एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की। शादी के बाद दोनो की ज़िन्दगी बहुत प्यार से गुजर रही थी। वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसूरती की हमेशा तारीफ़ किया करता था। लेकिन कुछ महीनों के बाद लड़की चर्मरोग (skinDisease) से ग्रसित हो गई और धीरे-धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देख उसके मन में डर समाने लगा कि यदि वह बदसूरत हो गई, तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा और वह उसकी नफ़रत बर्दाशत नहीं कर पाएगी।
इस बीच एकदिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। काम ख़त्म कर जब वह घर वापस लौट रहा था, उसका accident हो गया। Accident में उसने अपनी दोनो आँखें खो दी। लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनो की जिंदगी सामान्य तरीके से आगे बढ़ती रही। समय गुजरता रहा और अपने चर्मरोग के कारण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गंवा दी। वह बदसूरत हो गई, लेकिन अंधे पति को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए इसका उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
वह उसे उसी तरह प्यार करता रहा। एकदिन उस लड़की की मौत हो गई। पति अब अकेला हो गया था। वह बहुत दु:खी था. वह उस शहर को छोड़कर जाना चाहता था।
उसने अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़कर जाने लगा. तभी एक आदमी ने पीछे से उसे पुकारा और पास आकर कहा, “अब तुम बिना सहारे के अकेले कैसे चल पाओगे? इतने साल तो तुम्हारी पत्नितुम्हारी मदद किया करती थी.” पति ने जवाब दिया, “दोस्त! मैं अंधा नहीं हूँ। मैं बस अंधा होने का नाटक कर रहा था। क्योंकि यदि मेरी पत्नि को पता चल जाता कि मैं उसकी बदसूरती देख सकता हूँ, तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता।
इसलिए मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया. वह बहुत अच्छी पत्नि थी. मैं बस उसे खुश रखना चाहता था.” .. ...
सीख-- खुश रहने के लिए हमें भी एक दूसरे की कमियो के प्रति आखे बंद कर लेनी चाहिए.. और उन कमियो को नजरन्दाज कर देना चाहिए...
अब तक आप ने सुना है कि घर किराये पर मिलते है,दुकान किराये पर मिलते है। कार,बस किराये पर मिलते है। क्या कभी आपने सुना है,पत्नियां भी किराये पर मिलती है ?... पर यह बिल्कुल सही है!
मध्य प्रदेश अजब है,सच में गजब है,अपने सांस्कृतिक रंगों के लिए मशहूर मध्य प्रदेश में एक जगह ऐसी भी जहां पत्नियां भी किराए पर मिलती हैं। सुनने में शायद आपको थोड़ा अजीब लगे और हो सकता है आप यकीन भी न करें, लेकिन ये सच है।
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में 'धड़ीचा' नाम की प्रथा है, जिसके तहत आज भी कुंवारी लड़कियों से लेकर शादीशुदा पत्नियां तक किराए पर मिलती हैं। इसके लिए बाक़ायदा 10/- रुपए से लेकर 100/- रुपए तक के स्टांप पेपर पर करार भी होता है। यहां आने वाले पुरुष अपनी पसंदीदा महिला को एक रकम अदा कर तय समय के लिए किराए पर ले जाते हैं।
धड़ीचा के लिए हर साल एक तय समय पर औरतों मंडी लगती है। इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से खरीदार और पुरुष आते हैं। यहां कुंवारी लड़कियों के अलावा शादीशुदा महिलाओं को भी लाया जाता है। सबके चाल-चलन देखकर उनकी रकम तय होती है और खरीदार एक निश्चित समयसीमा के लिए लड़कियों या महिलाओं को अपनी पत्नी बनाकर ले जाते हैं।
इस बीच बच्चा/ वारिस हुआ तो उसे पुरुष उसे अपने पास रख लेता है,नही हुआ तो औरत को लौटा देता है या आपसी सहमती से एग्रीमेंट को रीन्यू करवाया जाता है।
इस मंडी में पत्नियों की कीमत 15 हजार रुपए से शुरू होती है। मजे की बात देखिए कि आज एक ढंग का स्मार्टफोन भी 15 हजार में नही आता लेकिन इतने ही रुपए में एक जीती जागती औरत को किराये पर उठा सकते है और वह भी पूरे एक साल के लिए!
ये कीमत सिर्फ यहां तक सीमित नहीं है। 15 हजार रुपए से शुरू होने वाली कीमत कई बार 4 लाख रुपए तक पहुंच जाती है। बाहरी पुरुष एक साल या उससे कम समय के लिए रकम अदा कर पत्नी को किराए पर ले जाता है।
इस जिले की एक महिला अपने जीवन काल में एक अनुमान के मुताबिक औसतन 6 बार किराये पर उठाई जाती है और एक कुआरी कन्या शादी न होने पर 2 बार किराये पर ले जाई जाती है।
पुलिस और प्रशासन को इसकी मौखिक जानकारी है लेकिन कोई लिखित शिकायत न आने की वजह से पुलिस और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। यह अलग बात है कि भारत का संविधान स्वतः संज्ञान लेने का भी हक देता है।
महिलाओं की अस्मिता और अस्तित्व से खिलवाड करती इस प्रथा को स्थानीय सामाजिक मान्यता प्राप्त है। कितनी अजीब बात है,लोग जानवरों के अधिकार के लिए आवाज उठाते है।
मगर इन महिलाओ के लिए आज तक किसी संस्था ने आवाज ही नही उठाई है,शायद ये जानवरों से भी बदतर है ? ना ही किसी ने इस प्रथा का कभी विरोध किया है।
😊जय हिंद 🇮🇳
प्यार..... करना, जताना और निभाना... तीनो अलग अलग बाते है.. प्यार तो सभी करते ही है किसी ना किसी से.. बस जता और निभा नहीं पाते.. जो जता देते है वो निभा नहीं पाते और जो निभाने का सोचते है वो जता नहीं पाते ।।। अक्सर कहानियो का अंत ऐसा ही होता है.. कहानी इसलिए कहा है क्यूंकि उन्होंने प्रेंम को जताया या निभाया नहीं । । प्यार तो बस हो जाता है.. भीड़ भरी सड़क पे उसका हाथ थाम लेना.. बारिश आ जाए तो उसको एहतियात करना की सुनो तुम बच के रहना बारिश से किसी टपरी पर ग़र मिल जाए कभी तो फूंक मार मार कर उसको चाय ठंडी कर पिलाना.. उसके late हो जाने पर घंटो हाथ में मोबाइल रखना चाहे फिर खुद ही क्यूँ late हो rhe हो किसी ज़रूरी से ।। पर निभाना नहीं.. निभाने वाला प्यार तो आजकल बहुत कम दिखता है.. अक्सर इसी वजह से कहानिया अधूरी सी रह जाती है.. और इन्ही सब की वजह से बड़े शायर ने कहा है की "खुशनसीब होते है वो लोग जिनका इश्क़ मुकम्मल होता है'" भाई हम तो कहते है की खुशनसीब होते है वो लोग जिन्हें इश्क़ होता है.. फिर चाहे इश्क़ ज़िन्दगी भर साथ रहे या ना रहे.. ज़िंदा रहने की वजह तो बन ही जाता है.. बस इश्क़ होना चाहिए.. फिर चाहे आप किसी के साथ भी रहे.. किसी के साथ ना होने की कसक होनी चाहिए.. जो वक़्त साथ गुज़ारा है अपने इश्क़ के.. उसी वक़्त के साथ ज़िन्दगी रहनी चाहिए ।। जब हीर रांझा.. रोमियो जूलियट.. सोहनी महिवाल प्यार करके ना मिल सके तो आप कहा से आए है.. बस आशिक़ो की परंपरा को बढ़ाते रहिए.. सबको उनका इश्क़ मिल जाए तो फिर इश्क़ को कोई पूछेगा भी नहीं.. इसलिए बस इश्क़ करिए.. चाहे ज़िन्दगी भर साथ रहे ना रहे बस करिए...!!!!!
✍️,,,,,
दाग हमारे कपड़ो पर लगा 💔
और सोच तुम्हारी गन्दी हो गयी
ज़रा सी ब्रा स्ट्रिप क्या दिखी
तुम्हारी तो नसें ही तन गयीं
सीने की गोलाइयों पर जा कर
तुम्हारी नज़रें टिकने लगी
डीप गला क्या पहन लिया
पीठ पर तुम्हरी आँखों से उँगलियाँ फिरने लगीं
ज़रा सा दुपट्टा क्या सरक जाए
बदन तराशने लगते हो
तुम्हारी घूरती आँखें
हमारे कपड़े उतार लेती हैं
तुम्हारी सीटियाँ और फ़ब्ब्तियाँ
हमे अन्दर ही अन्दर मार देती हैं
आँकड़ें सम्भाले जाते हैं
नोची हुई देह और गूँजी चीत्कारों का
कौन रखेगा हिसाब
आँखों से होते बलात्कारों का
कब समझोगे तुम कि
वो शराब की बोतल नहीं
योनि और स्तन से परे भी है
स्त्री का अस्तित्व ❤️
सुप्रभात मित्रो ❤️
राही
🔸पति की आवश्यकता क्यों ?🔸
एक महिला एक मनोचिकित्सक के पास गई और उससे बोली कि
"मैं शादी नहीं करना चाहती.. मैं शिक्षित, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हूं.. मुझे पति की जरूरत नहीं है.. फिर भी मेरे माता-पिता मुझसे शादी करने के लिए कह रहे हैं... आप सुझाव दीजिए कि मैं क्या करूं?"
