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Telegram-канал bharat7773 - यतो धर्मस्ततो जयः।

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षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ! निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता !! किसी व्यक्ति के बर्बाद होने के 6 लक्षण होते है – नींद, गुस्सा, भय, तन्द्रा, आलस्य और काम को टालने की आदत . @bharat7773 @dharm7773 @geet7773

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यतो धर्मस्ततो जयः।

गुजरात के सूरत मे देश की सबसे ईमानदार पार्टी *आम आदमी पार्टी* के ईमानदार नेता *शेखर अग्रवाल* के घर पर RAID पड़ी है। इतनी रकम देखकर आपको इनकी ईमानदारी और इनकी चुनाव की तैयारी का आंकलन हो जाएगा ।

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यतो धर्मस्ततो जयः।

ये होटल गुजरात हाईवे पर RSS ने खोला हैं, जहा न्यूनतम क़ीमत पर, उत्तम गुणवत्तायुक्त चाय और खाना मिलता है,सभी अपने संपर्क एवम समुह सदस्यों को अवश्य भेजे, धन्यवाद सभी सनातनी बंधुओं का 🙏

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यतो धर्मस्ततो जयः।

एक ऐसा मंदिर जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया था?
भगवान शिव का प्राचीन मंदिर।

मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे, लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर आज भी लटकते हुए पत्थरों से बना हुआ है।

चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देता है. जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक जाते हैं इसका एक एक पत्थर लटकते हुए भी दिखाई देने लगता है. जितना नजदीक जाएंगे मन में उतनी ही दहशत लगने लगती है. लेकिन किसी की मजाल है, जो इसके लटकते हुए पत्थरों को भी हिला सके. आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए हैं, लेकिन इस मंदिर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. मंदिर के बारे में कमाल की बात तो यह है कि जिन पत्थरों से यह मंदिर बना है, आस-पास के इलाके में ये पत्थर नहीं मिलता है.

इस मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां हैं. पूरे अंचल में एक किवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है कि मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था. लेकिन मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है.
भोलेनाथ ना सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं. पुराणों में लिखा है कि भगवान शिव की शादी में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है.

कहा जाता है कि रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाएगी. ककनमठ मंदिर का इतिहास करीब एक हज़ार साल हजार पुराना है. बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है. मंदिर का संतुलन पत्थरों पर इस तरह बना है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाई.

कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो मंदिर की रक्षा करती है. इस मंदिर के बीचो बीच शिव लिंग स्थापित है. 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का उपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है.

इस मंदिर को देखने में लगता है कि यह कभी भी गिर सकता है.. लेकिन ककनमठ मंदिर सैकडों सालों से इसी तरह टिका हुआ है यह एक अदभुत करिश्मा है. इसकी एक औऱ ये विशेषता है..कि इस मंदिर के आस पास के सभी मंदिर टूट गए हैं , लेकिन ककनमठ मंदिर आज भी सुरक्षित है. मुरैना में स्थित ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष स्थल है. यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देख कर पर्यटक भी इस मंदिर की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमायें पर्यटकों को खजुराहो की याद दिलाती हैं. मगर प्रशासन की उपेक्षा के चलते पर्यटक यदा-कदा यहां आ तो जाते हैं।

ॐ नमः शिवाय 🙏 हर हर महादेव ❣️

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यतो धर्मस्ततो जयः।

मनोरंजन के नाम पर अपने बच्चों को संस्कार हीन न होने दे वरना आपका बुढ़ापा बहुत बुरा कटेगा

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यतो धर्मस्ततो जयः।

ये इतिहास में कभी नहीं हुआ होगा।

दुनिया के सबसे बड़े Island देशों में एक पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने पीएम मोदी के पैर छू लिए।

वे इससे पहले सारे प्रोटोकॉल तोड़कर उनके स्वागत में एयरपोर्ट पहुँचे।

उस देश में रात्रि के समय राजकीय सम्मान की परंपरा नहीं है।

पापुआ न्यू गिनी दुनिया का सबसे अधिक विविधता वाला देश है जहां क़रीब 700 भाषाएँ बोली जाती हैं।

ये मोदी का नहीं, इस देश के हर नागरिक का सम्मान है।

अपने सम्मान पर गर्व कीजिए।

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यतो धर्मस्ततो जयः।

नमन है ...धन्य है ऐसे माता पिता इन्होंने ऐसी शेरनी को जन्म दिया

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यतो धर्मस्ततो जयः।

*_अब्राहम लिंकन_ के पिता जूते बनाते थे, जब वह राष्ट्रपति चुने गये तो ..*
*सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा..*
*मिस्टर लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता , मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे...!! इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी.. लेकिन लिंकन किसी और ही मिट्टी के बने हुए थे..!! उन्होंने कहा कि मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे ! सिर्फ आप के ही नहीं यहां बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे ! वह पूरे मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी आत्मा बसती है, अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई शिकायत नहीं आयी...!! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है ? उनका पुत्र होने के नाते मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की मरम्मत कर देता हूं...!! मुझे अपने पिता और उनके काम पर गर्व है...!!*
*सीनेट में उनके ये तर्कवादी भाषण से सन्नाटा छा गया और इस भाषण को अमेरिकी सीनेट के इतिहास में बहुत बेहतरीन भाषण माना गया है...।*

