Hare Krishna Dear Prabujis And Matajis
*IMPORTANT ANNOUNCEMENT*
We have tickets available for 4 days kartik Vrindavan yatra those who are interested to come please contact
+91 93287 47465
Dates Of Yatra :- 24 October to 28 October 2024
Those Who Are Interested Can Message Or Contact
+91 93287 47465
Hare Krishna Dear Prabujis And Matajis
*IMPORTANT ANNOUNCEMENT*
We have tickets available for 4 days kartik Vrindavan yatra those who are interested to come please contact
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Dates Of Yatra :- 24 October to 28 October 2024
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link for Day-2 for vrindavan series
https://www.youtube.com/live/7MdukNc690k?si=-yDLryMEhgBKzAKN🙏🙇
sorry for inconvenience
🪷 *वृन्दावन सप्तदेवालय कोर्स* 🪷
(श्री धाम वृन्दावन के 7 मुख्य मंदिर का विवरण)
*पाठ्यक्रम अवधि: 7 घंटे*
📍नया बैच 🗓️ 1 अक्टूबर 2024 से शुरू होगा
भाषा: हिंदी
⏰समय: 8:00pm-9:00pm
*पाठ्यक्रम तिथियाँ : 1 से 7 अक्टूबर 2024*
🪷इस कोर्स में हम श्री धाम वृंदावन के 7 मुख्य मंदिरों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और हर मंदिर के पीछे की कहानी बताएंगे🪷
🪷जो भक्त इस कोर्स में रुचि रखते हैं, वे इस कोर्स में शामिल हो सकते हैं इस कोर्स में भाग लेने के लिए नीचे दिया गया फॉर्म भरना होगा।🪷
फॉर्म लिंक:- https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeLbCRd8igc7TPqHbLDyAOLDbpCEsJ7DUx0Xer_MKc9VC2SeA/viewform?usp=sf_link
🌸 कोर्स फैसिलिटेटर:
*श्रीपद उद्धव प्रभुजी* (+91 76001 56255)
🌸 नोट: कोर्स पास करने पर सभी प्रतिभागियों को एक सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।
7 मुख्य मंदिर हैं:-
1.)📍 *श्री राधा दामोदर देवी जी*
_~ श्रील रूप गोस्वामीपाद और श्रील जीव गोस्वामीपाद द्वारा स्थापित_
2.) 📍 *श्री राधा श्यामसुंदर देव जी*
_~ श्रील श्यामानंद प्रभुपाद द्वारा स्थापित_
3.) 📍 *राधा गोविंद देव जी*
_~ श्रील रूप गोस्वामीपाद द्वारा स्थापित_
4.) 📍 *राधा गोकुलानंद देव जी*
_~ श्रील लोकनाथ गोस्वामीपाद और श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा स्थापित_
5.) 📍 *राधा मदन मोहन देवी जी*
_~ श्रील सनातन गोस्वामीपाद द्वारा स्थापित_
6.) 📍 *राधा गोपीनाथ देवी जी*
_~ श्रील मधुपंडित गोस्वामीपाद द्वारा स्थापित_
7.) 📍 *राधा रमण देव जी*
_~ गोपाल भट्ट गोस्वामीपाद द्वारा स्थापित_
🔔 कार्तिक 84 कोष वृंदावन यात्रा - नवंबर 2024 📢
💫🌟💫🌟💫🌟💫🌟💫
👉 प्रस्थान: 04/11/2024
👉 वापसी: 11/11/2024
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📌 ७० से ज्यादा स्थानों का भ्रम, जिसमे गोवर्धन, मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, इत्यादि बहुत सारी जगह पर जाने का मौका।
📌 पूर्ण व्रज मंडल परिक्रमा हम कार/बस में करेंगे।
📌 इस व्रज मंडल परिक्रमा में छोटे से छोटे स्थानों को शामिल किया जाएगा।
📌 हर स्थान की कथा एवम महिमा बताई जाएगी, पूर्ण समय कीर्तन का आनंद प्रदान किया जाएगा।
🏧 लक्ष्मीसेवा:
नॉन ए.सी. ट्रेन 12499/- व्यक्ति
ए.सी. ट्रेन 13499/- व्यक्ति
(ट्रेन टिकिट, गेस्ट हॉउस, प्रसाद, बस)
ट्रेन बिना : 11599/- व्यक्ति
5 वर्ष से अधिक के बच्चों के लिए - 4999/ -व्यक्ति
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए यह यात्रा निःशुल्क है
🎯 नाम देने के लिए अंतिम दिनांक: 04/10/2024
💺 *कुछ सीटें बची हैं*
🏃♂️ *जल्दी करें!!!* ®️ *अभी रजिस्टर करें*
📌 Advance: 4000/- per person
📌 Google pay 7600156255
👉 अपना नाम को रजिस्टर करने के लिए कृपा कर नीचे देय गूगल फॉर्म को बारे
गूगल फॉर्म लिंक :-https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSeSjMxKcNBf2uFoh3m0kIekdnMAWkKFDweJiNqmhpnn4kWRyA/viewform
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
👉और यात्रा संबंधी जानकारी के लिए हमे कॉल करे
+91 82005 03703
+91 81039 52919
👉 यात्रा संबंधी जानकारी के लिए दास नमन से संपर्क करें।