मनोचिकित्सक ने उत्तर दिया:-
"आप निस्संदेह अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करोगी.. लेकिन किसी दिन अनिवार्य रूप से जिस तरह से आप चाहती हैं वैसे नहीं हो पाया या कुछ कुछ गलत हो जाएगा अथवा कभी-कभी आप असफल हो जाएंगी या फ़िर कभी-कभी आपकी योजनाएं फेल हो जायेंगी या आपकी इच्छाएं पूरी नहीं होंगी.. उस समय आप किसे दोष देंगी ?.. क्या आप खुद को दोषी मानेंगी ?”
महिला:- "नहीं.. हरगिज़ नहीं...!!!"
मनोचिकित्सक:- "बस इसीलिए भी आपको एक पति की आवश्यकता है. ताकि जब भी आपका मूड खराब हो... तब आप सारा दोष अपने पति को देकर अपना मन हल्का कर सकें......।"पति से पुरा परिवार बनता है मातृत्व सुख और ममत्व जागता है बच्चे और भावी नई पीढी का सर्जन होता है
ऐक संसारिक प्रक्रिया पुरी होती है 🙏🏻🙏🏻
एक समय बाद रूप, यौवन, सुन्दरता, लावण्य सब ढल जायेगा उस समय तुम्हारा पति और परिवार ही काम आयेगा
संसार मे भुखे भेडियो से तुम्हारी रक्षा करेगा और दुनियाभर की सुख सुविधा तुम्हारे चरणौ मे अर्पित करेगा मां पिता के बाद पति,बेटा,बेटी ही एक ऐसा रिश्ता है जिस पर सम्पूर्ण विश्वास किया जा सकता है
मेरी बेटी बड़ी हो गई,
साथ मेरे खड़ी हो गई।
डांट देती मुझे ऐसे,
मेरी वो सहेली हो गई।
बीपी शुगर क्यों बड़ाई आपने,
क्यों मीठा खाया आपने ।
पहन लेती हो कुछ तो भी कपड़े बेतुके ,
मैं दिलाऊ तुम्हें कुछ ढंक के।
हो जाती हैं नाराज मुझसे,
मैं फिर करती हूं बात उससे।
कुर्ती पहन रखी इतनी बड़ी,
जी लो खुद के लिए दो घड़ी।
सफेद बाल क्यों रख रखे?
मेंहदी लगाने से क्यों डर रहे ।
सहज योग, मेडिटेशन क्यों नही करते,
अपने आप को पॉजिटिव क्यो नही रखते।
मॉर्निंग वाक पर जाओ,
अपना मन ध्यान योग पर लगाओ।
नेगेटिव विचार मन से हटा दो,
अपना मन भक्ति में लगा दो।
मेरी हर कमी पुरी हो गई,
मेरी बेटी बड़ी हो गई।
दुनियां से लड़ेगी मेरे लिए,
मेरे कंधे से ऊंची हों गई,
मैरी बिटिया मुझसे समझदार हो गई।।
मेरी मां....
सच बताऊं तो समझ नहीं आता
कि लिखना कहां से शुरू करूं,
अरे ऐसा नहीं है कि लिखना नहीं आता,
बात बस इतनी है कि मां के बारे में लिखते -
लिखते तो शायद शब्द ही कम पड़ जाएं..
तो सोच रहा हूं कि कम शब्दों में अपनी बात
कैसे पूरी की जाए😄😄🤗.
मां.. दुनिया की सबसे खूबसूरत रचना,
जिसके बिना इस संसार की कोई कल्पना की
ही नहीं जा सकती ..
और वो भी मेरी माँ जैसी तो कहने ही क्या,
बहुत ही प्यारी,सच्ची हां कभी कभी इत्तू सा गुस्सा
भी कर देती हैं,मगर उनके उस गुस्से में भी हमारे लिए अपार प्रेम ही होता है,वो चिल्लाती नहीं गुस्से में खामोश हो जाती हैं
मेरी तरह🙈 वैसे मेरा उनसे कोई मुकाबला नहीं ,
क्यूंकि मै तो उनके पैरों की धूल जैसी भी नहीं हूं,
वो कभी अपने बारे में नहीं सोचती,उनके ज़हन में हर
वक़्त हम भाई बहनों का ख़्याल रहता है,तबियत ठीक नहीं रहती मगर फिर भी आज भी अगर हम कहें कि माँ आज कुछ अलग खाना है तो लग जाएगी रसोई में ,
दर्द भी होगा तो कहेंगी नहीं बस बनाकर खिला देंगी।
वो दुनिया के रीति रिवाजों की ,समाज के बंधनों की
परवाह नहीं करती ,वो कहती हैं,जिंदगी में आगे पढ़ो
खूब पढ़ो क्यूंकि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती ,
और समाज क्या सोच रहा है इसकी परवाह बिल्कुल
मत करो क्यूंकि समाज किसी के लिए कुछ नहीं करता,
और अगर समाज सभ्य है तो तुम्हे समझेगा और साथ भी देगा,
खैर छोड़ो मुझे तो बस अपनी माँ से मतलब है कि
वो क्या कहती हैं मेरे लिए तो बस उनके शब्द मायने रखते है,
दुनिया क्या का रही है I don't care..!
और इस लाइफ में मेरी पहली और आखिरी wish
बस यही है कि मेरी उम्र बस तब तक हो जब तक मेरी
मां इस दुनिया में रहे और वो मुझे हर जनम में मिले
मेरी मां बनकर मेरी तो ये दुआ रहेगी की हर किसी को
ऐसी मां मिले...
I love her sooo much ❤️
मुझे जिंदगी देने वाली ए खूबसूरत हस्ती,
तुझे मेरी भी उम्र लग जाए,बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी..🙏🏻
#Happy #mothers #day 🌹🌹
,, बडी उम्र की कुँवारी लड़कियाँ घर बैठी हैं 👏🏻
अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो सकती हैं।
समाज आज बच्चों के विवाह को लेकर इतना सजग हो गया है कि आपस में रिश्ते ही नहीं हो पा रहे हैं।
समाज में आज 27-28-32 उम्र तक की बहुत सी कुँवारी लडकियाँ घर बैठी हैं क्योंकि इनके सपने हैसियत से भी बहुत ज्यादा हैं ! इस प्रकार के कई उदाहरण हैं।
ऐसे लोगों के कारण समाज की छवि बहुत खराब हो रही है।
सबसे बडा मानव सुख, सुखी वैवाहिक जीवन होता है।
पैसा भी आवश्यक है, लेकिन कुछ हद तक।
पैसे की वजह से अच्छे रिश्ते ठुकराना गलत है। पहली प्राथमिकता सुखी संसार व अच्छा घर-परिवार होना चाहिये।
ज्यादा धन के चक्कर में अच्छे रिश्तों को नजर-अंदाज करना गलत है। "संपति खरीदी जा सकती है लेकिन गुण नहीं।"
मेरा मानना है कि घर-परिवार और लडका अच्छा देखें लेकिन ज्यादा के चक्कर में अच्छे रिश्ते हाथ से नहीं जाने दें।
सुखी वैवाहिक जीवन जियें।
30 की उम्र के बाद विवाह नहीं होता समझौता होता है और मेडिकल स्थिति से भी देखा जाए तो उसमें बहुत सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
आज उससे भी बुरी स्थिति कुंडली मिलान के कारण हो गई है।
आप सोचिए जिनके साथ कुंडली मिलती है लेकिन घर और लड़का अच्छा नहीं और जहाँ लड़के में सभी गुण हैं वहां कुण्डली नहीं मिलती और हम सब कुछ अच्छा होने के कारण भी कुण्डली की वजह से रिश्ता छोड़ देते हैं
आप सोच के देखें जिन लोगो के 36 में से 20 या फिर 36/36 गुण भी मिल गए फिर भी उनके जीवन में तकलीफें हो रही हैं, क्योंकि हमने लडके के गुण नहीं देखे |
पढे लिखे आधुनिक समाज को एक सदी और पीछे धकेल दिया !
आजकल समाज में लोग बेटी के रिश्ते के लिए (लड़के में) चौबीस टंच का सोना खरीदने जाते हैं, देखते-देखते चार पांच साल व्यतीत हो जाते हैं |
उच्च "शिक्षा" या "जॉब" के नाम पर भी समय व्यतीत कर देते हैं। लड़के देखने का अंदाज भी समय व्यतीत का अनोखा उदाहरण हो गया है?
