🙏नमः पराम्बिकायै🙏
कालरात्रीं ब्रह्मस्तुतां वैष्णवीं स्कन्दमातरम्। सरस्वतीमदितिं दक्षदुहितरं नमामः पावनां शिवम्॥
महालक्ष्म्यै च विद्महे सर्वशक्त्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
अर्थ:-
कालका भी नाश करनेवाली, वेदों द्वारा स्तुत हुई विष्णुशक्ति, स्कंदमाता (शिवशक्ति), सरस्वती (ब्रह्मशक्ति), देवमाता अदिति और दक्षणन्या (सती), पापनाशिनी कल्याणकारिणी भगवतीको हम प्रणाम करते हैं।
हम महालक्ष्मीको जानते हैं और उन सर्वशक्तिरूपिणीका ही ध्यान करते हैं।
वह देवी हमें उस विषयमें (ज्ञान-ध्यानमें) प्रवृत्त करें।
Hello friends aaj hum mein se kayi log muslim tantra ki ya toh sabse acha mante hai
Ya phir us se pareshan hai mera ek sawal hai aap sab se kisi par muslim tantra hota kaise hai iske kuch karan hai pehla apne kul devi devta ko bhul jana aaj hum mein se kitne logo ko apne kul devi devta ka pata hai, dusra apna bachav na karna maa Durga ke 32 naam , kali chalisa, Durga chalisa kaal bhairav ashtkam ye sab kuch cheeze aisi hai jise koi bhi siddh kar sakta hai aaj kayi log kehte hai ki havan kiyon kar rahe ho is se kiya hoga, are bas naam jaap karo maa kali jaise ugr devi devta ko kiyon puj rahe ho sirf krishna ji ko pujo mai un logo se ek baat kehna chahta hoon. Krishna aur kali mein koi fark nahi hai dono ka beej mantra kleem hai aur Mahadev aur vishnu ek hai mahadev ke dil mein vishnu hai aur vishnu ke dil mein mahadev hai phir hum logo ke seher mein bhairav ji ka mandir jarur hoga mai aap sab se puchta hoon us mandir mein aap log last time kab Gaye the hum log khud hi apne tantra mantra ko nahi pehchaan pate hai logo ko ya toh kuch karna hi nahi hai ya phir direct mahavidya sadhna karni hoti hai jabki ye dono hi galat hai muslim tantra ke kayi kaat hai kuch kaat mai batata hoon chandi path , batuk bhairav naam siddhi mahashaktiyo ki puja ( sirf normal Puja aur thoda bohot tantra marg mein aap jaa sakte hai) kul devi devta ka pata kijiye aur unhe khush kijiye apne isht dev ki puja kijiye aur agar kuch nahi kar paa rahe hai toh om namah shivay is mantra ka vidhi vidhan se jo shiv maha puran mein diya gaya hai uska 1 mahine mein 5 lakh jaap kijiye
*श्री ब्रिजकिशोरी राधेरानी🙏:
🙏 जय श्री कृष्ण! 🙏
यह बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण आमंत्रण है! 🙏
बांके बिहारी जी की सेवा में शामिल होने का यह अवसर सचमुच बहुत खुशी देने वाला है! 🙏
आशा है कि आप सब भक्त जनों को ठाकुर जी की कृपा प्राप्त होगी! 🙏😊
मैं आपके साथ कुछ सुझाव देना चाहूँगा:
* इस आमंत्रण को अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए, आप इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर सकते हैं।
* आप इसे अपने दोस्तों और परिवार वालों को भी भेज सकते हैं जो बांके बिहारी जी के भक्त हैं।
