Hare Krishna! Excerpts from the teachings of Srila Prabhupada and other Gaudiya Vaishnav Acharyas.
House program ( Katha Kirtan) 🙏at Mayuri Mataji & Rohit Prabhu’s home 🤩
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*Frequently asked question🤔*
*Why we chant only Hare Krishna Mahamantra*
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Today’s Mangal Darshan 🙏🙏
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Читать полностью…Hari bol 🤩 on the auspious Ekadashi day Gaurangas Group completed three main Darshans in one day🙌
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Everything will be clear if you simply execute devotional service of Kṛṣṇa ~Srila Prabhupada
https://youtube.com/shorts/m-Q1kE1gFPg?si=puBCOWozZwAYgvEY
🌟 "If someone is fortunate enough to understand Bhagavad-gītā in that line of disciplic succession, without motivated interpretation, then he surpasses all studies of Vedic wisdom, and all scriptures of the world. One will find in the Bhagavad-gītā all that is contained in other scriptures, but the reader will also find things which are not to be found elsewhere. That is the specific standard of the Gītā. It is the perfect theistic science because it is directly spoken by the Supreme Personality of Godhead, Lord Śrī Kṛṣṇa."
( Bhagavad-gītā 1.1 Purport )
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_अक्षय तृतीया_ / _चंदन यात्रा_ 🌟
_30th April 2025, Wednesday_
महत्व और इस दिन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ :
_चंदन यात्रा_🪵: अक्षय तृतीया से शुरू होकर 21 दिनों तक, गर्मी के कारण, भगवान पर चंदन का लेप किया जाता है। श्री माधवेंद्र पूरी को स्वयं भगवान से आदेश प्राप्त हुए और यह सेवा तब से _चंदन यात्रा_ के नाम से जानी जाती है।
1. _भगवान परशुराम_ का आविर्भाव हुआ था इसीलिए आज परशुराम जयंती भी है 🙏
2. _माँ गंगा_ का धरती अवतरण हुआ था 🌊
3. _त्रेता युग_ का प्रारंभ 🔥
4. _सुदामा_ का द्वारका में कृष्ण से मिलन 💕
5. सूर्य भगवान ने पांडवों को _अक्षय पात्र_ दिया 🥣
6. वेदव्यास जी ने _महाकाव्य महाभारत की रचना_ गणेश जी के माध्यम से _प्रारम्भ की थी।_ 📚
7. प्रथम तीर्थंकर _आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान_ के 13 महीने का कठिन उपवास का _पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया_ था 🥤
8. प्रसिद्ध धाम _श्री बद्री नारायण धाम_ के कपाट खोले जाते है 🏔️
9. _जगन्नाथ भगवान_ के सभी _रथों को बनाना प्रारम्भ_ किया जाता है 🛕
10. आदि शंकराचार्य ने _कनकधारा स्तोत्र_ की रचना की थी। 📖
11. _कुबेर_ को खजाना मिला और देव खजांची बनें 💰
12. _माँ अन्नपूर्णा_ का प्राकट्य 🍚
🕉 _*अक्षय*_ का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!! अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है! 🤩
May this day of "AKSHAYA TRITIYA" bring you spiritual Success and Prosperity which never diminishes !!🙏🏻
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
Today’s Mangal Darshan 🙏🙏
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हरे कृष्ण
गुरुवार, *वरुथिनी एकादशी*
*पारणा:* शुक्रवार सुबह
6:12 से 10:27 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:26 से 10:36 राजकोट, जामनगर, द्वारका
*Whatsapp*
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युधिष्ठिर ने पूछा: हे वासुदेव! वैशाख मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? कृपया उसकी महिमा बताइये।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! वैशाख (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र ) कृष्णपक्ष की एकादशी ‘वरुथिनी’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करनेवाली है। ‘वरुथिनी’ के व्रत से सदा सुख की प्राप्ति और पाप की हानि होती है। ‘वरुथिनी’ के व्रत से ही मान्धाता तथा धुन्धुमार आदि अन्य अनेक राजा स्वर्गलोक को प्राप्त हुए हैं। जो फल दस हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद मनुष्य को प्राप्त होता है, वही फल इस ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत रखनेमात्र से प्राप्त हो जाता है।