खुद का मकान है कि नहीं? अगर है तो फर्नीचर कैसा है? घर में कमरे कितने हैं ? गाडी है कि नहीं? है तो कौनसी है? रहन-सहन, खान-पान कैसा है? कितने भाई-बहन हैं? बंटवारे में माँ-बाप किनके गले पड़े हैं? बहन कितनी हैं, उनकी शादी हुई है कि नहीं? माँ-बाप का स्वभाव कैसा है? घर वाले, नाते-रिश्तेदार आधुनिक ख्यालात के हैं कि नहीं?
बच्चे का कद क्या है?रंग-रूप कैसा है?शिक्षा, कमाई, बैंक बैलेंस कितना है? लड़का-लड़की सोशल मीडिया पर एक्टिव है कि नहीं? उसके कितने दोस्त हैं? सब बातों पर पूछताछ पूरी होने के बाद भी कुछ प्रश्न पूछने में और सोशल मीडिया पर वार्तालाप करने में और समय व्यतीत हो जाता है। हालात को क्या कहें माँ-बाप की नींद ही खुलती है 30 की उम्र पर। फिर चार-पाँच साल की यह दौड़-धूप बच्चों की जवानी को बर्बाद करने के लिए काफी है। इस वजह से अच्छे रिश्ते हाथ से निकल जाते हैं और माँ-बाप अपने ही बच्चों के सपनों को चूर चूर-चूर कर देते हैं।
एक समय था जब खानदान देख कर रिश्ते होते थे। वो लम्बे भी निभते थे | समधी-समधन में मान मनुहार थी। सुख-दु:ख में साथ था। रिश्ते-नाते की अहमियत का अहसास था।
चाहे धन-माया कम थी मगर खुशियाँ घर-आँगन में झलकती थी। कभी कोई ऊँची-नीची बात हो जाती थी तो आपस में बड़े-बुजुर्ग संभाल लेते थे। तलाक शब्द रिश्तों में था ही नहीं | दाम्पत्य जीवन खट्टे-मीठे अनुभव में बीत जाया करता था। दोनों एक-दूसरे के बुढ़ापे की लाठी बनते थे और पोते-पोतियों में संस्कारों के बीज भरते थे। अब कहां हैं वो संस्कार? आँख की शर्म तो इतिहास हो गई। नौबत आ जाती है रिश्तों में समझौता करने की।
लड़का-लड़की अपने समाज के नही होंगे तो भी चलेगा, ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं।
आज समाज की लडकियाँ और लड़के खुले आम दूसरी जाति की तरफ जा रहे हैं और दोष दे रहे हैं कि समाज में अच्छे लड़के या लड़कियाँ मेरे लायक नहीं हैं। कारण लडकियाँ आधुनिकता की पराकाष्ठा पार कर गई है। जब ये लड़के-लड़कियाँ मन से मैरिज करते हैं तब ये कुंडली मिलान का क्या होता है ? तब तो कुंडली की कोई बात नहीं होती | यही माँ बाप सब कुछ मान लेते हैं। तब कोई कुण्डली, स्टेटस, पैसा, इनकम बीच में कुछ भी नहीं आता।
अगर अभी भी माँ-बाप नहीं जागेंगे तो स्थितियाँ और विस्फोटक हो जाएंगी। समाज के लोगों को समझना होगा कि लड़कियों की शादी 22-23-24 में हो जाये और लड़का 25-26 का हो। सब में सब गुण नहीं मिलते।"
घर, गाड़ी, बंगला से पहले व्यवहार तोलो। माँ बाप भी आर्थिक चकाचोंध में बह रहे है । पैसे की भागम-भाग में मीलों पीछे छूट गए हैं, रिश्ते-नातेदार।
टूट रहे हैं घर परिवार | सूख रहा है प्रेम और प्यार।
परिवारों का इस पीढ़ी ने ऐसा तमाशा किया है कि आने वाली पीढ़ियां सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी "संस्कार"।
समाज को अब जागना जरूरी है अन्यथा रिश्ते ढूंढते रह जाएंगे।" शादी विवाह तलाक
_दुल्हन ने विदाई के वक़्त शादी को किया नामँजूर_
【कहानी सोचने पर विवश करेगी】
शादी के बाद विदाई का समय था,
नेहा अपनी माँ से मिलने के बाद
अपने पिता से लिपट कर रो रही थी।
वहाँ मौजूद सब लोगों की आँखें नम थीं।
नेहा ने घूँघट निकाला हुआ था,
वह अपनी छोटी बहन के साथ सजायी गयी
पालकी के नज़दीक आ गयी थी।
दूल्हा अविनाश अपने खास मित्र विकास के साथ
बातें कर रहा था।
विकास -
'यार अविनाश...
सबसे पहले घर पहुँचते ही होटल अमृतबाग चल कर
बढ़िया खाना खायेंगे...
यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।'
तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -
'हाँ यार.. पनीर कुछ ठीक नहीं था...
और रस मलाई में रस ही नहीं था।'
और वह ही ही ही कर जोर जोर से हँसने लगा।
अविनाश भी पीछे नही रहा -
'अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे,
जो खाना है खा लेना...
मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..
रोटियाँ भी गर्म नहीं थीं...।'
अपने पति के मुँह से यह शब्द सुनते ही
नेहा जो घूँघट में पालकी में बैठने ही जा रही थी,
वापस मुड़ी,
पालकी के पर्दे को जोर से गिरा दिया...
घूँघट हटा कर अपने पापा के पास पहुँची...।
अपने पापा का हाथ अपने हाथ में लिया..
'मैं ससुराल नहीं जा रही पिता जी...
मुझे यह शादी मन्ज़ूर नहीं।'
यह शब्द उसने इतनी जोर से कहे कि
सब लोग हक्के-बक्के रह गये...
सब नज़दीक आ गये।
नेहा के ससुराल वालों पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा...
मामला क्या था
यह किसी की समझ में नहीं आ रहा था।
तभी नेहा के ससुर राधे श्याम जी ने
आगे बढ़ कर नेहा से पूछा --
'लेकिन बात क्या है बहू ????????
शादी हो गयी है...
विदाई का समय है अचानक क्या हुआ कि
तुम शादी को नामन्ज़ूर कर रही हो ???????...?
अविनाश की तो मानो दुनिया लुटने जा रही थी...
वह भी नेहा के पास आ गया, अविनाश के दोस्त भी।
सब लोग जानना चाहते थे कि
आखिर ऐन वक़्त पर क्या हुआ कि
दुल्हन ससुराल जाने से मना कर रही है।
नेहा ने अपने पिता दया शङ्कर जी का
हाथ पकड़ रखा था...
नेहा ने अपने ससुर से कहा -
'बाबू जी मेरे माता पिता ने अपने सपनों को मार कर
हम बहनों को पढ़ाया-लिखाया व क़ाबिल बनाया है।
आप जानते है एक बाप के लिए बेटी
क्या मायने रखती है ??????......
आप व आपका बेटा नहीं जान सकते
क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है।'
नेहा रोती हुई बोले जा रही थी-
'आप जानते हैं मेरी शादी के लिए व शादी में
बारातियों की आवाभगत में कोई कमी न रह जाये
इसलिए मेरे पिताजी पिछले एक साल से
रात को 2-3 बजे तक जाग-जाग कर
मेरी माँ के साथ योजना बनाते थे...
खाने में क्या बनेगा...
रसोइया कौन होगा...
पिछले एक साल में मेरी माँ ने नई साड़ी नहीं खरीदी
क्योंकि मेरी शादी में कमी न रह जाये...
दुनिया को दिखाने के लिए
अपनी बहन की साड़ी पहन कर मेरी माँ खड़ी है...
मेरे पिता की इस डेढ़ सौ रुपये की नयी शर्ट के पीछे
बनियान में सौ छिद्र हैं....
मेरे माता-पिता ने कितने सपनों को मारा होगा...
न अच्छा खाया न अच्छा पीया...
बस एक ही ख्वाहिश थी कि
मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये...
आपके पुत्र को रोटी ठण्डी लगी !!!
उनके दोस्तों को पनीर में गड़बड़ लगी व
मेरे देवर को रस मलाई में रस नहीं मिला...
इनका खिलखिला कर हँसना
मेरे पिता के अभिमान को ठेस पहुँचाने के समान है...।
नेहा हाँफ रही थी...।'
नेहा के पिता ने रोते हुए कहा -
'लेकिन बेटी इतनी छोटी सी बात..।'
नेहा ने उनकी बात बीच मे काटी -
'यह छोटी सी बात नहीं है पिता जी...
मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं...
रोटी क्या आपने बनायी थी !
रस मलाई... पनीर यह सब कैटरर्स का काम है...
आपने दिल खोल कर व
हैसियत से बढ़ कर खर्च किया है,
कुछ कमी रही तो वह कैटरर्स की तरफ से...
आप तो अपने दिल का टुकड़ा
अपनी गुड़िया रानी को विदा कर रहे हैं ???