शुभकामनाएं! 🙏
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(बृहद्धर्मपुराण)
पूर्वकाल में दिगम्बरी भगवती काली ने असुरवधार्थ तथा देवताओं के कल्याण के लिए कार्तिक अमावस्या के रात्रिकाल में भूतल पर अपना आविर्भाव किया था। इसलिये द्विजातिगणों को इस दिन पशु, पुष्प, अर्घ्य इत्यादि द्वारा भगवती का पूजन करना चाहिए।
परंपरा के अनुसार:-
पुजन कर के पितृ देवताओ को मशाल के प्रकाश (वर्तमान काल में दिपक) से पितृ लोक का मार्ग दीखाकर विदा कीया जाता है।
इसके अतिरिक्त जो तन्त्र मार्गी होते है वह अपनी साधनाओ के लिए निकलते हैं।
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*श्री ब्रिजकिशोरी राधेरानी🙏:
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*गुरु कृपा की महिमा*
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भले हीं आपके भाग्य में कुछ नहीं लिखा हो पर अगर "गुरु की कृपा" आप पर हो जाए तो आप वो भी पा सकते है जो आपके भाग्य में नही हैं।
काशी नगर के एक धनी सेठ थे, जिनके कोई संतान नही थी। बड़े-बड़े विद्वान् ज्योतिषो से सलाह-मशवरा करने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नही मिला। सभी उपायों से निराश होने के बाद सेठजी को किसी ने सलाह दी की आप गोस्वामी जी के पास जाइये वे रोज़ रामायण पढ़ते है तब भगवान "राम" स्वयं कथा सुनने आते हैं। इसलिये उनसे कहना कि भगवान् से पूछे की आपके संतान कब होगी।
सेठजी गोस्वामी जी के पास जाते है और अपनी समस्या के बारे में भगवान् से बात करने को कहते हैं। कथा समाप्त होने के बाद गोस्वामी जी भगवान से पूछते है, की प्रभु वो सेठजी आये थे, जो अपनी संतान के बारे में पूछ रहे थे। तब भगवान् ने कहा कि गोवास्वामी जी उन्होंने पिछले जन्मों में अपनी संतान को बहुत दुःख दिए हैं इस कारण उनके तो सात जन्मो तक संतान नही लिखी हुई हैं।
दूसरे दिन गोस्वामी जी, सेठ जी को सारी बात बता देते हैं। सेठ जी मायूस होकर ईश्वर की मर्जी मानकर चले जाते है।
थोड़े दिनों बाद सेठजी के घर एक संत आते है। और वो भिक्षा मांगते हुए कहते है की भिक्षा दो फिर जो मांगोगे वो मिलेगा। तब सेठजी की पत्नी संत से बोलती हैं कि गुरूजी मेरे संतान नही हैं। तो संत बोले तू एक रोटी देगी तो तेरे एक संतान जरुर होगी। व्यापारी की पत्नी उसे दो रोटी दे देती है। उससे प्रसन्न होकर संत ये कहकर चला जाता है कि जाओ तुम्हारे दो संतान होगी।
एक वर्ष बाद सेठजी के दो जुड़वाँ संताने हो जाती है। कुछ समय बाद गोस्वामी जी का उधर से निकलना होता हैं। व्यापारी के दोनों बच्चे घर के बाहर खेल रहे होते है। उन्हें देखकर वे व्यापारी से पूछते है की ये बच्चे किसके है। व्यापारी बोलता है गोस्वामी जी ये बच्चे मेरे ही है। आपने तो झूठ बोल दिया की भगवान् ने कहा की मेरे संतान नही होगी, पर ये देखो गोस्वामी जी मेरे दो जुड़वा संताने हुई हैं। गोस्वामी जी ये सुन कर आश्चर्यचकित हो जाते है। फिर व्यापारी उन्हें उस संत के वचन के बारे में बताता हैं। उसकी बात सुनकर गोस्वामी जी चले जाते है।
