swamiramsukhdasji | Education

Telegram-канал swamiramsukhdasji - स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

820

Ram. Teachings and Sermons of Swami RamsukhdasJi. राम। स्वामी रामसुखदासजी के प्रवचन और सिद्धांत।

Subscribe to a channel

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/vZquYbcLH0I?si=c3PKSMlgP9XKkt7L

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/qguemccw48c?si=rtgx7sM80LIfPcif

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/Ubdw0KheZUs?si=RPPz3koiywlgiN6h

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

*ॐ श्री परमात्मने नमः*
 
*_प्रश्‍न‒भगवान्‌का प्रेम कैसे मिले ?_*
 
*स्वामीजी‒* चलते-फिरते भगवान्‌से प्रार्थना करो कि ‘हे नाथ ! ऐसी कृपा करो कि आप मीठे लगो, प्यारे लगो’ । यह मान लो कि हमारे सब कुछ केवल भगवान् ही हैं । इस विषयमें मेरेको यह श्‍लोक बहुत अच्छा लगा‒
 
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव  विद्या  द्रविणं त्वमेव
त्वमेव  सर्वं  मम  देव  देव ॥
(गर्गसंहिता, द्वारका॰ १२ । १९)
 
भगवान्‌के सिवाय हमारा कोई नहीं है । सत्तामात्र उसीकी है । उसके सिवाय और कोई चीज क्षणमात्र भी ठहरती नहीं । इतना बडा ब्रह्माण्ड है, पर एक क्षण भी ठहरता नहीं !
 
*_प्रश्‍न‒सभी भेद अहम्‌‌से ही होते हैं, फिर अहम्‌‌का नाश होनेपर प्रेमी-प्रेमास्पदका भेद कैसे होता ?_*
 
*स्वामीजी‒* तत्त्वसे भेद नहीं है, प्रत्युत कल्पित भेद है‒‘भक्त्यर्थं कल्पितं द्वैतमद्वैतादपि सुन्दरम्’ (बोधसार, भक्‍ति॰ ४२) । यह भेद केवल प्रेमके लिये ही कल्पित (स्वीकृत) है । जैसे, खेल खेलनेके लिये रामजी और भरतजी अलग-अलग, दो पक्षोंमें हो जाते हैं तो इससे प्रेम बढ़ता है । भरतजीकी विजयमें रामजी आनन्द मनाते हैं
 
मैं प्रभु कृपा रीति जियँ जोही ।
हारेहुँ  खेल  जितावहिं मोही ॥
(मानस, अयोध्या॰ २६० । ४)
 
बोधसे पहले तो अपनी विजयमें आनन्द मनाते हैं, पर प्रेममें दूसरेकी विजयमें आनन्द मानते हैं ! इसलिये प्रेममें ‘तत्सुखे सुखित्वम्’ का भाव रहता है । बोधसे पहलेका आकर्षण अपने सुखके लिये होता है, पर प्रेममें दूसरेके सुखके लिये होता है ।
 
अहम् मिटनेसे पहलेका द्वैत बन्धनके लिये है और अहम् मिटनेके बादका द्वैत प्रेमके लिये है ।
 
*_प्रश्‍न‒मुक्‍त होनेपर सत्तामात्र रहती है, फिर प्रेम किसमें होगा ? प्रेमके लिये तो अंश-अंशीभाव होना आवश्यक है ?_*
 
*स्वामीजी‒* यह मुक्‍त होनेके बाद प्रेमके लिये कल्पित अर्थात् स्वीकृत द्वैत है‒‘भक्त्यर्थं कल्पित द्वैतमद्वैतादपि सुन्दरम्’ (बोधसार, भक्‍ति॰ ४२) ।
 
*_प्रश्‍न‒क्या यह स्वीकृति करनी पड़ती है ?_*
 
*स्वामीजी‒* स्वीकृति हो जाती है, करनी नहीं पड़ती ।
 
*_प्रश्‍न‒एक बात यह है कि आस्थाके साथ प्रियता भी होनी आवश्यक है, और दूसरी बात है कि आस्था होनेपर प्रियता अपने-आप हो जायगी‒दोनोमें कौन-सी बात ठीक है ?_*
 