आप कितनी रात रोयेंगे क्या मुझे पता नहीं...
माँ कभी मेरे बिना घर से बाहर नहीं निकली...
कल से वह बाज़ार अकेली जायेगी...
जा पायेगी ?
जो लोग पत्नी या बहू लेने आये हैं
वह खाने में कमियाँ निकाल रहे हैं...
मुझमे कोई कमी आपने नहीं रखी,
यह बात इनकी समझ में नही आयी ??'
दया शङ्कर जी ने नेहा के सर पर हाथ फिराया -
'अरे पगली... बात का बतँगड़ बना रही है...
मुझे तुझ पर गर्व है कि
तू मेरी बेटी है लेकिन बेटा इन्हें माफ कर दे....
तुझे मेरी कसम, शान्त हो जा।'
तभी अविनाश ने आ कर
दया शङ्कर जी के हाथ पकड़ लिए -
'मुझे माफ़ कर दीजिये बाबू जी...
मुझसे गलती हो गयी... मैं... मैं।'
उसका गला बैठ गया था.. रो पड़ा था वह।
तभी राधे श्याम जी ने आगे बढ़ कर
नेहा के सर पर हाथ रखा -
'मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर बहुत कृपालु है
उसने मुझे बेटी दे दी...
व बेटी की अहमियत भी समझा दी...
मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी शायद इसलिए कि
तेरे जैसी बेटी मेरी नसीब में थी...
अब बेटी इन नालायकों को माफ कर दे...
मैं हाथ जोड़ता हूँ तेरे सामने...
मेरी बेटी नेहा मुझे लौटा दे।'
जीवन की सच्चाई
एक आदमी की चार पत्नियाँ थी ।
वह अपनी चौथी पत्नी से बहुत प्यार करता था और
उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे श्रेष्ठ देता ।
वह अपनी तीसरी पत्नी से भी प्यार करता था और
हमेशा उसे अपने मित्रों को दिखाना चाहता था ।
हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी
दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है ।
वह अपनी दूसरी पत्नी से भी प्यार करता था । जब
भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर
की पत्नी के पास जाता और वो उसकी समस्या
सुलझा देती ।
वह अपनी पहली पत्नी से प्यार नहीं करता था
जबकि पत्नी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी
और उसकी खूब देखभाल करती ।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था
की जल्दी ही वह मर जाएगा । उसने अपने आप से
कहा, "मेरी चार पत्नियां हैं, उनमें से मैं एक को अपने
साथ ले जाता हूँ..जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ
दे ।"
तब उसने चौथी पत्नी से अपने साथ आने को कहा
तो वह बोली, "नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और
चली गयी ।
उसने तीसरी पत्नी से पूछा तो वह बोली की,
"ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ जब तुम मरोगे
तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी ।"
उसने दूसरी पत्नी से कहा तो वह बोली, "माफ़ कर
दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती ।
ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ
रह सकती हूँ ।"
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़
गया । तब एक आवाज़ आई, "मैं तुम्हारे साथ चलने
को तैयार हूँ । तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी ।"
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली
पत्नी थी । वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने
पीने के अभाव में ।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला,
"मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए
थी और मैं कर सकता था ।"
दरअसल हम सब की चार पत्नियां हैं जीवन में ।
1. चौथी पत्नी हमारा शरीर है ।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम
मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा ।
2. तीसरी पत्नी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा ।
जब हम मरेंगे तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी पत्नी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार । चाहें वे
कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे जीवन काल में
पर मरने के बाद हद से हद वे हमारे अंतिम संस्कार
तक साथ रहते हैं ।
4. पहली पत्नी हमारी आत्मा है, जो सांसारिक
मोह माया में हमेशा उपेक्षित रहती है ।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी
हम जाएँ.......कुछ देना है तो इसे दो.... देखभाल
करनी है तो इसकी करो.... प्यार करना है तो इससे
करो...
मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नही लेते... ➖➖➖➖➖➖➖➖➖.
राही
ब्यूटी पार्लर वाली महिला की एक सहयोगी ने एक धागे की मदद से उसकी आइब्रो बना दी उसकी आंखें खूबसूरत लगने लगी बालों पर प्रेस करके बालों की चमक और बढ़ गई, चेहरे पर ब्लीच फेशियल और ना जाने क्या-क्या क्रीम लगाने के बाद उस महिला की खूबसूरती में चार चांद लग गए बिरजू इस कलाकारी को देखकर दंग रह गया चंद मिनटों में वो महिला अपने ऊपर किए मेकअप का बिल अदा करते हुए वहां से निकल गई तकरीबन ऐसे ही एक दो और महिलाएं वहां आई और और विभिन्न तरीकों से सुंदर दिखाई देते हुए वहां से जाती रही बिरजू अब समझ चुका था दुनिया की सभी दिखने वाली सुंदर लड़कियां और महिलाएं सिर्फ एक दिखावा है
सब ईश्वर की संतान है हमें काले गोरे का भेद नहीं रखना चाहिए जिसका मन सुंदर है वहां जिस्म का कोई मोल नहीं रहता देश को और समाज को एक अच्छे गुणों वाली पत्नियों की तलाश है जो अपने पति का घर स्वर्ग बना दे असल में वहीं सच्ची सुंदरता है
मां ने मुझे कल जिस लड़की का फोटो दिखाया था वह लड़की ब्यूटी पार्लर जाकर खुद को सज संवर कर भी फोटो खिंचवा सकती थी पर उसने ऐसा नहीं किया वह जैसी है खुद को वैसे ही रखना चाहती है यही उसकी खूबसूरती का खजाना है बिरजू ने तुरंत अपनी जेब से मोबाइल निकाला और अपनी मां को फोन पर कहा मां मुझे वो लड़की पसंद है सचमुच वो सुंदर है बहुत सुंदर
आप रिश्ते के लिए हां कर दीजिए कहकर मुस्कुराते हुए मोबाइल कट कर जेब में रख लिया और ब्यूटी पार्लर वाली महिला को दोनों हाथ जोड़कर धन्यवाद करते हुए अपने शोरूम की और बढ़ गया...
एक सुंदर रचना...
#जोश ...🙏🙏🙏
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*24 APRIL 2024*
🦋 *आज की प्रेरणा* 🦋
ज़िंदगी कभी आसान नहीं होती, इसे आसान बनाना पड़ता है, कुछ नज़रअंदाज़ करके और कुछ स्वीकार करके।
*👉 आज से हम* उन बातों को स्वीकार करें जिन्हें हम बदल नहीं सकते...
💧 *TODAY'S INSPIRATION*💧
Life is never easy; we have to make it easy… sometimes by ignoring something and sometimes by accepting something!
*👉 TODAY ONWARDS LET’S*
accept the things that we cannot change.
🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃
मैं भारत का गिड़गिड़ाता युवा हूंЧитать полностью…
कभी वैकेंसी के लिए
कभी आयु में छूट के लिए
कभी एग्जाम की डेट के लिए
कभी पेपर लीक के लिए
मैं भारत का गिड़गिड़ाता युवा हूं
मन के बहकावे में न आ,
मन राह भुलाए, भ्र्म मे डाले,
तू इस मन का दास न बन,
इस मन को अपना दास बना ले.
