1959
Hare Krishna! Excerpts from the teachings of Srila Prabhupada and other Gaudiya Vaishnav Acharyas.
🌸 *Today is Ekadashi*🌸
It is a very auspicious day!✨ Any spiritual activity performed on this day gives *100 times benefit!!*
So...
▶️ *Chant min 25 rounds of Hare Krishna Mahamantra*🤗
▶️ *Read Srila Prabhupada's Books*📚
▶️ *Hear Krishna Katha*🧏
▶️ *Fasting from Grains*😇
▶️ *Can donate something to the service of the Lord*💰
Ekadashi Mangal Darshan 🙏✨
In Your Service✨
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Very important
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Very important trick to control mind!!
हरे कृष्ण
रविवार, *उत्थान/प्रबोधिनी/हरिबोधिनी एकादशी*
पारणा: सोमवार सुबह
6:46 से 10:28 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभातa
6:59 से 10:38 राजकोट, जामनगर, द्वारका
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भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे अर्जुन! मैं तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ। एक बार नारादजी ने ब्रह्माजी से पूछा: ‘हे पिता! ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत का क्या फल होता है, आप कृपा करके मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बतायें।’
ब्रह्माजी बोले: हे पुत्र! जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत से मिल जाती है। इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षणभर में नष्ट हो जाते है। हे पुत्र! जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते हैं, उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है। उनके पितृ विष्णुलोक में जाते हैं। ब्रह्महत्या आदि महान पाप भी ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं।
हे नारद! मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतनेवाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ (भगवान्नामजप भी परम यज्ञ है। ‘यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि’। यज्ञों में जपयज्ञ मेरा ही स्वरुप है।’ - श्रीमद्भगवदगीता) आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है।
इसलिए हे नारद! तुमको भी विधिपूर्वक विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए।
‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अर्ध्य देना चाहिए। इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है।
जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र से, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं। इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात:काल स्नान के पश्चात् भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोड़ना चाहिए।
जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुनः ग्रहण करनी चाहिए। जो मनुष्य ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं।
हरे कृष्ण
रविवार, *उत्थान/प्रबोधिनी/हरिबोधिनी एकादशी*
पारणा: सोमवार सुबह
6:46 से 10:28 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभातa
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भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे अर्जुन! मैं तुम्हें मुक्ति देनेवाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के सम्बन्ध में नारद और ब्रह्माजी के बीच हुए वार्तालाप को सुनाता हूँ। एक बार नारादजी ने ब्रह्माजी से पूछा: ‘हे पिता! ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत का क्या फल होता है, आप कृपा करके मुझे यह सब विस्तारपूर्वक बतायें।’
ब्रह्माजी बोले: हे पुत्र! जिस वस्तु का त्रिलोक में मिलना दुष्कर है, वह वस्तु भी कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के व्रत से मिल जाती है। इस व्रत के प्रभाव से पूर्व जन्म के किये हुए अनेक बुरे कर्म क्षणभर में नष्ट हो जाते है। हे पुत्र! जो मनुष्य श्रद्धापूर्वक इस दिन थोड़ा भी पुण्य करते हैं, उनका वह पुण्य पर्वत के समान अटल हो जाता है। उनके पितृ विष्णुलोक में जाते हैं। ब्रह्महत्या आदि महान पाप भी ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन रात्रि को जागरण करने से नष्ट हो जाते हैं।