ॠषि के ये वचन सुनकर राजा अपने घर लौट आये। उन्होंने चारों वर्णों की समस्त प्रजा के साथ भादों के शुक्लपक्ष की ‘पद्मा एकादशी’ का व्रत किया। इस प्रकार व्रत करने पर मेघ पानी बरसाने लगे। पृथ्वी जल से आप्लावित हो गयी और हरी भरी खेती से सुशोभित होने लगी। उस व्रत के प्रभाव से सब लोग सुखी हो गये।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: राजन्! इस कारण इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए। ‘पद्मा एकादशी’ के दिन जल से भरे हुए घड़े को वस्त्र से ढकँकर दही और चावल के साथ ब्राह्मण को दान देना चाहिए, साथ ही छाता और जूता भी देना चाहिए। दान करते समय निम्नांकित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ॥
अघौघसंक्षयं कृत्वा सर्वसौख्यप्रदो भव।
भुक्तिमुक्तिप्रदश्चैव लोकानां सुखदायकः ॥
‘बुधवार और श्रवण नक्षत्र के योग से युक्त द्वादशी के दिन बुद्धश्रवण नाम धारण करनेवाले भगवान गोविन्द! आपको नमस्कार है… नमस्कार है! मेरी पापराशि का नाश करके आप मुझे सब प्रकार के सुख प्रकार के सुख प्रदान करें। आप पुण्यात्माजनों को भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले तथा सुखदायक हैं।’
राजन्! इसके पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है
bhagavān brahma kārtsnyena
trir anvīkṣya manīṣayā
tad adhyavasyat kūṭa-stho
ratir ātman yato bhavet
The great personality Brahmā, with great attention and concentration of the mind, studied the Vedas three times, and after scrutinizingly examining them, he ascertained that attraction for the Supreme Personality of Godhead Śrī Kṛṣṇa is the highest perfection of religion.
- Śrīmad-Bhāgavatam 2.2.34
हरे कृष्ण
सोमवार, *पाशांकुश/पापांकुश एकादशी*
*पारणा:* मंगलवार सुबह
6:37 से 10:27 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:51 से 10:36 राजकोट, जामनगर, द्वारका
*Whatsapp*
हरे कृष्ण
सोमवार, *पाशांकुश/पापांकुश एकादशी*
*पारणा:* मंगलवार सुबह
6:37 से 10:27 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:51 से 10:36 राजकोट, जामनगर
*Whatsapp*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
युधिष्ठिर ने पूछा: हे मधुसूदन! अब आप कृपा करके यह बताइये कि आश्विन के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है और उसका माहात्म्य क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आश्विन के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, वह ‘पापांकुशा’ के नाम से विख्यात है। वह सब पापों को हरनेवाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, शरीर को निरोग बनानेवाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देनेवाली है। यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य इस एकमात्र एकादशी को उपास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती।
राजन्! एकादशी के दिन उपवास और रात्रि में जागरण करनेवाले मनुष्य अनायास ही दिव्यरुपधारी, चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। राजेन्द्र! ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं। उस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए। जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह फल उस दिन भगवान गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है।
जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता। नृपश्रेष्ठ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह स्नान, जप ध्यान आदि करने के बाद यथाशक्ति होम, यज्ञ तथा दान वगैरह करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनाये।
जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करनेवाले हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती। लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाढय, कुलीन और निरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्यात्मा हैं। पुण्यकर्त्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं। इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं।
राजन्! तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था, उसके अनुसार ‘पापांकुशा एकादशी’ का माहात्म्य मैंने वर्णन किया। अब और क्या सुनना चाहते हो?