वौइस् चैट ऑफ़ ❌
focus only on studies📝
Voice chat will be 🔛 after the exam ✅
एक बार यह पूर्ण वीडियो देखकर, स्वयं आप निर्णय अवश्य करें
Читать полностью…29 मई से 2 जून तक सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक कोई भी व्यक्ति बाहर (खुले आसमान के नीचे) नही निकलेगा क्योंकि मौसम विभाग ने यह बताया है कि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस तक जायेगा,जिससे अगर किसी भी व्यक्ति को घुटन महसूस हो या अचानक तबियत खराब हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं रूम के अंदर दरवाजा खोल कर रखे ताकि विंटीलेशन बना रहे,मोबाइल का प्रयोग कम करे, मोबाइल फटने की संभावना जताई जा रही है,कृपया सावधान रहें और लोगो को सूचित करें,दही , मट्ठा, बेल का जूस आदि ठंडे पेय पदार्थ का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें।
Читать полностью…ससुराल में साली का
बाग़ में माली का
होंठो में लाली का
पुलिस में गाली का
मकान में नाली का
कान में बाली का
पूजा में थाली का
खुशी में ताली का ------ बड़ा महत्व है।
फलों में आम का
भगवान में राम का
मयखाने में जाम का
फैक्ट्री में काम का
सुर्ख़ियों में नाम का
बाज़ार में दाम का
मोहब्ब्त में शाम का ------- बड़ा महत्व है।
व्यापार में घाटा का
लड़ाई में चांटा का
रईसों में टाटा का
जूतों में बाटा का
रसोई में आटा का ----- बड़ा महत्व है।
फ़िल्म में गाने का
झगड़े में थाने का
प्यार में पाने का
अंधों में काने का
परिंदों में दाने का ----- बड़ा महत्व है।
ज़िंदगी में मोहब्ब्त का
परिवार में इज्ज़त का
तरक्की में किसमत का
दीवानो में हसरत का ------ बड़ा महत्व है।
पंछियों में बसेरे का
दुनिया में सवेरे का
डगर में उजेरे का
शादी में फेरे का ------ बड़ा महत्व है।
खेलों में क्रिकेट का
विमानों में जेट का
शरीर में पेट का
दूरसंचार में नेट का ----- बड़ा महत्व है।
मौजों में किनारों का
गुर्वतों में सहारों का
दुनिया में नज़ारों का
प्यार में इशारों का ------ बड़ा महत्व है।
खेत में फसल का
तालाब में कमल का
उधार में असल का
परीक्षा में नकल का। ----- बड़ा महत्व है।
ससुराल में जमाई का
परदेश में कमाई का
जाड़े में रजाई का
दूध में मलाई का ----- बड़ा महत्व है।
बंदूक में गोली का
पूजा में रोली का
समाज में बोली का
त्योहारों में होली का
श्रृंगार में रोली का ----- बड़ा महत्व है।
बारात में दूल्हे का
रसोई में चूल्हे का ------- बड़ा महत्व है।
सब्जियों में आलू का
बिहार में लालू का
मशाले में बालू का
जंगल में भालू का
बोलने में तालू का ------- बड़ा महत्व है।
मौसम में सावन का
घर में आँगन का
दुआ में दामन का
लंका में रावन का ------- बड़ा महत्व है।
चमन में बहार का
डोली में कहार का
खाने में अचार का
मकान में दीवार का ----- बड़ा महत्व है
सलाद में मूली का
फूलों में जूली का
सज़ा में सूली का
स्टेशन में कूली का ------ बड़ा महत्व है।
पकवानों में पूरी का
रिश्तों में दूरी का
आँखों में भूरी का
रसोई में छूरी का ---- बड़ा महत्व है।
माँ की गोदी का
देश में मोदी का ----- बड़ा महत्व है।
खेत में साप का
सिलाई में नाप का
खानदान में बाप का ----- बड़ा महत्व हे।
पापा की परिया (बेटियों)जो घर से भाग जाती हे उन सभी के नाम सूंदर सन्देश ''पापा राज बहुत अच्छा है ...
मैं उससे ही शादी करूंगी..वरना !! '
पापा ने बेटी के ये शब्द सुनकर एक घडी को तो सन्न रह गए .
फिर सामान्य होते हुए बोले -'
ठीक है पर पहले मैं
तुम्हारे साथ मिलकर उसकी परीक्षा लेना चाहता हूँ तभी
होगा तुम्हारा विवाह राज से...
कहो मंज़ूर है ?
'बेटी चहकते हुए
बोली -''हाँ मंज़ूर है मुझे ..
राज से अच्छा जीवन साथी कोई हो
ही नहीं सकता..
वो हर परीक्षा में सफल होगा ..
आप नहीं जानते पापा राज को !'
अगले दिन कॉलेज में नेहा जब राज से मिली तो उसका मुंह लटका हुआ था.. राज मुस्कुराते हुए बोला
-'क्या बात है स्वीट हार्ट..
इतना उदास क्यों हो ....
तुम मुस्कुरा दो वरना मैं अपनी जान दे दूंगा .''
नेहा झुंझलाते हुए
बोली -'राज मजाक छोडो ....
पापा ने हमारे विवाह के लिए
इंकार कर दिया है ...
अब क्या होगा ?
राज हवा में बात उडाता
हुआ बोला होगा क्या ...
हम घर से भाग जायेंगे और कोर्ट
मैरिज कर वापस आ जायेंगें .''
नेहा उसे बीच में टोकते हुए बोली
पर इस सबके लिए तो पैसों की जरूरत होगी.. क्या तुम मैनेज
कर लोगे ?'' ''
ओह बस यही दिक्कत है ...
मैं तुम्हारे लिए जान दे सकता हूँ पर इस वक्त मेरे पास पैसे नहीं ...
हो सकता है घर से भागने के बाद हमें कही होटल में छिपकर रहना पड़े..
तुम ऐसा करो, तुम्हारे पास और तुम्हारे घर में जो कुछ भी चाँदी -सोना -नकदी तुम्हारे हाथ लगे तुम ले आना ...
वैसे मैं भी कोशिश करूंगा ...
कल को तुम घर से कहकर आना कि
तुम कॉलेज जा रही हो और यहाँ से
हम फर हो जायेंगे...
सपनों को सच करने के लिए !''
नेहा भोली बनते हुए बोली
-''पर इससे तो मेरी व् मेरे परिवार कि बहुत बदनामी होगी ''
राज लापरवाही के साथ बोला
-''बदनामी , वो तो होती रहती है ...
तुम इसकी परवाह मत करो..''
राज इससे आगे कुछ कहता उससे पूर्व ही नेहा ने उसके गाल पर जोरदार तमाचा रसीद कर दिया..
नेहा भड़कते हुयी बोली
-''हर बात पर जान देने को तैयार बदतमीज़ तुझे ये तक परवाह नहीं जिससे तू प्यार करता है उसकी और उसके परिवार की समाज में बदनामी हो ....
प्रेम का दावा करता है...
बदतमीज़ ये जान ले कि मैं वो अंधी
प्रेमिका नहीं जो पिता की इज्ज़त की धज्जियाँ उड़ा कर ऐय्याशी करती फिरूं .कौन से सपने सच हो जायेंगे ....
जब मेरे भाग जाने पर मेरे पिता जहर खाकर प्राण दे देंगें !
मैं अपने पिता की इज्ज़त नीलाम कर तेरे साथ भाग जाऊँगी तो समाज में और ससुराल में मेरी बड़ी इज्ज़त होगी ...वे अपने सिर माथे पर बैठायेंगें...और सपनों की दुनिया इस समाज से कहीं अलग होगी...
हमें रहना तो इसी समाज में हैं ...
घर से भागकर क्या आसमान में रहेंगें ? है कोई जवाब तेरे पास..
पीछे से ताली की आवाज सुनकर
राज ने मुड़कर देखा तो पहचान न पाया.. नेहा दौड़कर उनके पास
चली गयी और आंसू पोछते हुए बोली -'पापा आप ठीक कह रहे थे
ये प्रेम नहीं केवल जाल है जिसमे फंसकर मुझ जैसी हजारों लडकियां अपना जीवन बर्बाद कर डालती हैं !!''
🙏🏻🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏🙏l
जब बेटियां बड़ी हो जाती हैं
हमें दोबारा बच्चा बना देती हैं
कभी नये जमाने की टेक्नोलोजी को
समझाने के लिए
होमवर्क न किये जाने पर
बचपन की माँ की याद दिला देती हैं
कभी कहती है
ओहो मम्मी! यह पहनावा पुराना आप पर
फबता नहीं
कुछ अपनी पसंद का पहना देती हैं
निकाल फैँकती हैं कभी कभी
जुड़े में फंसी पिन को
जिसमें न जाने जल्दी जल्दी
काम निपटाने के लिए इकट्ठे कर
इनमें घुसाई थी
खुली जुल्फों को गर्दन के चारों ओर
फैला देती हैं
"कितनी प्यारी लग रही हो मम्मा! " कहकर
खुद गले से लिपट जाती हैं
ख्याल रखती हैं
हर छोटी छोटी चीज का
कभी कभी तो
अपने पापा से भी लड़ जाती हैं
"मम्मी अब थक गई कुछ नहीं करेंगी
थोड़ा खुद भी कर लिया करो
अपना गीला तौलिया आप ही
सुखा दिया करो,
ले लिया करो कभी कभी
अपने पहनने के कपड़े अपने आप पापा! "
सुनकर आँख नम हो जाती हैं
दवाई से लेकर मुस्कराहट तक का
ध्यान रखती हैं
यह सच है बेटियां
माँ की भूमिका खूब अच्छे से निभा
हमको बच्चा बना देती हैं
पास बैठकर पूछ लेती हैं
उदासी का कारण
मुस्कराने के लिए
कई अफसाने सुना देती हैं
सच !