*उसी भाषण से एक थ्योरी निकली Dignity of Labour (श्रम का महत्व) और इसका यह असर हुआ की जितने भी कामगार थे उन्होंने अपने पेशे को अपना सरनेम बना दिया।*

*जैसे :~~*
*कोब्लर,*
*शूमेकर,*
*बुचर,*
*टेलर,*
*स्मिथ,*
*कारपेंटर,*
*पॉटर आदि।*

*अमेरिका में आज भी श्रम को महत्व दिया जाता है इसीलिए वह दुनियाँ की सबसे बड़ी महाशक्ति है।*

*वहीं भारत में जो श्रम करता है उसका कोई सम्मान नहीं है वह नीच है तथा यहां जो श्रम नहीं करता वह ऊंचा है ।*

*जो यहां सफाई करता है उसे हेय (नीच) समझते हैं और जो गंदगी करता है उसे ऊँचा समझते हैं।*

*ऐसी गलत मानसिकता के साथ हम दुनियाँ के नंबर एक देश बनने का सपना सिर्फ देख सकते है.. लेकिन उसे पूरा नहीं कर सकते.. जब तक कि हम श्रम को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखेंगे।*

*_ऊँच-नीच का भेदभाव किसी भी राष्ट्र के निर्माण में बहुत बड़ी बाधा है ।_*

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यतो धर्मस्ततो जयः।

एक शब्द है फाड़ना *मगर ये तो उधेड़ रहा है ......*…

😄मोदी जी के अलावा विकल्प क्या है?? *सुनिए बहुत मजा आएगा*😄🤣🤣

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यतो धर्मस्ततो जयः।

*ज़ुल्म की हद पार होने पर गधे भी विरोध कर देते हैं लेकिन हमारा हिन्दू समाज पता नहीं कब सुधरेगा..!!?!!* 🫢🫣

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यतो धर्मस्ततो जयः।

*02066803300* 98253223408
*Hindu 🚩 Helpline (Save Number)*

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यतो धर्मस्ततो जयः।

*मूर्ख मत बनो, नरसंहार का शिकार होने से बचो।*

एक बार की बात है सिंह को भूख लगी और उसने लोमड़ी से कहा-- मेरे लिए कोई शिकार ढूंढकर लाओ, अन्यथा मैं तुम्हें ही खा जाऊँगा।

लोमड़ी एक गधे के पास गई और बोली-- मेरे साथ सिंह के समीप चलो क्योंकि सिंह तुम्हें जंगल का राजा बनाना चाहता है।

सिंह ने गधे को देखते ही उस पर हमला करके उसके कान काट लिए, लेकिन गधा किसी प्रकार भागने में सफल रहा। तब गधे ने लोमड़ी से कहा-- तुमने मुझे धोखा दिया सिंह ने तो मुझे मारने का प्रयास किया और तुम कह रही थी कि वह मुझे जंगल का राजा बनायेगा।

लोमड़ी ने कहा-- मूर्खता भरी बात मत करो। उसने तुम्हारे कान इसीलिए काट लिए ताकि तुम्हारे सिर पर ताज सुगमता पूर्वक पहनाया जा सके, समझे! चलो लौट चलें सिंह के पास।

गधे को यह बात ठीक लगी, इसलिए वह पुनः लोमड़ी के साथ चला गया।

सिंह ने फिर गधे पर हमला किया तथा इस बार उसकी पूँछ काट ली। गधा फिर लोमड़ी से यह कहकर भाग चला-- तुमने मुझसे झूठ कहा-- इस बार सिंह ने तो मेरी पूँछ भी काट ली।

लोमड़ी ने कहा-- सिंह ने तो तुम्हारी पूँछ इसलिए काट ली ताकि तुम सिंहासन पर सहजतापूर्वक बैठ सको, चलो पुनः उसके पास चलते हैं।

लोमड़ी ने गधे को फिर से लौटने के लिए मना लिया।

इस बार सिंह गधे को पकड़ने में सफल रहा और उसे मार डाला।

सिंह ने लोमड़ी से कहा-- जाओ, इसकी चमड़ी उतार कर इसका दिमाग फेफड़ा और हृदय मेरे पास लेते आओ और बचा हुआ अंश तुम खा जाओ।

लोमड़ी ने गधे की चमड़ी निकाली और गधे का दिमाग खा लिया और केवल फेफड़ा तथा हृदय सिंह के पास ले गई सिंह ने गुस्से में आकर पूछा-- इसका दिमाग कहाँ गया।

लोमड़ी ने जवाब दिया-- महाराज ! इसके पास तो दिमाग था ही नहीं। यदि इसके पास दिमाग होता तो क्या कान और पूँछ कटने के उपरान्त भी आपके पास यह पुनः वापस आता।

शेर बोला-- हाँ तुम पूर्णतया सत्य बोल रही हो।

पंचतंत्र की कहानियों से।

*यह हर उस हिंदू गधे की कहानी है जो 1000 वर्षों से अधिक समय से सभी हिंदुओं को खत्म करने के बारम्बार षड्यंत्र होने के बाद भी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता है।*

जागो हिंदूओ जागो

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यतो धर्मस्ततो जयः।

दि केरला फिल्म के डायलॉग का ऊतर
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प्रश्न है ; मम्मी 👨‍👩‍👦‍👦👨‍👩‍👦‍👦👨‍👩‍👦‍👦👨‍👩‍👦‍👦 पापा, आपने क्यों नहीं बताया हिन्दू कल्चर के बारे में

उत्तर ; क्या नहीं बताया रे !!!