हे नारद! मनुष्य को भगवान की प्रसन्नता के लिए कार्तिक मास की इस एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी व्रत को करता है, वह धनवान, योगी, तपस्वी तथा इन्द्रियों को जीतनेवाला होता है, क्योंकि एकादशी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
इस एकादशी के दिन जो मनुष्य भगवान की प्राप्ति के लिए दान, तप, होम, यज्ञ (भगवान्नामजप भी परम यज्ञ है। ‘यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि’। यज्ञों में जपयज्ञ मेरा ही स्वरुप है।’ - श्रीमद्भगवदगीता) आदि करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है।
इसलिए हे नारद! तुमको भी विधिपूर्वक विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। इस एकादशी के दिन मनुष्य को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। रात्रि को भगवान के समीप गीत, नृत्य, कथा-कीर्तन करते हुए रात्रि व्यतीत करनी चाहिए।
‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन पुष्प, अगर, धूप आदि से भगवान की आराधना करनी चाहिए, भगवान को अर्ध्य देना चाहिए। इसका फल तीर्थ और दान आदि से करोड़ गुना अधिक होता है।
जो गुलाब के पुष्प से, बकुल और अशोक के फूलों से, सफेद और लाल कनेर के फूलों से, दूर्वादल से, शमीपत्र से, चम्पकपुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, वे आवागमन के चक्र से छूट जाते हैं। इस प्रकार रात्रि में भगवान की पूजा करके प्रात:काल स्नान के पश्चात् भगवान की प्रार्थना करते हुए गुरु की पूजा करनी चाहिए और सदाचारी व पवित्र ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर अपने व्रत को छोड़ना चाहिए।
जो मनुष्य चातुर्मास्य व्रत में किसी वस्तु को त्याग देते हैं, उन्हें इस दिन से पुनः ग्रहण करनी चाहिए। जो मनुष्य ‘प्रबोधिनी एकादशी’ के दिन विधिपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें अनन्त सुख मिलता है और अंत में स्वर्ग को जाते हैं।
Govardhan lila live please join
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Hare Krishna🙏
*Gaurangas Group 🛕 wishes you & your family a very Happy Diwali🪔*
_May this festival of lights fill your life with the divine light✨ of Krishna Consciousness😇_
17 Oct 2025 - Mangal Aratik Darshan
Friday
Vrindavan, India
Ekadasi, Krsna Paksa
Damodara Masa, 539 Gaurabda
Fasting for Rama Ekadasi
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🌸 *Tomorrow is Ekadashi*🌸
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GAURANGAS Group
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*R u ready for taking Kartik challenge*? 🤩✨
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*🏹 Spirit of Dussehra 🏹*
👺 रावण केवल एक बाहरी राक्षस नहीं था, बल्कि हमारे भीतर की वासनाओं, अहंकार, क्रोध, लोभ और द्वंद्व का भी प्रतीक है।
उसके दस सिर दर्शाते हैं कि *मनुष्य के भीतर एक ओर धर्म, न्याय, विवेक, ज्ञान और बल जैसे सद्गुण होते हैं,* *तो दूसरी ओर काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य, ईर्ष्या, दम्भ, असत्य और अहंकार जैसी बुराइयाँ भी निवास करती हैं।*
📖 भगवद्गीता (7.27) कहती है –
*इच्छा-द्वेष-समुत्थेन द्वन्द्व-मोहेन भारत ।*
*सर्व-भूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप ॥*
👉 "हे भारत! इच्छा और द्वेष से उत्पन्न द्वंद्व के कारण सभी जीव जन्म-जन्मान्तरों में मोहग्रस्त हो जाते हैं।"
इसलिए जब तक हम इन आंतरिक रावण रूपी द्वंद्व से मुक्त नहीं होते, तब तक हमारा भजन और साधना एकाग्र नहीं हो सकती।
🌸 भगवान श्रीरामचंद्रजी रावण का वध तुरंत कर सकते थे, लेकिन उन्होंने हमें यह शिक्षा देने के लिए लीला की कि असली विजय तब है जब हम भी अपने भीतर के रावण को जीतें।
✨ दशहरा का असली अर्थ यही है कि—
हम भगवान राम की शरण लेकर, उनकी कृपा से, अपने भीतर की नकारात्मक प्रवृत्तियों को नष्ट करें और भक्ति में स्थिर हों।
*🙏 आइए इस विजयादशमी हम प्रार्थना करें—*
*"हे प्रभु श्रीराम, हमारे हृदय के रावण रूपी द्वंद्व का नाश कर दीजिए, ताकि हम एकाग्रचित्त होकर आपकी सेवा और नाम-स्मरण कर सकें।"*
🌺 यही होगी हमारे जीवन की सच्ची विजयादशमी। 🌺
जय श्रीराम! जय सीताराम!
