प्रापर्टी डीलिंग, स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने, अपनी सम्पत्ति से लाभ अर्जित करने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, मंगल ग्रह को भूमि ,भवन का और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए प्रापर्टी डीलिंग सम्बन्धी कार्यों मे, अपना मकान बनाने के लिए, अपनी सम्पति को बेच कर लाभ कमाने में मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं है मंगल को बलवान करने के उपाय करे ,जातक को भूमि-भवन सम्बन्धी कार्यों में उत्तम लाभ प्राप्त हो।
मंगल को भूमि तो शनि को निर्माण का कारक माना गया है। इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है, तब व्यक्ति अपना घर बनाता है, वह अगर अपनी कोई सम्पति बेचने चाहे तो उसे अच्छा मूल्य मिलता है, उसे भूमि , प्रापर्टी डीलिंग के कार्यों में श्रेष्ठ सफलता मिलती है,उसकी अपनी सम्पति भी अच्छे दामों में बिक जाती है ।
यदि आपकी जमीन-जायदाद, भवन, फ्लैट हो या दुकान अगर लाख कोशिशों के बावजूद अधिक या आपके मनचाहे दामों में नहीं बिक पा रही हो तो कभी-कभी चाय की पत्ती जमादार को दें दिया करें ।
जो जातक चाहते की उनकी सम्पति अच्छे मूल्य पर बिक जाय , या जो लोग प्रापर्टी का कार्य करते हैउन्हें सदैव एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखना चाहिए ।
भूमि का कारोबार करने वाले अथवा जिनकी कोई सम्पति जैसे भूमि, मकान, दुकान आदि फंस गई है , वह उसे बेचना चाहते है ऐसे लोग चांदी के गिलास में नियमित पानी पीने नियम बनायें ।
मान्यता है कि हमेशा सफेद टोपी पहनने से सम्पति के कार्यों में सफलता मिलती है , सम्पति अच्छे दामो जाती है ।
एक लाल रंग के लिफाफे में जिस मकान या दुकान को आपने बेचना है उसकी एक कील रख कर उसे बहते हुए पानी / नदी में प्रवाहित कर दें और यदि आपको कोई जमीन बेचनी है तो उसकी थोड़ी से मिटटी को लेकर उस लिफाफे में डालकर प्रवाहित कर दें । इस उपाय को करते समय वास्तु पुरुष से अपनी उस संपत्ति को अच्छे दामो में बेचने के लिए प्रार्थना करते रहे । यह उपाय बिना किसी को भी बताये हुए बिलकुल चुपचाप करना चाहिए ।
यदि आप कोई संपत्ति बेचना चाहते किन्तु वो बिक नहीं रही है तो आप 86 बादाम को घर मने ले आये ।फिर सोमवार को सूर्योदय के बाद नहा धो कर मंदिर जाकर शिवलिंग पर दो बादाम चढ़ा कर भगवान भोलेनाथ से अपनी प्रार्थना करें फिर उनमें एक उठा कर घर ले आयें और वो बादाम एक साफ़ डिब्बे में रख दें यह उपाय पूर्ण श्रद्धा से लगातार 43 दिन तक करे और 44 वें दिन उन सारे बादामों को जो 43 दिन तक इकट्ठे हो गए है उन्हें सूरज डूबने से पहले ही नदी / बहते हुए पानी मे प्रवाहित कर दे। लेकिन यह ध्यान रहे यदि आप का काम 43 दिनों से पहले ही पूर्ण हो जाये तो भी यह उपाय बीच में नहीं छोड़ना चाहिए इसको पूर्ण अवश्य ही करें ।
अगर आप अपनी किसी जमीन या भवन को बेचकर उसकी अच्छी कीमत चाहते है तो आप अपने घर के वायव्य कोण ( पश्चिम उत्तर दिशा ) में अपनी जमीन के जिसको बेचना है उसके कागज रखे , उस पर एक किनारे पर हल्दी का छींटा लगा दें , आपको अपनी सम्पति के शीघ्र और उत्तम दाम मिल जायेंगे।( आप अपनी संपत्ति बेचने के लिए क्या उपाय कर रहे है यह किसी को भी ना बताये / उपाय चुपचाप करें। )
किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए व्हाट्सएप पर संपर्क करें 7206283295
जब भी सन्धि मिले दयानंद समाजी अपनी मलीन बुद्धि का परिचय देने से नही चुकते!