शाम को गोस्वामीजी कुछ चितिंत मुद्रा में रामायण पढते हैं, तो भगवान् उनसे पूछते है कि गोस्वामी जी आज क्या बात है? चिन्तित मुद्रा में क्यों हो? तो गोस्वामी जी कहते है की प्रभु आपने मुझे उस व्यापारी के सामने झूठा पटक दिया। आपने तो कहा ना की व्यापारी के सात जन्म तक कोई संतान नही लिखी है फिर उसके दो संताने कैसे हो गई।
तब भगवान् बोले कि उसके पूर्व जन्म के बुरे कर्मो के कारण में उसे सात जन्म तक संतान नही दे सकता क्योकि में नियमो की मर्यादा में बंधा हूँ। पर अगर.. मेरे किसी भक्त ने उन्हें कह दिया की तुम्हारे संतान होगी, तो उस समय में भी कुछ नही कर सकता गोस्वामी जी। क्योकि में भी मेरे भक्तों की मर्यादा से बंधा हूँ। मै मेरे भक्तो के वचनों को काट नही सकता मुझे मेरे भक्तों की बात रखनी पड़ती हैं। इसलिए गोस्वामी जी अगर आप भी उसे कह देते की जा तेरे संतान हो जायेगी तो मुझे आप जैसे भक्तों के वचनों की रक्षा के लिए भी अपनी मर्यादा को तोड़ कर वो सब कुछ देना पड़ता हैं जो उसके नही लिखा हैं।
मित्रों कहानी से तात्पर्य यही हैं कि भले हीं विधाता ने आपके भाग्य में कुछ ना लिखा हो, पर अगर किसी गुरु की आप पर कृपा हो जाये तो आपको वो भी मिल सकता है जो आपके किस्मत में नही..!!
*🙏🏿🙏🏼🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🙏🏻🙏🏽
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अपनी अगली पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के लिए दो मिनट का समय निकालकर अवश्य पढ़ें।
आचार्य रजनीश से उनके एक अनुयायी ने प्रश्न किया था।
👉प्रश्न - कृपया बताएं कि जब जिहादियों द्वारा घर और संपत्ति जला दी जाती है, हत्याएं की जाती हैं तो हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हिंदू मुस्लिम भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए या अपनी सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाना चाहिए? कृपया मार्गदर्शन करें।👌
👉उत्तर - 🙏 आपका प्रश्न आपकी मूर्खता को बयां कर रहा है,
ऐसा लगता है कि आपने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है।?
जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ के मंदिर पर हमला किया तो उस समय सोमनाथ भारत का सबसे बड़ा और सबसे अमीर मंदिर था। उस मंदिर में पूजा करने वाले 1200 हिंदू पुजारियों ने सोचा कि अगर हम दिन-रात ध्यान-भक्ति-पूजा में लगे रहेंगे तो भगवान हमारी रक्षा करेंगे। उसने रक्षा का कोई प्रबंध नहीं किया, उल्टे क्षत्रियों ने भी, जो अपनी रक्षा कर सकते थे, रक्षा करने से मना कर दिया।
परिणामस्वरूप महमूद ने हजारों निहत्थे हिंदू पुजारियों को मार डाला, मूर्तियों और मंदिरों को तोड़ दिया और बहुत सारा धन, हीरे-जवाहरात, सोना-चांदी लेकर भाग गया।
ध्यान और ईश्वर भक्ति उसकी रक्षा नहीं कर सकी।
👉आज सैकड़ों वर्ष बाद भी वही मूर्खता जारी है, ऐसा लगता है कि तुमने अपने महापुरुषों के जीवन से कुछ नहीं सीखा।
👉यदि ध्यान इतना शक्तिशाली होता कि दुष्ट लोगों का हृदय बदल सकता, तो रामचंद्रजी को हर समय धनुष-बाण साथ रखने की क्या आवश्यकता थी? ध्यान के बल से क्या वे राक्षस रावण का हृदय बदल सकते थे?