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Bathing in Ganga is nice but Bathing in Holy Name is very important for purifying our senses 🙌
*जयपताका स्वामी*
*शुभ भीष्म पंचक*
*श्रील जयपताका स्वामी महाराज द्वारा :*
जो भक्त भीष्म पंचक का पालन करना चाहते हैं, वे पूर्णिमा तक करें। इस वर्ष मायापुर में यह 2 नवम्बर से 5 नवम्बर तक है। सामान्यतः यह पाँच दिन का होता है, लेकिन इस वर्ष चार दिन का है। आपको अपने राधा-कृष्ण या किसी भी अपने विग्रह को घी का दीपक दिखाना चाहिए और एक फूल अर्पित करना चाहिए।
पहले दिन भगवान के चरणों में कमल का फूल अर्पित करें।
दूसरे दिन भगवान के घुटनों में बेल पत्र अर्पित करें।
तीसरे दिन भगवान की नाभि में गंध (सुगंधि) अर्पित करें।
चौथे दिन भगवान के कंधों पर जासुद फूल अर्पित करें।
पाँचवें दिन भगवान के शिरोदेश (शीर्ष भाग) पर मालती फूल अर्पित करें।
यदि आप गंगा में स्नान और तर्पण करने नहीं जा सकते, तो “गंगा” तीन बार उच्चारण करें और भीष्मदेव को तर्पण, अर्घ्य और प्रणाम अर्पित करते समय निम्न तीन मंत्रों का जप करें।
*तर्पण मंत्र :*
ॐ व्याघ्रपाद्य गोत्राय
संक्रिति प्रवराय च।
अपुत्राय ददाम्येतत्
सलिलं भीष्मवर्मणे॥
*अर्घ्य मंत्र :*
वसूनामावताराय
शांतनोरात्मजाय च।
अर्घ्यं ददामि भीष्माय
अजन्य ब्रह्मचारिणे॥
*प्रणाम मंत्र :*
ॐ भीष्मः शान्तनवो वीरः
सत्यवादी जितेन्द्रियः।
अभीराद्भिरवाप्नोतु
पुत्रपौत्रोचितं क्रियम्॥
आपका शुभचिंतक सदैव,
जयपताका स्वामी
*अधिक विवरण :*
*भीष्म पंचक उपवास*
उपवास एकादशी से प्रारंभ होकर रास पूर्णिमा तक चलता है (जो चातुर्मास्य का अंतिम दिन और कार्तिक का अंतिम दिन है)। इस दिन सूर्यास्त या चन्द्र उदय के समय उपवास तोड़ा जाता है। सामान्यतः एकादशी को पूर्ण उपवास किया जाता है, और अगले दिनों में फल-मूल का सेवन किया जा सकता है। या सभी दिनों में फल-मूल आहार लिया जा सकता है।
*उपवास के स्तर :*
भक्त अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी स्तर का पालन कर सकते हैं, जिससे उनकी दैनिक भक्ति सेवा या साधना में बाधा न आए।
*स्तर 1:*
प्रत्येक दिन गो-उत्पाद (पञ्चगव्य) का सेवन करें:
पहला दिन – गोमय (गाय का गोबर)
दूसरा दिन – गोमूत्र (गाय का मूत्र)
तीसरा दिन – क्षीर (गाय का दूध)
चौथा दिन – दधि (गाय का दही)
पाँचवां दिन – पंचगव्य (सभी पाँचों का मिश्रण)
*स्तर 2:*
यदि स्तर 1 कठिन हो, तो फल-मूल का सेवन करें।
बहुत बीज वाले फल जैसे अमरूद, अनार, पपीता, खीरा आदि न लें।
उबले आलू, कच्चे केले और शकरकंद उबालकर या सेंककर खाए जा सकते हैं।
स्वाद के लिए सैंधव नमक (समुद्री नमक) लिया जा सकता है।
काजू, किशमिश, खजूर खाए जा सकते हैं।
इस स्तर में दूध और दुग्ध उत्पाद नहीं लेने चाहिए।
नारियल पानी और नारियल का गूदा लिया जा सकता है।
*स्तर 3:*
यदि स्तर 2 भी कठिन हो, तो “हविष्य” का सेवन करें।
*सन्दर्भ:*
पद्म पुराण, ब्रह्म खंड अध्याय 23;
स्कन्द पुराण, विष्णु खंड, कार्तिक माहात्म्य अध्याय 32;
गरुड पुराण, पूर्व खंड अध्याय 123।