मुद्दे की बात यही है की कोई हरि निन्दा
नही हो रही है।
क्योकी सर्वम् खल्विदम् ब्रह्म कहते है। अर्थात सब कुछ ब्रह्म ही है।
निन्दा और पुजन व्यवहारीक क्रिया है, तो व्यवहार में पुज्य वही है; जो धर्मपरायन (मर्यादापुरूषोत्तम, हनुमान, दत्तात्रेय, कृष्ण) है। और निन्दनिय वह है जो अधर्मपरायन हैं।
इस में शिवऽवतार जालन्धर, आन्धकासुर कही सारे और भी है जो निन्दा के पात्र है। यहातक की द्रोण पुत्र अश्वथामा को भी शिवऽवतार कहते है लेकीन उस की पुजा नही होती जब की निन्दा तो होती है।
इससे कोई शिव नन्दा या हरि निन्दा नही होती।
अब समाजीओ से प्रश्न हम सनातनीयो का ईश्वर सर्व शक्ती मान है जो वेद निन्दा भी कर सकता है। पुजीत और निन्दीत भी हो सकता है।
तो क्या दयानंद समाजीओ का ईश्वर यह सब करने का सामर्थ्य रखता है?
वेद निन्दा कर सकता है?
आपने आपको निन्दा का पात्र बना सकता है?
Join ChannalЧитать полностью…
@Shastra_Manthan
मगर सब के सब सैनिक बनने को तैयार थे।
इसलिए उसने इस देश पर राज किया। देश के कई हिस्सों को हमेशा के लिए अलग करने की नीव रख दिया।
हिन्दुस्तान के हर गॉव, हर कस्बे से, केवल एक सैनिक हिन्दुस्तान की रक्षा के लिए खडा हो जाता तो अंक्रान्ताओ की हिम्मत न होती हिन्दुस्तान के ऊपर आंख उठाकर देखने की...
हमने जमीन ही नहीं सभ्यता भी गवॉई।
किसी प्रदेश से सभ्यता का खत्म हो जाना क्या होता है।
इसका सबसे अच्छा उदाहरण कश्मीर है जहां के हिंदू राजा हरिसिंह के होते हुए भी कश्मीर हिंदुस्तान के लिए आजतक सिरदर्द है। क्योंकि वे प्रदेश में सनातन सभ्यता को नही बचा सके थे।
वही हैदराबाद मुस्लिम निजाम के हाथ मे होने के बावजूद आज वह भारत का अटूट हिस्सा है सिर्फ इसलिए कि वहां सनातन सभ्यता को खत्म नही कर सके थे।
सेक्यूलरो का तकिया कल गंगा यमुनी तहजीब की बात मात्र छलावा है।
आखिर मुस्लिमो के नाम अरबी, पैगम्बर अरबी, गृन्थ अरबी, महिलाओं का पहनावा अरबी। भोजन, रहन सहन, सभ्यता सब अरबी है।
इन अरबियो का न तो गगां से न वास्ता है न यमुना से वास्ता है।
यदि सही में मुस्लिमों का गंगा-जमुना संस्कृति से वास्ता होता तो यह गंगा यमुनी संस्कृति मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भी दिखाई देती।
पाकिस्तान बांग्लादेश कश्मीर मे भी दिखाई देती।
मगर वहॉ कही नही दिखता।
देखा जाय तो यह गगां यमुनी संस्कृति अल्पसंख्यक होने की मजबूरी मे किया जाने वाला अल तकिया( छल) ही है।
हम स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की खुशियां मनाते हैं हम कोई अफ्रीकी कबीले समुदाय से नही है..