क्या वे सुर-असुरों को भाई-भाई समझाते और झगड़ा खत्म हो जाता? लेकिन राम भी किसी को मना नहीं पाए और राम-रावण का युद्ध शस्त्र से ही तय हुआ
👉अगर मन में इतनी शक्ति है कि वो दूसरों का मन बदल सकता है तो पूर्णावतार श्री कृष्ण को कंस और जरासंघ को मारने की क्या जरूरत थी! वो तो उन्हें सावधानी से ही बदल सकते थे।
👉अगर ध्यान में दूसरों का मन बदलने की शक्ति होती तो महाभारत का युद्ध नहीं होता, कृष्ण अपनी ध्यान शक्ति से दुर्योधन की जगह ले सकते थे और युद्ध टाला जा सकता था लेकिन इसके विपरीत कृष्ण ने अर्जुन को ध्यान करने से रोका और उसे युद्ध में लगाया।
👉महाभारत युद्ध इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध है जिसमें करोड़ों लोग मारे गए, पिछले 1200 सालों में भारत में कितने महर्षि संत हुए, गोरखनाथ से लेकर रैदास और कबीर से लेकर गुरु नानक से लेकर गुरु गोविंद सिंह तक की शक्ति इन सभी मुस्लिम आक्रमणकारियों और अंग्रेजों का ध्यान इस दौरान लाखों हिंदुओं को मार दिया गया और तलवार की नोंक पर उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। उन्हें मार दिया गया और इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया। उन संतों के उपदेश आक्रमणकारियों को परिवर्तित नहीं कर सके। गुरु नानक ने अपने धर्म के दर्शन को इस तरह से प्रस्तुत किया कि मुसलमान इसे आसानी से समझ सकें और आत्मसात कर सकें। लेकिन उसी गुरु परंपरा में, गुरु गोविंद सिंह को मुसलमानों के खिलाफ तलवार उठानी पड़ी, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए, निहत्थे सिखों को हथियार उठाने पड़े। इससे यह स्पष्ट है कि ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपनी चेतना को बदल सकता है। लेकिन हमें इस मामले (भौतिक शरीर) में खुद की रक्षा करनी होगी, इसके लिए हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद लेनी होगी। देश की 70% से अधिक समस्याओं का समाधान। भगवान श्री कृष्ण ने 5 गाँव मांगे! हम देश के हित में 5 कानून मांग रहे हैं !!
– T.me/hindustaniBeast ✅
👉समान शिक्षा👌
👉समान नागरिक संहिता👌
👉धर्मांतरण नियंत्रण👌
👉घुसपैठ नियंत्रण👌
👉जनसंख्या नियंत्रण👌
अगर ये पांच कानून नहीं आए तो सनातनधर्म पूरी दुनिया से पूरी तरह से खत्म हो जाएगा जैसे कि अभी भारत के नौ राज्य हैं।
भारत बचाओ आंदोलन
अपने देश और अपनी बहनों/बेटियों को बचाने के लिए आंदोलन
मुझे पता है कि आप इसे फॉरवर्ड नहीं करेंगे, इसे पढ़कर चले जाएंगे। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कम से कम एक व्यक्ति को संदेश जरूर भेजें, अगर आपको शर्म आती है तो इसे मुझे वापस भेजें, बस सिलसिला मत तोड़िए।
पढ़ें अगर सहमत हैं तो कृपया फॉरवर्ड करें🙏🏽
😡🚩😠🚩😡 आज आपको पता चलेगा कि कितने हिंदू एकजुट हैं!!!!
वंदे मातरम🇮🇳🇮🇳
जागो...हिंदू.....जागो.....
