🙏नमः पराम्बिकायै🙏
कालरात्रीं ब्रह्मस्तुतां वैष्णवीं स्कन्दमातरम्। सरस्वतीमदितिं दक्षदुहितरं नमामः पावनां शिवम्॥
महालक्ष्म्यै च विद्महे सर्वशक्त्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
अर्थ:-
कालका भी नाश करनेवाली, वेदों द्वारा स्तुत हुई विष्णुशक्ति, स्कंदमाता (शिवशक्ति), सरस्वती (ब्रह्मशक्ति), देवमाता अदिति और दक्षणन्या (सती), पापनाशिनी कल्याणकारिणी भगवतीको हम प्रणाम करते हैं।
हम महालक्ष्मीको जानते हैं और उन सर्वशक्तिरूपिणीका ही ध्यान करते हैं।
वह देवी हमें उस विषयमें (ज्ञान-ध्यानमें) प्रवृत्त करें।
बाबा प्रलापी🤡
साई बाबा भगवान शिव का अवतार है!
प्रमाण क्या है?
बाबा :- 5000 से 7500 वर्ष पूर्व ताडका-पत्रो पर भविष्यवाणी कर रखी है।😲
उस समय कीस लीपीका प्रचलन था?
और उस लिपी को कीसने समझा?
क्यो की भारत में सबसे प्राचिन लिपी ब्रह्मी है। जीसे समझ लिया गया।
वैसे कही सारी लिपीया रही है। पर उन सभी को आज के समय जानने की कोशिश हो रही है। और 5000 वर्ष पूर्व की लिपी सिद्ध हो गयी है, तो यहा कही सारे रहस्य सभ्यतासे जुडे है; उनका आसानीसे ही समाधान हो जायेगा।
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*श्री ब्रिजकिशोरी राधेरानी🙏:
देवालय दर्शन कैसे करें?????
देवालय जाकर बहुत से लोगों की आदत होती है कि वे खड़े-खड़े दर्शन करते है। जबकि शास्त्रों के अनुसार यह गलत है।
इसलिए मंदिर जाएं तो यह ध्यान रखें कि मंदिर में भगवान की मूर्ति के दर्शन हमेशा बैठकर करें। साथ ही दर्शन करते समय यह ध्यान रखें सबसे पहले मूर्ति के चरणों को देखें नतमस्तक होकर प्रार्थना करें।
फिर देवता के वक्ष पर, अर्थात् अनाहतचक्रपर मन एकाग्र करें व अंत में देव मूर्ति के नेत्रों की देखें व उनके रूप को अपने नेत्रोंमें बसाएं।
मंदिर में कुछ भी मांगने या प्रार्थना करते समय दान लेने की, क्षमा याचना या आशीर्वाद लेने की अवस्था में बैठकर प्रार्थना करें।
इससे आपकी हर मनोकामना तो शीघ्र ही पूरी होगी। साथ ही मंदिर जाने के पूर्ण सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगेंगे।
हे परमात्मा आप की असीम कृपा मुझ पर बरस रही है मैं आप को प्रणाम करता हूँ ।
जरा सोचिये हमने क्या किया????
*1. चोटियां छोड़ी ,
*2. टोपी, पगडी छोड़ी ,
*3. तिलक, चंदन छोड़ा
*4. कुर्ता छोड़ा ,धोती छोड़ी ,
*5. यज्ञोपवीत छोड़ा ,
*6. संध्या वंदन छोड़ा ।
*7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा ,
*8. महिलाओं, लडकियों ने साड़ी छोड़ी , बिछिया छोड़े , चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी , मांग बिन्दी छोड़ी ।
*9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (आया पालती है)
*10. संस्कृत छोड़ी , हिन्दी छोड़ी ,
*11. श्लोक छोडे, लोरी छोड़ी ।
*12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े ,
*13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोड़ी ,
*14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छुना छोड़े ,
*15. घर परिवार छोड़े ( अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।
*अब कोई रीति या परंपरा बची है? ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य हो
*कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैनें ऐसे जीवित रखा हैं
जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।
*बौद्धों ने कभी सर मुंडाना नहीं छोड़ा!
*सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!
*मुसलमान ने न दाढ़ी छोडी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना!
*ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है!
फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ?
कहाँ लुप्त हो गये- गुरुकुल की शिखा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार ?
हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।
अपनी पहचान बनाओ! अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!