जो पहली बार स्वतंत्रता देखी हो.. या गणतत्र देखा है..
*बच्चों को यह बताने की बजाय कि हम स्वतंत्र कैसे हुए यह बताना अच्छा रहेगा कि हम गुलाम कैसे हो गए*
ताकि भविष्य की चुनौतियों सामना करने वाली एक पीढ़ी हम तैयार कर सके
हमारे पुरखो ने 15 - 20000 साल पहले हमने उपनिषद लिख डाली 5000 साल पहले गीता लिखी गई।
अध्यात्म की यह सर्वोच्च ग्रंथ है तात्कालिक समय मे लिखी गयी
जब शेष दुनिया खाने पहनने का सलीका भी सीख नही पायी थी।
जरूरत है इस दिन बच्चों को यह सिखाने की कि किन वजहों से हमारी यह हालात हुई थी।
जरुरत है यह सिखाये जाने की कि भारत आज भविष्य की किन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
यह सभ्यता का संघर्ष क्या है?
सभ्यता का संघर्ष मोहम्मद बिन कासिम के बाद से आज तक जारी है अलग-अलग रूपों जारी है।
कभी हमलावर अक्रान्ता के रूप में। कभी आतंकवाद के रूप में।
कभी जिहाद के रूप में।
तो लोकतत्रं में यहॉ सेकुलरिज्म के नाम पर अल्पसंख्यक बाद के रूप में।
मगर इस लड़ाई के प्रारूप को समझे बिना लड़ाई में जीत हरगिज संभव नहीं है।
लडाई किससे मुसलमान से नही इस्लाम से है।
अरबी सभ्यता से है।
मुसलमान तो एक समाज है, हिन्दू समाज की ही तरह से है।
*देश के लिए इस्लाम एक रोग है*
रोग फैलने पर अंग काटने की नौबत आती है।
इस्लाम के फैलने पर देश टूटने की नौबत आती है
इस लडाई मे हिन्दू सिक्ख बौद्ध जैन सहित इसाई और मुस्लिम समुदाय से भी मदद लेनी होगी।
*रोगी को साथ लिए बिना रोग का इलाज सम्भव नही है।*
चाहे वह इसके लिए रोगी राजी हो चाहे ना हो
हमे तो रोगी से नही रोग से परहेज करना चाहिए।
जैसे टीबी के मरीज से नही टीबी के संक्रमण की रोकथाम करनी चाहिए।
मुस्लिम की नही, इस्लामी संक्रमण की रोकथाम करनी होगी।
योगी जी का नया नामकरण इस्लामी संक्रमण से मुक्ति का ही मार्ग है।
जबकि सेक्यूलर दलो का मार्ग स्पष्ट रूप से अरबी सभ्यता के प्रसार का मार्ग है।
और अरबी सभ्यता के प्रसार के मार्ग पर ही देश के बटवारे की नीव है।
इसलिए सनद रहे यह लड़ाई योगी या मोदी के अकेले की नहीं है।
लडाई मोदी बनाम राहुल भी नही है।
यह लड़ाई अरबी सभ्यता बनाम सनातन सभ्यता के बीच की है
राजा जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान और मोहम्मद गौरी की लड़ाई को व्यक्तिगत लड़ाई समझने की गलती की थी..
यदि यही गलती हमने फिर दोबारा की , तब इतिहास हमें माफ नहीं करेगा..
