वह और अधिक उत्तेजित हो गया। उसने मुझसे कहा कि, “मुझे जोर से पकड़ो”। मैंने कहा, “बहुत जोर से”। वह मुझे बहुत जोर से चोदने लगा, और मेरा पानी निकल गया।
रुकने के बाद उसने अपना लंड निकाला। मैं खड़ी नहीं हो पा रही थी, जैसे मेरी टांगो में शक्ति नहीं हो। उसने मेरे स्तन दोबारा चबाये और मुझे बिस्तर पर ढक दिया। अब वो वी झड़ने वाला था। उसने मुझसे पूछा, तो मैंने बोला, “आज सुरक्षित दिन है”। वो सुन के काफी खुश हो गया और मुझे बिस्तर पर लिटा के वो मेरी चूत दोबारा से मारने लगा।