डिजिटल असमानता पर डेटा:
✅राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21): भारत में तीन में से एक महिला (33%) ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है, जबकि आधे से अधिक (57%) पुरुषों ने इसका इस्तेमाल किया है [ग्रामीण भारत - 49% बनाम 25%]।
✅ यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, आज दुनिया में लगभग 90% नौकरियों में डिजिटल घटक है। हालाँकि, ये नौकरियाँ केवल डिजिटल रूप से सक्षम लोगों के लिए और महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुषों के लिए उपलब्ध हैं।
✅ ओईसीडी की रिपोर्ट: इंटरनेट के उपयोग में लैंगिक अंतर बढ़ रहा है। सॉफ्टवेयर विकास एक पुरुष-प्रधान क्षेत्र बना हुआ है, जिसमें केवल 15% सॉफ्टवेयर डिजाइनर महिलाएं हैं।
✅ OXFAM द्वारा 'भारत असमानता रिपोर्ट 2022: डिजिटल डिवाइड': एशिया-प्रशांत में, भारत में 40% का सबसे बड़ा लिंग अंतर है। भारत में 60% से अधिक पुरुषों की तुलना में 32% से भी कम महिलाओं के पास मोबाइल फोन है।
🔆भारत में बुजुर्ग जनसंख्या:
✅जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में लगभग 104 मिलियन बुजुर्ग व्यक्ति हैं।
✅बुजुर्गों के बीच लिंगानुपात 1951 में 1028 तक था, बाद में गिरा और 2011 में फिर से 1033 तक पहुंच गया।
✅पूरे भारत में वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात 1961 में 10.9% से बढ़कर 2011 में 14.2% हो गया।
✅ग्रामीण क्षेत्रों में 66% बुजुर्ग पुरुष और 28% बुजुर्ग महिलाएं कामकाजी थीं, जबकि शहरी क्षेत्रों में केवल 46% बुजुर्ग पुरुष और लगभग 11% बुजुर्ग महिलाएं काम कर रही थीं।
✅बुजुर्गों में साक्षरों का प्रतिशत 1991 में 27% से बढ़कर 2011 में 44% हो गया।
ग्रीनपीस इंडिया (Greenpeace India) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 287 कोयला-आधारित तापीय बिजली संयंत्रों में से 139 वर्ष 2019 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित उत्सर्जन मानदंडों का उल्लंघन कर रहे थे
#GS3
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का बूचड़ उद्योग प्रति वर्ष लगभग 2.7 मिलियन टन ठोस अपशिष्ट और 3.6 बिलियन लीटर अपशिष्ट जल उत्पन्न करता है
#GS3
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🔆ड्राउनिंग (डूबने)
✅WHO के नवीनतम वैश्विक स्वास्थ्य अनुमान से संकेत मिलता है कि वर्ष 2019 में लगभग 2,36,000 लोगों की डूबने या ड्राउनिंग के कारण मृत्यु हो गई थी।
✅इनमें से 50% से अधिक मौतें 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों की हुई थीं तथा 5-14 वर्ष की आयु के बच्चों की डूबने से होने वाली मृत्यु विश्व भर में होने वाली मौतों का छठा प्रमुख कारण है।
✅ड्राउनिंग की सबसे अधिक दर 1-4 वर्ष की आयु के बच्चों की है। इसके बाद वैश्विक स्तर पर 5-9 वर्ष की आयु के बच्चे इसमें शामिल हैं।
✅ड्राउनिंग विश्व भर में अनजाने में चोट के कारण होने वाली मौतों का तीसरा प्रमुख कारण है जो चोट से संबंधित सभी मौतों का 7% है।
✅लड़कियों की तुलना में लड़कों में ड्राउनिंग का खतरा अधिक होता है।
शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में ड्राउनिंग की दर अधिक है।
✅सुरक्षित जल तक सीमित पहुँच के कारण ड्राउनिंग की आशंका बढ़ जाती है।
✅राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में वर्ष 2021 में डूबने से 36,362 मौतें हुईं, इनमें बच्चे विशेष रूप से सुभेद्य थे।
#GS1
#GS2
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✅कोयला दहन से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कणिका पदार्थ (Particulate Matter- PM) का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन, धूम्र-कोहरा (smog), अम्ल वर्षा और श्वसन रोग, हृदय संबंधी समस्याओं तथा यहाँ तक कि समय-पूर्व मृत्यु में योगदान करते हैं।
✅कोयला वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है। पेरिस समझौते के एक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबद्धता रखता है।
#GS1
#GS3