तेरी आंख फूटी हुई थी जब तू देखती थी जप , तप, व्रत के योगीत्यौहार बड़े ही हर्षोउल्लास से मनाए जाते थे?

तेरी आंख को चश्मे की जरूरत थी क्या जो तुझे नवरात्र में दुर्गा पूजा के समय दुर्गा जी समस्त अस्त्रों शस्त्रों से सुसज्जित होकर एक राक्षस का वध कर रहीं हैं। नहीं दिखी…...

तेरे आंख में भूसा भरा हुआ था क्या जो तूने रामलीला से यह नहीं देखा कि अपनी पत्नी के लिए एक व्यक्ति समुद्र पार कर उस अपहरणकर्ता का सर्वनाश कर आया.....

माना तुम्हारा पिता कम्युनिष्ट है, अनपढ़ है , वक्त नहीं दे पाया लेकिन तुम्हें व्हाट्सअप्प से चैटिंग करना तो कभी नहीं सिखाया फिर कैसे सीख गई .?

माना तेरी माँ ने प्रेम करना नही सिखाया पर तेरे अंदर प्रेम के भाव क्यों स्वयं ही फूटने लगे ?

"तेरा भगवान रोता है" यह बात कैसे तुझे पता चल गई?

यदि यह बात पता चल गई तो रोने के बाद कितना तांडव मचाता है यह बात कैसे पता नहीं चली, उसके तांडव को रोक पाने की शक्ति किसी में नहीं थी यह बात तुझे कैसे पता नहीं चली ....?

तुझे पाकिस्तानी सीरियल देखने के लिए तो तेरे बाप ने कभी नहीं बताया फिर तुझे पाकिस्तानी सीरियल के बारे में कैसे पता चल गया ?

सुन , देश दुनिया की सारी बातें तुझे पता चल गई पर तुझे अपना कल्चर नहीं पता चला क्योंकि माँ बाप ने नहीं बताया

ये बहाना तेरा दर्शाता है कि तू कितनी बड़ी शातिर ,धूर्त है सिर्फ अपनी कमी छिपा रही। अरे जैसे तुझे बाकि की बातें पता चली वैसे ही यह भी पता चल जाना चाहिए था।

हिन्दू धर्म तो उत्सव प्रधान धर्म है ,हर उत्सव के एक कारण हैं यदि जैसे तमाम बिन बताई चीजों को तू जान गई तो ये देख , सुनकर क्यों नहीं जानी ...??

अरे कपूर की संगति में आकर डिबिया भी महकने लगती है पर तू तो कपूर पास देखकर भी कीचड़ में लोटने पहुंच जाती है , और जानबूझकर आरोप लगाती है कि कपूर के बारे में बताया ही नहीं......कीचड़ के बारे में भी तो नहीं बताया था फिर ....

उन समस्त लड़कियों को समर्पित जिन्हें लगता है उनके मम्मी पापा ने कल्चर नहीं बताया लेकिन उन्होंने पाकिस्तानी सीरियल के बारे में बिना मम्मी पापा के बताए सब जान लिया.......

।।जय श्री राम।।
।।जय महाकाल।।

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यतो धर्मस्ततो जयः।

हिंदुओ के लिए ऐसी कोई संस्था , संगठन या दल हे क्या ? हिन्दू तो कथा , पैदल यात्रा , भजन , भंडारे , नए नए मंदिर निर्माण में ही लगे रहेंगे🤔🤔🤔🙃😓😥

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यतो धर्मस्ततो जयः।

जब कोई बड़ी दूरी तय करनी हो तो उस दूरी को छोटे छोटे लक्ष्य में बांट दीजिए और हरेक चरण को पूर्ण उत्साह से सम्पन्न कीजिए।

भारत का परम् वैभव एक बहुत बड़ा लक्ष्य है और यह कई छोटे छोटे चरणों में बंटा हुआ है।
यद्यपि प्रत्येक छोटा लक्ष्य भी स्वयं में बहुत बड़ा लक्ष्य है। इसका समग्रता से अध्ययन करें तो ज्ञात होगा कि इसे कोई व्यक्ति या संगठन नहीं, स्वयं परमेश्वर चला रहे हैं।

नियति धीरे धीरे परिस्थितियों को वैसा मोड़ देती जा रही है जिससे भारत का अभ्युदय निश्चित है।

इस मार्ग की चढ़ाई समाप्त हो चुकी है।
अभी समतल चल रहा है और आगे तीव्र ढलान है। बहुत तेजी से घटनाक्रम घटने वाला है।।

इस मार्ग के बाधक तत्त्वों ने भी ऐसा ही कर रखा है। टुकड़े गैंग भी अपना काम कई चरणों में कर रहा है।

ताजा जातीय दम्भ उभारने का खेल, ब्राह्मण/दलित के नाम से हिंदुत्व पर चोट और संघी के नाम से देशभक्ति को गाली भी उसी योजना का हिस्सा है।