नृपश्रेष्ठ! घोड़े के दान से हाथी का दान श्रेष्ठ है। भूमिदान उससे भी बड़ा है। भूमिदान से भी अधिक महत्त्व तिलदान का है। तिलदान से बढ़कर स्वर्णदान और स्वर्णदान से बढ़कर अन्नदान है, क्योंकि देवता, पितर तथा मनुष्यों को अन्न से ही तृप्ति होती है। विद्वान पुरुषों ने कन्यादान को भी इस दान के ही समान बताया है। कन्यादान के तुल्य ही गाय का दान है, यह साक्षात् भगवान का कथन है। इन सब दानों से भी बड़ा विद्यादान है। मनुष्य ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत करके विद्यादान का भी फल प्राप्त कर लेता है। जो लोग पाप से मोहित होकर कन्या के धन से जीविका चलाते हैं, वे पुण्य का क्षय होने पर यातनामक नरक में जाते हैं। अत: सर्वथा प्रयत्न करके कन्या के धन से बचना चाहिए उसे अपने काम में नहीं लाना चाहिए। जो अपनी शक्ति के अनुसार अपनी कन्या को आभूषणों से विभूषित करके पवित्र भाव से कन्या का दान करता है, उसके पुण्य की संख्या बताने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं। ‘वरुथिनी एकादशी’ करके भी मनुष्य उसीके समान फल प्राप्त करता है।
राजन्! रात को जागरण करके जो भगवान मधुसूदन का पूजन करते हैं, वे सब पापों से मुक्त हो परम गति को प्राप्त होते हैं। अत: पापभीरु मनुष्यों को पूर्ण प्रयत्न करके इस एकादशी का व्रत करना चाहिए। यमराज से डरनेवाला मनुष्य अवश्य ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत करे। राजन्! इसके पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है और मनुष्य सब पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है।
*🔔 महत्वपूर्ण सूचना: केवल 10 सीटें शेष*
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Kṛṣṇa is silent for the non devotees but he speaks to the devotees ~Srila Prabhupada
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Cleanliness is the first necessity ~Srila Prabhupada
हरे कृष्ण
शुक्रवार, *अपरा एकादशी*
*पारणा:* शनिवार सुबह
5:58 से 10:21 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:11 से 10:30 राजकोट, जामनगर, द्वारका
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युधिष्ठिर ने पूछा: जनार्दन! ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? मैं उसका माहात्म्य सुनना चाहता हूँ। उसे बताने की कृपा कीजिये।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आपने सम्पूर्ण लोकों के हित के लिए बहुत उत्तम बात पूछी है। राजेन्द्र! ज्येष्ठ (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार वैशाख) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम ‘अपरा’ है। यह बहुत पुण्य प्रदान करनेवाली और बड़े बडे पातकों का नाश करनेवाली है। ब्रह्महत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करनेवाला, गर्भस्थ बालक को मारनेवाला, परनिन्दक तथा परस्त्रीलम्पट पुरुष भी ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से निश्चय ही पापरहित हो जाता है। जो झूठी गवाही देता है, माप तौल में धोखा देता है, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता है और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है… ये सब नरक में निवास करनेवाले प्राणी हैं। परन्तु ‘अपरा एकादशी’ के सवेन से ये भी पापरहित हो जाते हैं। यदि कोई क्षत्रिय अपने क्षात्रधर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है तो वह क्षत्रियोचित धर्म से भ्रष्ट होने के कारण घोर नरक में पड़ता है। जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं ही गुरुनिन्दा करता है, वह भी महापातकों से युक्त होकर भयंकर नरक में गिरता है। किन्तु ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से ऐसे मनुष्य भी सदगति को प्राप्त होते हैं।
माघ में जब सूर्य मकर राशि पर स्थित हो, उस समय प्रयाग में स्नान करनेवाले मनुष्यों को जो पुण्य होता है, काशी में शिवरात्रि का व्रत करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, गया में पिण्डदान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करनेवाला पुरुष जिस पुण्य का भागी होता है, बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर गोदावरी में स्नान करनेवाला मानव जिस फल को प्राप्त करता है, बदरिकाश्रम की यात्रा के समय भगवान केदार के दर्शन से तथा बदरीतीर्थ के सेवन से जो पुण्य फल उपलब्ध होता है तथा सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणासहित यज्ञ करके हाथी, घोड़ा और सुवर्ण दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, ‘अपरा एकादशी’ के सेवन से भी मनुष्य वैसे ही फल प्राप्त करता है। ‘अपरा’ को उपवास करके भगवान वामन की पूजा करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्रीविष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। इसको पढ़ने और सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है।
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Wishing you all a very auspicious and blissful Nṛsiṁha Caturdaśī!