युधिष्ठिर ने पूछा: हे मधुसूदन! अब आप कृपा करके यह बताइये कि आश्विन के शुक्लपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है और उसका माहात्म्य क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! आश्विन के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, वह ‘पापांकुशा’ के नाम से विख्यात है। वह सब पापों को हरनेवाली, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, शरीर को निरोग बनानेवाली तथा सुन्दर स्त्री, धन तथा मित्र देनेवाली है। यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य इस एकमात्र एकादशी को उपास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होती।
राजन्! एकादशी के दिन उपवास और रात्रि में जागरण करनेवाले मनुष्य अनायास ही दिव्यरुपधारी, चतुर्भुज, गरुड़ की ध्वजा से युक्त, हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। राजेन्द्र! ऐसे पुरुष मातृपक्ष की दस, पितृपक्ष की दस तथा पत्नी के पक्ष की भी दस पीढ़ियों का उद्धार कर देते हैं। उस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए। जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह फल उस दिन भगवान गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है।
जो पुरुष सुवर्ण, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है, वह कभी यमराज को नहीं देखता। नृपश्रेष्ठ! दरिद्र पुरुष को भी चाहिए कि वह स्नान, जप ध्यान आदि करने के बाद यथाशक्ति होम, यज्ञ तथा दान वगैरह करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनाये।
जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्यकर्म करनेवाले हैं, उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती। लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाढय, कुलीन और निरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्यात्मा हैं। पुण्यकर्त्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं। इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं।
राजन्! तुमने मुझसे जो कुछ पूछा था, उसके अनुसार ‘पापांकुशा एकादशी’ का माहात्म्य मैंने वर्णन किया। अब और क्या सुनना चाहते हो?
Hare Krishna
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*Let's invite Lord Gauranga along with Panchatatva and get mercy of Navdeep dham in form of CC🤩🤩*
_On English and hindi Chaitanya Charitamrit sets_
Hindi original price 5000
English original price 4500
Discounted Price 3500/- with delivery charges
On both languages
Contact - 7600156255
Your servant 🥁🥁🥁🥁
https://www.youtube.com/live/N3YjcLpuacQ?si=IkaEqv2EZIQGyhYs
Today's Session
Live started
https://youtube.com/live/mnYs_-A18tk?feature=share
Hare Krishna
We would like to invite you for the most interesting temple Radha Govind Dev. Let's relish this pastime together today at 8 pm. Today the session will be on time because it is going to little bit lengthy.
Your Servant
please join 🙏
Live class started
https://www.youtube.com/live/UN62uRQ1En0?si=HS3B7QMshstXx18u
हरे कृष्ण🙏
*एकादशी उपवास*
शनिवार: *इंदिरा एकादशी*
*पारणा:* रविवार सुबह
6:29 से 10:28 वदोड़रा, सुरत
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
*Isckon Baroda daily Darshan and Update Group*
युधिष्ठिर ने पूछा : हे मधुसूदन ! कृपा करके मुझे यह बताइये कि आश्विन के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ?
