*ॐ श्री परमात्मने नमः*
*अगर अपनी सन्तानसे सुख चाहते हो तो अपने माता-पिताको सुख पहुँचाओ, उनकी सेवा करो ।*
*जब हम सबकी बात नहीं मानते तो फिर दूसरा कोई हमारी बात न माने तो हमें नाराज नहीं होना चाहिये ।*
*यह नियम ले लें कि कोई हमारे मनकी बात पूरी न करे तो हम नाराज नहीं होंगे ।*
*‘आशीर्वाद दीजिये’‒ऐसा न कहकर आशीर्वाद पानेका पात्र बनना चाहिये ।*
*जो भगवान्की तरफ चलनेमें रोकते हैं, वे बहुत बड़ा अपराध करते हैं । ब्रह्माजीने ग्वालबालोंको भगवान्से अलग किया तो भगवान् ब्रह्माजीसे बोले ही नहीं ! ऊँचे-से-ऊँचे पदपर स्थित ब्रह्माजीसे भी भगवान् नाराज हो गये । जब ब्रह्माजीका भी अपराध भगवान् सह नहीं सके, फिर आप-हम क्या चीज हैं ?*
❈❈❈❈
*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
_(‘कल्याणकारी सन्तवाणी’ पुस्तकसे)_
*VISIT WEBSITE*
*www.swamiramsukhdasji.net*
*BLOG*
*http://satcharcha.blogspot.com*
❈❈❈❈
राम ! राम !! राम !!! राम !!!!
व्यक्ति की सेवा करो तो यह समझकर करो कि भगवान् ही इस रूप से मेरे सामने आए हैं । इससे व्यक्ति लुप्त हो जायेगा और भगवान् प्रकट हो जाएंगे ।
*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ४६*
*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏
राम ! राम !! राम !!! राम !!!!
*कल्याण के उपाय (साधन) में वह ताकत नहीं है, जो ताकत आपकी लगन में है ।*
*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ४६*
*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏
राम ! राम !! राम !!! राम !!!!
सत्संग से अमूल्य बातें मिलती हैं और नामजप तथा प्रार्थना से उन बातों को धारण करने की शक्ति आती है । अतः सत्संग और नाम जप - दोनों करने चाहिए ।
*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ४६*
*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏
॥राम॥
वरुथिनी एकादशी
वि०सं०२०८१ वैशाख कृष्ण ११
शनि 4 मई 24 प्रातः 8:00
गीता मूल पाठ (सामूहिक)
निवेदन–
हम सभीको पाठ करना चाहिये ।
Join Zoom Meeting
https://us06web.zoom.us/j/84470962486?pwd=MjRnRHViT01Dd3UwaFBlQUgzdTM5QT09
Meeting ID: 844 7096 2486
Passcode: ramram
राम ! राम !! राम !!! राम !!!!
मनुष्य वही है, जो परिणाम को देखे । वर्तमान में दृष्टि तो पशुओं की होती है । जो देखा, वही खा लिया ।
*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ४१*
*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏
*ॐ श्री परमात्मने नमः*
*मनुष्योंको पैदा न होने देना और पशुओंको मार देना‒यह देशको नष्ट करनेका तरीका है ।*
*पशुओंके बिना मनुष्योंका जीना मुश्किल है । पशुओंसे ही मनुष्य जीते हैं । मनुष्योंकी जीवनी-शक्ति पशुओंसे ही आती है ।*
*आप भगवान्से तो कृपा चाहते हो, पर पशुओंपर कृपा करते नहीं, तो आप कृपा पानेके अधिकारी नहीं हो । जो पशुओंको मारता है, मांस खाता है, वह कृपाका पात्र नहीं होता । आप अपनेसे कमजोरको मार देते हो और खा जाते हो, तो आपको भी कोई मार दे तो आप रोनेके, पश्चात्ताप करनेके, शिकायत करनेके भी पात्र नहीं हो ।*
*जो दूसरोंकी रक्षा नहीं करता, पर अपनी रक्षा चाहता है, वह बेईमान है । आप अपनेसे छोटोंकी रक्षा तो करते नहीं, और बड़ोंसे अपनी रक्षा चाहते हो‒यह अन्याय है । भगवान्से अपनी रक्षा चाहते हो तो भगवान् रक्षा करेंगे नहीं । आप छोटोंकी रक्षा करोगे तो बड़े भी आपकी रक्षा करेंगे । आप छोटोंकी रक्षा नहीं करोगे तो आपकी रक्षा कौन करेगा और क्यों करेगा ?*
*मायाके पास दो ही चीजें हैं‒भोग और मोक्ष । अगर भोग लेते हो तो लेते ही रहो.....लेते ही रहो.....युगों-युगोंतक लेते रहो ! अगर मोक्ष ले लो तो माया निहाल हो जायगी कि मेरा पिण्ड छूट गया ! जो मायाको छोड़ देते हैं, माया उनकी सेवा करती है !*
❈❈❈❈
*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
_(‘कल्याणकारी सन्तवाणी’ पुस्तकसे)_
*VISIT WEBSITE*
*www.swamiramsukhdasji.net*
*BLOG*
*http://satcharcha.blogspot.com*
❈❈❈❈
FIVE PRINCIPLE NECTAR-FILLED SPIRITUAL MEANS - DO READ !!! http://swamiramsukhdasji.net/blog/?p=1655
Читать полностью…