On this divine day, may Lord Nṛsiṁhadeva, the fierce yet most compassionate incarnation of the Supreme Lord, protect you from all kinds of fears, dangers, and obstacles—both seen and unseen. May His powerful presence shield your heart with courage, your mind with clarity, and your life with unwavering devotion.
Let us pray that Lord Nṛsiṁhadeva blesses us with inner strength to overcome the anarthas within, and to remain steadfast in our spiritual journey, always under His divine protection.
Jaya Nṛsiṁhadeva!
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Hare Krishna 🙏, from Gaurangas group
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हरे कृष्णा! 🙏
*अक्षय तृतीया* का यह अत्यंत शुभ और मंगलमय 🌸दिन आपके जीवन में अपार समृद्धि और शुभता लेकर आए!
🫴चलिए जानते हैं इस पावन पर्व से जुड़े कुछ अद्भुत और रोचक तथ्य, जो हमारे उत्साह को और भी बढ़ा दें💓!!
💖गौरांग ग्रुप (Gaurangas Group) की ओर से आपको और आपके परिवार को
अक्षय तृतीया की हार्दिक 🙇शुभकामनाएं!
राधा श्यामसुंदर की कृपा आप पर सदा बनी रहे।
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Material Sky is covered ~Srila Prabhupada
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Don’t chase happiness. Sit still. Krishna will find you in the stillness.💙🖤🙏✨ Isckon Vrindavan Mangal Darshan @gaurangas_group
*✨ *वृंदावन धाम यात्रा 2025* ✨
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📅 *तारीख:* *10 मई – 15 मई*
💰 *शुल्क:* *₹8000/- प्रति व्यक्ति*
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🚆 *3AC ट्रेन यात्रा*
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हरे कृष्ण
*मंगलवार*, *कामदा एकादशी*
*पारणा:* *बुधवार* सुबह
6:25 से 10:34 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:40-10:43 राजकोट, जामनगर, द्वारका
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युधिष्ठिर ने पूछा: वासुदेव! आपको नमस्कार है! कृपया आप यह बताइये कि चैत्र शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! एकाग्रचित्त होकर यह पुरातन कथा सुनो, जिसे वशिष्ठजी ने राजा दिलीप के पूछने पर कहा था।
वशिष्ठजी बोले: राजन्! चैत्र शुक्लपक्ष में ‘कामदा’ नाम की एकादशी होती है। वह परम पुण्यमयी है। पापरुपी ईँधन के लिए तो वह दावानल ही है।
प्राचीन काल की बात है: नागपुर नाम का एक सुन्दर नगर था, जहाँ सोने के महल बने हुए थे। उस नगर में पुण्डरीक आदि महा भयंकर नाग निवास करते थे। पुण्डरीक नाम का नाग उन दिनों वहाँ राज्य करता था। गन्धर्व, किन्नर और अप्सराएँ भी उस नगरी का सेवन करती थीं। वहाँ एक श्रेष्ठ अप्सरा थी, जिसका नाम ललिता था। उसके साथ ललित नामवाला गन्धर्व भी था। वे दोनों पति पत्नी के रुप में रहते थे। दोनों ही परस्पर काम से पीड़ित रहा करते थे। ललिता के हृदय में सदा पति की ही मूर्ति बसी रहती थी और ललित के हृदय में सुन्दरी ललिता का नित्य निवास था।
एक दिन की बात है। नागराज पुण्डरीक राजसभा में बैठकर मनोरंजन कर रहा था। उस समय ललित का गान हो रहा था किन्तु उसके साथ उसकी प्यारी ललिता नहीं थी। गाते-गाते उसे ललिता का स्मरण हो आया। अत: उसके पैरों की गति रुक गयी और जीभ लड़खड़ाने लगी।