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आश्विन (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार भाद्रपद) के कृष्णपक्ष में ‘इन्दिरा’ नाम की एकादशी होती है । उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है । नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सदगति देनेवाली है ।
राजन् ! पूर्वकाल की बात है । सत्ययुग में इन्द्रसेन नाम से विख्यात एक राजकुमार थे, जो माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्मपूर्वक प्रजा का पालन करते थे । उनका यश सब ओर फैल चुका था ।
राजा इन्द्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर हो गोविन्द के मोक्षदायक नामों का जप करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधिपूर्वक अध्यात्मतत्त्व के चिन्तन में संलग्न रहते थे । एक दिन राजा राजसभा में सुखपूर्वक बैठे हुए थे, इतने में ही देवर्षि नारद आकाश से उतरकर वहाँ आ पहुँचे । उन्हें आया हुआ देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गये और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया । इसके बाद वे इस प्रकार बोले: ‘मुनिश्रेष्ठ ! आपकी कृपा से मेरी सर्वथा कुशल है । आज आपके दर्शन से मेरी सम्पूर्ण यज्ञ क्रियाएँ सफल हो गयीं । देवर्षे ! अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर कृपा करें ।
नारदजी ने कहा : नृपश्रेष्ठ ! सुनो । मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालनेवाली है । मैं ब्रह्मलोक से यमलोक में गया था । वहाँ एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा और यमराज ने भक्तिपूर्वक मेरी पूजा की । उस समय यमराज की सभा में मैंने तुम्हारे पिता को भी देखा था । वे व्रतभंग के दोष से वहाँ आये थे । राजन् ! उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक सन्देश दिया है, उसे सुनो । उन्होंने कहा है: ‘बेटा ! मुझे ‘इन्दिरा एकादशी’ के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो ।’ उनका यह सन्देश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूँ । राजन् ! अपने पिता को स्वर्गलोक की प्राप्ति कराने के लिए ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत करो ।
राजा ने पूछा : भगवन् ! कृपा करके ‘इन्दिरा एकादशी’ का व्रत बताइये । किस पक्ष में, किस तिथि को और किस विधि से यह व्रत करना चाहिए ।
नारदजी ने कहा : राजेन्द्र !l सुनो । मैं तुम्हें इस व्रत की शुभकारक विधि बतलाता हूँ । आश्विन मास के कृष्णपक्ष में दशमी के उत्तम दिन को श्रद्धायुक्त चित्त से प्रतःकाल स्नान करो । फिर मध्याह्नकाल में स्नान करके एकाग्रचित्त हो एक समय भोजन करो तथा रात्रि में भूमि पर सोओ । रात्रि के अन्त में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुँह धोओ । इसके बाद भक्तिभाव से निम्नांकित मंत्र पढ़ते हुए उपवास का नियम ग्रहण करो :
अघ स्थित्वा निराहारः सर्वभोगविवर्जितः ।
श्वो भोक्ष्ये पुण्डरीकाक्ष शरणं मे भवाच्युत ॥
‘कमलनयन भगवान नारायण ! आज मैं सब भोगों से अलग हो निराहार रहकर कल भोजन करुँगा । अच्युत ! आप मुझे शरण दें |’