श्री हरि-भक्ति-विलास (13.10–13) में वर्णित हविष्य की सामग्रियाँ:
हविष्य सामान्यतः चावल और मूँग दाल से बनता है।
जो भक्त चातुर्मास्य एकादशी से एकादशी तक करते हैं, उनके लिए कार्तिक मास एकादशी तक समाप्त हो जाता है, अतः वे मूँग दाल का प्रयोग कर सकते हैं।
परंतु जो पूर्णिमा से पूर्णिमा तक करते हैं, उनके लिए भीष्म पंचक के हविष्य में मूँग दाल नहीं लेनी चाहिए।
तेल का प्रयोग वर्जित है।
अनुमति प्राप्त सामग्री:
* अपक्व चावल (कच्चा, उबला हुआ नहीं)
* गाय का घी
* सैंधव नमक
* पका हुआ केला
* काला-शाक
* गेहूँ
* जौ
अन्य अनुमत सामग्री:
* फल (कम बीज वाले)
* आम
* कटहल
* लबली फल
* मूल (केआ नामक जड़ छोड़कर)
* पिप्पली
* हरितकी
* नागरंग (नींबू)
* इक्षु-द्रव्य (गन्ने से बनी वस्तुएँ, गुड़ नहीं)
* गाय का पूर्ण दूध (मलाई सहित)
कार्तिक माह में वर्जित सामग्री:
* मूँग दाल
* तिल का तेल
* बीटा-शाक
* षष्ठिका-शाक
* मूली
* जीरा
* इमली
हर दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें और भीष्मदेव के लिए तीन बार तर्पण करें, निम्न मंत्र का जप करते हुए—
तर्पण मंत्र:
ॐ व्याघ्रपाद्य गोत्राय
संक्रिति प्रवराय च।
अपुत्राय ददाम्येतत्
सलिलं भीष्मवर्मणे॥
अर्घ्य मंत्र:
वसूनामावताराय
शांतनोरात्मजाय च।
अर्घ्यं ददामि भीष्माय
अजन्य ब्रह्मचारिणे॥
प्रणाम मंत्र:
ॐ भीष्मः शान्तनवो वीरः
सत्यवादी जितेन्द्रियः।
अभीराद्भिरवाप्नोतु
पुत्रपौत्रोचितं क्रियम्॥
यदि कोई पवित्र नदी निकट न हो:
जो “गंगा, गंगा, गंगा” का जप करता है, उसे गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। भक्त किसी भी नदी, झील या समुद्र में स्नान कर सकते हैं।
भगवान को अर्पण:
पहले दिन भगवान के चरणों में कमल पुष्प अर्पण करें।
दूसरे दिन भगवान की जंघा पर बिल्व पत्र अर्पण करें।
तीसरे दिन भगवान की नाभि पर गंध (सुगंधि) अर्पण करें।
चौथे दिन भगवान के कंधों पर जवा पुष्प अर्पण करें।
पाँचवें दिन भगवान के शिरोदेश पर मालती पुष्प अर्पण करें।
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Isckon Baroda Goverdhan Puja 🙏🥰
*Most People Ways In Which Diwali Celebrated Across India*
There are many legends about celebrating Diwali in India, some of which are according to the scriptures, while the others are just old tales told to us by our ancestors.
• The most renowned reason for celebrating this festival is the coming back of Lord Rama along with his wife Sita and brother Laxman.
• Apart from this, due to the appearance of Goddess Laxmi from the churning of the ocean, she is also prayed on this day. Goddess Laxmi chose Vishnu Ji as her husband and married Vishnu Ji. Some people do Laxmi Puja on Diwali and also start new bookkeeping.
• In Dwapara Yuga, Sri Krishna Killed Narkasura.
• Vishnu Ji Saved Laxmi Ji from the prison of King Bali.
• According to Kartik Amavasya, the Hindu epic Mahabharata Pandavas returned to Hastinapura.
