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Telegram-канал srilaprabhupadateaching - Srila Prabhupada's Teachings

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Hare Krishna! Excerpts from the teachings of Srila Prabhupada and other Gaudiya Vaishnav Acharyas.

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Srila Prabhupada's Teachings

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Srila Prabhupada's Teachings

हरे कृष्ण
शनिवार, *जया/भैमी एकादशी*
*पारणा:* रविवार सुबह
7:16 से 10:59 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:29 से 11:08 राजकोट, जामनगर, द्वारका

*ISKCON Baroda & Vrindavan daily Darshan Update Whatsapp group*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw

युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा: भगवन्! कृपा करके यह बताइये कि माघ मास के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है, उसकी विधि क्या है तथा उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है?

भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजेन्द्र! माघ मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका नाम ‘जया’ है। वह सब पापों को हरनेवाली उत्तम तिथि है। पवित्र होने के साथ ही पापों का नाश करनेवाली तथा मनुष्यों को भाग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है। इतना ही नहीं, वह ब्रह्महत्या जैसे पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करनेवाली है। इसका व्रत करने पर मनुष्यों को कभी प्रेतयोनि में नहीं जाना पड़ता। इसलिए राजन्! प्रयत्नपूर्वक ‘जया’ नाम की एकादशी का व्रत करना चाहिए।

एक समय की बात है। स्वर्गलोक में देवराज इन्द्र राज्य करते थे। देवगण पारिजात वृक्षों से युक्त नंदनवन में अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे। पचास करोड़ गन्धर्वों के नायक देवराज इन्द्र ने स्वेच्छानुसार वन में विहार करते हुए बड़े हर्ष के साथ नृत्य का आयोजन किया। गन्धर्व उसमें गान कर रहे थे, जिनमें पुष्पदन्त, चित्रसेन तथा उसका पुत्र - ये तीन प्रधान थे। चित्रसेन की स्त्री का नाम मालिनी था। मालिनी से एक कन्या उत्पन्न हुई थी, जो पुष्पवन्ती के नाम से विख्यात थी। पुष्पदन्त गन्धर्व का एक पुत्र था, जिसको लोग माल्यवान कहते थे। माल्यवान पुष्पवन्ती के रुप पर अत्यन्त मोहित था। ये दोनों भी इन्द्र के संतोषार्थ नृत्य करने के लिए आये थे। इन दोनों का गान हो रहा था। इनके साथ अप्सराएँ भी थीं। परस्पर अनुराग के कारण ये दोनों मोह के वशीभूत हो गये। चित्त में भ्रान्ति आ गयी इसलिए वे शुद्ध गान न गा सके। कभी ताल भंग हो जाता था तो कभी गीत बंद हो जाता था। इन्द्र ने इस प्रमाद पर विचार किया और इसे अपना अपमान समझकर वे कुपित हो गये।

अत: इन दोनों को शाप देते हुए बोले: ‘ओ मूर्खो! तुम दोनों को धिक्कार है! तुम लोग पतित और मेरी आज्ञाभंग करनेवाले हो, अत: पति पत्नी के रुप में रहते हुए पिशाच हो जाओ।’

इन्द्र के इस प्रकार शाप देने पर इन दोनों के मन में बड़ा दु:ख हुआ। वे हिमालय पर्वत पर चले गये और पिशाचयोनि को पाकर भयंकर दु:ख भोगने लगे। शारीरिक पातक से उत्पन्न ताप से पीड़ित होकर दोनों ही पर्वत की कन्दराओं में विचरते रहते थे। एक दिन पिशाच ने अपनी पत्नी पिशाची से कहा: ‘हमने कौन सा पाप किया है, जिससे यह पिशाचयोनि प्राप्त हुई है? नरक का कष्ट अत्यन्त भयंकर है तथा पिशाचयोनि भी बहुत दु:ख देनेवाली है। अत: पूर्ण प्रयत्न करके पाप से बचना चाहिए।’

