तेरी किताब के हर्फ़े, समझ नहीं आते।
ऐ ज़िन्दगी तेरे फ़लसफ़े, समझ नहीं आते।।
कितने पन्नें हैं, किसको संभाल कर रखूँ।
और कौन से फाड़ दूँ सफ़हे, समझ नहीं आते।।
चौंकाया है ज़िन्दगी, यूँ हर मोड़ पर तुमने।
बाक़ी कितने हैं शगूफे, समझ नहीं आते।।
हम तो ग़म में भी, ठहाके लगाया करते थे।
अब आलम ये है, कि.. लतीफे समझ नहीं आते।।
तेरा शुकराना, जो हर नेमत से नवाज़ा मुझको।
पर जाने क्यों अब तेरे तोहफ़े, समझ नहीं आते।।
कहीं से काश तुम आवाज़ देते ।
ग़मों को हम कोई तो साज़ देते ।
तमन्ना ये भी दिल में है, तुम्हे हम,
तुम्हारे नाम से आवाज़ देते ।
बिखरना तय है फिर भी मुस्कराना,
गुलों को और क्या अंदाज़ देते ।
बहुत तौहीन होती आँसुओं की,
सदाओं को अगर अल्फाज़ देते ।
Hello, Asuno
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Regards. 🌹
01/09/2024 13:59:52
मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
मिर्ज़ा ग़ालिबЧитать полностью…
कौन वीराने में देखेगा बहार
फूल जंगल में खिले किन के लिए
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए
आमिर मीनाईЧитать полностью…
Hello, Sakshi
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28/08/2024 08:08:54
Hello, A💗
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25/08/2024 22:58:37
आए तुम, ठहरे, गए, वादा निभाना हो गया
बेरुखी में अपनेपन का, कुछ बहाना हो गया
सब के आगे, सबसे आगे, गर्मजोशी से मिले
जैसे हम तुम को मिले बिन, इक जमाना हो गया
जुदाईयां जब मुकद्दर हैं,तो वफ़ा का वादा कैसा....
इश्क तो आखिर इश्क है कम कैसा ज्यादा कैसा...
Hello, Sandra I. (DM me) 🌻🌻
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22/08/2024 13:06:21
आए हैं 'मीर' मुँह को बनाए ख़फ़ा से आज
शायद बिगड़ गई है कुछ उस बेवफ़ा से आज
~मीर तक़ी मीरЧитать полностью…
अब कोई इम्तिहान है ही नहीं,
दूर तक आसमान है ही नहीं.
बात मैं आसुओं से करता हूँ,
मेरे मुहँ में ज़ुबान है ही नहीं.
बस्तियों को बुझाने जाऊँगा ,
चाहे मेरा मकान है ही नहीं.
तुम हो पत्थर, तुम्हें लुढ़कना है,
और आगे ढलान है ही नहीं.
एक सूरज हूँ ऐसा मैं जिसको,
रौशनी का गुमान है ही नहीं.
उसके तलवे भी चाट लो चाहे,
वक़्त अब मेहरबान है ही नहीं.
मेरी ग़ज़लों के साथ चलते रहो,
इस सफ़र में थकान है ही नहीं.
रोकना मेरी हसरत थी और जाना उसका शौक..
वो शौक पूरा कर गया...... मेरी हसरतेँ तोड़ कर.!
बैठे बैठे कोई ख़याल आया
ज़िंदा रहने का फिर सवाल आया....
कौन दरियाओं का हिसाब रखे
नेकियाँ नेकियों में डाल आया....
ज़िंदगी किस तरह गुज़ारते है
ज़िंदगी भर न ये कमाल आया....
झूठ बोला है कोई आईना वर्ना पत्थर में कैसे बाल आया....
वो जो दो-गज़ ज़मीं थी मेरे नाम
आसमाँ की तरफ़ उछाल आया....
क्यूँ ये सैलाब सा है आँखों में
मुस्कुराए थे हम-ख़याल आया........
ऐ जिंदगी ...❤️🩹
एक आखिरी बार मिलना है तुझसे तेरी यादें तुझे लौटानी है
तेरा हाथ सीने पर रखना है तुझे दिल की धड़कन सुनानी है
एक आखिरी बार बस मुझे तुझसे नज़रे मिलानी है
एक आखिरी बार बस .... 👀
#Jindgi..💌😒
ब-ज़ाहिर सादगी से मुस्कुरा कर देखने वालो
कोई कम-बख़्त ना-वाक़िफ़ अगर दीवाना हो जाए
हफ़ीज़ जालंधरीЧитать полностью…
"लाज़मी तो नहीं, चर्चे कामयाबी के हो हमेशा...
बर्बादिया भी शख्श को मशहुर कर दिया करती है..."
"जिन्दा रहो जब तक लोग कमियां ही निकालते है,
मरने के बाद जाने कहाँ से इतनी अच्छाइयां ढूंढ लाते है !!"
सुनो
हम भी एक सौदा ऐसा ही कर
जायेंगे
दिल दे कर तुम्हे तोहफे मैं हम
हार जायेंगे
Irfan...✍️