नागों में श्रेष्ठ कर्कोटक को ललित के मन का सन्ताप ज्ञात हो गया, अत: उसने राजा पुण्डरीक को उसके पैरों की गति रुकने और गान में त्रुटि होने की बात बता दी। कर्कोटक की बात सुनकर नागराज पुण्डरीक की आँखे क्रोध से लाल हो गयीं। उसने गाते हुए कामातुर ललित को शाप दिया: ‘दुर्बुद्धे! तू मेरे सामने गान करते समय भी पत्नी के वशीभूत हो गया, इसलिए राक्षस हो जा।’
महाराज पुण्डरीक के इतना कहते ही वह गन्धर्व राक्षस हो गया। भयंकर मुख, विकराल आँखें और देखनेमात्र से भय उपजानेवाला रुप - ऐसा राक्षस होकर वह कर्म का फल भोगने लगा।
ललिता अपने पति की विकराल आकृति देख मन ही मन बहुत चिन्तित हुई। भारी दु:ख से वह कष्ट पाने लगी। सोचने लगी: ‘क्या करुँ? कहाँ जाऊँ? मेरे पति पाप से कष्ट पा रहे हैं…’
वह रोती हुई घने जंगलों में पति के पीछे-पीछे घूमने लगी। वन में उसे एक सुन्दर आश्रम दिखायी दिया, जहाँ एक मुनि शान्त बैठे हुए थे। किसी भी प्राणी के साथ उनका वैर विरोध नहीं था। ललिता शीघ्रता के साथ वहाँ गयी और मुनि को प्रणाम करके उनके सामने खड़ी हुई। मुनि बड़े दयालु थे। उस दु:खिनी को देखकर वे इस प्रकार बोले: ‘शुभे! तुम कौन हो? कहाँ से यहाँ आयी हो? मेरे सामने सच-सच बताओ।’
ललिता ने कहा: महामुने! वीरधन्वा नामवाले एक गन्धर्व हैं। मैं उन्हीं महात्मा की पुत्री हूँ। मेरा नाम ललिता है। मेरे स्वामी अपने पाप दोष के कारण राक्षस हो गये हैं। उनकी यह अवस्था देखकर मुझे चैन नहीं है। ब्रह्मन्! इस समय मेरा जो कर्त्तव्य हो, वह बताइये। विप्रवर! जिस पुण्य के द्वारा मेरे पति राक्षसभाव से छुटकारा पा जायें, उसका उपदेश कीजिये।
ॠषि बोले: भद्रे! इस समय चैत्र मास के शुक्लपक्ष की ‘कामदा’ नामक एकादशी तिथि है, जो सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है। तुम उसीका विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत का जो पुण्य हो, उसे अपने स्वामी को दे डालो। पुण्य देने पर क्षणभर में ही उसके शाप का दोष दूर हो जायेगा।
राजन्! मुनि का यह वचन सुनकर ललिता को बड़ा हर्ष हुआ। उसने एकादशी को उपवास करके द्वादशी के दिन उन ब्रह्मर्षि के समीप ही भगवान वासुदेव के (श्रीविग्रह के) समक्ष अपने पति के उद्धार के लिए यह वचन कहा: ‘मैंने जो यह ‘कामदा एकादशी’ का उपवास व्रत किया है, उसके पुण्य के प्रभाव से मेरे पति का राक्षसभाव दूर हो जाय।’
वशिष्ठजी कहते हैं: ललिता के इतना कहते ही उसी क्षण ललित का पाप दूर हो गया। उसने दिव्य देह धारण कर लिया। राक्षसभाव चला गया और पुन: गन्धर्वत्व की प्राप्ति हुई।
नृपश्रेष्ठ! वे दोनों पति पत्नी ‘कामदा’ के प्रभाव से पहले की अपेक्षा भी अधिक सुन्दर रुप धारण करके विमान पर आरुढ़ होकर अत्यन्त शोभा पाने लगे। यह जानकर इस एकादशी के व्रत का यत्नपूर्वक पालन करना चाहिए।
मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इस व्रत का वर्णन किया है। ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है। राजन्! इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
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Surrender your worries, let go of fears, and allow Krishna’s presence to fill your soul in Mangal Aarti 🙇♂️✨🙏
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