The Damodar Lila of Lord Krishna and mother Yashoda is also celebrated on this day. This was the day when mother Yashoda tied little Krishan to a mortar, and there little Krishna freed the Yamalarjan trees from their curse. This story teaches us to love and surrender to Krishna.
*Conclusion:-*
This Diwali, let’s cleanse our hearts too, just like we do our houses by bringing spiritual knowledge into ourselves.
Try and make our hearts as pure as a temple and call Radha-Krishna in it to serve them and progress in Bhakti. Also, let’s make our lives happier by the upbringing that bhakti in us.
So, with utmost joy and pleadingly welcome Lord Rama this Diwali and ask him to engage us in his services.
Wish You a Very Happy Diwali
Gaurangas Group
https://youtube.com/shorts/9xarKNTxgAk?si=FNwbLOiSY0QkVZOs
So if we accept Kṛṣṇa as everything... ~Srila Prabhupada
https://youtu.be/2KQao5Wkeco?si=cSf8UInot23KUawC
🪔 Do’s & Don’ts in Kartik Maas 🌸
The holiest month of the year — Kartik (Damodar Maas) — has begun! 💫
This sacred month offers unlimited spiritual benefits to those who follow it with devotion. 🙏
In this video, learn:
✨ What to do to please Lord Damodar
🚫 What to avoid to protect your spiritual progress
🌼 Simple practices that multiply your bhakti thousandfold
Let’s make this Kartik truly transformative — a month of surrender, simplicity, and pure love for Krishna. 💖
🎥 Watch now & prepare your heart for unlimited mercy
Yss
Gaurangas team
🌸 हरे कृष्णा! 🌸
🙏 आइए करें श्री वृंदावन धाम की दिव्य यात्रा 🙏
🚩 84 कोस वृंदावन यात्रा (24–31 अक्तूबर) – ₹11,600 + ट्रेन टिकट
🪷 4 दिनी वृंदावन यात्रा (24–28 अक्तूबर) – ₹6,000 + ट्रेन टिकट
✨ 84 कोस में 70+ पवित्र स्थल
✨ 4 दिनी यात्रा में 30+ पावन स्थल
🏨 ए.सी. ठहराव | 🍛 स्वादिष्ट प्रसाद | 🎶 मधुर कीर्तन
🌿 सीमित सीटें – अभी बुक करें!
📞 ट्रेन टिकट हेतु संपर्क करें:
76001 56255
https://youtube.com/shorts/ucG2YqwG75o?si=5HDYW-85aVALU3hn
People generally question that... ~Srila Prabhupada
https://youtube.com/shorts/493x-Ek1gVs?si=RChESejfm_oKtXDy
The Hanumān policy is ... ~Srila Prabhupada
हरे कृष्ण
शुक्रवार, *पाशांकुश/पापांकुश एकादशी*
*पारणा:* शनिवार सुबह
6:32 से 10:27 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:47 से 10:37 राजकोट, जामनगर, द्वारका
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*Whatsapp*
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युधिष्ठिर ने पूछा: हे मधुसूदन! अब आप कृपा करके यह बताइये कि आश्विन के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है और उसका माहात्म्य क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आश्विन के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, वह ‘पापांकुशा’ के नाम से विख्यात है। वह सब पापों को हरनेवाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, शरीर को निरोग बनानेवाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देनेवाली है। यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य इस एकमात्र एकादशी को उपास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती।
राजन्! एकादशी के दिन उपवास और रात्रि में जागरण करनेवाले मनुष्य अनायास ही दिव्यरुपधारी, चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। राजेन्द्र! ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं। उस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए। जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह फल उस दिन भगवान गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है।
जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता। नृपश्रेष्ठ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह स्नान, जप ध्यान आदि करने के बाद यथाशक्ति होम, यज्ञ तथा दान वगैरह करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनाये।
जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करनेवाले हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती। लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाढय, कुलीन और निरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्यात्मा हैं। पुण्यकर्त्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं। इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं।
राजन्! तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था, उसके अनुसार ‘पापांकुशा एकादशी’ का माहात्म्य मैंने वर्णन किया। अब और क्या सुनना चाहते हो?
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