इस प्रकार चिन्तामग्न होकर वे दोनों दु:ख के कारण सूखते जा रहे थे। दैवयोग से उन्हें माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी की तिथि प्राप्त हो गयी। ‘जया’ नाम से विख्यात वह तिथि सब तिथियों में उत्तम है। उस दिन उन दोनों ने सब प्रकार के आहार त्याग दिये, जल पान तक नहीं किया। किसी जीव की हिंसा नहीं की, यहाँ तक कि खाने के लिए फल तक नहीं काटा। निरन्तर दु:ख से युक्त होकर वे एक पीपल के समीप बैठे रहे। सूर्यास्त हो गया। उनके प्राण हर लेने वाली भयंकर रात्रि उपस्थित हुई। उन्हें नींद नहीं आयी। वे रति या और कोई सुख भी नहीं पा सके।

सूर्यादय हुआ, द्वादशी का दिन आया। इस प्रकार उस पिशाच दंपति के द्वारा ‘जया’ के उत्तम व्रत का पालन हो गया। उन्होंने रात में जागरण भी किया था। उस व्रत के प्रभाव से तथा भगवान विष्णु की शक्ति से उन दोनों का पिशाचत्व दूर हो गया। पुष्पवन्ती और माल्यवान अपने पूर्वरुप में आ गये। उनके हृदय में वही पुराना स्नेह उमड़ रहा था। उनके शरीर पर पहले जैसे ही अलंकार शोभा पा रहे थे।

वे दोनों मनोहर रुप धारण करके विमान पर बैठे और स्वर्गलोक में चले गये। वहाँ देवराज इन्द्र के सामने जाकर दोनों ने बड़ी प्रसन्नता के साथ उन्हें प्रणाम किया।

उन्हें इस रुप में उपस्थित देखकर इन्द्र को बड़ा विस्मय हुआ! उन्होंने पूछा: ‘बताओ, किस पुण्य के प्रभाव से तुम दोनों का पिशाचत्व दूर हुआ है? तुम मेरे शाप को प्राप्त हो चुके थे, फिर किस देवता ने तुम्हें उससे छुटकारा दिलाया है?’

माल्यवान बोला: स्वामिन्! भगवान वासुदेव की कृपा तथा ‘जया’ नामक एकादशी के व्रत से हमारा पिशाचत्व दूर हुआ है।

इन्द्र ने कहा: तो अब तुम दोनों मेरे कहने से सुधापान करो। जो लोग एकादशी के व्रत में तत्पर और भगवान श्रीकृष्ण के शरणागत होते हैं, वे हमारे भी पूजनीय होते हैं।

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Srila Prabhupada's Teachings

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Happiness is there because I am a spirit soul ~HDG Srila Prabhupada

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हरे कृष्ण! 🌼
आपका दास

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हरे कृष्ण🙏
शुक्रवार, पुत्रदा एकादशी मंगल दर्शन
पारणा: शनिवार सुबह
7:23 से 8:24 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:32 से 8:24 राजकोट, जामनगर, द्वारका
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Srila Prabhupada's Teachings

Must watch 🤷 fact about new year

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हरे कृष्ण
गुरुवार, *सफला एकादशी*मंगल दर्शन*
पारणा: शुक्रवार सुबह
7:19 से 10:51 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:32 से 11:00 राजकोट, जामनगर, द्वारका
एकादशी ग्रुप:
*Whatsapp*
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हरे कृष्ण
गुरुवार, सफला एकादशी
पारणा: शुक्रवार सुबह
7:19 से 10:51 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:32 से 11:00 राजकोट, जामनगर, द्वारका

*Isckon Baroda Daily Darshan and Update Whatsapp Group*
*https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw*


युधिष्ठिर ने पूछा: स्वामिन्! पौष मास के कृष्णपक्ष (गुज., महा. के लिए मार्गशीर्ष) में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता की पूजा की जाती है? यह बताइये।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजेन्द्र! बड़ी बड़ी दक्षिणावाले यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है। पौष मास के कृष्णपक्ष में ‘सफला’ नाम की एकादशी होती है। उस दिन विधिपूर्वक भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़ तथा देवताओं में श्रीविष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ है।