इस प्रकार नियम करके मध्याह्नकाल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालग्राम शिला के सम्मुख विधिपूर्वक श्राद्ध करो तथा दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन कराओ । पितरों को दिये हुए अन्नमय पिण्ड को सूँघकर गाय को खिला दो । फिर धूप और गन्ध आदि से भगवान ह्रषिकेश का पूजन करके रात्रि में उनके समीप जागरण करो । तत्पश्चात् सवेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्तिपूर्वक श्रीहरि की पूजा करो । उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर भाई बन्धु, नाती और पुत्र आदि के साथ स्वयं मौन होकर भोजन करो ।
राजन् ! इस विधि से आलस्यरहित होकर यह व्रत करो । इससे तुम्हारे पितर भगवान विष्णु के वैकुण्ठधाम में चले जायेंगे ।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं : राजन् ! राजा इन्द्रसेन से ऐसा कहकर देवर्षि नारद अन्तर्धान हो गये । राजा ने उनकी बतायी हुई विधि से अन्त: पुर की रानियों, पुत्रों और भृत्योंसहित उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया ।
कुन्तीनन्दन ! व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी । इन्द्रसेन के पिता गरुड़ पर आरुढ़ होकर श्रीविष्णुधाम को चले गये और राजर्षि इन्द्रसेन भी निष्कण्टक राज्य का उपभोग करके अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठाकर स्वयं स्वर्गलोक को चले गये । इस प्रकार मैंने तुम्हारे सामने ‘इन्दिरा एकादशी’ व्रत के माहात्म्य का वर्णन किया है । इसको पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ।
*Hare Krishna* 🙏🌹
🌅☀ "The brilliant sun of Srimad Bhagvatam has arisen" ☀🙌
*प्रौष्ठपद्यां पौर्णमास्यां हेमसिंहसमन्वितम् ।*
*ददाति यो भागवतं स याति परमां गतिम् ॥ १३ ॥*
🙏🌹 *The most glorious Sri Bhadra Purnima is on 18th September 🌹🙏*
⏰ *Event Timing - 1:00PM*
*Translation*
_If on the full moon day of the month of Bhādra one places Śrīmad-Bhāgavatam on a golden throne and gives it as a gift, he will attain the supreme transcendental destination. (SB 12.13.13)_
📚 Devotees can welcome Srimad Bhagvatam sets in their home or can donate🙏🙇♀️
* *To book your SB Set/ donate Contact +917600156255🙏*🙏
हरे कृष्ण
शनिवार, *पार्श्व/पद्मा/परिवर्तिनी/वामन/जयंती एकादशी*
*पारणा:* रविवार सुबह
6:26 से 10:29 वदोड़रा, सूरत, अमदावाद, खंभात
6:41 से 10:36 राजकोट, जामनगर
*Whatsapp*
https://chat.whatsapp.com/K1pBwij2tzZD60F5JxlmWw
युधिष्ठिर ने पूछा: केशव! कृपया यह बताइये कि भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है, उसके देवता कौन हैं और कैसी विधि है?
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन्! इस विषय में मैं तुम्हें आश्चर्यजनक कथा सुनाता हूँ, जिसे ब्रह्माजी ने महात्मा नारद से कहा था।
नारदजी ने पूछा: चतुर्मुख! आपको नमस्कार है! मैं भगवान विष्णु की आराधना के लिए आपके मुख से यह सुनना चाहता हूँ कि भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है?