#prelims
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✅भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण ने पिछले 8 वर्षों में 17 प्रतिशत सीएजीआर के साथ लगातार वृद्धि की है। इस साल इसने उत्पादन में एक प्रमुख मानदंड को पार किया है। यहां 105 बिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 9 लाख करोड़ रुपये) का उत्पादन हुआ।
✅भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश बन गया है। इस वर्ष 11 बिलियन अमरीकी डालर (लगभग 90 हजार करोड़ रुपये) का मोबाइल फोन का निर्यात किया गया।
✅वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र भारत में आ रहा है, और भारत एक प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण देश के रूप में उभर रहा है।
✅मोबाइल फोन के उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की सफलता को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर के पीएलआई योजना 2.0 को स्वीकृति दे दी।
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) के स्वामियों में केवल 20.37% महिलाएँ हैं, मात्र 10% स्टार्ट-अप महिलाओं द्वारा स्थापित किये गए हैं और श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 23.3% है।
Читать полностью…✅अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union- IPU) द्वारा संकलित आँकड़ों के अनुसार, भारत में 17वीं लोकसभा में कुल सदस्यता में महिलाएँ मात्र 14.44% का प्रतिनिधित्व करती हैं।
✅भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की नवीनतम उपलब्ध रिपोर्ट के अनुसार, महिलाएँ संसद के सभी सदस्यों के मात्र 10.5% का प्रतिनिधित्व करती हैं (अक्टूबर 2021 तक की स्थिति के अनुसार)।
✅राज्य विधानसभाओं के मामले में महिला विधायकों (MLAs) का प्रतिनिधित्व औसतन 9% है।
इस संबंध में भारत की रैंकिंग में पिछले कुछ वर्षों में गिरावट आई है। यह वर्तमान में पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से भी पीछे है।
#women
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हरित और टिकाऊ विकास के लिए भारत की पहलें
भारत ने वर्ष 2020 से पहले के अपने स्वैच्छिक लक्ष्य को हासिल कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत कोई बाध्यकारी दायित्व नहीं होने के बावजूद, वर्ष 2009 में भारत ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2020 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 20-25% तक कम करने के अपने स्वैच्छिक लक्ष्य की घोषणा की।
भारत ने वर्ष 2005 और 2016 के बीच अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 24% की कमी की है।
पेरिस समझौते के अनुसार, भारत ने वर्ष 2015 में UNFCCC में अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत किया, जिसमें वर्ष 2021-2030 की अवधि के लिये आठ लक्ष्यों की रूपरेखा को शामिल किया गया है।
उपर्युक्त लक्ष्यों के अलावा, भारत सरकार जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना को भी लागू कर रही है जो शमन और अनुकूलन सहित सभी जलवायु कार्यों के लिये एक व्यापक नीतिगत ढाँचा प्रदान करती है।
इसमें सौर ऊर्जा के विशिष्ट क्षेत्रों में आठ मुख्य मिशन - ऊर्जा दक्षता में वृद्धि, स्थायी आवास, जल, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, हरित भारत, स्थायी कृषि और जलवायु परिवर्तन के लिये रणनीतिक ज्ञान शामिल हैं
33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने NAPCC के उद्देश्यों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्ययोजना (SAPCC) तैयार की है। भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुकूलन गतिविधियों को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (NAFCC) के माध्यम से समर्थन दिया जा रहा है।
NAFCC को प्रोजेक्ट मोड में लागू किया गया है और अब तक 27 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में NAFCC के तहत 30 अनुकूलन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