सप्ताह मे कम से कम एक दिन तो मन्दिर जाना शुरु करो बच्चों ,के साथ।
हर हर महादेव
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🙏नमपर्म्बीकायै🙏
ॐ रात्रि व्यख्यादयति पुरुत्रा देव्यक्षभिः। विश्वा अधि श्रियोऽधीत्॥
अर्थ:-
महत्तत्त्वादिरूप व्यापक इन्द्रियों से सभी देशों (क्षेत्रो) समस्त वस्तुओ को प्रकाशित करने वाली यह रात्रिरूपा देवी अपने उत्पन्न कीये हुए जगत के जीवो के शुभाशुभ कर्मोंको विशेषरूप से दीखाती है और उनके अनुरूप फलकी व्यवस्था करने के लिए समस्त विभूतियों को धारण करती हैं।
विदुर नीति
चिकिर्षितं विप्रकं च यस्य नान्ये जनाः कर्म जानन्ति किञ्चित्। मात्रे गुप्ते सम्यग्नुष्ठिते च नलपोऽप्यस्य च्यवते कश्चिदर्थ। ॥124॥
यः सर्वभूतप्रशमे निविष्टः सत्यो मृदुर्मानकृच्छुद्धभावः। अतिव स ज्ञायते ज्ञातिमध्ये महामनिर्जात्य इव प्रसन्नः ॥125॥
य आत्मनाऽपत्रपते भृशं नरः स सर्वलोकस्य गुरुर्भवत्युत। अनंततेजाः सुमनाः समाहितः स तेजसा सूर्य इवावभासते। ॥126॥
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कल रात्रि 8 से हवन प्रारंभ होगा
*!! शारदीय नवरात्री का महापर्व 03 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक चलेगा !!*
*माँ बगलामुखी के ऐसे तो नित्य हवन पूजन जाप का कार्य चलता रहता है लेकिन शारदीय नवरात्री में हवन पूजन जाप करने का अपना एक अलग ही महत्व होता है"!*
*नवरात्रि के पावन पर्व में अपनी समस्त मनोकामना के पूर्ति के लिए माता बगलामुखी जी की पूजा हवन अनुष्ठान अवश्य करवाये,
माँ बगलामुखी पूजा हवन अनुष्ठान से लाभ-
1.शत्रुओ पर विजय प्राप्ति
2.राजनीतिक विजय प्राप्ति
3.लक्ष्मी प्राप्ति,
4. संतान पुत्र-पुत्री प्राप्ति
5.तंत्र बाधा से मुक्ति
6.व्यापार सुरक्षा कवच
7.व्यापार वृद्धि
8. विवाह संम्पन्न
9.कोर्ट केस में विजय प्राप्ति
10. विवाह बाधा निवारण
11. ऋण कर्ज मुक्ति
*मनिच्छित कार्य हेतु तंत्र कर्म* आकर्षण, संमोहन, वशीकरण
उच्चाटन विद्वेषण स्तम्भन !!
माँ बगलामुखी हवन अनुष्ठान जाप कर सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति पा सकते है""!!
ii *ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय । जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ओम स्वाहा ।।
इस शारदीय नवरात्रि माता बगलामुखी का 9 दिवसीय हवन किया जाएगा कुछ साधकों को अत्यंत शीघ्र प्रभाव दिखाई देता है कुछ साधकों को कुछ देर से और और कुछ साधकों को बिलकुल प्रभाव नहीं मिलता है इसका कारण है कुंडली में ग्रहों का अस्त दशा में होना जो किसी भी आध्यात्मिक कार्य में बाधा बनते है और सफल नहीं होने देते ऐसे में साधक का धैर्य जवान दे देता है और वह हवन पूजा से अपना विश्वास तोड़ लेता है ।
एक बार यहां जुड़े साधक दोबारा पूर्ण विश्वास से हवन में अपना नामांकन अवश्य करवाए और हवन का हिस्सा अवश्य बने ।
इस 9 दिवसीय हवन का नाम मात्र का शुल्क रखा गया है जो कोई भी साधक बहुत आसानी से प्राप्त करवा सकता है यह शुल्क निशुल्क हवन के बराबर ही है यह मां बगलामुखी हवन से जुड़े हुवे साधकों के लिए उपहार है ।
इस 9 दिवसीय मां बगलामुखी के हवन का शुल्क 301 निर्धारित किया है , इसी अत्यंत कम शुल्क में 9 दिवसीय हवन का कार्यक्रम होगा सभी साधकगण पूर्ण श्रद्धा से समर्पण हो कर अवश्य जुड़े ।
मेने स्वयं भी अनेकों अनेक कस्ट और धैर्य रख कर माता की आराधना की है हर एक परेशानी का सामना किया है जो आप सभी के जीवन में फिलहाल चल रही है लेकिन धैर्य के साथ में साधना हवन में लगा रहा और मां बगलामुखी की कृपा से सभी और से संतुष्टि प्राप्त हुई है।
मां बगलामुखी सभी साधकों का कल्याण करे धन्यवाद ।
कुछ नमाजी ohh sorry समाजी😊 जो कह रहे है वह 1st Image में देख लो।
अब आते है वेद पर।
जब उपनयन होता है तब से ब्रह्मचर्य आश्रम का आरंभ होता है। और वेद अध्ययन ब्रह्मचर्य आश्रम से ही कीया जाता है।
और उपनिषद अंतिम भाग संन्यस आश्रम का हीस्सा है। जीस को शिरोभाग मानते है।
अब शंकराचार्य को वेद में गती नही थी इस प्रकार का प्रलाप करते है। वह सत्यार्थ प्रकाश भी पढे हे या नही उसका पता नही।
समाजीओ के संस्थापक मुल शंकर जी स्वयम आदी शंकराचार्य के वेदज्ञ होने की दुहाई दे रहे है। वेद स्थापना करने वाला मंडन करने वाला बता रहे है। image 2-3 देखो
(प्रतित होता है की समाजीओ की आस्था उन्ही के संस्थापक मुल शंकर जी के प्रति गीर रही है)
भगवान आदी शंकराचार्य को वेद में गती नही थी तो उन के द्वारा कीस प्रकार वेद का मंडन और वेद मत की स्थापना हुई?
अब प्रमाण देखना ही है तो देखो कुछ विष्णु सहस्रनाम भाष्य के है और कुछ उपनिषद भाष्य के और गीत आदी से है।
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