कम से कम योगी जी को लड़ाई का प्रारूप पता है।
उन्हें राम मंदिर का महत्व और हिंदूस्तानी नामकरण का महत्व भी पता है।
उन्हे देश के अस्तित्व के लिए सनातन परंपरा और विरासत का महत्व पता है
सेक्यूलरो ने नीद की एसी घुट्टी पिलाई है कि।
नीद मे कहते हो। *बात कुछ ऐसी है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।*
नीद से उठकर देखो।
*दूर दूर तक बस्ती दिखती नही हमारी*
800 साल की नीद बहुत होती है।
अब भी न जागे तो कल कहोगे।
अब तो कोई हस्ती बचती नही हमारी।
🚩🚩जय जय श्री राम 🚩🚩
Aaj mai batata hoon woh cheez kiya hai kisi bhi bhagwan ki chalisa ka jaap kijiye unke 108 namo ka jaap kariye unke kavach ka jaap kariye yakeen maniye agar aap 11000 jaap kar liya unke namo ka ya unke kavach ka apka koi bhi bhoot pret kuch nahi bigad payega bas ye karne se pehle har din ganesh ji ki puja jarur kijiye aur agar kisi devi ki karne jaa rahe hai toh ganesh ji ke sath batuk aur hanuman ji ki chalisa jarur kare kiyonki unke sath ye dono hamesha chalte hai
Читать полностью…But phir log hum logo ko kiyon guru banate hai iska answer mai aaj ke examples se samjhata hoon hum log physics ke professor ke paas jate hai apne college mein b.sc ke professor alag hote hai m.sc ke alag hote hai kiyon aap unke pass kiyon jate hai aap direct physics ke noble winner ke pass jaiye unke pass toh apke college ke compare mein kafi jyada knowledge hai physics ki but kiya woh apko sikhayenge nahi jabki woh apko aram se seekha sakte hai aur apke liye per day woh aram se 1 ghanta de sakte hai but woh apko kiyon nahi sikhate hai kiyonki aap utna jyada intrest nahi rakhte physics mein
Читать полностью…Toh aap log tridev maa Durga aur kisi bhi bade sant ko jinhone sharir tyag diya ho jaise ram krishna parmansh , bama khepa but inhe apna guru sirf us area ke log bana sakte hai jaise aap bengal se hai aur maa tara ki sadhna mein aage badhna chahte hai toh bama khepa ko bana sakte hai but bama khepa ko Maharashtra ke log apna sadhak nahi bana sakte hai unhe maharashtra ke kisi sadhak ko dhundhna hoga jinhone maa tara ki sadhna ki ho aur unke naam mantra ka jaap kariye jaise bama -bama unka dhayan lagaiye apko woh rasta jarur dikhayenge
Читать полностью…नमस्कार मित्रो!
हर हर महादेव 🙏
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री:- "जात पात की करो विदाई हिन्दु-हिन्दु, भाई-भाई"
सभी सनातनी हिन्दू एक हो जाय इस में कोई विरोध की बात नही है। परन्तु एसी एकता का कोई लाभ नही जो शास्त्र विरोधी हो।
पुर्व काल में शैव, वैष्णव, शाक्त और अन्य परंपराएं एसे अनेको भेद थे; हर कोई आपना इष्ट देवता ईश्वर, परमात्मा है। इस प्रकार का मत भेद लेकर चलता था (एकता नही थी)।
भगवान आदी शंकराचार्य ने तब सभी को एक सुत्र में बान्धा था। आज के धिरेंद्र कृष्ण की तराह यह नही कहा की (इष्ट देवता परंपराओ की करो विदाई हम हिन्दू भाई-भाई) उन्होने शास्त्रीय मान्यताओ का त्याग नही कीया, उन सभी मतो में सामञ्जस्य कराया था और स्मार्थाचार को स्थापित कीया।
धर्म बोधक शास्त्र है:-
वर्णाश्रम (जाती) धर्म शास्त्रो का ही हिस्सा है; एसे में प्रत्यक्षता से शास्त्र का ही विरोध करे धर्माचार्यो का नही; क्योकी धर्माचार्य वही मान्य करते है, जो शास्त्र कहते है। धर्माचार्यो का विरोध प्रदर्शन शास्त्रीय मत से विपरीत कृत्यो के ही कारण है।
इसलिए शास्त्र का विरोध करे और प्रत्यक्ष नास्तिक ही बने तो अच्छा है।
इससे सभी को पता चले गा की हम जो है, वह शास्त्र विरोधि है।
अब एसा करने से वोट बाँक followers गिर जाता है।
इसलिए शास्त्रो के जानकार को ही हटाव , शास्त्र का क्या है उनको बाद में देखेंगे; स्वार्थ हेतु काम आये तो ठीक नही तो मिलावट कहना कौन सी बडी बात है।
स्वयम् को शास्त्रसम्मत बनाना है; शास्त्र को स्वसम्मत नही!