G20 शेरपा ट्रेक में पर्यावरण एवं जलवायु स्थिरता पर चर्चा
भारत की G20 अध्यक्षता में शेरपा ट्रैक के अंतर्गत जलवायु स्थिरता कार्य समूह (सीएसडब्ल्यूजी) में जलवायु संबंधी मुद्दों और पर्यावरण संतुलन संबंधी कई व्यापक चर्चाएं की जाएगी।
ईडीएम और सीएसडब्ल्यूजी पर्यावरण और जलवायु संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ संसाधन दक्षता, सर्कुलर इकॉनोमी, समुद्री स्थिति, समुद्री अपशिष्ट, प्रवाल भित्तियां, भू-क्षरण, जैव विविधता हानि, जल संसाधन प्रबंधन, तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने और अनुकूल बनाने के तरीके शामिल हैं।
इस बैठक में भारत पर्यावरण के अनुरूप जीवन शैली जैसे स्वच्छ भारत अभियान,आयुष मिशन, आयुर्वेद और योग जैसे अपने पर्यावरण अनुकूल जीवन का अनुभव दुनिया के साथ बाँट सकता है।
भारत की अध्यक्षता में दुनिया को संदेश
भारत की अध्यक्षता में G20 समूह से दुनियाभर को बेहद उम्मीदें हैं क्योंकि भारत हमेशा पर्यावरण संबंधी सुधारों को बेहद सजग हो कर अपना समर्थन देता रहा है।
हाल ही में मिस्र के शर्म अल शेख में सम्पन्न COP-27 में विकासशील देशों के लिए फंड की घोषणा के पीछे भारत का बेहद प्रभावशाली समर्थन इस बात का सबूत है कि भारत किस तरीके से ग्लोबल साउथ के देशों के जलवायु संबंधी मुद्दों को देखता है।
दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक समूहों में से एक G20 समूह के वर्तमान अध्यक्ष भारत के नेतृत्व में दुनिया के पास यह सामर्थ्य है कि वह वैश्विक ताप वृद्धि और पर्यावरण संकट को बेहतर तरीके से हल करने का समाधान निकाल सकता है।
इसका कारण यह है कि भारत विकसित देशों और विकासशील देशों के मध्य एक बेहद मजबूत और सशक्त कड़ी बन कर उभरा है और अपने LIFE मॉडल के साथ दुनिया को पर्यावरण अनुरूप जीवन शैली का मार्ग दिखा रहा है।
✅वर्ष 2021 तक स्पेसटेक एनालिटिक्स के अनुसार, भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्योग में छठा सबसे बड़ा देश है, जिसके पास दुनिया की अंतरिक्ष-तकनीक कंपनियों का 3.6% हिस्सा है। स्पेस-टेक इकोसिस्टम में सभी कंपनियों में यू.एस. का हिस्सा 56.4% है।
अन्य प्रमुख देशों में यूके (6.5%), कनाडा (5.3%), चीन (4.7%) और जर्मनी (4.1%) शामिल हैं।
✅भारतीय अंतरिक्ष उद्योग का मूल्य वर्ष 2019 में $7 बिलियन था और वर्ष 2024 तक $50 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है। देश की असाधारण विशेषता इसकी लागत-प्रभावशीलता (Cost-Effectiveness) है।
✅भारत को अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने वाला पहला देश होने का गौरव प्राप्त है। इसकी लागत पश्चिमी मानकों की तुलना में $75 मिलियन कम है।
#science_and_technology
#space
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शहरी बनाम ग्रामीण रोजगार प्रोफ़ाइल
✅ श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गए हैं : शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में, बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8% से गिरकर 2020-21 में 4.2% हो गई है।
✅संगठित विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में लगातार वृद्धि की प्रवृत्ति। रोजगार की हिस्सेदारी के मामले में, खाद्य उत्पाद उद्योग (11.1%) सबसे बड़ा नियोक्ता रहा, इसके बाद परिधान (7.6%) और बुनियादी धातु (7.3%) का स्थान रहा।
✅ राज्य-वार, तमिलनाडु में कारखानों में लगे लोगों की संख्या सबसे अधिक थी, इसके बाद गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान था।
✅ 60% से अधिक कारखानों में 50 से कम कर्मचारी कार्यरत पाए गए।
✅ पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा के तहत किए जाने वाले कार्यों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है।
✅ रोजगार संकेतकों में सुधार: पीएलएफएस 2020-21 (जुलाई-जून) में श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) और बेरोजगारी दर (यूआर) में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सुधार हुआ है। .