ब्रह्माजी ने कहा: मुनिश्रेष्ठ! तुमने बहुत उत्तम बात पूछी है। क्यों न हो, वैष्णव जो ठहरे! भादों के शुक्लपक्ष की एकादशी ‘पद्मा’ के नाम से विख्यात है। उस दिन भगवान ह्रषीकेश की पूजा होती है। यह उत्तम व्रत अवश्य करने योग्य है। सूर्यवंश में मान्धाता नामक एक चक्रवर्ती, सत्यप्रतिज्ञ और प्रतापी राजर्षि हो गये हैं। वे अपने औरस पुत्रों की भाँति धर्मपूर्वक प्रजा का पालन किया करते थे। उनके राज्य में अकाल नहीं पड़ता था, मानसिक चिन्ताएँ नहीं सताती थीं और व्याधियों का प्रकोप भी नहीं होता था। उनकी प्रजा निर्भय तथा धन धान्य से समृद्ध थी। महाराज के कोष में केवल न्यायोपार्जित धन का ही संग्रह था। उनके राज्य में समस्त वर्णों और आश्रमों के लोग अपने अपने धर्म में लगे रहते थे। मान्धाता के राज्य की भूमि कामधेनु के समान फल देनेवाली थी। उनके राज्यकाल में प्रजा को बहुत सुख प्राप्त होता था।
एक समय किसी कर्म का फलभोग प्राप्त होने पर राजा के राज्य में तीन वर्षों तक वर्षा नहीं हुई। इससे उनकी प्रजा भूख से पीड़ित हो नष्ट होने लगी। तब सम्पूर्ण प्रजा ने महाराज के पास आकर इस प्रकार कहा:
प्रजा बोली: नृपश्रेष्ठ! आपको प्रजा की बात सुननी चाहिए। पुराणों में मनीषी पुरुषों ने जल को ‘नार’ कहा है। वह ‘नार’ ही भगवान का ‘अयन’ (निवास स्थान) है, इसलिए वे ‘नारायण’ कहलाते हैं। नारायणस्वरुप भगवान विष्णु सर्वत्र व्यापकरुप में विराजमान हैं। वे ही मेघस्वरुप होकर वर्षा करते हैं, वर्षा से अन्न पैदा होता है और अन्न से प्रजा जीवन धारण करती है। नृपश्रेष्ठ! इस समय अन्न के बिना प्रजा का नाश हो रहा है, अत: ऐसा कोई उपाय कीजिये, जिससे हमारे योगक्षेम का निर्वाह हो।
राजा ने कहा: आप लोगों का कथन सत्य है, क्योंकि अन्न को ब्रह्म कहा गया है। अन्न से प्राणी उत्पन्न होते हैं और अन्न से ही जगत जीवन धारण करता है। लोक में बहुधा ऐसा सुना जाता है तथा पुराण में भी बहुत विस्तार के साथ ऐसा वर्णन है कि राजाओं के अत्याचार से प्रजा को पीड़ा होती है, किन्तु जब मैं बुद्धि से विचार करता हूँ तो मुझे अपना किया हुआ कोई अपराध नहीं दिखायी देता। फिर भी मैं प्रजा का हित करने के लिए पूर्ण प्रयत्न करुँगा।
ऐसा निश्चय करके राजा मान्धाता इने गिने व्यक्तियों को साथ ले, विधाता को प्रणाम करके सघन वन की ओर चल दिये। वहाँ जाकर मुख्य मुख्य मुनियों और तपस्वियों के आश्रमों पर घूमते फिरे। एक दिन उन्हें ब्रह्मपुत्र अंगिरा ॠषि के दर्शन हुए। उन पर दृष्टि पड़ते ही राजा हर्ष में भरकर अपने वाहन से उतर पड़े और इन्द्रियों को वश में रखते हुए दोनों हाथ जोड़कर उन्होंने मुनि के चरणों में प्रणाम किया। मुनि ने भी ‘स्वस्ति’ कहकर राजा का अभिनन्दन किया और उनके राज्य के सातों अंगों की कुशलता पूछी। राजा ने अपनी कुशलता बताकर मुनि के स्वास्थय का समाचार पूछा। मुनि ने राजा को आसन और अर्ध्य दिया। उन्हें ग्रहण करके जब वे मुनि के समीप बैठे तो मुनि ने राजा से आगमन का कारण पूछा।
राजा ने कहा: भगवन्! मैं धर्मानुकूल प्रणाली से पृथ्वी का पालन कर रहा था। फिर भी मेरे राज्य में वर्षा का अभाव हो गया। इसका क्या कारण है इस बात को मैं नहीं जानता।
ॠषि बोले: राजन्! सब युगों में उत्तम यह सत्ययुग है। इसमें सब लोग परमात्मा के चिन्तन में लगे रहते हैं तथा इस समय धर्म अपने चारों चरणों से युक्त होता है। इस युग में केवल ब्राह्मण ही तपस्वी होते हैं, दूसरे लोग नहीं। किन्तु महाराज! तुम्हारे राज्य में एक शूद्र तपस्या करता है, इसी कारण मेघ पानी नहीं बरसाते। तुम इसके प्रतिकार का यत्न करो, जिससे यह अनावृष्टि का दोष शांत हो जाय।
राजा ने कहा: मुनिवर! एक तो वह तपस्या में लगा है और दूसरे, वह निरपराध है। अत: मैं उसका अनिष्ट नहीं करुँगा। आप उक्त दोष को शांत करनेवाले किसी धर्म का उपदेश कीजिये।