राजन्! ‘सफला एकादशी’ को नाम मंत्रों का उच्चारण करके नारियल के फल, सुपारी, बिजौरा तथा जमीरा नींबू, अनार, सुन्दर आँवला, लौंग, बेर तथा विशेषत: आम के फलों और धूप दीप से श्रीहरि का पूजन करे। ‘सफला एकादशी’ को विशेष रुप से दीप दान करने का विधान है। रात को वैष्णव पुरुषों के साथ जागरण करना चाहिए। जागरण करनेवाले को जिस फल की प्राप्ति होती है, वह हजारों वर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।

नृपश्रेष्ठ! अब ‘सफला एकादशी’ की शुभकारिणी कथा सुनो। चम्पावती नाम से विख्यात एक पुरी है, जो कभी राजा माहिष्मत की राजधानी थी। राजर्षि माहिष्मत के पाँच पुत्र थे। उनमें जो ज्येष्ठ था, वह सदा पापकर्म में ही लगा रहता था। परस्त्रीगामी और वेश्यासक्त था। उसने पिता के धन को पापकर्म में ही खर्च किया। वह सदा दुराचारपरायण तथा वैष्णवों और देवताओं की निन्दा किया करता था। अपने पुत्र को ऐसा पापाचारी देखकर राजा माहिष्मत ने राजकुमारों में उसका नाम लुम्भक रख दिया। फिर पिता और भाईयों ने मिलकर उसे राज्य से बाहर निकाल दिया। लुम्भक गहन वन में चला गया। वहीं रहकर उसने प्राय: समूचे नगर का धन लूट लिया। एक दिन जब वह रात में चोरी करने के लिए नगर में आया तो सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया। किन्तु जब उसने अपने को राजा माहिष्मत का पुत्र बतलाया तो सिपाहियों ने उसे छोड़ दिया। फिर वह वन में लौट आया और मांस तथा वृक्षों के फल खाकर जीवन निर्वाह करने लगा। उस दुष्ट का विश्राम स्थान पीपल वृक्ष बहुत वर्षों पुराना था। उस वन में वह वृक्ष एक महान देवता माना जाता था। पापबुद्धि लुम्भक वहीं निवास करता था।

एक दिन किसी संचित पुण्य के प्रभाव से उसके द्वारा एकादशी के व्रत का पालन हो गया। पौष मास में कृष्णपक्ष की दशमी के दिन पापिष्ठ लुम्भक ने वृक्षों के फल खाये और वस्त्रहीन होने के कारण रातभर जाड़े का कष्ट भोगा। उस समय न तो उसे नींद आयी और न आराम ही मिला। वह निष्प्राण सा हो रहा था। सूर्योदय होने पर भी उसको होश नहीं आया। ‘सफला एकादशी’ के दिन भी लुम्भक बेहोश पड़ा रहा। दोपहर होने पर उसे चेतना प्राप्त हुई। फिर इधर उधर दृष्टि डालकर वह आसन से उठा और लँगड़े की भाँति लड़खड़ाता हुआ वन के भीतर गया। वह भूख से दुर्बल और पीड़ित हो रहा था। राजन्! लुम्भक बहुत से फल लेकर जब तक विश्राम स्थल पर लौटा, तब तक सूर्यदेव अस्त हो गये। तब उसने उस पीपल वृक्ष की जड़ में बहुत से फल निवेदन करते हुए कहा: ‘इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु संतुष्ट हों।’ यों कहकर लुम्भक ने रातभर नींद नहीं ली। इस प्रकार अनायास ही उसने इस व्रत का पालन कर लिया। उस समय सहसा आकाशवाणी हुई: ‘राजकुमार! तुम ‘सफला एकादशी’ के प्रसाद से राज्य और पुत्र प्राप्त करोगे।’ ‘बहुत अच्छा’ कहकर उसने वह वरदान स्वीकार किया। इसके बाद उसका रुप दिव्य हो गया। तबसे उसकी उत्तम बुद्धि भगवान विष्णु के भजन में लग गयी। दिव्य आभूषणों से सुशोभित होकर उसने निष्कण्टक राज्य प्राप्त किया और पंद्रह वर्षों तक वह उसका संचालन करता रहा। उसको मनोज्ञ नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। जब वह बड़ा हुआ, तब लुम्भक ने तुरंत ही राज्य की ममता छोड़कर उसे पुत्र को सौंप दिया और वह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के समीप चला गया, जहाँ जाकर मनुष्य कभी शोक में नहीं पड़ता।