बेटियां घर की रौनक और
मन का सुकूँ होती हैं।
☆विवाह पूर्व एक लड़के की विचित्र मांगों से 🎊लड़की वाले हैरान हैं।
☆लड़के की मांगों की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।
☆यह मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि *विवाह संपन्न कराने के तरिके को लेकर हैं..!!*
*🤔मांगें इस प्रकार से हैं::---->>*
01🌹 कोई *प्री वैडिंग शूट नहीं होगा.*
02🌹 दुल्हन शादी में लहंगे की बजाय *साड़ी पहनेगी.*
03🌹 मैरिज लॉन में ऊलजुलूल अश्लील कानफोड़ू संगीत की बजाय, *हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत बजेगा.*
04🌹 *वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहेंगे.*
05🌹 *वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.*
06🌹 *पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर देने के बाद कोई उन्हें रोके टोकेगा नहीं.*
07🌹 *📸कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से लेगा न कि बार बार पंडितजी को टोक कर..*
*ये देवताओं का आह्वान करके किया जा रहा विवाह समारोह है.. ना की किसी 📽️फिल्म की शूटिंग..😳*
08🌹 दूल्हा दुल्हन द्वारा *🎥कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे.*
09🌹विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो जिससे किसी भी गेस्ट को रात
12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े।
✅इसके अतिरिक्त मेहमानों को अपने घर पहुंचने में मध्य रात्रि तक का समय ना लगे और असुविधा ना हो।
✅जिससे मेहमान जो स्वयं को सुंदर वस्त्र आभूषणों से सजा कर आते है स्वयं सजा न पाए।
*10🌹नवविवाहित को सबके सामने.. किस या आलिंगन के लिए कहने वाले को तुरंत विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.*
*🌹ज्ञात हुआ है लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे सहर्ष मान ली है..!!*
________
*🚩समाज सुधार करने के लिए सुंदर सुझाव..!!*
*🙏🏻शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे..🙏🏻*
🙏
एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।
एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।
ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?
निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।
मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है।
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।
अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी।
कबूतर अब पतीले में उबल रहा था।
खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।
कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया।
*चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।
_*अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_
*_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है।_*
जय हिंद🇮🇳
गर्लफ्रेंड को तो सब छूना चाहते हैं ?
लेकिन शादी के लिए बीवी बिना छुई हुई चाहते हैं ?
कड़वा ज़रूर है लेकिन सच है
लालची लड़के वाले नहीं, बल्कि लड़की वाले होते है | बड़ा घर, नौकरी, जमीन जायदाद, इकलौता हो, सास-ससुर न हो, राजकुमार हो, आदि-आदि, पहली सोच यही से लड़की के परिवार से उतपन्न होती है | यह एक ऐसा सामाजिक सच है, जिसमे अपने समाज की सारी सच्चाई छिपी है !|
रिश्ते तो पहले होते थे,
अब रिश्ते नही सौदे होते हैं,
बस यहीं से सब कुछ गड़बड़ हो रहा है,
किसी भी माँ-बाप मे अब इतनी हिम्मत शेष नही रही, कि बच्चों का रिश्ता अपनी मर्जी से तय कर सकें ...!
पहले खानदान देखते थे,
सामाजिक पकड़ और सँस्कार देखते थे, और अब ...,
मन की नही तन की सुन्दरता चाहिए,
सरकारी नौकरी, दौलत, कार, बँगला, साइकिल, या स्कूटर वाला राजकुमार अब किसी को नही चाहिये, सब की पसंद कार वाला ही है, भले ही इनकी संख्या 10% ही हो ...!
लड़के वालो को लड़की बड़े घर की चाहिए,
ताकि भरपूर दहेज मिल सके,
और लड़की वालोँ को पैसे वाला लड़का,
ताकि बेटी को काम करना न पड़े,
नौकर चाकर हो,
और परिवार भी छोटा ही हो ताकि काम न करना पड़े और इस छोटे के चक्कर मे परिवार कुछ ज्यादा ही छोटा हो गया है |
पहले रिश्ता जोड़ते समय लड़की वाले कहते थे कि मेरी बेटी घर के सारे काम जानती है और अब शान से कहते हैं हमने बेटी से कभी घर का काम नही कराया है | यह कहने में लोग शान समझते हैं, इन्हें रिश्ता नही बेहतर की तलाश है | रिश्तों का बाजार सजा है गाङियों की तरह, शायद और कोई नयी गाड़ी लांच हो जाये |
इसी चक्कर मे उम्र बढ रही है, अंत मे सौ कोड़े और सौ प्याज खाने जैसा है |
अजीब सा तमाशा हो रहा है
अच्छे की तलाश मे सब अधेड़ हो रहे हैं ...!
अब इनको कौन समझाये कि एक उम्र मे जो चेहरे मे चमक होती है, वो अधेड़ होने पर कायम नही रहती, भले ही लाख रंगरोगन करवा लो, ब्युटिपार्लर मे जाकर ...!
एक चीज और संक्रमण की तरह फैल रही है, नौकरी वाले लङके को नौकरी वाली ही लङकी चाहिये, अब जब वो खुद ही कमायेगी तो क्यों आपके या आपके माँ बाप की इज्जत करेगी ...?
और हाँ,
इस पर अवश्य विचार करियेगा हम कहाँ से कहाँ आ गये ...?
"यह कहानी सभी पुरुष महिलाओं पर लागू नही होती,
कुछ पुरुष तो कुछ महिलाएं इस तरह से मर्यादाएं नष्ट कर रही हैं
भला मैं क्या ही बताऊं
और दया शङ्कर जी ने सचमुच हाथ जोड़ दिये थे
व नेहा के सामने सर झुका दिया।
नेहा ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए...
'बाबू जी।'
राधे श्याम जी ने कहा -
'बाबू जी नहीं.. पिता जी।'
नेहा भी भावुक हो कर राधे श्याम जी से लिपट गयी थी।
दया शङ्कर जी ऐसी बेटी पा कर गौरव की
अनुभूति कर रहे थे।
नेहा अब राजी खुशी अपने ससुराल रवाना हो गयी थी...
पीछे छोड़ गयी थी
आँसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आँखें,
अपने पिता का वह आँगन
जिस पर कल तक वह चहकती थी..
आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गयी थी
किसी दूर प्रदेश में..
और किसी पेड़ पर अपना घरौंदा बनायेगी।
यह कहानी लिखते वक़्त
मैं उस मूर्ख व्यक्ति के बारे में सोच रहा था
जिसने बेटी को सर्वप्रथम 'पराया धन' की संज्ञा दी होगी।
बेटी माँ-बाप का अभिमान व अनमोल धन होता है,
पराया धन नहीं।
कभी हम शादी में जायें तो ध्यान रखें कि
पनीर की सब्ज़ी बनाने में एक पिता ने
कितना कुछ खोया होगा व कितना खोयेगा...
अपना आँगन उजाड़ कर
दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं।
खाने में कमियाँ न निकालें... ।
बेटी की शादी में बनने वाले पनीर,
रोटी या रसमलाई पकने में उतना समय लगता है
जितनी लड़की की उम्र होती है।
यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं,
पिता के अरमान व जीवन का सपना होता है।
बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में
स्वाद कही सपनों के कुचलने के बाद आता है व
उन्हें पकने में सालों लगते है,
बेटी की शादी में खाने की कद्र करें।
अगर उपर्युक्त बातें आपको अच्छी लगे तो
कृपया दूसरों से भी साझा करें....
एक कदम बेटियों के सम्मान के लिए...
🥰🥰🤗🤗🤗
एक बार एक लड़की से मुझे प्रेम हुआ | वो मेरे साथ भागने तक को तैयार थी | सबको छोड़ने को तैयार थी |Читать полностью…
उसके पिता को यह रिश्ता मंजूर नही था और उन्होंने लड़की की शादी किसी और से तय कर दी ! 😢
मैं उससे मिलने अंतिम बार उसकी शादी के दिन गया, लड़की दुल्हन के जोड़े में कमरे में बैठी थी,
बहुत सुंदर लग रही थी,
मैंने उससे कहा भी तुम सच मे परी लग रही हो !
उसने मेरे शर्ट का कालर खिंचकर मुझसे कहा कि मर्द हो तो मुझे अभी के अभी भागकर ले चलो !
मैं शांत था, लेकिन फिर बोला-----😢😢
सुनो ! मेरे प्यार से ज्यादा जरूरी तुम्हारे बाप की इज्जत है | इस बात का सदैव ध्यान रखना ! मैं तुम्हे प्यार तो करता हूँ, लेकिन उतना नहीं करता जितना तुम्हारे पिता तुमसे करते है | और हाँ ! अगर तुमने मुझसे सच मे प्यार किया है तो तुम कहीं नही भगोगी और शादी कर रिश्ते को ऐसे निभाओगी जैसे मैं तुम्हारी जिंदगी में कभी था ही नहीं !
खैर !
कई वर्षों बाद आज उससे बात हुई | अब वो बहुत खुस है और कहती भी की हम लोगो ने जो निर्णय लिया वो सबसे अच्छा था | शायद मैं कमज़ोर पड़ गयी थी, लेकिन तुमने मुझे सम्हाल लिया |
और आज सब कुछ बेहतर है |
नोट- प्यार जरूरी तो है , लेकिन उतना भी नही की परिवार का सम्मान दांव पर लगा हो ! पिता की पगड़ी का सवाल हो ! प्यार से ज्यादा भी जरूरी कई काम है, किसी एक के लिए ये दुनिया छोड़ देना सही नही,
प्यार बहुत कुछ है,
लेकिन सब कुछ नहीं,
Jai Hind.