#GS3
#economy
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से जुड़े 9.58 करोड़ परिवारों में से 1.18 करोड़ परिवारों ने वर्ष 2022-23 में कोई रिफिल सिलेंडर नहीं खरीदा और 1.51 करोड़ परिवारों ने केवल ही बार सिलेंडर को रिफिल कराया।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 800 मिलियन से अधिक लोग रसोई के लिये ठोस ईंधन पर निर्भर हैं।
#GS3
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भारत ने 2022-23 में 11.1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का 22.3 मिलियन टन चावल निर्यात किया |
अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार, 2023-23 में दुनिया का कुल चावल निर्यात 55.6 मिलियन टन था, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक थी।
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NFHS-5 (2019-21) ने भारत में एनीमिया के खतरे के विषय में उल्लेखनीय वृद्धि का खुलासा किया, जिसमें 57% महिलाएँ (15-49 आयु वर्ग) और 67% बच्चे (6-59 महीने) एनीमिया से पीड़ित हैं।
Читать полностью…✅वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index), 2022 में भारत का स्थान सूची में सबसे नीचे स्थित देशों में है, भारत 121 देशों में 107वीं रैंक पर है जिसका निर्धारण बच्चों में नाटापन (स्टंटिंग), निर्बलता (वेस्टिंग) और बाल मौत दर जैसे कारकों द्वारा होता है।
✅राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) वर्ष 2019-21 के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में से 35.5 प्रतिशत बच्चे नाटेपन (स्टंटिंग), जबकि 19.3 प्रतिशत निर्बलता (वेस्टिंग) और 32.1 प्रतिशत बच्चे कम वज़न की समस्या से ग्रसित थे।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 159 सांसदों ने अपने उपर गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की थी, जिनमें बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं।
Читать полностью…सितंबर 2020 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी (न्यायालय का मित्र) ने अपनी दो रिपोर्टों में इस बात पर प्रकाश डाला कि विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिये न्यायालय द्वारा विशेष न्यायालयों का गठन करने के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद मौजूदा 2,556 संसद (सांसद) और विधान सभाओं के (विधायक) सदस्यों से जुड़े 4,442 आपराधिक मामले लंबित हैं।
इन मामलों की संख्या अब 5,000 का आँकड़ा पार कर चुकी है, जिनमें से 400 जघन्य अपराधों से संबंधित हैं।
#GS2
#mains
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नौकरशाही में:
✅केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न लोक सेवा नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी इतनी कम है कि महिला उम्मीदवारों के लिये निःशुल्क आवेदन की सुविधा प्रदान की गई है।
✅इसके बावजूद, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के आँकड़ों और वर्ष 2011 की केंद्र सरकार की रोज़गार जनगणना के अनुसार, इसके कुल कर्मियों में 11% से भी कम महिलाएँ थीं, जिनकी संख्या वर्ष 2020 में 13% तक दर्ज की गई।
इसके अलावा, वर्ष 2022 में IAS में सचिव स्तर पर केवल 14% महिलाएँ कार्यरत थीं।
✅सभी भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की साथ गणना करें तो भी केवल तीन महिलाएँ मुख्य सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
✅भारत में कभी कोई महिला कैबिनेट सचिव नहीं बनी। गृह, वित्त, रक्षा और कार्मिक मंत्रालय में भी कभी कोई महिला सचिव नहीं रही हैं।
#women
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PRS Summary Economic Survey 2022-23 ( Hindi)
#EconomicSurvey
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प्रशासनिक सुधार से कामकाजी महिलाओं को नौकरियों में मिला बेहतर वातावरण