Kisi ko apne kul devi devta ko janana hai ya unki puja karni hai toh mere se contact kare
Читать полностью…विषविश्वस्य रौद्रस्य मोहमूर्च्छाप्रदस्य च । एकमेव विनाशाय ह्यमोघं सहजामृतम्॥
अर्थ:-
यह विश्व रूपी विष बड़ा भयानक और मोह एवं मूछों को देने वाला है। इसके विनाश का एक ही अमोघ सहज अमृत [आत्म-ज्ञान] है।
सभी को भगवान दत्तात्रेय जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ! 💐💐💐🙏🙏🙏
वह सन 712 था। जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध के राजा दाहिर के ऊपर हमला किया।
हमला तो हमेशा देश पर पर पहले भी होते रहे।
मगर यह हमला मगर उन सबसे अलग था।
मोहम्मद बिन कासिम द्वारा राजा दाहिर को हरा दिया गया।
हराने के बाद
लूटमार हुआ। बलात्कार हुआ।
इन्सानो की मन्डी सजी। खरीद फरोख्त हुआ।
राजा दाहिर की पुत्रियों को अरब के खलीफा को तोहफे मे दिया गया।
तमाम मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा गया।
देश पर पहले भी हुण, शक, कुषाण, यवन, सिकन्दर का हमला हुआ।
उस हमले मे जमीन और सम्पत्ति का नुकसान हुआ।
मगर अब हमला सभ्यता सम्मान और धर्म के उपर होने लगा था।
यह हमला केवल जमीन के लिए नहीं था।
सभ्यता को खत्म करने के लिए भी था।
यह हिंदुस्तानी सभ्यता के ऊपर बर्बर अरबी सभ्यता की पहली जीत थी.
कोई देश अपना जमीन गवॉ देता है तो वह वापस भी प्राप्त कर सकता है मगर यदि सभ्यता गवा देता है।
तब वह उस देश का हिस्सा नहीं रह जाता है।
क्योंकि देश मात्र जमीन का टुकड़ा नहीं।
देश अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति अपनी भाषाओं से बनता है।
इन सबके खात्मे के साथ देश के खत्म होने की बारी आ जाती है।
फिर अवसर मिलते ही उस अलगाव की औपचारिकता भी पूरी हो जाती है।
आज सिन्ध बलोचिस्तान मे और पुर्बी बगाल मे सनातन सभ्यता का फैलाव होता तो वहॉ कभी पाकिस्तान का जन्म न होता।
यही वजह है कि पाकिस्तान अपना जनक मोहम्मद बिन कासिम को मानता है।
जिसने सिन्ध मे सनातन को रौदकर इस्लामी परचम लहराया था।
*यदि आज की सेक्यूलर पार्टियाँ अपने मकसद मे कामयाब रही तो आगे बनने वाला पाकिस्तान के जनक यही नेता होगे*
फिर इसके बाद बप्पा रावल और राजा सुहेलदेव जैसे राजा भी हुए।
जिसने इस्लामी आक्रांताओ को 500 सालों तक रोके रखा।
इस बीच
मोहमूद गजनवी लूटमार कर चला गया।
मोहम्मद गौरी ने देश को लूटा मंदिर को लूटा सम्मान को लूटा सभ्यता को लूटा।
फिर तो क्रम ही चल पडा।
*लुटेरे आते रहे, हम लुटते रहे*।
*लगातार हमले होते रहे।*
*और हम हारते रहे*।
*मगर कभी भी हारने की वजह नही जानने का प्रयास नही किया*
*कोई सबक नहीं सीखा*
*सच्चाई बाहर आती तो सेक्यूलर राजनीति की हवा निकल जाती यही इसकी वजह थी।*
हम यही नहीं तय कर सके कि लड़ाई किससे हो रही है।
हम अभी यही देख नही सके कि हमला किस पर हो रहा हैं।
हम यही तय नहीं कर पाए कि दुश्मन कौन है
और दुश्मनी किससे है।
यही तो दुश्मन की जीत की सबसे बड़ी वजह रही है।