3️⃣0️⃣❗0️⃣4️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣4️⃣
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! किसान और लोमड़ी !!*~~~~~~~~
एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बिनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी। एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह खुशी खुशी घसीट कर चल रही थी।
यह कैसे ज़िंदा रहती है जबकि किसी शिकार को भी नहीं पकड़ सकती, किसान ने सोचा। तभी उसने देखा कि एक शेर अपने दांतो में एक शिकार दबाए उसी तरफ आ रहा है। सभी जानवर भागने लगे, वह किसान भी पेड़़ पर चढ़ गया। उसने देखा कि शेर, उस लोमड़ी के पास आया। उसे खाने की जगह, प्यार से शिकार का थोड़ा हिस्सा डालकर चला गया।
दूसरे दिन भी उसने देखा कि शेर बड़े प्यार से लोमड़ी को खाना देकर चला गया। किसान ने इस अद्भुत लीला के लिए भगवान का मन में नमन किया। उसे अहसास हो गया कि भगवान जिसे पैदा करते हैं उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देते हैं।
यह जानकर वह भी एक निर्जन स्थान में चला गया और वहां पर चुपचाप बैठ कर भोजन का रास्ता देखता। कई दिन गुज़र गए, कोई नहीं आया। वह मरणासन्न होकर वापस लौटने लगा।
तभी उसे एक विद्वान महात्मा मिले। उन्होंने उसे भोजन पानी कराया, तो वह किसान उनके चरणों में गिरकर वह लोमड़ी की बात बताते हुए बोला, महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर दया दिखाई पर मैं तो मरते मरते बचा; ऐसा क्यों हुआ कि भगवान् मुझ पर इतने निर्दयी हो गए ?
महात्मा उस किसान के सर पर हाथ फिराकर मुस्कुराकर बोले, तुम इतने नासमझ हो गए कि तुमने भगवान का इशारा भी नहीं समझा, इसीलिए तुम्हें इस तरह की मुसीबत उठानी पड़ी। तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हें उस शेर की तरह मदद करने वाला बनते देखना चाहते थे, निरीह लोमड़ी की तरह नहीं।
*शिक्षा:-*
हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है कि हमें चीजें जिस तरह समझनी चाहिए उसके विपरीत समझ लेते हैं। ईश्वर ने हम सभी के अंदर कुछ न कुछ ऐसी शक्तियां दी हैं जो हमें महान बना सकती हैं।
*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
"सच्ची सुंदरता....
बिरजू ....ये देख ... तेरे लिए तेरी जीवनसाथी चुनी है मैंने बेटा देख तो कितनी प्यारी बच्ची है कहते हुए मां ने बिरजू के हाथों मे लड़की की तस्वीर रख दी
बिरजू ने तस्वीर देखी तो वह कुंढ कर रह गया तस्वीर में एक साधारण सी दिखने वाली लड़की की सादगी से सूट सलवार में खड़ी हुई पिक्चर थी और उसपर उसका रंग सांवला था बस बिरजू गुस्से से बिफर पड़ा .... क्या मां यही मिली आपको मेरे लिए ... जानती है में जिस कपड़ों के शोरूम में काम करता हूं वहां एक से एक सुंदर लड़की आती है रंग इतना साफ़ और गोरा होता है कि ऐसा लगता है जैसे फिल्मों की हीरोइन सामने खड़ी हुई हो मां में ऐसी सुंदर लड़की से शादी करुंगा ऐसी वैसी सांवली सी लड़की से नहीं अरे जब बाहर निकलूं तो लोग उसे देखकर जलभुन जाएं और मां सोचो ऐसी सुंदर बहु के साथ जब तुम बाहर या किसी पार्टी फंग्शन में जाओगी तो रिश्तेदारों में एक अलग ही रुतबा होगा तुम्हारा
पागल ....ये रंग रुप भला सुंदरता के कबसे मायने बनने लगे पगले सच्ची सुंदरता तो व्यहवार में मीठी बोली बड़ों का आदर सत्कार करना होती है
मुझे नहीं पता मां ....मे किसी सुंदर लड़की से ही शादी करुंगा बस
देख बिरजू सुधा मेरे एक जानकार सहेली की बेटी है में उसे अनेकों बार मिल चुकी हूं जब मिलो मन में घर कर जाती हैं इतना प्यार से बोलती है आदर सत्कार करना अपने से बड़े बुजुर्गो को ही नहीं बल्कि छोटे से भी उसका व्यवहार बेहद मिलनसार है उसदिन रिक्शेवाले से बड़ी तमीज से बात करते हुए देखा स्वयं गन्ने का जूस पीने से पहले उस रिक्शेवाले को भी लेकर दिया जब मैंने इसकी वजह पूछी तो वह बोली ... आंटीजी ... हमारी तरह इन भैया को भी तो प्यास लगी होगी ... बात छोटी सी थी मगर उसने मेरे दिल को छू लिया
मगर गुस्से से भरे बिरजू ने फोटो को टेबल पर पटकते हुए कहा मैं नहीं करूंगा इस लड़की से शादी इतना कहकर वह अपने कमरे में चला गया
बिरजू ने ठान लिया मैं शादी नहीं करूंगा उस सांवली लड़की से चाहें मुझे घर से भाग जाना क्यों ना पड़े
मां पीछे-पीछे उस के कमरे तक आई और खूब समझाया उसकी छोटी बहन ने समझाते हुए कहा भैया अच्छी लड़की है पढ़ी लिखी है घर के कामकाज भी खूब कर लेती है कल को आपके जीवन में सहयोगी बनेगी और इस जीवन के सफर को एक अच्छे साथी की जरूरत होती है मान जाइए ना एकबार मिलकर तो देखिए फिर फैसला कीजिए
आखिरकार जैसे तैसे बेमन बिरजू लड़की को देखने मिलने के लिए तैयार हो गया सभी घरवालों के साथ वह वहां पहुंचा उसने मन में तय कर लिया था वह लड़की को देखेगा भी नहीं और बहाने से बाद में मना कर देगा
लड़की चाय लेकर आई वह आज भी साधारण कपड़ों में ही थी एक सादगी से सूट सलवार पहने हुए बिरजू ने एक दो बार चोरी नजरों से उसे देखा वो सोचकर गया था की कोई भी कमी बताकर वो मना कर देगा मगर उसका व्यवहार सबसे अच्छा था बातचीत में भी उसने जब बेमन से चाय के साथ पकोड़े खाएं तो वह लाजवाब बने थे जोकि उसी लड़की ने बनाए थे उसे ऐसी ही स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर उसकी मां की तरह मीठा बोलने वाली पत्नी चाहिए थी मगर ये ...ये सांवली है मुझे तो किसी फिल्मी हीरोइनों जैसी सुंदर लड़की से ही शादी करनी है
कुछ ही समय में वह लड़की देखने की औपचारिकता पूरी करते हुए वहां से वापस घर लौट आए जब मां बाबूजी और छोटी बहन ने उसकी इच्छा पूछी तो उसने कहा वो बाद में बताएगा दर असल उसे सोचने का समय चाहिए था की वो क्या कहकर उस लड़की से शादी को मना कर सके बिरजू गुस्से से कमरे से निकलकर छत पर आ पहुंचा बिना कुछ खाए पिए ही रात भर छत पर पड़े एक टूटे पलंग पर लेटा रहा जैसे तैसे सुबह हुई बिरजू शोरूम पर जाने के लिए तैयार हो चुका था पर आज उसका नाश्ते में कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा था
बिरजू अपने शोरूम पर जाने के लिए हमेशा पैदल पथ का ही सहारा लेता था वह रास्ते में आने जाने वाली लड़कियों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था उसे राह में जो भी खूबसूरत लड़की दिखती उसे लगता इससे मेरी शादी होनी चाहिए अचानक उसका पैर पैदल पथ पर पड़े केले के छिलके से फिसल गया और वह पास पड़े कचरे के डिब्बे के ऊपर धड़ाम से गिर गया
वही पास में एक ब्यूटी पार्लर की दुकान थी उसमें से एक औरत बाहर निकली तुरंत बिरजू को उठाया अपने ब्यूटी पार्लर के भीतर ले जाते हुए कहा ज्यादा चोट तो नहीं लगी बेटा ...और एक गद्देदार ऊंची कुर्सी पर बैठा दिया अभी बिरजू अपने कपड़े साफ कर ही रहा था कि इतने में जींस और टीशर्ट पहने हुए एक महिला ब्यूटी पार्लर के भीतर आई सामने पड़ी दूसरी खाली कुर्सी पर बैठ गई
बिरजू उस सांवली सी महिला को देखने लगा
https://youtu.be/Bym6W-YaL3U?si=ChDmvjJkxE2gCQBC
Читать полностью…मादा एक संभोग के बाद दूसरे को तैयार है।Читать полностью…
इसी नियम पर दुनिया के वेश्याघर चलते हैं ....
जबकि नर के दो संभोगों के बीच अंतराल होगा ही होगा.....
वो पहले संभोग के बाद झटके से मादा से अलग हटेगा
और सो जाना चाहेगा ये उसकी प्रकृति है।
जबकि मादा की प्रकृति इसके बिल्कुल विपरीत है।
वो संभोग के तुरंत बाद उसके मुँह से वो शब्द सुनने को आतुर होती हैं जो उसे गुदगुदा दें......