लेकिन वे विपरीत यात्रा कर रहे हैं। भारत विरोधी गिरोह के मार्ग का ढलान समाप्त हो चुका है, अभी वे भी समतल पर चल रहे हैं।
उन्हें आगे चढ़ाई स्पष्ट दीख रही है अतः वे तिलमिलाए हुए हैं।

अभी वहाँ भी तीव्र घटनाक्रम होगा।

जैसे प्रभु श्री राम के 14 वर्ष के वनवास में आरम्भ में सबकुछ शांत रहा किन्तु अंतिम वर्ष बहुत अधिक उथल पुथल मची, बड़े जबरदस्त परिणाम आए, वैसे ही बड़े मार्ग के इन्हीं छोटे लक्ष्यों का एक नाम है भगवान राम की जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर के लिए प्रत्येक रामभक्त से "निधि संग्रह" अभियान।

यह साधारण सा दिखने वाला कार्य परिणाम में बहुत असाधारण होने वाला है।
यह भारतीय संस्कृति की शक्ति का सात्विक प्रदर्शन है।

👉यह आर्थिक संग्रह के मामले में विश्व के कई बड़े रेकॉर्ड ध्वस्त करने वाला है।

यह बिना आवाज की लाठी है, कइयों का सिर फूटने वाला है।

यह एक साइलेंट परमाणु बम है जो दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ने वाला है।

यह हमारी खोई अस्मिता के पुनरुज्जीवन के लिए किया गया एक नए प्रकार का कार्य है।

यह संसार की अर्थशास्त्र की पुनर्व्याख्या के लिए विवश कर देगा।

यह त्याग, बलिदान, उत्सर्ग की प्रेरक श्रद्धांजलि देने वाला है। यह भूखे प्यासे अतृप्त भारत से निकलकर समृद्ध, सामर्थ्यशाली, निर्भय, निर्द्वन्द्व भारत की प्राप्ति की आकांक्षा की पूर्ति हेतु समर्पित राष्ट्र जीवन को नई दिशा देने वाला है।

यह स्वावलम्बन का महामंत्र बनने वाला है। त्याग और दान का यह अवसर हमें आगामी ढलान में रपटने से बचाने वाला है।

रामजन्मभूमि मंदिर किसी धन्ना सेठ या राजा महाराजा की कृति नहीं है, यह कोई सरकारी उपक्रम भी नहीं है।
यह विश्व के अरबों मृत व्यक्तियों और 100 करोड़ जीवित लोगों का दीप्तिस्तम्भ है जो बार बार मारे-पीटे-दबाए-डराए-जलाकर खाक किए जाने के बावजूद अपनी राख में से खड़े हो गए और देखते ही देखते उनके झुलसे शरीर पर नव रोम उग आए और अगले कुछ ही पलों में वे विशाल कठोर शक्तिशाली डैनों को धारणकर आकाश नापने हेतु चल पड़े।


@bharat7773

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यतो धर्मस्ततो जयः।

दसमहाविघा स्तोत्रम

ॐ नमस्ते चण्डिके चण्डि चण्डमुण्डविनाशिनि ।
नमस्ते कालिके कालमहाभयविनाशिनि ॥१॥

शिवेरक्ष जगद्धात्रि प्रसीद हरवल्लभे ।
प्रणमामि जगद्धात्रीं जगत्पालनकारिणीम् ॥२॥

जगत् क्षोभकरीं विद्यां जगत्सृष्टिविधायिनीम् ।
करालां विकटां घोरां मुण्डमालाविभूषिताम् ॥३॥

हरार्चितां हराराध्यां नमामि हरवल्लभाम् ।
गौरीं गुरुप्रियां गौरवर्णालङ्कारभूषिताम् ॥४॥

हरिप्रियां महामायां नमामि ब्रह्मपूजिताम् ।
सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरङ्गणैर्युताम् ॥५॥

मन्त्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिङ्गशोभिताम् ।
प्रणमामि महामायां दुर्गां दुर्गतिनाशिनीम् ॥६॥

उग्रामुग्रमयीमुग्रतारामुग्रगणैर्युताम् ।
नीलां नीलघनश्यामां नमामि नीलसुन्दरीम् ॥७॥

श्यामाङ्गीं श्यामघटितां श्यामवर्णविभूषिताम् ।
प्रणमामि जगद्धात्रीं गौरीं सर्वार्थसाधिनीम् ॥८॥

विश्वेश्वरीं महाघोरां विकटां घोरनादिनीम् ।
आद्यामाद्यगुरोराद्यामाद्यनाथप्रपूजिताम् ॥९॥

श्रीं दुर्गां धनदामन्नपूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् ।
प्रणमामि जगद्धात्रीं चन्द्रशेखरवल्लभाम् ॥१०॥

त्रिपुरां सुन्दरीं बालामबलागणभूषिताम् ।
शिवदूतीं शिवाराध्यां शिवध्येयां सनातनीम् ॥११॥

सुन्दरीं तारिणीं सर्वशिवागणविभूषिताम् ।
नारायणीं विष्णुपूज्यां ब्रह्मविष्णुहरप्रियाम् ॥१२॥