ॠषि बोले: राजन्! यदि ऐसी बात है तो एकादशी का व्रत करो। भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष में जो ‘पद्मा’ नाम से विख्यात एकादशी होती है, उसके व्रत के प्रभाव से निश्चय ही उत्तम वृष्टि होगी। नरेश! तुम अपनी प्रजा और परिजनों के साथ इसका व्रत करो।
🔔उज्जैन यात्रा 2024 📢
💫🌟💫🌟💫🌟💫🌟💫
👉 प्रस्थान: 13/09/2024
👉 वापसी: 16/09/2024
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📌 १५ से ज्यादा स्थानों का भ्रमण ।
📌 पूर्ण दर्शन हम कार/बस में करेंगे।
📌 दीक्षा समारोह देखने का मौका ।
📌 कीर्तन मेला अवम ड्रामा
📌 हर स्थान की कथा एवम महिमा बताई जाएगी, पूर्ण समय कीर्तन का आनंद प्रदान किया जाएगा।
🏧 लक्ष्मीसेवा:
नॉन ए.सी. ट्रेन 4500/- व्यक्ति
ए.सी. ट्रेन 5500/- व्यक्ति
स्लीपर ट्रेन (सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए - डोरमेटेरी) 2500/- व्यक्ति
सेकंड सीटिंग ट्रेन (सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए - डोरमेटेरी) 2200/- व्यक्ति
(ट्रेन टिकिट, गेस्ट हॉउस, प्रसाद, बस)
ट्रेन बिना : 3500/- व्यक्ति
*🎯 फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व - जैसे ट्रेन टिकट खट्टम हम पंजीकरण बंध कर देंगे*
📌 Advance: 2000/- per person
📌 Google pay 7600156255
👉 अपना नाम को रजिस्टर करने के लिए कृपा कर नीचे देय गूगल फॉर्म को बारे
गूगल फॉर्म लिंक :- https://forms.gle/n2CYVfZ9CQyYUY7e7
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👉और यात्रा संबंधी जानकारी के लिए हमे कॉल करे
+91 82005 03703
+91 81039 52919
https://youtu.be/oq1aehbU2rU?si=M_LLm0E78rzMA9v8
One has to understand that why the unborn takes birth. ~Srila Prabhupada #janmashtami
अहं हरे तव पादैकमूल दासानुदासो भवितास्मि भूय:
मन: स्मरेतासुपतेर्गुणांस्ते गृणीत वाक् कर्म करोतु काय:
O Śrī Hari, please be gracious on me so that in my next life I again receive the opportunity to serve the servants who take exclusive shelter of Your lotus feet. O Master of my life, may my mind always remember Your auspicious qualities; may my words always recite them; and may my body always engage in Your service.
- Śrīmad-Bhāgavatam 6.11.24
🔔 कार्तिक 84 कोष वृंदावन यात्रा - नवंबर 2024 📢
💫🌟💫🌟💫🌟💫🌟💫
👉 *प्रस्थान:* 03/11/2024
👉 *वापसी:* 10/11/2024
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📌 *७० से ज्यादा स्थानों का भ्रम, जिसमे गोवर्धन, मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, इत्यादि बहुत सारी जगह पर जाने का मौका।*
📌 *पूर्ण व्रज मंडल परिक्रमा हम कार/बस में करेंगे।*
📌 *इस व्रज मंडल परिक्रमा में छोटे से छोटे स्थानों को शामिल किया जाएगा।*
📌 *हर स्थान की कथा एवम महिमा बताई जाएगी, पूर्ण समय कीर्तन का आनंद प्रदान किया जाएगा।*
🏧 *लक्ष्मीसेवा:*
*नॉन ए.सी. ट्रेन 11999/- व्यक्ति*
*ए.सी. ट्रेन 12999/- व्यक्ति*
(ट्रेन टिकिट, गेस्ट हॉउस, प्रसाद, बस)
*ट्रेन बिना : 10999/- व्यक्ति*
🎯 *नाम देने के लिए अंतिम दिनांक: 4/07/2024*
📌 *Advance: 4000/- per person*
📌 *Google pay* 7600156255
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