*स्वामीजी‒* आस्था और प्रियता‒दोनोंमें कोई एक भी हो जाय तो दोनों हो जायँगे । अगर प्रियता नहीं होती तो आस्थाकी कमी है अर्थात् साथमें संसारकी आस्था भी है । पूरी आस्था होनेपर एक सत्ताके सिवाय अन्यकी सत्ता ही नहीं रहेगी ।
 
❈❈❈❈
 
*श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज*
_(‘रहस्यमयी वार्ता’ पुस्तकसे)_
 
*VISIT WEBSITE*
 
*www.swamiramsukhdasji.net*
 
*BLOG*
 
*http://satcharcha.blogspot.com*
 
❈❈❈❈

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/lWmSjXfvBug?si=BK3wwhtKYM08Y5zd

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/bFO--bd3UUU?si=bPsuYLRKavmlIBv4

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Video from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

यदि गुरु बना लिया, पर उसकी बात नहीं मानी तो पाप लगेगा । यदि तत्त्वज्ञ महापुरुष को गुरु बना लिया और उनकी बात नहीं मानोगे, खंडन करोगे तो नरकों में जाओगे ।

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३३*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

।।श्रीहरिः।।

*श्रोता--* संसार झूठा है और भगवान के सिवाय हमारा कोई नहीं है--यह बात हम मानते हैं, पर भीतर दृढ़ता नहीं आ रही है ! इसके लिये क्या करना चाहिये ?

*स्वामीजी--* आप कोई भी बात दृढ़ करना चाहे तो उसकी लगन होनी चाहिए। लगन के बिना काम नहीं चलता । दृढ़ता नहीं आने से आपको दुख कितना होता है ? दूसरी बातें आपको अच्छी लगती हैं तो दृढ़ता कैसे आए ? दूसरी बातें अच्छी न लगे एक ही बात अच्छी लगे तो दृढ़ता आ ही जाएगी ।

*लगन लगन सब ही कहें लगन कहावे सोय ।*
*नारायण जिस लगन में तन मन दीजे खोय।।*

एक ही लगन लग जाय तो दृढ़ता जरूर आ जाएगी, इसमें कोई संदेह नहीं है । वास्तव में सच्ची लगन नहीं है । दूसरी बातों की, रुपयों आदि की लगन है। रुपए लगन से नहीं आते पर भगवान लगन से आते हैं । आप उसके लिए लगन लगाते हो जो प्रारब्ध के अधीन है । जो लगन के अधीन है उसकी परवाह ही नहीं करते ! परमात्मा की प्राप्ति केवल लगन से होती है, उसमें प्रारब्ध की जरूरत नहीं है । परमात्मा की लगन लगेगी तो दूसरी चीजों में मोह नहीं रहेगा ।

-----परमश्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज

*अनन्त की ओर* पृष्ठ 143

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/K17JxpGhUP8?si=iXsIPt5wGJB-u4Gq

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

https://youtu.be/vQqTJ5gTpQY?si=egDvzpnjzVSNkz7m

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

नारायण नारायण नारायण नारायण🙏

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

Photo from Sadhak Das

Читать полностью…

स्वामी रामसुखदासजी Swami RamsukhdasJi

राम ! राम !! राम !!! राम !!!!

*भगवान् से प्रार्थना करो कि ' हे नाथ ! मैं आपको भूलूं नहीं' और नाम जप करते रहो, फिर सच्चा मार्ग अपने - आप मिल जाएगा-*
*जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू ।*
*सो तेहि मिलई न कछु संदेहू।।*

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री रामसुखदास जी महाराज जी द्वारा विरचित ग्रंथ गीता प्रकाशन गोरखपुर से प्रकाशित स्वाति की बूंदें पृष्ठ संख्या ३३*

*राम ! राम !! राम !!! राम !!!!*
👏👏

Читать полностью…
Subscribe to a channel