सर्वसिद्धिप्रदां नित्यामनित्यां गुणवर्जिताम् ।
सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्वसिद्धिदाम् ॥१३॥

विद्यां सिद्धिप्रदां विद्यां महाविद्यां महेश्वरीम् ।
महेशभक्तां माहेशीं महाकालप्रपूजिताम् ॥१४॥

प्रणमामि जगद्धात्रीं शुम्भासुरविमर्दिनीम् ।
रक्तप्रियां रक्तवर्णां रक्तबीजविमर्दिनीम् ॥१५॥

भैरवीं भुवनां देवीं लोलजिव्हां सुरेश्वरीम् ।
चतुर्भुजां दशभुजामष्टादशभुजां शुभाम् ॥१६॥

त्रिपुरेशीं विश्वनाथप्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् ।
अट्टहासामट्टहासप्रियां धूम्रविनाशिनीम् ॥१७॥

कमलां छिन्नभालाञ्च मातङ्गीं सुरसुन्दरीम् ।
षोडशीं विजयां भीमां धूमाञ्च वगलामुखीम् ॥१८॥

सर्वसिद्धिप्रदां सर्वविद्यामन्त्रविशोधिनीम् ।
प्रणमामि जगत्तारां साराञ्च मन्त्रसिद्धये ॥१९॥

इत्येवञ्च वरारोहे स्तोत्रं सिद्धिकरं परम् ।
पठित्वा मोक्षमाप्नोति सत्यं वै गिरिनन्दिनि ॥२०॥

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यतो धर्मस्ततो जयः।

*केजरीवाल के जन्म पर कुंडली बनाने के बाद पंडित जी के आंख में आंसू आ गये*

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यतो धर्मस्ततो जयः।

महमूद मदनी बजरंग दल बैन करने की मांग कर रहा है, हम मांग कर रहे जमात बैन करने की वायरल कीजिए देखते है जीत किस की होती है!

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यतो धर्मस्ततो जयः।

पाकिस्तान-अफगाणिस्तानातही जयघोष जयश्रीराम जय श्रीराम

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यतो धर्मस्ततो जयः।

आप सबको पता होना चाहिए कि *आर्ष विद्या समाजम* केरल में काम कर रही ऐसी सामाजिक संस्था है जो लव जिहाद का शिकार हुई हिंदू लड़कियों को विभिन्न प्रकार की प्रक्रिया, मनोवैज्ञानिक परीक्षणों आदि के द्वारा सही रास्ते पर लाने का प्रयास करती है। यहाँ हिंदुत्व पर विभिन्न कोर्स भी कराए जाते है, बिना किसी शुल्क के यहां सारी सुविधाएं दी जाती है। कितना पुण्य का काम है परंतु हमे इसके बारे में पता ही नहीं, हम ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने के लिए कोशिश ही नहीं करते,

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यतो धर्मस्ततो जयः।

Aisi clips hamesha Banna chahiye we wil fund and send to muslims

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यतो धर्मस्ततो जयः।

कितना ही ज्वलंत मुद्दा हो, हिंदू कभी सड़क पर क्यों नहीं उतरते ?

1. क्योंकि हिंदू  को पकड़े जाने/जान का खतरा होने पर कोई कानूनी, आर्थिक मदद नहीं मिलती, jail में सड़ना पड़ता हैI समाज का तिरस्कार अलगI

2. क्योंकि हिंदू  का कोई ecosystem नहीं है और केस लड़ने के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विहिप वीएचपी (VHP) से वकील नहीं मिलते I हिंदू नेता, धर्माचार्य, समाज, राजनेतिक दल support नहीं करते!

3. व्यक्तिगत बातचीत में हिंदू हितों के लिए लोगों में बहुत छटपटाहट महसूस होती है लेकिन community level सामाजिक स्तर पर प्रयास शून्य हैं I आदमी अपने लिए नहीं अपने परिवार और नारी शक्ति के सम्मान के लिए डरता है I यदि हिंदू को भी ये भरोसा मिले कि मोमिन परिवार और स्त्रियों को जैसे कोई छू नहीं सकता या प्राण हानि की दशा में भी परिवार को सम्मानित जिंदगी मिलती रहेगी तो सड़कों पर हिंदुओं आ जाए I

जो ये मठाधीश अखाड़े महामंडलेश्वर धन पर कुंडली जमाए बैठे हैं क्या ये सोमनाथ की तरह लुटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं?  क्या विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम बाढ मे कंबल बांटने  तक ही सीमित है?

4. अधिकांश हिंदू नौकरी करता है और अब दिमागी रूप से नौकर बन चुका है, मुसलमानों को रोजी रोटी कमाने के लिए हाजिरी नहीं लगानी पड़तीI  हिन्दू  चाटने की आदत पड़ गई है, अटेंडेंस लगानी पड़ती है तब दिहाड़ी बनती है, माँ बाप के इलाज तक के लिए छुट्टी लेने में गिड़गिड़ाना पड़ता है, सड़क पर क्या खाक लड़ोगे? बाकी कसर जात पात का अंतर्द्वंद, सामाजिक बिखराव तो है ही l

सच है प्याज की कीमतों पर रोने वाली कौमें जंग नहीं लड़ा करती!!

