Wholesome Kalesh b/w a Little Sister and Brother while making a Vlog:
Ese bacche ho to depression ki mkc 🥲❤️
If you are confused, here is a simple diagram of who fought against whom in Syria.
Читать полностью…Let's start today with this ❤️:
चारों युगों में निकृष्ट है कलयुग | Charo yugo me nikrisht hai kalyug song | Ravindra Jain🙏🙏🙏
It is becoming a common scenario in today's Indian society where domestic violence is not only perpetrated against women but also against men and elderly in-laws. Though strict laws exist for domestic violence against women, there is a lack of any specific law against wives who are abused or subjected to violence by their husbands or in-laws. It is important to understand that domestic violence is not limited to any gender. There is a need to change the perception in society that only women are victims. Men and the elderly can also face this problem, and they too need legal protection and empathy. Domestic violence, be it against whomever it is, is a serious crime and collective efforts are needed to prevent it.
Читать полностью…Mere name ka 1111 baar jaapp kardiya !!
Tathasthu mere 1110 baccho
Jivan me bahut khush raho
10 10 biwi rakho padosi bhi tumare isharo pe nache
Jaha chaho waha tumari job lage
Itni unnati karlo ki Apne Mata - Pita ji ko duniya bhar ke Esho Aram dila do !!!!!!
Fir bhi kuch na ho to vi khud ki g*md tel ke sath hi marwane ka moka mile warna na mile 🤝💐
(गिरि सुमेल का युद्ध )
शेरशाह सूरी - एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए में पूरी हिंदुस्तान की बादशायत खो देता ।
🚨🔔 @CineWoodOverHaul1 🔥
Baccha b like: Aaj to chipak k rahuga, kuch karne nahi duga
Father: Bete Ma to teri AAJ HI CHUDEGI 🙊
Sorry but its what its.
A little bit of madness is key to give new colors to see.
Let's start with this today 🥺
साहब मैं कोर्ट नहीं आऊंगा।
अपने घर से कहीं नहीं जाऊंगा।।
माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था।
सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था।।
पर यकीन मानिए साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा"
मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है। महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।।
चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो।
उन्हें भी समझे अपना, न कभी उनका अपमान हो।।
पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा।
यकीन मानिए साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा" ।।
परिवार के साथ रहना इसे पसंद नहीं। कहती है यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही।।
मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में।
कुछ नहीं रखा इन बूढों पर प्यार बरसाने में।।
छोड़ दो, हाँ छोड़ दो, इस माँ बाप के प्यार को।
नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को।। बस बूढ़े माता पिता का ही मोह, न छोड़ पाया मैं अभागा।
पर यकीन मानिए साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा"।।
फिर शुरू हुआ वाद-विवाद माँ बाप से अलग होने का।
शायद समय आ गया था, चैन-ओ-सुकून खोने का।।
एक दिन मैंने पत्नी को बिल्कुल मना कर दिया।
न रहूँगा माँ बाप से अलग ये उसे साफ़ कर दिया।।
बस मुझसे लड़ झगड़ कर मोहतरमा मायके जा पहुंची।
एक रोज़ बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची।।
माँ बाप से हो जा अलग, नहीं तो सबक सिखा देंगे।
क्या होता है दहेज़ कानून तुझे असर दिखा देंगे।।
परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा।
लेकिन यकीन मानिये साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा"।।
जो कहा था उन्होंने, आखिरकार वो कर दिखाया।
झगड़ा किसी और बात पर था, पर उन्होंने दहेज़ का नाटक रचाया।।
बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया।
क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया।।
माता, पिता, भाई, बहन, जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे।
घर में सब हैरान, सब परेशान थे।।
अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी।
मैंने तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी।।
मैंने तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी।।
आखिरकार तमगा मिला हमें, दहेज़ लोभी होने का।
कोई फायदा न हुआ, मीठे-मीठे सपने संजोने का ।।
बुलाने पर थाने आया हूँ, छुप कर कहीं नहीं भागा।
लेकिन यकीन मानिए साहब, "मैंने दहेज़ नहीं माँगा"।।.