किसी भी देश और समाज की पहचान इस बात से होती है कि वहां पर महिलायें कितनी स्वावलंबी है। महिला स्वावलंबी तब ही होंगी जब उन्हें शिक्षित किया जायगा और उन्हें रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलेंगे, अपने पुरुष साथियों के बराबर दायित्व और वेतन भी मिलेगा। कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (डीओपीटी ) में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पीएम मोदी की ओर से पेश किये गये प्रशासनिक सुधारों से कामकाजी महिलाओं के लिये कार्यस्थल पर बेहतर वातावरण बना है। केंद्र सरकार के अलावा निजी कंपनियां भी महिला पेशेवरों को नौकरी देने में प्राथमिकता दे रहीं है। इस लेख में हम सरकारी और निजी क्षेत्रों में महिलाओं के किए जा रहे प्रयासों पर एक नजर डालेंगे।
केंद्र सरकार के प्रयास
डीओपीटी ने केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने और उन्हें पेशेवर एवं पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन प्रदान करने के लिये ठोस प्रयास किये हैं। इस संदर्भ में केन्द्रीय मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) का उदाहरण दिया और कहा कि विकलांग महिला कर्मचारियों को बच्चों की देखभाल के लिए विशेष भत्ता 3000 रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। यौन उत्पीड़न की जांच से जुड़े विशेष अवकाश का भी प्रावधान किया गया है। पीड़ित महिला सरकारी कर्मचारी 90 दिनों की छुट्टी ले सकती हैं। जन्म के दौरान बच्चे की मौत होने के मामले में केन्द्रीय महिला कर्मचारी को 60 दिनों का विशेष मातृत्व अवकाश दिये जाने का फैसला लिया गया है।
कोरोना काल में दिया WFH
कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने पूरी कोविड अवधि के दौरान, महिला अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान जैसे रोस्टर / स्केलेटल स्टाफ के प्रावधान किए। वहीं गर्भवती कर्मचारियों के अनुसार उपस्थिति के प्रावधान को रोस्टर के लिए छूट दी गई थी और "घर से काम" करने की अनुमति दी गई थी।
निजी कंपनी भी आगे
भारत के आईटी सेक्टर में लगातार महिलाओं की संख्या भी बढ़ रही है। TCS, इंफोसिस, विप्रो और टेक महिंद्रा जैसी शीर्ष कंपनियों में 31 दिसंबर 2021 तक 10 कर्मियों में से कम से कम 3 महिलायें यानि कुल कार्यबल का 30 प्रतिशत थीं। भारत की प्रमुख आईटी कंपनी TCS और इन्फोसिस में भी महिला कर्मचारियों की संख्या का औसत 40 प्रतिशत के आस पास है। लार्सन एंड टूब्रो, ITC, सिप्ला, HDFC बैंक आदि कंपनियों ने घोषणा कर दी है कि इस वर्ष पेशेवर महिलाओं को नौकरी देते हुए कई तरह की सुविधा देंगे। उदाहरण के लिए यदि निजी कंपनी में किसी महिलाकर्मी का पति या परिवार का किसी भी अन्य शहर में ट्रांसफर हो जाता है तो उस महिलाकर्मी को भी वहां ट्रांसफर कर दिया जायगा। निजी कंपनियों में मातृत्व अवकाश की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। निजी कंपनियों ने दफ्तर में क्रेच सुविधा के साथ साथ वर्किंग मदर को वर्क फर्म होम देने का प्रावधान किया है।
भारत में सौर ऊर्जा की समग्र स्थिति:
संसद में पेश किये गए आँकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2022 तक अब तक 61GW सौर ऊर्जा स्थापित की जा चुकी है।
इसके अलावा भारत ने वर्ष 2022 के अंत तक 175 गीगावाट (GW) अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अक्षय ऊर्जा के लिये दुनिया की सबसे बड़ी योजना है।
भारत सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में एशिया में दूसरा और विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। यह पहली बार जर्मनी (59.2 GW) को पछाड़ते हुए कुल स्थापित क्षमता (60.4 GW) के क्षेत्र में चौथे स्थान पर है।
जून 2022 तक राजस्थान और गुजरात बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले शीर्ष राज्य थे, जिनकी स्थापित क्षमता क्रमशः 53% एवं 14% थी, इसके बाद महाराष्ट्र (9%) का स्थान है।
भारत के पास दुनिया के दुर्लभ खनिज़ भंडार का 6% है, यद्यपि यह वैश्विक उत्पादन का केवल 1% उत्पादन करता है, और चीन से ऐसे खनिजों की अपनी अधिकांश आवश्यकताओं को पूरा करता है।
उदाहरण के लिये, 2018-19 में, भारत ने दुर्लभ मृदा धातु आयात का 92% और मात्रा के आधार पर 97% चीन से प्राप्त किया गया था।
#geography
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