कॉपी पेस्ट 🚩🚩🚩

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यतो धर्मस्ततो जयः।

क्या ये ख्वार सही है? अगर सही है तो नाम से नही लोगो के दिलो में जगह बनानी होगी 👍 ज्यादा से ज्यादा हिंदुओ के हित में काम करना होगा 👍

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यतो धर्मस्ततो जयः।

मेघालय के हालात कितने चिंताजनक हैं वह शायद हम में से किसी की जानकारी में नहीं है। मेरी जानकारी में यह वीडियो आया है इसके माध्यम से शायद हम लोगों को पहली बार वहां के हालात मालूम पड़ेंगे जो कश्मीर से भी ज्यादा खतरनाक हो चुके हैं।

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यतो धर्मस्ततो जयः।

आखिर क्या है प्लान"..? 🤔 बहुत बड़ी साजिश की जा रही है देश के हिंदुओं के साथ 👇👇👇

महाराष्ट्र कोल्हापुर : 63 मुस्लिम बच्चों को ले जा रहा एक ट्रक आज दोपहर 2 बजे रुइकर कॉलोनी (कोल्हापुर) के पास पकड़ा गया. बच्चों ने बिहार से होने का दावा किया, लेकिन उनके पास पश्चिम बंगाल का रेलवे टिकट पाया गया।
बांग्ला देश से रोहिज्ञा को पश्चिम बंगाल में प्रवेश कराया जाता हैं और वहां से देश भर में पहुंचाया जा रहा हैं । आखिर सरकार कर क्या रही हैं ?😡

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यतो धर्मस्ततो जयः।

✳️ *गांधी मुस्लिम समर्थक क्यों थे?* (प्रो. के एस नारायणाचार्य ने अपने पुस्तक में कुछ संकेत दिए हैं।)

सभी जानते हैं कि नेहरू और इंदिरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते थे। लेकिन कम ही लोग गांधीजी की जातिगत जड़ों को जानते हैं।

*आइए यहां एक नजर डालते हैं कि वे क्या कारण देते हैं।*
1. मोहनदास गांधी करमचंद गांधी की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे।

पुतलीबाई मूल रूप से प्रणामी संप्रदाय की थीं। यह प्रणामी संप्रदाय हिंदू भेष में एक इस्लामी संगठन है।

*2. घोष की पुस्तक "द कुरान एंड द काफिर" में भी गांधी की उत्पत्ति का उल्लेख है।*

*गांधीजी के पिता करमचंद एक मुस्लिम जमींदार के अधीन काम करते थे। एक बार उसने अपने जमींदार के घर से पैसे चुराए और भाग गया। फिर मुस्लिम जमींदार करमचंद की चौथी पत्नी पुतलीबाई को अपने घर ले गया और उसे अपनी पत्नी बना लिया। मोहनदास के जन्म के समय करमचंद तीन साल तक छिपे रहे।*

3. गांधीजी का जन्म और पालन- पोषण गुजराती मुसलमानों के बीच हुआ था।

4. कॉलेज (लंदन लॉ कॉलेज) तक की उनकी स्कूली शिक्षा का सारा खर्च उनके मुस्लिम पिता ने उठाया !!

5. दक्षिण अफ्रीका में गांधी की कानूनी प्रक्टिस ओर वकालत करवाने वाले भी मुसलमान थे !!

6. लंदन में गांधी अंजुमन-ए- इस्लामिया संस्थान के भागीदार थे

*इसलिए, यह नोट करना आश्चर्यजनक नहीं है कि गांधीजी का झुकाव मुस्लिम समर्थक था।*

*उनका आखिरी स्टैंड था*:✒️
*"भले ही हिंदुओं को मुसलमानों द्वारा मार दिया जाए, हिंदु चुप रहें उनसे नाराज न हों। हमें मौत से नहीं डरना चाहिए। आइए हम एक वीर मौत मरें।"* इसका क्या मतलब है?

*स्वतंत्रता संग्राम के किसी भी चरण में गांधीजी ने हिंदुत्ववादी रुख नहीं अपनाया। वह मुसलमानों के पक्ष में बोलते रहे।*

जब भगत सिंह और अन्य देशभक्तों को फाँसी दी गई तो गांधीजी ने उन्हें फांसी न देने की याचिका पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
हमें ध्यान देना चाहिए कि ऐनी बेसेंट ने खुद इसकी निंदा की थी..:

1. स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद का बचाव किया...
2. तुर्की में मुस्लिम खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था जिससे डा हेगड़ेवार ने गांधी से नाता तोड़ लिया और आर.एस.एस. की स्थापना की..!
3. सरदार वल्लभभाई पटेल के पास पूर्ण बहुमत होने पर भी गांधी ने मुस्लिम नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया..!!!
4. पाकिस्तान को 55 करोड़ देने के लिए अनशन किया..!
5. हमेशा मुसलमानों का तुष्टीकरण किया ओर हिंदुओं का अपमान किया और हिन्दुओं को छोटे दर्जे का नागरिक माना.. जो आज भी उसके गांधीवादी राजनीतिज्ञों द्वारा जारी रखा जा रहा है...!
मोहनदास करमचंद और जवाहर लाल और ऊनका परिवार,वंशावली देखे शुद्ध सनातनी हिन्दू नही है,मुस्लिम है,अलतकिया भी हो सकता है ईनके हिन्दू नाम व स्वयं को प्रचारित करने का कारण,जानकारी होती जाएगी तो और स्पष्ट होगा

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यतो धर्मस्ततो जयः।

अद्भूत 🙏

गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से नहीं कट सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिये ..!