राजन्! इस प्रकार जो ‘सफला एकादशी’ का उत्तम व्रत करता है, वह इस लोक में सुख भोगकर मरने के पश्चात् मोक्ष को प्राप्त होता है। संसार में वे मनुष्य धन्य हैं, जो ‘सफला एकादशी’ के व्रत में लगे रहते हैं, उन्हीं का जन्म सफल है। महाराज! इसकी महिमा को पढ़ने, सुनने तथा उसके अनुसार आचरण करने से मनुष्य राजसूय यज्ञ का फल पाता है।

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‼️Reminder for DYS session‼️

🙏Please join at 8pm

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आपका दास

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🌟 *ELECTION RESULTS ARE IN*! 🌟

Dear Devotees,

The votes have been counted, and the wait is over! 🎉 The winning topic is

✨ [ *The immense benefits of reading and listening to srila Prabhupada books and lectures* ] ✨

🙏 Join us *Today* at
🕛Time:- 1pm
⭕Live on zoom meeting.

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Thank you for your overwhelming participation!

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Let’s come together to dive deeper into Krishna consciousness! 💖

Hare Krishna! 🌼
आपका दास

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🌟हरे कृष्णा! 🌟

*साप्ताहिक विशेष कक्षा*

*भक्ति में स्थिरता कैसे लाएं?*
🤔*भक्ति में शांति और प्रगति का अनुभव कैसे करें?*

उद्धव प्रभु के साथ एक प्रेरणादायक लाइव सत्र में जुड़ें!

📅 तारीख: 15 दिसंबर 2024
⏰ समय: दोपहर 1:00 से 2:00 बजे तक
📍 Zoom पर लाइव
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आध्यात्मिक जीवन में स्थिरता और प्रगति के रहस्यों को जानें।
इस विशेष अवसर को न चूकें

आपका दास

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🌟 *इस गीता जयंती पर बनें परिवर्तन के सूत्रधार!* 🌟

*पवित्र गीता जयंती* के इस शुभ अवसर पर, हम भगवद गीता का प्रचार कर रहे हैं।
- *हम गीता आवाहन यज्ञ* का आयोजन कर रहे हैं और
- *स्कूलों में गीता वितरित कर रहे* हैं, ताकि युवा पीढ़ी को जीवन निर्माण के अनमोल मूल्यों से प्रेरित किया जा सके।

✨ *आपका छोटा सा दान लाखों जीवन बदल सकता है*!
हर सहयोग से यह दिव्य ज्ञान उन तक पहुंचता है, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

📖 *इस पवित्र कार्य में अपना योगदान दें। आज ही दान करें!*

आइए, मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं जो ज्ञान, शांति और करुणा से समृद्ध हो।

G-pay:-+91 76001 56255
Upi-id:- moib1208@oksbi

🙏 *इस गीता जयंती को सार्थक बनाएं। अभी सहयोग करें!*🙏

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🌟 *आइए हमारे साथ एक दिव्य और आनंदमयी डाकोर यात्रा पर!*🌟

8th दिसंबर 2024
🗓️ दिनचर्या:

🚐 सुबह 6:00 बजे - डाकोर के लिए प्रस्थान
🌅 सुबह 8:00 बजे - डाकोर पहुँचें और नाश्ता करें
🙏 मंदिर दर्शन:

- *डाकोर मंदिर*
- *लक्ष्मी मंदिर*
🏞️ *गोमती घाट भ्रमण*
🎶 विशेष कार्यक्रम:
नगर संकीर्तन और पुस्तक वितरण (गीता मैराथन)
🍴 दोपहर 1:00 बजे - *राज भोग प्रसाद*(डाकोर मंदिर से)
🕉️ दोपहर 2:00 बजे - कीर्तन और कथा (मंत्र ध्यान शिविर)

🚐 दोपहर 2:30 बजे - *गालतेश्वर महादेव* मंदिर के लिए प्रस्थान
🚩 शाम 4:00 बजे - *वेराखड़ी मंदिर* दर्शन
💦 *माहीसागर स्नान*
🏡 शाम 6:00 बजे - वडोदरा वापसी

✨ इस आध्यात्मिक और आनंदमयी यात्रा को मिस न करें!
📞 अपना स्थान आज ही आरक्षित करें: +91 79902 00618
आइए, भगवान की कृपा में डूबकर सुंदर यादें बनाएं! 🙏
📅 दिनांक: 8 दिसंबर 2024
💰 कीमत:

- सूरत/अहमदाबाद से डाकोर: ₹1000
- वडोदरा से डाकोर: ₹800
- छात्रों के लिए विशेष छूट: ₹600

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भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! इस कारण एकादशी का व्रत करना चाहिए। नृपश्रेष्ठ! ‘जया’ ब्रह्महत्या का पाप भी दूर करनेवाली है। जिसने ‘जया’ का व्रत किया है, उसने सब प्रकार के दान दे दिये और सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया। इस माहात्म्य के पढ़ने और सुनने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है।

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https://youtube.com/shorts/tG8eK-r9wGU?si=BJiBWkYy6rDct3Te

We want non ending pleasure. ~Srila Prabhupada

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" *Jaipur-Vrindavan Summer Annual Yatra 2025* " 🌸🛕✨

On the auspicious day of Ekadashi we are going to visit the Three eminent temples and in Shastras it is mentioned that if anyone does this he will attain Vaikuntha. Also on the day to Appearance day if Radha Raman (Birthday) we are going to visit Vrindavan🙏🌸

Limited Seats Available!!

*Main Attractions*
Jaipur (More than 15 places)
🌺 Radha Govind Dev Mandir
🌸 Radha Gopinath Dev Mandir
🌺 Radha Madan Mohan Mandir
🌺 Radha Vinod Mandir
🌺 Jal mahal
🌺 Hawa Mahal
Etc.

Vrindavan (More than 35 places)
🌸 7 Main Temples of Vrindavan
🌺 Nandgaon - Barsana
🌸 Goverdhan Parikarma (Walking/Ricksaw)
🌺 Raval (Birth Place of Radha Rani)
🌸 Gokul
🌺 Raman Reti
Etc.

And many more sacred places await your discovery on this unforgettable pilgrimage. 🕉🙏

*Date of Yatra* 7th May – 15th May 2025 📅

*Prices:*
🚆 Jaipur + Vrindavan (A.C.): ₹12,499
🚆 Jaipur + Vrindavan (Sleeper): ₹10,499
🚆 Without Train (Jaipur + Vrindavan): ₹8,999
🎓 Students Quota: ₹8,499

*Registration Fees*: ₹5000 Per Person 💳

*What's included in the Yatra:*
🚂 A.C Train/Sleeper Train Ticket (Train No - 12955 Mmct Jaipur SF)
🏨 A.C Room
🚍 A.C Bus
🍽 Breakfast, Lunch, and Dinner
🎶 Katha and Kirtan

The Yatra will be led by H.G Uddhava Prabhuji and H.G Kunjavasini Mataji 🙏🌸

*Registration Form*: [Click Here](https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeJOSbiOY5Hw6uOezKBB9p0b5eZ5up9OXM3J1wzGoDz8xhxVA/viewform?usp=sharing)