जब मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान के ऊपर हमला किया तो जयचंद और दूसरे राजाओं ने मात्र मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान की लड़ाई समझा।और उस लडाई से दूर रहे।
परिणाम अगला नम्बर उनका आया।
जबकि यह सभ्यता की लड़ाई सुरू हो चुकी थी।
इसे मौहम्मद गौरी का हमला समझा।
यह इस्लाम का हमला था।
इसे जमीन की और सम्पत्ति की हार समझा।
जब किया हिंदुत्व की हार थी।
सभ्यता की हार थी।
गौर करने वाली बात थी, अब लड़ाई का पैटर्न बदल चुका था लेकिन इस लड़ाई को पुराने पैटर्न से देखने की वजह से हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा।
अब लड़ाई हिंदुस्तान के ऊपर नहीं,
हिंदू सभ्यता के ऊपर हो रही थी, हिंदु के ऊपर ही नहीं हिंदुत्व के ऊपर हो भी रही थी,
और हमलावर अरबी कबीलाई सभ्यता और इस्लामी मजहब के संक्रमण के साथ प्रवेश कर रहे थे।
इस विनाशकारी संक्रमण के साथ में देश का हिस्सा किस्तों में खत्म हो रहा था।
लेकिन हमने इससे निपटने की कोई तैयारी नहीं कर रखी थी।
हिंदू समाज एक नागरिक समाज है
हमारा मुकाबला इस्लाम की सैनिक समाज से हो रहा था.
सैनिकों में क्या होता है चाहे डॉक्टर हो, चाहे कारपेंटर हो,
चाहे टेलर हो या तकनीशियन हो। वह पहले सैनिक होता है।
पहले उसका सैनिक प्रशिक्षण होता है।
उसके बाद उसका विभागीय काम शुरू होता।
उसी तरह मुस्लिम किसी भी पेशे से हो। इस्लाम मे हर मुस्लिम के लिए जिहाद करना फर्ज है।
यानि पहला कर्तब्य गैर मुस्लिमो से लडना।
इस्लामी शासन और इस्लाम के विस्तार लिये लडना।
दारूल हरब से दारूल इस्लाम के लिए लडना।
इसलिए लडाई के वक्त सम्पूर्ण हर मुस्लिम सैनिक हो जाते।
हिन्दुओ मे वैसा नही है।
हिन्दुओ मे लडने के लिए अलग जातियाँ थी।
बाकी जातियो ने सोचा होगा। हमें इस लडाई से क्या मतलब। हमें तो मतलब अपने धंधे से है।
जो जीतेंगे वही राज करेंगे।
राजपाट हमें तो मिलना नहीं है। लेकिन या भूल गए कि, जब धर्म ही नहीं बचेगा, सभ्यता ही नहीं बचेगी, तो धंधा कहां से बच जाएगा।
यही वजह थी कि हम मघ्य भारत तक सिमट कर रह गये।
हम करोड़ो में होने के बाद भी हारते रहे। क्योंकि हमारे लडाके लाखो मे भी नही थे।
और वे लाखों में थे।
जय श्री राम गुरू जी
गुरू जी मुझे कनक धारा यंत्र बनवाना है क्या आप उसकी सही विधि व उसका निर्माण कैसे होना है
वह बताने की कृपा करें 🙏
मेंने इन्टरनेट पर देखा मुझे उसमे हर जगह अलग अलग तरीके से बना मिला कहीं अलग बीज़ मंत्र अंकित है तो कहीं साधारण एसी बना हे
मेंने कुछ पुस्तकों में भी खोजने की कोशिश की (मंत्र महोदधि, शारदा तिलक तंत्र,मन्त्रमहार्णव देवी खंड)
कृपा करके समाधान करें 🙏🏻
Ye hi cheez yaha par lagu hoti hai apki bhakti agar us level ki ho na toh yakeen maniye bhagwan khud apko sikhane aayenge ya apne kisi bhakt ko yogini ko bhejenge sikhane ke liye but apko bhi pata hai ki apki bhakti us level ki nahi hai aur yakeen maniye ye baat aap bhi jante hai warna bade bade sadhak ne aise kafi mantra de rakhe hai jinko aap siddh kar sakte hai aur ek tantrik ban sakte hai kisi bhoot pret yogini ko aram se siddh kar sakte hai