मैं कसम खाता हूँ कि मैं यह संदेश कम से कम दस लोगों तक पहुँचाऊँगा।
🇮🇳भारत माता की जय🙏🏽
🅹🅾🅸🅽 🅽🅾🆆
1️⃣ *"भक्ति-ग्रुप.li"*
.*"https://whatsapp.com/channel/0029Va9JuET89inijICnWW2Q"*
🅹🅾🅸🅽 🅽🅾🆆
Kisi ke upar muslim tantra ya koi sa bhi tantra hua hai toh chandi path kijiye ya bhagwan datteraya ki sharan mein jaiye
Читать полностью…*श्री ब्रिजकिशोरी राधेरानी🙏:
स्नापितोऽसि महादेवी ह्यतः शांतिं प्रयच्छमे ॥
1️⃣4️⃣🪔 फिर लक्ष्मी जी की मूर्ति या श्रीयंत्र को चावल के अष्टदल कमल पर स्थापित करें ।
फिर निम्न मंत्र :-
‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।’
यह मंत्र को पढ़ते हुए कुमकुम का तिलक करें, मौली चढ़ायें, पुष्प माला पहनायें, धूप करें, दीपक कपूर की आरती दें तथा नैवेद्य चढ़ायें । फिर पान के पत्ते पर सुपारी, इलायची, लौंग आदि रखकर चढ़ायें ।
🍎🍎फल, दक्षिणा आदि सब इसी मंत्र से चढ़ायें ।
1️⃣5️⃣🪔 तत्पश्चात् निम्न मंत्र से क्षमा-प्रार्थना करें :
🌷🌷 ‘आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ।।’
1️⃣5️⃣🪔 इसके बाद निम्न मंत्र की एक माला करें :
🌷🌷 ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे ।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।।
1️⃣6️⃣ फिर हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि भगवान व गुरु की भक्ति प्राप्ति के निमित्त सत्कर्म की सिद्धि हेतु हमने जो भगवान लक्ष्मी-नारायण का पूजन जप किया है, वह परब्रह्म परमात्मा को अर्पण है ।
1️⃣7️⃣🪔 फिर आरती करके ‘ॐ तं नमामि हरिं परम्’ इसका तीन बार उच्चारण करें ।
1️⃣8️⃣🪔 जहाँ लक्ष्मी-पूजन किया है उन्हीं दोनों स्थापनों के सामने ही कलश-पूजन करें ।
🌷🌷कलश-पूजन :
💦 जल से भरे हुए तांबे के कलश को मौली बाँधकर उस पर पीपल के पांच पत्ते रखें, उस पर एक नारियल रखें व सभी तीर्थ-नदियों का निम्न मंत्र से आवाहन करें :-
🌷🌷 गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥
1️⃣9️⃣🪔 फिर भगवान सूर्य को प्रार्थना करें कि वे इस कलश को तीर्थत्व प्रदान करें :-
🌷🌷ब्रह्माण्ड कर तीर्थानि करे स्पृष्टानि ते रवै ।
तेन सत्येन मे देव तीर्थ देहि दिवाकर ।।
2️⃣0️⃣🪔 इसके बाद उस कलश को पूर्व आदि चारों दिशाओं में तिलक करेंगे । नारियल पर भी तिलक कर व चावल चढ़ाकर अपने आगे भूमि पर कुमकुम से एक स्वास्तिक बनाकर उस पर स्थापित करें ।
2️⃣1️⃣🪔 अब भगवान वासुदेव को प्रार्थना करें कि वरुण कलश के रूप में स्थित आप हमारे परिवार में शांति व सात्विक लक्ष्मी की वृद्धि करें ।
2️⃣2️⃣🪔 अब हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र से माँ सरस्वती का मानसिक ध्यान कर पुष्प श्वेत आसन पर चढ़ा दें :-
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥
जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्म विचार परम तत्व हैं, जो सब संसार में व्याप रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खता रूपी अंधकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिये रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान हैं और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वंदना करता हूँ ।
2️⃣3️⃣ फिर ‘ॐ कुबेराय नमः’ इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करते हुए अपनी तिजोरी आदि में हल्दी, दक्षिणा, दूर्वा आदि रखें
॥ॐ शुभमस्तु ॥
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सभी सनातनियों को धन्वंतरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएं🙏💐
धनत्रयोदशी को आयुर्वेद दिवस के नाम संबोधित कीया जाय तो भी गलत नहीं होगा; क्योंकि धन्वंतरि आयुर्वेद के देवता है, धन संपत्ति के नहीं!
आज के दिन कही सारे घोर में लोग भ्रम के कारण 'श्री (सम्पत्ति) की पुजा करते है' और लक्ष्मी पुजन पर फिर से यही क्रिया दोहरा ते है।😐
सोर्स- ब्रह्म पुराण ✍Читать полностью…