*Contact for any Queries*: 8200503703 📞

Book your spot today and join us on this spiritual journey of a lifetime! 🌟🕉

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⭕Class started
please join 🙏https://us02web.zoom.us/j/82935571153?pwd=1pPyufop0tTWv7bGC13ARhuNMv4ev6.1

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https://youtube.com/shorts/uiCJMnihToU?si=UrUtJC8Q8G7RZ4uX

How you can cheat Kṛṣṇa? ~Srila Prabhupada

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🌟*चुनाव परिणाम आ गए हैं*! 🌟

प्रिय भक्तों,

वोटों की गिनती हो चुकी है, और इंतज़ार खत्म हुआ! 🎉 विजयी विषय है

✨ [ *गुरु अष्टक का अर्थ और सुबह-सुबह गाने का महत्व*] ✨

🙏 *आज* हमसे जुड़ें
🕛समय:- दोपहर 1:45 बजे
⭕ज़ूम मीटिंग पर लाइव।

⚡️ज़ूम लिंक⚡️ https://us02web.zoom.us/j/82935571153?pwd=1pPyufop0tTWv7bGC13ARhuNMv4ev6.1

*🅘🅓: 829 3557 1153*

*🅟🅐🅢🅢🅦🅞🅡🅓: 108*

आपकी भारी भागीदारी के लिए धन्यवाद!

🗓️

आइए कृष्ण चेतना में गहराई से गोता लगाने के लिए एक साथ आएं! 💖

हरे कृष्ण! 🌼
आपका दास

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https://youtu.be/5WKl3wg5Rs4?si=-8hhGXndLUaQRqFC

Hare Kṛṣṇa 🙏🏻🙇🏻‍♀️ dear devotees
*Kṛṣṇa is trying to help you from within and from without*
#Shorts

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Srila Prabhupada's Teachings

🌟 *Hare Krishna* 🌟
🕉️ *Discover Yourself* 🕉️
Teacher Training Course
📖 With Uddhava Prabhu

🗓️ Date: 23rd - 29th Dec 2024
⏰ Time: 8 PM to 9 PM
📍 Live on Zoom Meeting

✨ Topics Covered:

- *Who is God?*
- *Who am I?*
- *Search for Happiness*🧐
- *One God or Many Gods*😱
- *Why Do Bad Things Happen to Good People?*🤔
- *Yoga for Life*
🌟 Embark on a journey of self-discovery through spiritual wisdom.
🔗 Join us and transform your life!

Hare Krishna 🙏


Please join for updates:-

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To understand Bhagwad Gita... ~Srila Prabhupada

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हरे कृष्ण
बुधवार, *मोक्षदा एकादशी*
*पारणा:* गुरुवार सुबह
7:11 से 10:43 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
7:24 से 10:53 राजकोट, जामनगर, द्वारका

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युधिष्ठिर बोले: देवदेवेश्वर! मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है? उसकी क्या विधि है तथा उसमें किस देवता का पूजन किया जाता है? स्वामिन्! यह सब यथार्थ रुप से बताइये।

श्रीकृष्ण ने कहा: नृपश्रेष्ठ! मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का वर्णन करुँगा, जिसके श्रवणमात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। उसका नाम ‘मोक्षदा एकादशी’ है जो सब पापों का अपहरण करनेवाली है। राजन्! उस दिन यत्नपूर्वक तुलसी की मंजरी तथा धूप दीपादि से भगवान दामोदर का पूजन करना चाहिए। पूर्वाक्त विधि से ही दशमी और एकादशी के नियम का पालन करना उचित है। मोक्षदा एकादशी बड़े-बड़े पातकों का नाश करनेवाली है। उस दिन रात्रि में मेरी प्रसन्न्ता के लिए नृत्य, गीत और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए। जिसके पितर पापवश नीच योनि में पड़े हों, वे इस एकादशी का व्रत करके इसका पुण्यदान अपने पितरों को करें तो पितर मोक्ष को प्राप्त होते हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।