दरअसल, सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथ को भी तोड़ दिया था। उन्होंने एक ऐसी संख्या खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है। यानी भाग दिया जा सकता है। यह संख्या है 2520,

संख्या 2520 अन्य संख्याओं की तरह वास्तव में एक सामान्य संख्या नही है, यह वो संख्या है जिसने विश्व के गणितज्ञों को अभी भी आश्चर्य में किया हुआ है।

यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है। ऐसी संख्या जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, बहुत ही असम्भव/ दुर्लभ है - ऐसा प्रतीत होता है।

अब निम्न सत्य को देखें :

2520 ÷ 1 = 2520
2520 ÷ 2 = 1260
2520 ÷ 3 = 840
2520 ÷ 4 = 630
2520 ÷ 5 = 504
2520 ÷ 6 = 420
2520 ÷ 7 = 360
2520 ÷ 8 = 315
2520 ÷ 9 = 280
2520 ÷ 10 = 252

महान गणितज्ञ अभी भी आश्चर्यचकित है : 2520 वास्तव में एक गुणनफल है《7 x 30 x 12》का। उन्हे और भी आश्चर्य हुआ जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि संख्या 2520 हिन्दू संवत्सर के अनुसार एकमात्र यही संख्या है जो वास्तव में उचित बैठ रही है, जो इस गुणनफल से प्राप्त हैः

सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520

यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता 🙏

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यतो धर्मस्ततो जयः।

शासकीय भूमि पर अवैध मजार मस्जिदों के विरोध में इतना बड़ा फैसला 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया है जिसकी जानकारी हिंदू समाज को आज भी नहीं है एक बार अवश्य सुने

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यतो धर्मस्ततो जयः।

Photo from Kunal Saxena

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यतो धर्मस्ततो जयः।

15 जनवरी- राष्ट्र कृतज्ञता व्यक्त कर रहा अपने रक्षकों के प्रति आज "थल सेना दिवस" Army Day के अवसर पर.. "जय हिंद की सेना"

दिन है वर्दी वाले उन फरिश्तों को समर्पित जिनकी भुजाओं के दम पर राष्ट्र की शक्ति का आंकलन हम से लड़ने के झूठे सपने पालता कोई अन्य देश करता है .. ये वही वीर हैं जिनकी भुजाओं के दम पर भी चीन तक वापस लौट गया और कश्मीर के आतंकी हर दिन अपने अंजाम को पहुचायें जा रहे हैं ..

परित्राणाय साधूना विनाशाय च दुष्कृताम का सिद्धांत रखने वाली हमारी भारतीय सेना का आज थल सेना दिवस है जिस दिन पूरा देश नमन कर रहा अपने रक्षको को.. ये वही हैं जिनके दम पर हम हैं .. गौरतलब है कि सेना दिवस सामान्य रूप से नई दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति में भारत के वीरगति पाए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करके शुरू किया जाता है।

भारतीय थल सेना 15 जनवरी को सेना दिवस मनाती है। आज के दिन थल सेना अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती है और प्रथम भारतीय सेनाध्यक्ष के.एम करिअप्पा के पद ग्रहण के उपलक्ष्य को बड़े धूमधाम से मनाती है। आज भारतीय सेना का थल सेना दिवस है।

आज ही के दिन 1949 में Indian Army पूरी तरह ब्रिटिश सेना से आजाद हो गई थी। इसके साथ ही फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा आजाद भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। आज देश के रक्षको की वीर बलिदानी टोली को बारंबार नमन कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सैनिको का यशगान सदा सदा के लिये गाते रहने का संकल्प लेता है.

जय हिंद की सेना..

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यतो धर्मस्ततो जयः।

पनी गति है।
शाहजहाँ के पराभव, औरंगजेब के उदय और दारा शिकोह की निर्मम हत्या के पश्चात पण्डितराज के लिए दिल्ली में कोई स्थान नहीं रहा।

पण्डित राज दिल्ली से बनारस आ गए,
साथ थी उनकी प्रेयसी लवंगी।

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बनारस तो बनारस है,
वह अपने ही ताव के साथ जीता है।
बनारस किसी को इतनी सहजता से स्वीकार नहीं कर लेता।
और यही कारण है कि बनारस आज भी बनारस है,
नहीं तो अरब की तलवार जहाँ भी पहुँची वहाँ की सभ्यता-संस्कृति को खा गई।

यूनान, मिश्र, फारस, इन्हें सौ वर्ष भी नहीं लगे समाप्त होने में, बनारस हजार वर्षों तक प्रहार सहने के बाद भी

*"ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः। शं नो भवत्वर्यमा...."*
गा रहा है।

*बनारस ने एक स्वर से पण्डितराज को अस्वीकार कर दिया।*

कहा- लवंगी आपके विद्वता को खा चुकी, आप सम्मान के योग्य नहीं।

तब बनारस के विद्वानों में पण्डित अप्पय दीक्षित और पण्डित भट्टोजि दीक्षित का नाम सबसे प्रमुख था,
पण्डितराज का विद्वत समाज से बहिष्कार इन्होंने ही कराया।