वो ये नहीं जानती कि नर प्रेम के बाद प्रेम नहीं कर सकता
वो युद्ध के बाद प्रेम को लालायित हो सकता हैं।
वो मूल रूप से शिकारी की भूमिका ही अदा करता है?
हाँ सभ्य समाज में उसकी इस प्रवृत्ति को खुबसूरत लिबासों में ढका जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा तानाशाह हिटलर रोजाना पाँच सौ आदमियों को कटवा कर अपनी प्रेमिका की गोद में सर रख कर प्रेमगीत लिखता था।
उससे जुदाई के बीते लम्हों का वर्णन करते उसके गाल भीगते थे .....
अशोक कलिंग युद्ध में हुई मारकाट से दग्ध होकर प्रेमालिंगन को तड़प उठा था ...
उसने बौद्ध दर्शन को अपने अंदर यूँ समाहित किया
आज अशोक और बौद्ध दर्शन को अलग किया ही नहीं जा सकता॥
नेपोलियन बोनापार्ट भी अपने बख़्तरबंद कवच को उतार प्रेम रस में डूबता था इतना रोमांटिक या प्रेयसी को समर्पित होता था।
इस समय जितना कोई कवि शायर या मासूम दिल का नर भी समर्पित नही हो सकता॥
सामान्य नर इस प्रकार के न युद्ध कर सकता हैं
ना ही प्रेमातुर हो सकता है.....
वो न घृणा के चरम पर जाएगा न प्रेम तल की गहराई में आएगा....
वो कुछ दस मिनट का खेल करेगा।
जो उसे किसी रूप संतुष्ट नहीं करेगा......
इसी संतुष्टि प्राप्ति हेतु वो साथी को बदलने को उत्सुक हो सकता है....
जहाँ जहाँ सामाजिक बंधन कमजोर ये बदलाव लगभग छह महीने के अंदर हो जाता है.....
पर इन बदलावों से न परिस्थिति बदलती है न उसकी मनोरचना ...
यानि वो प्रेम पाने में प्रेम करने में असफल रहता है।
यदि नर के जंगली पन को निकलने का रास्ता बन जाएँ
तो वो प्रेम कर सकता हैं पा सकता है दे सकता है.....
यही एक कारण है मादा हमेशा समाजिक रूप सभ्य की अपेक्षा उद्दंड नर की तरफ झुकती है ....
इसलिए बिगड़े हुए लड़कों को समर्पित प्रेमिकाएँ मिलती है
बजाएं सामाजिक दृष्टि से सभ्य का टैग पाएँ लड़कों को ...
मैं स्वयं को अध्य्यन के लिए कैसे प्रेरित करूं?Читать полностью…
निम्नलिखित लेख शायद आपको अध्ययन के प्रति प्रेरित कर सके।
पढ़ाई में जब मन न लगे ,उन माता- पिता का चेहरा याद कर लिया कीजिए जो सारे मोहल्ले में गर्व से कहते हैं कि मेरा बेटा एक दिन जरूर सफल होगा , आपकी सबसे बड़ी चाहत , आपकी असली खुशी , आपकी जिंदगी , आपका संसार आपके माता - पिता हैं ,वे आपका पहला प्यार हैं आप उनसे बेवफाई कैसे कर सकते हैं । स्मरण रहे जो व्यक्ति पहले प्यार के प्रति वफादार है वह ही दूसरे प्यार का असली हकदार है। मित्रों आपकी आंखों को जिन्होंने सपने दिखाए , आपके हर बड़ी मुसीबत के वक्त आपके सर पर उनका हाथ रहा, जिनकी उंगली पकड़कर अपने चलना सीखा और जिन आंखों ने ये ख्वाब देखा की मेरा बच्चा एक दिन मेरा नाम रोशन करेगा , जो मैं नही कर सका वह मेरी बेटी करेगी/ वह मेरा बेटा करेगा ,वह आज तक आपके चेहरे को देखकर अपने सारे ग़म भुलाते आए हैं, क्योंकि उन्हें आप पर भरोसा है।
तब बताइए मुझे, आप क्यों नही अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए कोई क़दम आगे बढ़ा रहे हैं ? आखिर क्यों खामोश बैठे हैं ? क्यों नही मेहनत करना चाहते हैं ? क्यों आप मोबाइल पर सोशल मीडिया पर अपना समय नष्ट कर रहे हैं ?क्या यही आपका प्यार है ? क्या यही आपका कर्तव्य हैं ? जब पढाई में मन न लगे अपने उन पिता का चेहरा याद कर लिया कीजिए जो सारे मोहल्ले में छाती पीटते फिरते हैं कि मेरा बेटा एक सुन्दर दिन जरूर मेरा नाम रोशन करेगा मुझे उस पर भरोसा हैं वह कभी मेरा सर नही झुकने देगा , याद कीजिए उस मां को जो न जाने कितने कष्ट सहन करती हैं और इसका आपको वह एहसास तक नही होने देती हैं ताकि आप दुखी ना हो, अपना पेट काट - काट कर आपको पढ़ाया - लिखाया और आज इस काबिल बनाया की आप जो चाहो वो प्राप्त कर सको , फ़िर भी क्यूं निष्क्रिय बने हुए हो? क्यों भूल जाते हैं आप कि उन्होने आपकी खुशियों के लिए उन्होने अपनी सारी खुशियां त्याग दी, सिर्फ इसलिए कि मेरी जिंदगी जैसे गुजरी ठीक है, लेकिन मेरे बच्चों को कोई कष्ट न हो , किसी भी चीज़ की कमी ना हो ।
अब बताइए आप सब, कि आपकी क्या जिम्मेदारी बनती है? बस अब बहुत हुआ अब समय आ गया है तपस्या का , मेहनत का , त्याग का , कुछ कर गुजरने का और अपने ख्वाबों को पूरा करने का । यदि अपने माता - पिता के चेहरे पर मुस्कान लाने चाहते हो उनकी मेहनत , त्याग, तपस्या को सार्थक सिद्ध करना चहाते हैं तो उठाइए अब किताबों को और झोंक दीजिए अपने आप को , और सफल होकर हर मैगजीन के कवर पर छा जाइए। आप ऐसी मेहनत कीजिए कि जब मेहनत का परिणाम सामने आए तब हजारों की संख्या में कैमरे आपकी एक तस्वीर पाने के लिए आपके दरवाजे के सामने हों, प्रत्येक मीडिया वाला आपसे बात करने को बेताब दिखे हर जगह आपके चर्चे हों। प्रत्येक माता- पिता अपने बच्चों को आपका उदाहरण दें , हर किसी के लिए आप प्रेरणास्रोत बन जाओ ।
मित्रों हम कभी भी अपन माता- पिता का ऋण नही चुका सकते हैं लेकिन उनके चेहरे पर मुस्कान तो ला सकते हैं । इसलिए शपथ लिजिए आज कि आप ऐसा कठोर परिश्रम करेंगे , जिसका परिणाम शोर मचा दे और माता- पिता कह सकें ,बेटा गर्व हैं मुझे तुम पर और हर कोई कहे बेटी हो तो ऐसी या बेटा हो तो ऐसा । प्रतिज्ञा लीजिए आज कि आपकी सबसे बड़ी चाहत माता - पिता का सम्मान होगा और उनके चेहरे की मुस्कान होगी ।
सादर आभार 🙏
🚨🚨 𝗔𝗹𝗲𝗿𝘁 🚨🚨🚨🚨Читать полностью…
जो यहाँ लड़कियों को 𝗺𝗲𝘀𝘀𝗮𝗴𝗲 करके 𝗛𝗶𝗶𝗶, 𝗵𝗲𝗹𝗹𝗼 करना चाहते है वो न करे..........
𝗡𝗼𝘁𝗲 📝📝📝 .......
इससे आप 𝗛𝗲𝗿𝗼 नही बन जाते है......... दुनिया भी आपको तभी पसंद करती है जब आप अच्छे कामो मे काम करते हो,...... चाहे वो एक अच्छी लड़की रहे या लड़का ..............
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𝗣𝗲𝗿𝘀𝗼𝗻𝗮𝗹 𝗺𝗲𝘀𝘀𝗮𝗴𝗲 करके
... 𝗛𝗶𝗶𝗶,, 𝗛𝗲𝗹𝗹𝗼 करके आप अच्छे नही बनते किसी के नजर मे उसके बजाय और * गिर * जाते है..................
𝗔𝗹𝗲𝗿𝘁 🚨🚨🚨🚨
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𝗪𝗶𝘁𝗵𝗼𝘂𝘁 𝗽𝗲𝗿𝗺𝗶𝘀𝘀𝗶𝗼𝗻 𝗸𝗶𝘀𝗶 𝗸𝗼 𝗯𝗵𝗶 𝗺𝗲𝘀𝘀𝗮𝗴𝗲 𝗻 𝗸𝗮𝗿𝗲 ✌