पूर्वकाल की बात है, वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चम्पक नगर में वैखानस नामक राजा रहते थे। वे अपनी प्रजा का पुत्र की भाँति पालन करते थे। इस प्रकार राज्य करते हुए राजा ने एक दिन रात को स्वप्न में अपने पितरों को नीच योनि में पड़ा हुआ देखा। उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रात: काल ब्राह्मणों से उन्होंने उस स्वप्न का सारा हाल कह सुनाया।

राजा बोले: ब्रह्माणो! मैने अपने पितरों को नरक में गिरा हुआ देखा है। वे बारंबार रोते हुए मुझसे यों कह रहे थे कि: ‘तुम हमारे तनुज हो, इसलिए इस नरक समुद्र से हम लोगों का उद्धार करो। ’ द्विजवरो! इस रुप में मुझे पितरों के दर्शन हुए हैं इससे मुझे चैन नहीं मिलता। क्या करुँ? कहाँ जाऊँ? मेरा हृदय रुँधा जा रहा है। द्विजोत्तमो! वह व्रत, वह तप और वह योग, जिससे मेरे पूर्वज तत्काल नरक से छुटकारा पा जायें, बताने की कृपा करें। मुझ बलवान तथा साहसी पुत्र के जीते जी मेरे माता पिता घोर नरक में पड़े हुए हैं! अत: ऐसे पुत्र से क्या लाभ है?

ब्राह्मण बोले: राजन्! यहाँ से निकट ही पर्वत मुनि का महान आश्रम है। वे भूत और भविष्य के भी ज्ञाता हैं। नृपश्रेष्ठ! आप उन्हीं के पास चले जाइये।

ब्राह्मणों की बात सुनकर महाराज वैखानस शीघ्र ही पर्वत मुनि के आश्रम पर गये और वहाँ उन मुनिश्रेष्ठ को देखकर उन्होंने दण्डवत् प्रणाम करके मुनि के चरणों का स्पर्श किया। मुनि ने भी राजा से राज्य के सातों अंगों की कुशलता पूछी।

राजा बोले: स्वामिन्! आपकी कृपा से मेरे राज्य के सातों अंग सकुशल हैं किन्तु मैंने स्वप्न में देखा है कि मेरे पितर नरक में पड़े हैं। अत: बताइये कि किस पुण्य के प्रभाव से उनका वहाँ से छुटकारा होगा?

राजा की यह बात सुनकर मुनिश्रेष्ठ पर्वत एक मुहूर्त तक ध्यानस्थ रहे। इसके बाद वे राजा से बोले:
‘महाराज! मार्गशीर्ष के शुक्लपक्ष में जो ‘मोक्षदा’ नाम की एकादशी होती है, तुम सब लोग उसका व्रत करो और उसका पुण्य पितरों को दे डालो। उस पुण्य के प्रभाव से उनका नरक से उद्धार हो जायेगा।’

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: युधिष्ठिर! मुनि की यह बात सुनकर राजा पुन: अपने घर लौट आये। जब उत्तम मार्गशीर्ष मास आया, तब राजा वैखानस ने मुनि के कथनानुसार ‘मोक्षदा एकादशी’ का व्रत करके उसका पुण्य समस्त पितरोंसहित पिता को दे दिया। पुण्य देते ही क्षणभर में आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। वैखानस के पिता पितरोंसहित नरक से छुटकारा पा गये और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले: ‘बेटा! तुम्हारा कल्याण हो।’ यह कहकर वे स्वर्ग में चले गये।

राजन्! जो इस प्रकार कल्याणमयी ‘मोक्षदा एकादशी’ का व्रत करता है, उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और मरने के बाद वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है। यह मोक्ष देनेवाली ‘मोक्षदा एकादशी’ मनुष्यों के लिए चिन्तामणि के समान समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली है। इस माहात्मय के पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

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Srila Prabhupada's Teachings

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हरे कृष्ण!

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