Читать полностью…But phir saval aata hai kisi sharir dhari guru ko apna guru kiyon banaye woh toh in devo ya bama khepa jaise sadhak ke samne kuch nahi hai haa apka manana sahi hai haa hum log toh unke pairo ke dhool ki barabar bhi nahi hai tantra mein mahaguru mane jate hai bhagwan datteraya aur inki sadhna har panth mein hoti hai aise hi shav log shiv ko apne guru ke taur par apne guru mante hai aur unki guru mantra ki puja karte hai Shakt log maa adi shakti ko Sri kul maa tripura sundari ko aur kali kul maa kali ko
Читать полностью…Ji apka sawal kafi sahi tha U aur shayd se kayi logo ka ye sawal hoga ki kisi bhagwan ko apna guru bana lete hai kisi sant ko bana lete hai apna guru
Читать полностью…Kwai - Veja vídeos fascinantes sem pagar nada.
Kwai é uma rede de pequenos clipes que possibilita encontrar e dividir instantes do cotidian t.me/KwaiPro_Bot/Kwai
_*सात जन्मों के रिश्ते की वैज्ञानिक परिभाषा*_
_*प्राचीन भारतीय तर्कसंगत परंपरा*_
_*पीढ़ी-गुणसूत्र-और रक्त संबंध*_
1)पति पत्नी--- *पहली पीढ़ी*
2) बच्चे (सगे भाई-बहन) --- *दूसरी पीढ़ी* --50%-50% गुणसूत्र माता-पिता से विरासत में मिलते हैं। 50% गुणसूत्र साझा होते हैं।
*3) तीसरी पीढ़ी* --- पोते-पोती--- पहली पीढ़ी दादा-दादी के गुणसूत्रों का 25% साझा करती है।
*4) चौथी पीढ़ी* ---
पहली पीढ़ी के साथ 12.5% गुणसूत्र साझा करती है।
*5) पांचवीं पीढ़ी* ---
पहली पीढ़ी के साथ 6.25% गुणसूत्र साझा करती है।
*6) छठी पीढ़ी* ---
पहली पीढ़ी के साथ 3.12% गुणसूत्र साझा करती है।
*7) सातवीं पीढ़ी* -
पहली पीढ़ी के साथ 1.56% गुणसूत्र साझा करती है।
*8) आठवीं पीढ़ी* ---
पहली पीढ़ी के गुणसूत्रों का <1% साझा करती है।
*इसलिए जोड़े से लेकर सातवीं पीढ़ी तक के मूल पुरुष के रिश्ते को भाई- बंधु मानते हैं।*
*रिश्ते नातों में सातवीं पीढ़ी तक विवाह वर्जित माना जाता है, यदि ऐसा विवाह हो तो जन्म से ही गुणसूत्रीय रोग (Thalacemia, sickling and hemophilia etc ) होने की संभावना रहती है।*
आठवीं पीढ़ी से भाईबंधु नहीं मानी जाती।
*इसलिए पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का माना जाता है। यह रिश्ता सात जन्मों तक चलता है।*
*तीन पीढ़ियों को सपिंड माना जाता है। तीन से सात पीढ़ियाँ खुद को भाईबंधु मानती हैं।और ..... सात पीढ़ियों के बाद रिश्ता ख़त्म हो जाता है, लेकिन गोत्र वही रहता है!!!*
*गर्व करिये कि हम हिंदू हैं, हमारे पूर्वज महान थे!*
#सनातन_धर्म_महान
#सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_है
#हिंदू 🚩🙏