पर पण्डितराज भी पण्डितराज थे,
और लवंगी उनकी प्रेयसी।
जब कोई कवि प्रेम करता है तो कमाल करता है।
पण्डितराज ने कहा
*"- लवंगी के साथ रह कर ही बनारस की मेधा को अपनी सामर्थ्य दिखाऊंगा।"*

पण्डितराज ने अपनी विद्वता दिखाई भी,
*पंडित भट्टोजि दीक्षित द्वारा रचित काव्य "प्रौढ़ मनोरमा" का खंडन करते हुए उन्होंने " प्रौढ़ मनोरमा कुचमर्दनम" नामक ग्रन्थ लिखा।*

बनारस में धूम मच गई,
पर पण्डितराज को बनारस ने स्वीकार नहीं किया।

पण्डितराज नें पुनः लेखनी चलाई,
*पण्डित अप्पय दीक्षित द्वारा रचित "चित्रमीमांसा" का खंडन करते हुए " चित्रमीमांसाखंडन" नामक ग्रन्थ रच डाला।*

बनारस अब भी नहीं पिघला,
बनारस के पंडितों ने अब भी स्वीकार नहीं किया पण्डितराज को।


पण्डितराज दुखी थे, बनारस का तिरस्कार उन्हें तोड़ रहा था।

असाढ़ की सन्ध्या थी।
गंगा तट पर बैठे उदास पण्डितराज ने अनायास ही लवंगी से कहा
*"- गोदावरी चलोगी लवंगी ?? वह मेरी मिट्टी है, वह हमारा तिरस्कार नहीं करेगी।"*

लवंगी ने कुछ सोच कर कहा- गोदावरी ही क्यों, बनारस क्यों नहीं?
*स्वीकार तो बनारस से ही करवाइए पंडीजी।*

पण्डितराज ने थके स्वर में कहा
- अब किससे कहूँ, सब कर के तो हार गया...
लवंगी मुस्कुरा उठी,
*"जिससे कहना चाहिए उससे तो कहा ही नहीं। गंगा से कहो, वह किसी का तिरस्कार नहीं करती। गंगा ने स्वीकार किया तो समझो शिव ने स्वीकार किया।"*

पण्डितराज की आँखे चमक उठीं।

उन्होंने एकबार पुनः झाँका लवंगी की आँखों में, उसमें अब भी वही बीस वर्ष पुराना उत्तर था-
*"प्रेम किया है पण्डित! संग कैसे छोड़ दूंगी?"*

पण्डितराज उसी क्षण चले, और काशी के विद्वत समाज को चुनौती दी-
*" आओ कल गंगा के तट पर, तल में बह रही गंगा को सबसे ऊँचे स्थान पर बुला कर न दिखाया,,,*
*तो पण्डित जगन्नाथ शास्त्री तैलंग अपनी शिखा काट कर उसी गंगा में प्रवाहित कर देगा......"*

पल भर को हिल गया बनारस,
पण्डितराज पर अविश्वास करना किसी के लिए सम्भव नहीं था।

जिन्होंने पण्डितराज का तिरस्कार किया था, वे भी उनकी सामर्थ्य जानते थे।


अगले दिन बनारस का समस्त विद्वत समाज दशाश्वमेघ घाट पर एकत्र था।

पण्डितराज घाट की सबसे ऊपर की सीढ़ी पर बैठ गए, और
*गंगलहरी का पाठ प्रारम्भ किया।*

लवंगी उनके निकट बैठी थी।

गंगा बावन सीढ़ी नीचे बह रही थी।
*पण्डितराज ज्यों ज्यों श्लोक पढ़ते, गंगा एक एक सीढ़ी ऊपर आती।*

*बनारस की विद्वता आँख फाड़े निहार रही थी।*

*गंगलहरी के इक्यावन श्लोक पूरे हुए, गंगा इक्यावन सीढ़ी चढ़ कर पण्डितराज के निकट आ गयी थी।*

*पण्डितराज ने पुनः देखा लवंगी की आँखों में, अबकी लवंगी बोल पड़ी*
*"- क्यों अविश्वास करते हो पण्डित? प्रेम किया है तुमसे..."*


*पण्डितराज ने मुस्कुरा कर बावनवाँ श्लोक पढ़ा।*

*गंगा ऊपरी सीढ़ी पर चढ़ी और पण्डितराज-लवंगी को गोद में लिए उतर गई।*

बनारस स्तब्ध खड़ा था,
पर गंगा ने पण्डितराज को स्वीकार कर लिया था।

तट पर खड़े पण्डित अप्पाजी दीक्षित ने मुह में ही बुदबुदा कर कहा
- क्षमा करना मित्र, तुम्हें हृदय से लगा पाता तो स्वयं को सौभाग्यशाली समझता, पर धर्म के लिए तुम्हारा बलिदान आवश्यक था।

बनारस झुकने लगे तो सनातन नहीं बचेगा।
युगों बीत गए।

बनारस है, सनातन है, गंगा है,,,
तो उसकी लहरों में पण्डितराज भी हैं।
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